मेरी प्यारी बहन Part 8

  


               मेरी प्यारी बहन  Part 8




विहान को कॉलेज से वापस आने के बाद इस दिन को साइबर कैफे जाना था शाम को 5 बजे से रात को 11 बजे तक काम करने को।


 आशिता उदास हो जाति जिन्न रातों को वो काम पर जाता है वो अकेले महसूस करता है कार्ति घर में उसके बिना।


 अब जाने से पहले जब कॉलेज से वापस आया तो दून अकेले द हर शाम की तरह और विहान ने उस से पुचा किया प्रिया से बात हुई तो आशिता ने कहा हां उसे कहा था, वो चार्ज ले लेगी के हां उस में हमने  बगीचा पर लवबाइट्स किया और चाट पर भी।


 फिर दोंनों ने एक दसरे से बहुत प्यार किया विहान के काम पर जाने से पहले।  और थिक जब विहान घर से निकला रहा था तो उसके मम्मी और पापा काम से वापस घर को आए।


 विहान तो चला गया मगर आशिता के लिए मुश्किल घरी थी मां का सामना करना था वो बी विहान के बिना, अकेली।


 विहान भी जाते वक्त रास्ते में आशिता के बारे में ही सोच रहा था के पता नहीं वो मां से हमें समस्या के बारे में डील करेगा अकेले, कर भी मिलेगी के नहीं, विहान वापस आना चाहता था में आशिता  में मोबाइल ख़रीदने का भूत भी सांवर था आशिता के तस्वीरें लेने के लिए इस लिए वो सीधे साइबर कैफे चला गया मगर अपना दिल आशिता के साथ चोर गया।


 उस तारफ सुमन ने आशिता को बुलाया और सवाल शुरू किया।  आशिता घबराय हुई थी विहान के बिना, विहान उसकी तकत थी, और अब अकेली वो बहुत कमज़ोर फील कर रही थी।  माँ ने पुचा,


 “ये तेरे बगीचे में मार्क कीसा है?  बता मुझे वर्ना तुझे आज मैं मार डालूंगी!”


 बाप तूरंत सुमन की उंची आवाज सुनकर वहन आया।  उसे देख कर आशिता और भी घबड़ा गई और रोने लगी।  तब बाप ने कहा,


 "बीटा बता दे कीसे हुआ ये निशान तेरे बगीचा पर?"


 आशिता ने सर झुके रोते हुए कहा,


 "वो बस कॉलेज में एक गेम प्रोग्राम के दौरा मेरी सहेली ने ऐसे ही मुझे दांत काटी थी!"


 अनिरुद्ध ने तुरंत सुमन को देखते हुए कहा,


 "देखा मैं ने कहा था आज कल लड़की ऐसी हरकते करते हैं!"


 सुमन ने अपने पति को दांते हुए कहा,


 "आप चुप रहो जी मुझे आसान करने दिजिये इस से!"


 तब सुमन ने आशिता के बाल नौचते हुए कहा,


 "तू झूठ बोल, राही है, तेरे चाय पर भी किया तेरी सहेली ने तुझे दांत काटा किया?  हेन?  बता मुझे ये किस का काम है”


 और एक ज़ोर का थप्पड़ लगा सुमन ने आशिता को।  जब थप्पड़ पड़ी तो आशिता बैठा कर रोने लगी और उसके पापा ने उसे गले से लगाते हुए उसस्की मां पर चिल्लाया ये कहते हुए,


 "तुम पागल हो किया?  ये किया कोई छोटी सी बच्ची है जो इस पर तू हाट उठा रही है?  इतनी बड़ी लड़की को कोई मरता है किया?”


 आशिता रोटी जा रही थी और अपने भाई को याद कर रही थी उसके लिए कहा था के अगर मां ने उस पर हाथ उठा तो वो बीच में आएगा मगर वो तो यहां था ही नहीं।  और सुमन ने ग़ुस्से में आशिता को और एक थप्पड़ लगा, जो आधा उसके चेहरे पर पड़ी और बाकी आशिता के पापा ने अपने हाथ पर लिया उसे बचाते हुए।


 सुमन ने चिल्लाते हुए फिर पुचा,


 "बता मुझे के ये सब तेरे भाई ने तेरे साथ नहीं किया है?  सच बता मुझे मैं सच सुन्ना चाहता हूं?  तू किया गुल खिलाड़ी रही है इस घर में अपने बड़े भाई के साथ, हमारे ग़ैर हज़ारी में किया करते हो तुम दून?"


 आशिता कोई जवाब देने की काबिल ही नहीं थी क्योंकि वो बहुत ज़ोरों से रो रही थी।


 अनिरुद्ध ने उसे सर पर प्यार से हाथ फिरते हुए उसको चुप कराटे हुए कहा,


 "बोल्डे बेटी, बता दे जो सच बात है नहीं तो उसका घुस्सा थांड नहीं होने वाला बता दे!"


 सुमन फिर चिल्लायी,


 “और क्यों रात में तू उठाकर उसके पास चली गई थी?  किया वो तेरा पति है जो उसके बिना तुझे नीचे नहीं अति?  क्या सिर्फ उसी के बहाने में तुझको नींद आती है?  खबरदार जो आज उस कामरे से निकली तो…..!”


