मेरी प्यारी बहन Part 9



                मेरी प्यारी बहन  Part 9




विहान घर के करिब पहूँचे बेहद खुश हो रहा था और ये सोचते हुए घर के तारफ बढ़ा रहा था केसी पहली तस्वीर लेगा आशिता की, एक कामुक मुद्रा सोच रहा था अपने दिमाग में।  सोचने लगा के उसे अपनी ब्रा उतरे को कहेगा अपना बिस्तर पर जाने से पहले और उसकी उल्लू की तस्वीरें लेगा, और उसे किस करते हुए एक सेल्फी लेगा बाल्के सेंक्रो वीसा तस्वीरें लेगा आशिता को चुंबन हुए हुए ...  बढ़ रहा था….

 और जब गेट खुला से आशिता के कान में गेट की खुलने की आवाज आई और उसकी दिल की धड़कन तेज हुई और उडास हो गई ये सोचे हुए के आज विहान उसे कितना याद करेंगे और हमें अपने न काम में आएंगे  दिल पर पत्थर रख लिया था आशिता ने और अपने बाप और मां को खुश करना चाहती थी, मगर वो नहीं सोच रही थी कि कितना दुख होगा विहान को…..

 जब विहान घर के अंदर दखिल हुआ तो दबे पांव चलते हुए सिद्ध अपने काम में दखिल हुआ मोबाइल को पीठ के पीछे छुपे हुए और कहा,

 "सोच मैं किया सरप्राइज देने वाला हूं तुझे आज......."

 वो आशिता से बात कर रहा था ये सोचते हुए के वो काम में होगी, मगर उसकी आवाज गले में अटक गई जब कामरे को खाली पाया।  वो तो सोच रहा था के आशिता नींध में होगी या होमवर्क कर रही होगी, मगर बहुत हीरान हुआ कामरे को खाली देख कर।

 कुछ डेर वेइस ही खड़ा रहा कामरे में चारों तारफ देखते हुए और उसके चेहरे का रंग बदल गया और उदासी चा गई।  उस्को ज़ोर से रोने का मन कर रहा था, फिर सोचा के कहीं आशिता उस के सात कोई खेल तो नहीं खेल रही थी, कहीं बिस्तर के आला या अलमारी के पिचे या दरवाजे के पिचे या किसी कोने में तो नहीं है।  तो उसे उन जगों पर धुंडा मगर जब आशिता कहीं भी नजर नहीं आई तो बिस्तर पर बिलकूल उदास बैठा और धीरे से कहा,

 “मेरी गर्लफ्रेंड ने आज मेरा इंतजार नहीं किया क्यों?  क्यूं वो चली गई सोने बिना मुझसे मिले?  कहीं मम्मी ने उससे कुछ ज़िदा बुरा भला तो कहा?  कहीं कुछ गंभीर तो नहीं हुआ मेरे जाने के बाद?  कीसे पता चलेगा?  कहीं आशिता ने कुछ लिख कर तो नहीं रखा कहीं मेरे लिए?  अपने कॉपीबुक्स में देखता हूं जरूर उसे कुछ लिखा होगा….एक प्रेम पत्र ही मिल जाएगा तो दिल खुश हो जाएगा….., देखता हूं”

 और उधार आशिता भी बिस्तर पर यही सोच रही थी खुद से बात करते हुए,

 “मुझे भाई के लिए कुछ लिख कर चोरना चाहिए था, वो अभी कितना परशान होगा मुझे वहां नहीं पा कर…।  मैं भी नहीं बुधू हूं वो सही कहता है….  कम से कम मैं इक डू वर्ड्स टू लाइक सक्ता था उसके नोटबुक में, धत मैं भी सच में बुद्धू ही हूं!... मगर कि लिखती मैं?  ऐसे तो दूर नहीं बनेगा, नहीं मैं ने सही किया ये आदत बन जाएगी और किस्सी और किसम का लगाओ हो जाएगा... ना बाबा उस से अब दूर ही बेहतर है...।  मगर वो किया कर रहा होगा इस वक्त ?!"