 आशिता और भी ज़ोरों से रोने लगी अपनी माँ की आखिरी बात को सुनकर।  मगर सुमन की बात खतम नहीं हुई थी उसे और ज़ोर से कहा,


 “तेरा लक्षण कुछ ठीक नहीं लग रहा है, तेरा कॉलेज जाना बंद करवा देगा मुझे अब, घर पर ही बैठना तू अब।  घर में बहुत सारे काम होते हैं, धोना, खाना, घर साफ करना ये सब के ही लाया है तू…”


 अनिरुद्ध ने तेरी नज़र से अपनी पत्नी को देखते हुए कहा,


 “चुप कर अब तू किया बकवास कर रही है?  क्यूं कॉलेज नहीं जाएगी मेरी बिटिया, जरूर जाएगी और अपने भाई के साथ ही जाएगी, तू जा अब, तू अपने किचन में जा मैं बात करती हूं अपनी बेटी से, चल जा यहां से अब!"


 अनिरुद आशिता को प्यार से फुसलाते हुए उस्स्की कामरे में लेगा उससे और दोंन बाप बेटी बिस्तर पर बैठे और अनिरुद्ध ने आराम से और प्यार से आशिता के गाल से बहते एन्सोउओं को पोंछते हुए कहा,


 "ये किया है आशिता किया तुम दून भाई बहन के बीच कुछ चल रहा है किया?  मुझसे तो छुपा मुझे बता मैं कुछ नहीं बताउंगा तेरी मां को बालके तुमको बचाऊंगा।”


 आशिता ने सर झुके हुए अपने पापा से कहा,


 "कुछ नहीं है पापा मां को बुरातफैमी हुई है, मैं भाई से बहुत प्यार करता हूं और उसके साथ सोने की आदत है इसी लिए मैं उसके पास वापस आया था"


 अनिरुद: “और गले में जो निशान है कि विहान का ही हुआ नहीं है?  सच बोल मुझे आशिता!”


 आशिता: "नहीं पापा ये तो प्रिया और कोमल ने खेल के दौरा मजाक में किया था, प्रिया ने कोमल के भी गले में ऐसा निशान किया था...।  ये सब मजाक में हुआ है पापा!"


 सुमन बहार चुप कर सुन रही थी और अंदर दखिल होते हुए कहा, "झूट बोल रही है तू, मुझे याकीन नहीं है, अगर ये सच है तो कल मैं कॉलेज हूं और मुझे उस पर प्रिया से मिलवाना, मैं बस इतना कुछ नहीं है  पुचुंगी के किया सच में उसे तेरे गले में दांत काटा था, और चाय पर भी?  कमाल है तेरी ब्लाउज के अंदर तेरी सहेली तुझे छुटे है ये केसी लडकियां है उस कॉलेज में?  मुझे तो वहां के प्रिंसिपल से पूछना चाहिए!”


 अनिरुद्ध ने सुमन पर अब चिलते हुए कहा,


 “कुछ कुछ ताज नहीं करना किसी से, तू जा अपने किचन में।  आशिता ने कहा दिया उसकी सेहली ने किया है तो बस वही हुआ है, अब बात खतम।  इस बात को अब आगे नहीं बढेगा।  अवधि।"


 और सुमन सच में अपनी रसोई में चली गई तो बाप ने आशिता से के गाल चुमते हुए कहा,


 “देख बेटी मुझे भी तुम पर पुरा याकेन तो नहीं है मैं बस तुमको बचा रहा हूं तेरी मां से।  मगर प्लीज मुझे सच बताता नहीं किया विहान और तेरे बीच कुछ है किया?  तू फ़िकर मत कर मैं कुछ भी नहीं कहूँगा तेरी माँ को मुझे बोल नहीं, मैं तेरी माँ को तब कॉलेज जाने से बिलकूल रोक लूंगा तू बोल नहीं किया विहान ने तेरे चाटी पर किस किया और लवबाइट किया है?  कृपया मुझे सच बता दे।  मैं विहान को भी कुछ नहीं कहूंगा, बस मैं जाना चाहता हूं, तू बताएगा तो मैं तुम्हें बचूंगा नहीं तेरी मां से, समझौता कर नहीं!"


 आशिता ने पहले धीरे से कहा,


 "देखो कहीं मम्मी कहीं दरवाजे के पास खादी सुन तो नहीं रही है पापा!"


 तो अनिरुद्ध उठा कर देखने गया और कहा,


 "नहीं वो तो किचन में है, तो बोल मुझे किया बात है!"


 आशिता ने कहा,


 “पापा कहीं आप मुझसे सच बात जाने के लिए कोई चल तो नहीं चल रहे हैं मम्मी और आप मिले तो नहीं हुए हो?  किया मम्मी ने आप से मुझसे बात उगलवाने के लिए कहा है तब आप उसे सब बता दोगे ?!"


 अनिरुद्ध ने आशिता को देखे से लगते हुए कहा,


 “अरी नहीं रे पगली मैं भला तेरे साथ ऐसा कर सकता हूं किया?  बिलकूल भी नहीं, उस्को तो मैं दांत रहा था नहीं अभी, तू बोल किया बात है मेरी गुड़िया, बता पापा को!”


 आशिता ने पहले अपने पापा के चेहरे में कुछ डरते हुए देखा, और फिर सर निचे झुका कर कहा,


 "हां पापा विहान भाई और मैं एक दसरे से बहुत प्यार करते हैं, हम एक दसरे के बघैर नहीं रह सकते हैं, मेरे जिस्म पर सभी निशान उसी के लिए हुए हैं, मगर पापा भाई का कोई दोश नहीं है, मैं उसे देता हूं  हूं क्यों मुझे सब बहुत अच्छा लगता है प्लीज भाई को कुछ मत कहना और हमको दूर मत करना पापा !!"

 

 आशिता की स्वीकारोक्ति सुन के बाद अनिरुद्ध का पासा छठ गया और उस्का सर चक्र सा गया एक पल के लिए।  उसके माथे से चांद बून्द पासिन के निकले पाए और उसके समाज में नहीं आया के अब आशिता को किया जवाब दे!


 एक बाप, एक जिम्मेदार बाप की तरह अगर अनिरुद सोचा तो तुरंत सख्त फैसला करना चाहिए था, कोई बहुत सख्त इंतजाम करना चाहिय था या आशिता को और भी जोर का थापड़ मरना चाहिए।  साइड देता है और अपने औलाद को प्रोटेक्ट करने की कोशिश करता है।  और जहां बाप सच होता है तो मां को अक्सर बच्चे के साइड लेटे हुए देखा गया है।


 अनिरुद्ध ने उन चंद पालन में ये भी सोचा के अगर आशिता को प्रोटेक्ट करना है तो उसे आराम से सही वक्त पर मामले को सुलझना मिलेगा, हड़बड़ी में सब और भी बड़ा सकता है, बच्ची से हाथ भी धोना है।  कोई भी निर्णय लेने से पहले बहुत सोच विचार करना चाहिए ऐसे मामले में ऐसा सोचा अनिरुद्ध ने।  और अनिरुद्ध ने ये भी सोचा के कहीं ऐसा नहीं हो के कुछ ज़िदा शक्ति करने से कहीं आशिता या विहान कुछ कर नहीं बैठे ऐसे ही घर चोर कर भाग जाएंगे...  अनिरुद्ध को, उसे ऐसा सोचा।


 बाप ने ये बी सोचा के अगर सुमन को इस्का पता चला के आशिता ने सब कबूल कर लिया तो वो किया कर बैठागी, वो घुस्से में बहुत बुरा कर सकती है।


 ये सब सोचते हुए अनिरुद्ध अपने सर पर हाथ रखे कमरे में इधर उधर चलने लगा था जबके आशिता आंखों से तपते उन के साथ अपने पापा को उस हाल में देखते हुए और गमगीन हो गई थी।  उसको पता था के उस्का पापा बहुत परशान हो गया है और उसका करन खुद आशिता है।


 आशिता ने अहिस्ते से रोटी हुई आवाज में कहा,


 "पापा कुछ तो कहो आप क्यों ऐसे चल रहे हैं, मेरे तराफ देखो ना पापा!"


 अनिरुद्ध को जैसा एक सदमा लगा था, अचानक कामरे से बहार निकल रहा था तो झपट के आशिता बिस्तर से उठी और उसके हाथ पाकर कर खिनचे हुए और रोते हुए कहा,


 "नहीं पापा प्लीज मम्मी को मत बताना ग़ज़ब हो जाएगा अगर उस को पता चला तो!"


 अनिरुद्ध ने कहा,


 “अरी पगली मैं उसे कुछ बता सकता हूं भला?  मैं तो देख रहा हूं के उसे कुछ सुना तो नहीं, मुझे देखने दे वो किया कर रही है और कहां है, चुप बैठा यहां तू मैं अभी आया!"


 अनिरुद कॉरिडोर से चुप कर अपनी पत्नी को देख रहा था, वो बार्टन मंज रही थी सिंक के पास और उस से पीठ किया हुआ था तो अनिरुद वापस गया आशिता के पास और आशिता उठ कर उसके बाहर में जैसे थे।


 अपनी बेटी को देखे से लगाये हुए अनिरुद उसके सर पर हाथ फिरते हुए उसको कम्फर्ट कर रहा था, फिर उसे गाल को सहलाते हुए उस ने पुचा,


 “अच्छा मुझे ये बता विहान ने और किया किया तेरे साथ?  किया तुम लोग सेक्स भी करते हो?  ऑफ़ो मैं भी किया पुच रहा हूं इस बच्ची से ओह माय गॉड!  अब मैं किया करुण !!"


 आशिता अपने पापा को उस हाल में देख कर और रोने लगी।  आशिता को पता था के उस्का पापा बहोत मजबूत आदमी है उसे हर मुश्किल का सामना करना आता है, वो बहुत स्वतंत्र आदमी है और मुश्किल से मुश्किल स्थिति में भी उसे हमशा कामयाबी हासिल की है, जो इस को मजबूत है  ऐसे झुकते हुए, टूटे हुए देख कर उसे और भी रोना आया और अपने पापा को बहुत जोर से अपने बाहों में भरकर उसके देखे पर अपना सर रख के रो रही थी।  फिर सिसकते हुए आशिता ने कहा,


 "नहीं पापा हमने सेक्स नहीं किया बस इतना ही कुछ हुआ है अब तक!"


 तब अनिरुद के जान में जान आई और उसे एक गहरी लंबी सांस लेटे हुए कहा,


 "ओह !!  उफ्फ्फ!  तुम्हारे मेरे मुश्किल को बहुत आसान कर दिया बेटी बच गया मैं बाप रे, मैं तो बहुत दूर का सोचा लगा था, थैंक्स गॉड तुम लोगों ने सेक्स नहीं किया, तुम डोनों परिपक्व होते तो मुझे फ़िकर नहीं होता, टैब विहान को कंट्रोल करना और  तुमको प्रेग्नेंट नहीं होने देता, मैं सोच रहा था के सेक्स कर लिया होगा उसे तेरे साथ और तू प्रेग्नेंट हो गई होगी इस्का बड़ा फिकर था मुझे उफ अब चेन आया मुझे!"