 और उधार विहान बिस्तर पर हटाश कर बैठा और एक भारीपन महसूस कर रहा था, उसका दिल और दीमाग उसके जिस्म का साथ नहीं दे रहा था।  फिर लेयत गया बेड पर, एन्खोन को मुंड कर आशिता को विज़ुअलाइज़ करता करता रहा काफ़ी डेर तक।  किआ किया सोचा था उसने के कीसे की तस्वीरें लेगा आशिता की घर आने के बाद और उसे सपना टूटा हुआ दिखी देने लगा था उसे।

 कुछ डर बाद वो उत्थान कॉरिडोर में गया, और अपने पापा के काम से कान लगा कर सुनने लगा के कहीं आशिता की आवाज आए, ये उसे याकीन था के आशिता की सांस लेने की आवाज महसूस...  वो आशिता की सांसें खुद अपने बहन पर महसूस किया करता है विहान तो उसने सोचा वो महसूस दरवाजे से सत् कर आएगा मगर कुछ नहीं महसूस किया उसने, तो तस्सवूर में सोचने लगा के फिर से वहां से वहां में फिर से  उसकी गरम सांसों को कभी अपने बाहों पर तो कभी अपने बगीचे पर महसूस करता है, किस तरह उसी दिल की धड़कन खुद के चाटी या कांधे पर धक धक करता रहता है…….  केइस सब खामोश था उस कामरे में ये उसे अजीब लगा, आशिता को केइस मेरे बिना नीचे आई होगी भला ये सोचने लगा विहान….

 उसके बाद काफ़ी डेर तक विहान आधार ग़ुमता रहा कॉरिडोर में तेज़ दिल की धड़कनों के साथ।  बेहद मिस कर रहा था आशिता को, फिर वापस गया अपने डेस्क पर सारे कॉपी बुक्स को ऊपर आला कीए धुंडने के लिए के कहीं कोई नोट मिल जाए आशिता के तरफ से, चारों तारफ धुंडा मगर कुछ नहीं कॉरिडोर में मिलने पर फिर  रसोई में।  जान बुझ कर बरतन गिराया किचन में के या तो आशिता या उसकी मां सुंकर बहार आए तो और आशिता को झांक खातिर कुम से कम मगर कोई नहीं आया….

 विहान पागल हा रहा था, बेचान था, परशान था, उसको रोने का मन कर रहा था, मोबाइल पर घुस्सा निकला के बेकर में मोबाइल मिला उसे, जिस चिज के लिए मोबाइल लिया वो उसके पास ही कितनी आशिता था...  उसके पास मोबाइल देख कर… ये भी सोचा लगा विहान… रात के बारह बज गए और वो कॉरिडोर से अपना कामरा, फिर वहां से लाउंज, और फिर किचन, चारों तरह एक पागल की तरह चक्कर लगा रहा था….

 घंटे बीट गए, उसको अपने पापा के काम को खोल कर और जाने का मन करने लगा, सुबह के 2 बज गए थे, मगर उसका मन घबड़ाने लगा सोचकर के अगर उसके मम्मी या पापा ने उसे वहां देखेंगे तो इसे भी देखेंगे।  वो आशिता के पास आया है….  डर भी लग रहा था उसे...

 वो आखिर में अपने कामरे में गया, चेंज किया, सोने को ट्राई किया मगर बिलकूल भी जरूरत नहीं पड़ी थी, आशिता को देखे बिना उसको जरूरत आना नामुमकिन था, लास्ट चिज जो वो देखता हर रात सोने से पहले वो जी सोहरा कहा  चुम्ने के बाद वो सोता था, आज पहली रात थी के वो आशिता को देखे बिना तो रहा था तो उसके लिए ये बहुत कहीं था…।

 सुभा के तीन बजे वो फिर कॉरिडोर में निकला और अपने पापा के कामरे के पास का सत्ता कर सुन्न लगा और इसे बार उसे एक आहट सुनायी दिए, उसके दिल के धड़कन बहुत तेज हुआ, उसे भी लगा है आशिता है  के ये उसका वेम है, वो वापस लाउंज के तारफ चला गया, और सोफे पर बैठा कर रोने लगा... रोना शुरू ही किया था के देखा आशिता उसके सामने खड़ी है !!!!

 झपट के अंश भरे एन्कों से उस्ने आशिता को कसके बाहों में भरके रोने लगा, और शिकायत करता गया सिसकते आवाज में, "क्यूं?  ऐसा क्यों किया तुमने?  क्यों मेरा इंतजार नहीं किया आज?  चार घंटे से पागलों की तरह घूम रहा हूं घर में, मुझे क्यों सत रही है इतना तू?  किया हो गया?  क्यों मेरे पास नहीं आई सोने?  क्यूं?  क्यूं?  क्यूं?  आशिता बुठ बनी खादी थी उसके बहाने में बिना कुछ कहे …… विहान उसस्की गरम सांसें अपने बगीचे पर महसूस कर रहा था और उसे जवाब का इंतजार कर रहा था……
 


 अब अगुए… .. आशिता फिर भी कुछ नहीं बोली और विहान का हाथ अपने ऊपर से हट्टा कर वापस अपने पापा के कामरे के तारफ बढ़ ही रही थी के दौड़ कर पिचे से विहान ने उस्का हाथ थामा और अपने तर

 "आखिर हुआ किया?  कुछ तो बता क्यों नहीं कर रही है तू?  मेरे पास नहीं सोगी आज?"

 आशिता ने नहीं में सर हिलाते हुए अपना हाथ झटका विहान के हाथ से और वापसी जाने लगी।

 विहान रो पड़ा और रोते हुए कहा, "मैं आज कुछ लाया हूं, तुमको दिखाना था देख ले फिर चली जाना प्लीज बेबी, प्लीज!"

 आशिता रुकी, मुधकर विहान को देखा मगर उसके चेहरे पर कोई भी एक्सप्रेशन नहीं थी, कोई भाव, कोई उदासी, कोई रांझ, कुछ भी नहीं दिख रहा था उसके चेहरे में, बस प्लेन, नॉर्मल लुक थी।

 विहान ने उसको रुकते हुए देखा तो जल्दी से अपने कामरे के तारफ बढ़ा और आशिता अहिस्टे अहिस्ते चल कर उसके कामरे के दरवाजे तक आई मगर और नहीं गई दरवाजे पर ही खादी प्रतीक्षा कर रही उसे देख के।

 विहान कामरे के अंदर से मुधकर आशिता को दरवाजे के पास देख कर हटा सा गया और थोड़ा घुसपैठ में कहा, अब किया कामरे के अंदर आने के लिए तेरा पेयर परुन किया?”

 आशिता वहां से नहीं हिली… .. विहान के समझ में नहीं अरहा था के किया करे वो।  उसे किया कि सोचा था और अब आशिता के इस व्योहार से वो बिलकूल टूट सा गया और दर्द भरी आवाज में आशिता से कहा,

 "मैं सिरफ तुम को सोचते हुए वापस आया, मेरे दिल ओ दीमाघ में सिरफ तुम बस्सी हो और ये, ये मोबाइल लेकर इस खुशी से आया के आते ही तुम्हारी तस्वीरें लुंगा, हम एक साथ सेल्फी लेंगे, तुम कितनी खुश होंगे, मैं तुम्हें खुश करूंगा  देख कर कितना खुश हो जाउंगा मगर तू ऐसा क्यों व्यवहार कर रहा है आखिरी हुआ किया तुझे?  तू बीमार है किया?  तेरी अवधि हुई है किया?  पेठ दुख रहा है बेबी?"

 आशिता ने एक भी जवाब नहीं दिया सिरफ मोबाइल को देख कर उसके चेहरे में थोड़ी से खुशी की झलक दिखी दीये मगर जब विहान फिर बात करने लगा तो आशिता फिर से वही बुत बन गई…..

 विहान ने कहा, "अंदर तो आह इधर लाइट में तेरी कुछ तस्वीरें ले लून, मैं ने सोचा पहला तस्वीरें तेरा ही लुंगा ... और आह नहीं मेरी प्रेमिका!"

 मगर आशिता लौटने लगी वही से…..

 रोटे हुए विहान ने कहा,

 "एक किस तो देती जा, गुडनीते किस तो दे दे मुझे, एक बार अपने बहोत में तो जकार्ती जा नहीं, आशु..."

 फिर उसके पापा के कामरे के दरवाजे को बंद करते सुना विहान ने जिस्को आशिता ने बंद किया और अंदर दखिल होते हुए...

 विहान देखते रह गया जहान खड़ा था वहां उसके दोंन पौन जैसे जमीन में सत् गए थे आशिता की उस व्योहार को देख कर... उसके समाज में नहीं अरहा था के वो किया करन, जोरों से मन कर रहा था।  सब कुछ तोड़ फोडने का मन कर रहा था….. गुस्सा भी बहोत आ रहा था उपयोग….

 और उधार आशिता अपने बिस्तर पर जाकर तकिए में मैं दबा कर रोने लगी...उसका दम घुटने लगा...  वो खुद को मजबुत बनाने की कोषिश कर रही थी विहान से दूर रहने के लिए मगर बहोत कथेन था उसके लिए…।  वो भी बिलकूल नहीं सोई रात भर, वो भी अंदर से सिरफ विहान को ही सोच रही थी, जब विहान कॉरिडोर में चल रहा था वह उस वक्त आशिता बिस्तर पर बैठा कर सुन रहा था …  कर विहान से मिले का मन तो बहुत कर रहा था मगर अपने पापा के बातों को हर बार सोच कर उन चीजों को जैसा एक ढाल बना ले गया था विहान के पास नहीं जाने के लिए मगर सुभा 3 भी नहीं आशिता  को देखने की चाह ने उसको कामरे से बाहर आने पर मजबूर किया, अपने दिल से मजबूर थी...उसने सोच लिया द के बस एक बार वो विहान को देख लेने और विहान को उसे देखने ले तब उसे इतनी चली,  तार से पता था के विहान नहीं सोया होगा और बहुत बेचान होगा, और तड़प रहा होगा… .. तो उसे अपना चेहरा दिखाना होगा निकल आई थी कामरे से….