 आशिता को बहुत खुशी हुई ये देख कर के उस्का पापा अब नॉर्मल बात करने लगा उसे परशानी दूर हुई और आशिता को भी चेन आया।  और फिर वेइस ही आशिता को बाहों में लिए हैं अनिरुद्ध ने कहा,


 “सुन बेटा, बात तो बहुत ज़िदा करना है तुमसे, अभी नहीं कर सकता, तेरी माँ कभी भी आकार सुन सकती है, रुको कर वो अभी नहीं जाएगी तब तुझ से और बहुत सारे बातें करना, करना तू बस मुझे,  मत सोच, परशान मत हो, टेंशन मत ले अपने ऊपर, मेरी प्यारी गुड़िया को मैं परशान नहीं देखना चाहता और मैं नहीं चाहता के तुम तनाव में अपने दिमाघ को कोई ताक्लिफ दो, तुमको पढ़ना भी है, इस में कोई दिमाग है  , मैं हूं नहीं, मैं सब संभल लुंगा, कुछ नहीं होने दूंगा, तुझे नहीं मेरे विहान को।  कोई कुछ नहीं करेगा मेरे बच्चन को।  मैं हूं अभी, मैं जिंदा हूं, मेरे बचे मेरे ही इनका समस्या मेरा समस्या है।  मैं तुम डोनों को सफलता में नहीं देख सकता।  तुमको उदास नहीं देखना चाहता मैं, मैं तुमको खिलखिलाते, हंसते हुए, चेकते हुए देखना चाहता हूं हमा, तुम डोनों को हमेश खुश देखना चाहता हूं, समझी।  तो सब टेंशन भूल कर आराम कर;  बाद में बात करते हैं बेटा तू आराम कर और रोना बंद कर नहीं तो तनाव होगा और दिमाग को झटका लगेगा जो मैं नहीं चाहता।  मैं कुछ डर बाद तुमसे फिर बात करता हूं।"


 ये कहकर अनिरुद्ध कामरे से निकला और आशिता सच में खुश हो गई और सोचने लगी के उसका पापा कितना अच्छा है जो हमें और हमारे भाई को समझौता है।  आशिता को एक और मजबूत समर्थन मिल गया घर में और उसे बहुत चेन और राहत मिली उसके पापा के बात को सुनकर।  आशिता सोचने लगी के विहान भी बहुत खुश होगा और उसे भी आराम मिलेगा ये जान कर के उसके पापा को सब पता होने के बाद उसे कुछ बुरा नहीं कहा और उन दूनों के समर्थन में है।  फिर सोचा के किया विहान को ये सब बताना चाहिए के नहीं ?!


 अनिरुद्ध सुमन के पास गया किचन में और चाय की मांग की।  उसको चाय की कप देते हुए सुमन ने पुचा,


 “किआ बताया आप की चाही ने आप को?  कुछ उगला भी नहीं?"


 अनिरुद्ध खुश दिख रहा था, क्योंकि उसे अब पता चल चुका था के दोंनों के बीच सेक्स नहीं हुआ, इस लिए उसे बहुत अच्छा था, गया था और खुश था तो उसे बड़े आराम से अपनी पत्नी से कहा,


 "तू नहीं बेकर में अपने सर खाती रहती है, कुछ भी नहीं हुआ है उन दूनों में, मैं तुमको गारंटी देता हूं के कुछ नहीं हुआ, हमारी आशिता कुंवारी है मैं आग में हाथ दाल कर कह सकता हूं, जो कुछ गरदन में हमें  मैंने देखा सब स्कूल के शरारती लड़कियों का किया धरया है अब से नहीं होगा, आशिता को मैं ने समझा दिया, बेचारी को तुम्ने बेकर में थापड़ मारा, हमारी अच्छी बच्ची को तुमने घुसने में नहीं जाने दिया किया था।  ?  बचे को समझने की बजे तुम उस तरह इस तरह टूट गई जिसे तुम्हारे उन्न दोंनों को सेक्स करते देख लिया कमाल है यार…”


 सुमन अपने पति के बातों को सुनकर शर्मिंदा हुई और कहने लगी,


 "हाय राम मैं तो सच में सोच रही थी के इन दूनों के बीच नाजायज संबंध है, तो ये मैं ने किया कर डाला?"  टैब अनिरुद उस्को एक नज़र से देखते हुए कहा,


 "दन में बहुत प्यार है, एक दसरे पर जान चिरके हेन दोंन और तुम ग़ुस्से में आकार सब घलत सोचने लगी थी, घुस में इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता है, वही हुआ अब तेरे साथ, अब बंद कर देता है।  से बुरी ख्यालों को निकला फिंक बहार, समझी किया ?!"


 फिर कुछ डर बाद सुमन गई आशिता के पास और उसे गले से लगाते हुए माफ़ी मांगी और कहा,


 “मेरी गुड़िया मां हूं नहीं तेरी तो फ़िकर होती है, माफ़ करदे मैं ने ग़ुस्से में इतना घालत सोचा तुम दोंनों के बारे में।  तेरे पापा ने मुझे समझा दिया और मैं समझ गई, सॉरी बेटा।  प्लीज मेरे विहान को मत बताना के मैं ने तुम पर हाथ उठा, नहीं तो उसे बुरा लगेगा... सॉरी बेटा बहुत सॉरी!"