 और उस तारफ विहान का बुरा हाल था।  कितना कुछ सोचा था उसे, कुछ भी नहीं कर पाया, सामान्य तस्वीरें भी नहीं ले पाया आशिता की, सेक्सी वाले की तो अलग बात है सामान्य तस्वीर तक नहीं ले पाया…।  बहुत दुख हुआ उसको, उसका दिल बहुत ही दुखने लगा था, रोने से भी दर्द नहीं रुक रहा था….

 विहान सोच में डूबा हुआ घंटान तक के किया हुआ होगा, सोचने लगा के जरूर मां ने आशिता को मारा पीटा होगा उसके बगीचे में लवबाइट्स के करन, पता नहीं किया कि बेटी होगी उस पर ये सब सोचा...  खुद से कहा,

 "कोई बात नहीं सुभा को मम्मी पापा के जाने के बाद मैं सब सेट कर दूंगा, अपनी जानेमन को मन लुंगा और खूब चुंबन करुंगा, शरत करुंगा और बहोत तस्वीरें लुंगा…।  देखता हूं की मन करता है, अभी बहुत घुस में है या डरी हुई है, सुबह को मन लूंगा उसे मैं आखिरकार कब तक मुझसे दूर रह शक्ति है भला!"

 ऐसे पॉजिटिव सोच के साथ विहान के एंखों में अच्छी जरूरत आ ही गई, उस वक्त सुभा के 5 बजने वाले थे, और उस तरह से उस वक्त उस वक्त आशिता की भी रोते रोते लग गई…..

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 अगली सुबह………।

 इतने में और सुमन तयार होकर काम के लिए निकल रहे थे और एक बार विहान के काम में मां आए विहान को जगने के लिए, और udhar अनिरुद्ध ने आशिता को हिला कर जगाया ये कहते हैं  …..

 विहान उठा और अपने सर को बहुत भारी सा पाया, उसे और बहुत सोने का मन कर रहा था मगर इस लिए के आशिता से बहुत बात करना था इस लिए वो उठा।  जैसे ही मां और बाप निकल गए विहान जल्दी से आशिता के पास गया, वो कम्बल के आला थी, अब मेंंध में थी या नाटक कर रही थी पता नहीं मगर विहान जलदी से कम्बल उठा कर उसमें एक आशिता के पास गया था।  लिया और उसके बगीचे पर अपना नाक फिरते हुए उसे सुनते हुए कहा, "कितना मिस किया मैं ने अपनी गर्लफ्रेंड को रात भर, मैं थिक से सोया ही नहीं कल रात को, सब तेरी वजह से पता है!"

 विहान ने अहिस्ते से अपना हाथ आशिता के जाधों पर फिरते हुए ऊपर के तार हाथ खराबा गया और अपने कमर को उसस्की पेठ के थोड़ा आला ठिक उसस्की पुसी के ऊपर डबा कर थोड़ा सा रागधने की कोषिश किया;  तब झट से आशिता ने कम्बल हत्ते हुए विहान को एक बड़े जोर का थप्पड़ मारा !!!!

 विहान हकबका गया और बहुत हीरानी से आशिता के चेहरे में देखते हुए कहा, "किया हुआ?  किया हम पहली बार ये कर रहे हैं?  कल ही तो किया था, मैं झाड़ा भी था तेरे पैंटी पर और हम ने उससे दूधर धोया भी था तो अब किया हो गया?"

 बिना कोई जवाब दिए आशिता उत्थान चली गई एक तरफ देखते हुए।  उसे विहान को मुड़कर देखा भी नहीं जैसा विहान हवा से बातें कर रहा था….