 आशिता बहुत ही खुश हुई के उसके पापा ने सब सम्भल लिया, उसकी मां को भी संभल लिए उसके पापा ने आशिता सच में बहुत ज़िदा ख़ुश थी अब।  अब उसके चेहरे में वही रौनक वापस आया था जो हमा हुआ करता है।  और आशिता अब अपने मम्मी को शॉवर लेने जाने का इंतजार करने लगी क्योंकि उसके पापा ने कहा था के उसे और भी बहुत सारे बातें करनी है उस से।


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 कहते हैं ना के हर इंसान के अंदर एक शैतान भी होता है।  हर किस्सी के दो रूप होते हैं और कोई आपके अपने आप को संभल कर सिर अपने अच्छे रूप को इस्तमाल करता है जीवन भर, और के लोग सिरफ यूएस बुरे शैतान वाले रूप को सामने होते हैं, जो जिंदगी घर में देर से होते हैं।


 अब अनिरुद्ध भी वीसा इंसान था जिस ने अपने शैतान वाले रूप को हमा काबु में किया हुआ था जिंदगी भर।  जब इंसान अपने शैतान वाले अपने को हावी करके अच्छा करता है तो वो सफल होता है और अपने अंदर की जानवर को मार डालता है हमशा के लिए।  इस तरह से कुछ लोगों के शैतानी रूप कभी भी देखने को नहीं मिलते।  जब इंसान परिपक्व हो जाता है तो खुद पर और भी काबु कर पाता है और अपने बुरे रूप को अपने और दफ्फान कर चुका होता है अगर छोटे उमर से यूएस बुरे रूप को कंट्रोल करता आया है तो।


 मगर जो इंसान परिपक्व होने के बाद उस शैतानी रूप को बहार लाते हैं उसे कंट्रोल करना मुश्किल होता है और एक दाल दाल की तरह उस में डूबने लगता है।  मिसाल के तौर पर देखिये जो इंसान बच्चन से जवानी तक शरब या जुआ से दूर रहा कंट्रोल किया, अपने काम के पैसे को बचा के तारकी किया और परिपक्व होने के बाद उसने शारब में शूरु किया, जाना, खेलना, कैसीनो  रहना, ये सब परिपक्व होने के बाद शुरू किया तब वो ये सब नहीं चोर पाता, उस में और गहरे से डूबने लगता है।  मगर जो इंसान जवानी से अपने बुरे रूप को हमेश कंट्रोल में रखा अधर उमर तक वो लोग कामयाब रहते हैं जीवन के अंत तक, परिपक्व होने पर उनके शैतानी रूप मार चुके होते हैं।


 अब तक अनिरुद्ध का किया था?  उस रात को अपनी पत्नी से सेक्स करते वक्त उसने आशिता को सोचा था, उसकी जवानी और जिस्म को सोचा था जब सुमन ने आशिता की उबरते चाट की बात किया था उस से;  और अब किया हुआ?  किया अनिरुद्ध के अंदर का शैतान बाहर आने वाला था?  किया अनिरुद्ध के दीमाघ में कुछ चल रहा था?  किआ उसका कोई फेड होने वाला था आशिता को उसस्की मां से बच्चा कर?  किया उसने जान बुझ कर आशिता को इतना सहारा दिया और उसको वाइज कॉन्फोर्ट किया?


 जब सुमन नहने चली गई तो आशिता अपने पापा का इंतजार कर रही थी अपने काम में और कुछ पल बाद अनिरुद्ध आए आशिता के पास उसके चेहरे में मस्कुराते हुए देखते।  आशिता बेड पर बैठी अपने पापा के चेहरे में खुशी से देख रही थी।  उसका चेहरा खिल उठा था अब क्यों उसके पापा ने उसके सभी समस्याएं को लग भाग हल कर दिया था और मां भी उस से माफ़ी मांगने चली आई थी, मतलाब अब आशिता बिलकूल सामान्य थी कोई तनाव नहीं, कोई तनाव नहीं।


 अनिरुद्ध उसके पास बैठा।  उसके कांधे पर हाथ रखा और दसरे हाथ से उस्कि थुडी पकार के उसके चेहरे को अपने तारफ उथया, तो आशिता ने उसके चेहरे में देखा और अपने सर को उसके देखे से लगा दिया, फिर आशिता ने अपने को फिर से लिखा  कर उसे ज़ोर से जकार्ते हुए अपनी मीठी आवाज़ में ख़ुशी से कहा,


 “बहुत-बहुत धन्यवाद पापा आप ग्रेट हो।  आप को हर स्थिति को संभलना बहुत अच्छी तरह से आता है, धन्यवाद।”


 उस वक्त अनिरुद्ध के दीमाग में किया चल रहा था?  और किया बात करना था उसे आशिता से?  क्यूं उसे सुमन को नहीं जाने दिया तब आया था आशिता के पास?



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 साइबर कैफे में उस रात को विहान अपने बॉस से एक नई मोबाइल खराबने की बात कर रहा था।  जो उसका बॉस एक बहुत अच्छा इंसान था और जब उसे देखा किस तरह से विहान एक छात्र होकर उसके पास पार्ट टाइम जॉब कर रहा है अपने माता-पिता के वित्तीय मदद करने के लिए, ये बात बॉस को बहुत पास और आया और उसे ऐसे पास और  उजमार में ही कुछ करते हैं, आगे बढ़ने के लिए अपने आप लढते हैं।  बॉस विहान को रिस्पेक्ट करता था इस वजह से।


 बॉस के पास एक गैलेक्सी एस8+ था जो वो बनने वाला था क्योंकि उसे एक एस10 ख़रीद लिया था।


 तो जब विहान ने नई मोबाइल ख़रीदने की बात की तो बॉस ने सोचा इतने कम पैसे में वो कब एक नया मोबाइल ख़रीद पायेगा, इस लिए क्यों वो विहान के काम से ख़ुश था और उसे विहान की खुदारी पर नाज़ 8+ विहान की खुदारी पर नाज़ था  को गिफ्ट दे दिया!  मोबाइल जैसा बिलकूल नया था।  उसको उस्सि वक्त फॉर्मेट कर दिया तो फैक्ट्री सेटिंग और लो मोबाइल नया हो गया और विहान को दे दिया और इस्तमाल करना भी पढ़ा दिया।  सब थिक चल रहा था मोबाइल में और विहान खुशी से ऊंचा पड़ा अपने बॉस को गले लगाया जोर से विहान ने।


 विहान को जैसा एक लॉटरी लग गई थी इतना खुश था वो।  अब उसने आशिता को सोचा, और उस को उन अदाओं को सोचा जिस्को वो कैप्चर करना चाहता था और सोच लिया के घर जाते ही आज आशिता को नींद में ही बिस्तर पर कैप्चर करेगा अपने मोबाइल में कैमरा में…।  उसने ये भी सोचा के अक्सर जरूरत में आशिता के बदन से चादर हट जाता है और उसस्की ड्रेस ऊपर होता है तो उसस्की जानें और चाटी नजर आते हैं जो वो अक्सर देखता है घर जाने के बाद, आज वो रिकॉर्ड करेगा  आशिता की….  ये सब सोचते हुए रात के 11 बजे विहान घर वापस आरा था सुनसान गलियों में गुनगुनाते हुए……

 

 जब आशिता की मां नहीं जा रही थी तो अनिरुद्ध जना चाहता था के वो बाल धोने वाली है के नहीं, क्योंकि जिस दिन वो अपनी हेयर वॉश करती है तो 45 मिनट से एक घट तक बाथरूम के अंदर समय बिटाती है।  अनिरुद्ध ने सुमन से कहा,


 "नहने जा रही हो?  मुझे कुछ खाने का मन कर रहा है डर करोगे नहीं में किया?"


 सुमन ने डिस्टर्ब फील करते हुए कहा,


 "आप भी नहीं उफ्फ!  मुझे आज बाल धोने में समय लगेगा, चलो तुमको खाना पड़ोस के तब जाती हूं..."


 अनिरुद्ध ने कहा,


 "अरे नहीं तुम फ़िकर मत करो नहीं, वापस नहीं कर आना तब साथ में खायेंगे, जाओ जाओ आराम से नहाओ तुम!"


 अनिरुद्ध खुश हुआ के अब उसके पास करीबन एक घंटा था आशिता के साथ रहने का और जो उस से कहना है वो कहने या करने को…..


 तुरंत वो आशिता के पास गया जब सुमन अंदर चली गई नहीं।  आशिता भी इंतजार कर रही अपने पापा का क्यों वो कहर गया था के जब उसकी मां नहीं जाएगी तब वो उस से और बहुत सारे बात करेगा।


 आशिता बिस्तर पर ही बैठी हुई जब अनिरुद्ध और आया और उसके पास बैठा कर, उसके कांधे पर हाथ रखते हुए उसके चेहरे में देखते हुए कहा,


 "तो मेरी प्यारी बिटिया को अपने खुद के भाई से प्रेम हो गया है हम्म?"


 आशिता ने सर झुकते हुए लाल चेहरे में थोड़ा शर्मते हुए हां में सर हिलया।


 तो बाप ने आशिता के गाल को अपने हाथ से सहलाते हुए कहा,


 “और विहान किया तुमसे उतना ही प्यार करता है या सिरफ तुम उसे वैसा ही होता है?  किआ वो तुम्हारा इस्तेमाल नहीं कर रहा, किया इस्का पता है तुमको?”


 आशिता ने तुरंत सर उठाकर अपने पापा के चेहरे में देखते हुए कहा,


 "पापा वो तो मुझसे 100 गुना ज़िदा प्यार करता है, मेरे बिना रह नहीं सकता, सब कुछ मेरे लिए करता है, मेरे बग़ैर नींध नहीं अति उसे दीवानों के...


 अनिरुद्ध ने तब कहा,


 "हम्म मैटलैब आग दोन तराफ बराबर लगी है हम्म ?!  मगर बेटा भाई बहन के बीच ऐसा किया सही लगता है?  दुनिया वाले तुम्हारे प्यार को नहीं समझेंगे, मैं तो समझ रहा हूं, अब दुनिया वाले किया तेरी मां ही तेरे प्यार की पहली दुश्मन होगी, बाकी दुनिया है बाद में पिचे परंगेय सतम दोंन करेंगे?


 आशिता ने फिर सर को आला झुकते हुए कहा,


 "कुछ भी नहीं सोचा है हमने पापा, हम बस इतना जाने हैं के हम एक दसरे के बघैर अधूरे हैं"


 अनिरुद्ध के एंख भर आए और आशिता के चेहरे को अपने हाथ में भर के उसे देखने में देखते हुए कहा,


 “जांति है तू के तुम दोंनों आज इतिहास दोबारा रच रहे हो?  मेरा अधूरा सपना पुरा कर रहे हो?  किया, ये पता है तुमको मैं भी गुजर चूका हूं इन सब से?"


 आशिता अपने पापा के देखने में चालकते हुए ऐसे देख कर बहोत हीरान हुई और उसके बात सुनकर कुछ भी नहीं समझ पाई और सवारी नजरों से उसे देखते हुए अपने पापा के गले में अपने लिए गए,


 "क्या पापा?  मैं कुछ नहीं समझी कि कहीं रहे हो आप?"