 विहान को बहोत घुस्सा भी आया मगर उसके दिल के अंदर एक तूफान सा मचा हुआ ये जाने के लिए बहुत बात हुई है।  वो तो हमा की तरह उसको प्यार कर रहा था और रात भर की दुरी को मिटाने के लिए वही कर रहा था जो इतना ज़ोर का थप्पड़ और वो भी बहुत गंभीर में  विहान ने सोचा और उसके पिचे धडपदाते गया जहां आशिता ब्रश कर रही थी।

 आशिता के पिचे खड़े होकर विहान ने उसे ऐसे में देखा वॉश बेसिन के पास, आशिता के मुंह में टूथपेस्ट की झाच पड़ी हुई थी मगर उसे विहान के तारफ नहीं देखा बस ब्रश कारती गई।  उसके बाल खुले हुए थे, और उसके कांधे पर उसस्की नाइटी के स्ट्रैप पर होकर उसस्की गोरी बाज़ुवोन पर लहरा रहे थे जिस्को विहान ने अपने हाथ में लेकर नाक से लगा और सुनाते हुए कहा, "हमम हमेशा की तरह बहुत अच्छी खुशबू आ रही है।"

 तब आशिता ने एक नज़र उसे देखा, उसके गाल को देखा जहान थापद लगायी थी उसने, वो गाल लाल था।  विहान ने उसे देखते हैं देखा और कहा का इस्तेमाल करते हैं,

 "कितनी ताक़त अगाई है री तेरे हाथ में के उस थप्पड़ से मेरे कान में एक गूंज उठ गई, स्ट्रॉन्ग होती जा रही हो यही चलो आखिरकार मेरी गर्लफ्रेंड जो थीरी, स्ट्रॉन्ग टू होना ही है, ऐसा ही किस लगा लगा एक है  तुझे तो ठीक है जानेमन?"

 फिर विहान जल्दी से अपना मोबाइल लेकर आया और उस्सी मिरर में ब्रश करते हुए उसने आशिता की एकात पिक्स लिए, आशिता देख रही थी मगर माना नहीं किया, फिर विहान ने खुद ब्रश करना शुरू किया और दूनों के लिए सेल्फी लिए आशिता ब्रश  नज़र से कैमरा में देख रही थी, एक बहुत ही हल्की सी मुस्कान आई उसके चेहरे में जब 5वीं सेल्फी लिया विहान ने, तब आशिता ने कुली करने के बाद कहा,

 "इसी गंदी सेल्फी लेता है कोई टूथब्रश करता हुआ छे!"

 विहान के जान में जान आई अपनी प्रेमिका की आवाज सुनकर।  और बिना कुछ कहे उसने भी जल्दी से मुंह धो लिया और आशिता को अपनी रात में शूट करने लगा, उसकी लंबे बाल उसके कांधे पर थे, उसकी ब्रा की स्ट्रैप उसस्की नाइटी के स्ट्रैप के साथ उसे कांधे पर दिख रहा था और विहार  जा रहा था, फिर उसकी बूब्स का राउंड फॉर्म को शूट किया नाइटी के ऊपर और उस्का बड़ा मन किया उसे दबाने को... आशिता टॉवल से अपना चेहरा पोंच रही थी जब विहान ने झट से उसके गाल पर किस किया जलदी से और हट गया  एक थप्पड़ नहीं पर जाये, पिचे हटे विहान आशिता को चलते हुए शूट करता गया….

 जब आशिता किचन में दोंनों के लिए चाय परोसने लगी वो सब भी विहान ने शूट किया, तब भी आशिता उसी नाइटी में थी जिस में वो बेहद हॉट और सेक्सी दिख रही थी, और विहान का खड़ा हो गया उसको पर साथ बिस्तर  कर इश्क फरमाने का मन करने लगा, तो उसे सोचा के चाय पीने के बाद उसे बिस्तर तक लेकर जाएगा तस्वीरें क्लिक करें करने के लिए और उसे बिस्तर पर लेगा, और प्यार करेगा, इस उम्मेद से दोबारा होगा... नहीं।

 टेबल पर चाय और ब्रेड बटर खाते वक्त दोन एक दसरे के सामने बैठे थे, विहान आशिता को निहार रहा था और बार बार उसस्की तस्वीरें ले रहा था मोबाइल से, एक बार तो उसे अपने हाथ लफा कर टेबल के उस रात तार के आशिता  को आला करके झट से एक तस्वीर क्लिक किया, और आशिता ने बस उसको तेरी नजरों से देखा, और विहान उस तस्वीर को देखने लगा अपने मोबाइल पर, उस में आशिता की सफेद ब्रा की पट्टा उसकी कांधे पर साफ नजर आ रही थी और उस रात  की स्ट्रैप उसस्की बाज़ू पर लटके दिख रहे थे, फिर विहान ने उस्को वो पिक दिखया, आशिता ने देख कर अपने नाक मोड कर उसके चेहरे में देखा बिना कुछ कहे।

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