 अनिरुद्ध के आँकड़ों से के बून्द तपक चुके तब तक और उसे कहा,


 "ये कहना था मुझे तुमसे मेरी गुड़िया, ये बात करना था तुमसे, जो कुछ भी मैं तुमसे कहूंगा इसको अपने दिल के अंदर राज बना के रखना, कभी किसी को मत बताना, विहान को भी मैं अभी बता रहा हूं।  तुमको समाज में आएगा के आगे तुमको किया करना चाहिए, एकत साल में तुम और सयानी हो जाओगी तब इस बात का महत्व  भी एक दसरे के दीवाने हो चुके थे, एक दसरे के बघैर नहीं रह पाए थे, पागल थे एक दूजे के लिए हम दोंन भी !!"


 आशिता ये सुंकर समाज नहीं पा रही थी के खुश होवे या अफ्सोस करें, मगर सवाल तो करना ही था उसे अपने पापा को और ज़ोरों से जकार्ते हुए कहा,


 "क्या?  यह बहुत बड़ा आश्चर्य है?  सच पापा आप भी?  फुपी से?  कौन सा वाला ?!"


 अनिरुद्ध के आँकड़ों से इन्सू थम्ने का नाम नहीं ले रहा था, उसकी आवाज़ तू पडे बोले वक्त, उसने कहा,


 "तू उससे बिलकूल नहीं जांति बेबी, वो दुनिया में अब है ही नहीं, मुझसे 3 साल छोटी थी, हम दोंनों का प्यार पहले घर में मैशूर हुआ फिर गांव में फिर हर एक घर में हमारा चर्चा होने से फिर हर एक घर में हमरा चर्चा होने से एक...  हो गई थी मेरा प्यार, हम दोंन ने सेक्स कर लिया था और वो बाली उमर में प्रेग्नेंट हो गई थी….. बहुत दुख सहना पड़ा उससे, हम दोंन को अलग किया गया, मां बाप, दादा दादी से बहुत दो पर हम पर परी हम  , गांव में लोग हम पर थूकने लगे, हमारा मजाक उड़ने लगे, मेरी प्यारी बहना को इतनी सारे बड़े बुरे बात सुनाए जाते थे के उस से सेहन नहीं हुआ और उसने आत्ममहत्या कर लिया…  भी मरने वाला था, मगर क्यों मेरी जान ने आत्महत्या कर लिया था सब ने सोचा के कहीं मैं भी कुछ कर बैठा हूं इस लिए मैं पर कड़ी नजर रखा गया और आखिर में एक बड़े बुजुर्ग ने मुझे बताया था।  को जिंदा रखने के लिए मुझे जिंदा रहना होगा, मुझे आत्महत्या करने से बचा गे  एक और के साल लगे मुझे उस मानसिक उथल-पुथल से बाहर निकलने को…..”


 अनिरुद्ध एक बच्चे की तरह रोने लगा ये सब कहते हैं और आशिता रोते हुए अपने पापा को देखे से ज़ोर से लगा और पुचा,


 "किया मम्मी को इस बात का पता है?"


 अनिरुद्ध ने कहा, "बिलकुल नहीं, आज पहली बार मैं ये बात किसी को बता रहा हूं!  - तुमको ये बात बताते का मक्सद ये है के मैं नहीं चाहता के तुमको या विहान को इस दौर से गुजरा पडे आशु…।  तुम दो कुछ भी इसा मत कर गुजर जिस से किसी को कोई ताकत हो या कोई अपने जान देने पर उतर आए... मैं तुम दो में से किसी को भी नहीं खोना चाहता, तुम दो मेरे एक हो... के तारे।  तुम अभी या अगले कुछ सैलून तक विहान को तुमसे सेक्स मत करने देना बेबी, संभाल अपने आप को, अगर तुम प्रेग्नेंट हो गई इस उमर में तो संभल नहीं पाओगी, अभी अपने स्टडी को पूरी करो…।  मैं ये नहीं कह रहा के तुम एक दसरे से प्यार मत करो, प्यार करो, मैं इस प्यार को समझौता हूं।  मगर कंट्रोल करना चाहो, सेक्स से दूर रहो, इस उमर में तुम दोंनों से बुराती हो जाएगी, तुम दनों अभी इस काबिल नहीं हुए हो के समझ पाओ की और कब रुकना या आगे बढ़ना है…  !!"


 और अनिरुद्ध फूट कर रोने लगा, और अपने पापा को उस हाल में देख कर आशिता की तो और बुरा हाल हुआ वो तो और भी ज़ोरों से रोने लगी अपने पापा को गले से लगा कर।


 कुछ डर तक डोनों एक दसरे को वेइस ही बाहों में भरे बैठे रहे, आशिता अपने पापा के गाल पोंच रही थी, उसको चुप करा रही थी, और उसके गाल पर चुम्मियां दे रही थी प्यार करते हुए।


 अपने आप को संभलने के बाद, अनिरुद्ध ने एक गहरी सांस लेटे हुए आशिता के चेहरे में देख कर कहा,


 “मुझे जो कहना था अब मैं ने कहा दिया, तुमको ये बात बता कर मैं बहुत हलका महसूस कर रहा हूं।  मैं तुम दूनों के मिलन के खिलाफ नहीं हूं।  शायद ही कोई ऐसा बाप होगा जो आपके बेटे और बेटी की इस अनोखे प्यार से राजी है, वो क्यों ये अब तुमको पता है, मैं इस से जियादा किया कहां तुझे, तू होनशियार है, तू बुद्धिमान है, विहान है तू होशियार है, तू बुद्धिमान है, विहान  उस से बेहतर मार्क्स लाए हैं तुमने हर साल... मुझे पता है तू सब कुछ उस से बेहतर संभलेगी, इसी लिए मैं ने उस के लिए तुम से बात किया, और खास तौर पर इस लिए तुमको ये सब बताया  मेरी बहन ने किया था, कुछ भी हो जाए मैं हमा तुम दोंन को समर्थन करुंगा, कोई भी गलात कदम उठान से पहले मुझे जरूर कहना, रास्ता नहीं दिखे तो मुझे बताना, उल्झन बोलना, मैं तुम्हें समर्थन करूंगा।  समाज गई आशु ?!"


 आशिता अपने पिता के देखी लगी रही काफ़ी डर तक और उसके गाल को चुमते हुए कहा, "आई लव यू पापा, लव यू वेरी मच।"  अब आशिता रो रही थी और बाप उसे सर पर हाथ फिरते हुए उसे आराम कर रहा था।


 आखिर में सुमन के बाथरूम से निकलने से पहले अनिरुद्ध आशिता के काम से निकल गया।  आशिता को बहोत ही अफ्सोस हुआ अपने पापा की उस जिंदगी की मोड को आज जान कर।  उस्का दिल रो रहा था अपने पापा के सब बातों को सोच कर खास कर उन दिनों को सोच कर जब उसके पापा अपनी बहन से प्यार करती थी और दों मिल नहीं पाए इस समाज और लोगों से।  आशिता के दिल में उसके पापा के बातो ने गहरा असर किया।  काफ़ी डेर तक आशिता सोच में डूबी राही और अब सोचने लगी के किया होगा अगर उसके और विहान के बीच भी कुछ ऐसा हुआ तो?  वो तो विहान को बेइंतहा चाहती थी मगर वो नहीं चाहती थी कि विहान उसके वजह से किसी किसम के दृढ़ता में आए।


 पता नहीं क्यों आशिता ने ऐसा सोचा के उसे खुद विहान से दूर होना चाहिए ताकि कोई ऐसी नौबत नहीं आए जिस से खुद को, विहान को या उसके मामा और पापा को दुख महसूस किया।  आशिता ने सोचा जब वो खुद विहान से दूर रहेगी तो ऐसा कुछ भी नहीं होगा के परिवार में या समाज में उन दूनों के बदौलत कोई भी टालिफ किसी को भी पहंचे।  तो अब आशिता ने थान लिया के वो खुद अब से, अभी से विहान से दूर हो जाएगी, उसे कोई ऐसा मौका नहीं देगा के विहान उसे इतना करीब आए के उन्के बीच कोई दे शाररिक संबंध बने  छुए, ये चुनने की कोषिश करे।  प्यार तो बराबर करती रहेगी अपने भाई से, मगर अपने दिल में।  मगर उसे पता नहीं चलने देंगे।


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 आशिता ने विहान के वापस आने से पहले अपनी ड्रेस चेंज किया और अपने पापा और मम्मी के काम में चली गई नई बेड पर।  माँ बहुत खुश हुई उसको उस वक्त बिस्तर पर पाकर।


 मगर फिर अब आशिता सोचने लगी के उसी उस रात को उस ने अपने पापा मम्मी को सेक्स करते हुए देख लिया था, तो अब वो उन दोंनों के बीच एक दीवार बन जाएगी उस कमरे में रहकर।  तो आशिता को एक बात सूझी, उसने अपने पापा से कहा,


 “पापा हमारे लाउंज के दाहिने हाथ में एक कमरा नहीं बन सकती मेरे लिए?  छोटा सा कमरा सिर्फ रात को सोने के लिए जहां इस बिस्तर को लगा जा खातिर?"


 अनिरुद्ध ने कहा:


 "हां हो सकता है लेकिन बढ़ई से लकड़ी का काम करना पड़ेगा, एक अलग बनाना होगा और एक दरवाजा लगेगा, लाउंज थोड़ा छोटा हो जाएगा लेकिन तुम्हारा कमरा पक्का बन जाएगा, मैं कल ही मिस्त्री से बात करता हूं ठीक है?"


 सुमन को आइडिया अच्छा नहीं लगा क्योंकि वो सोचने लगी तब विहान उस कामरे में बार बार जा पाएगा रात को या वहां से खुद आशिता चली जाएगी विहान के रूम में।


 तबी आशिता ने कहा,


 "पापा उस कमरे के दरवाजे का चाबी सिर्फ मेरे पास होना चाहिए और अंदर से एक ताला होना चाहिए ताके कोई भी बहार से खुला नहीं कर खातिर ओके?"


 अनिरुद्ध ने खुशी से कहा,


 "हो जाएगा मेरा प्यार, समझ लो किया मेरी गुड़िया!"


 तब 11 बजने ही वाला था और आशिता ने दिल में सोचा के विहान वापस अरहा होगा, और उसके पापा ने कहा,


 “आज तू बड़ी जल्दी चली आई इधर अपने भाई से नहीं मिलेगी?  वो वपस आने पर तुमको धुदेगा नहीं?"

 तो माँ ने जवाब दिया


 "बीच रात में तो उत्कर खुद वपस चली जाएगी अपने भाई के बिस्तर पर!"

 आशिता ने तब अपनी मां को नाक और होते मोडे हुए देखा और चादर से अपना सर धन्यवाद लिया जैसा हो गया।

 बाप ने हंसते हुए कहा,


 "अरी तो जा नहीं बाद में आना उस से मिलने के बाद।"





 मगर आशिता वही परी रही अपने चादर के आला!

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