मेरी प्यारी बहन Part 7

   



             मेरी प्यारी बहन  Part 7



उस सुभा को जब सुमन ने दोंन को फिर एक साथ लिपटे हुए बिस्तर पर देखा तो उसको घुस्सा आया और दोंनों को हाथ पाकर कर उठने जा रहा था अनिरुद्ध ने सुमन को रोका और उसे खिन्टेहर कामरे से बाहर



 "किया कर रही हो?  पागल हो किया, बच्चे नींध में हैं, ऐसा नहीं करता बुरा असर पड़ेगा उनके स्वास्थ्य पर, रहने दो नहीं आखिरी साथ सोए हैं बचपन से एक दसरे के साथ तो मुश्किल हो रहा होगा दोंनों को अलग सोना, तुम्हें नहीं होगा  दोंनों को एक साथ सोने की?  तो अब क्यों अलग कर रही हो दोंनों को?”


 सुमन ने ग़ुस्से में कहा,


 "तुमको कुछ भी नहीं दिखता लेकिन मुझे दिखता है, ये दोंन जरूर कोई उल्टा काम करने लगे हैं, देखो तो किस तरह से पति पत्नी की तरह लिपट कर सोए हुए हैं!"


 अनिरुद: "क्या मगर जब दोंनों ज़ियादा छोटे थे तो तुमी से विहान से कह कारती थी 'ये तेरी छोटी बहन है, इस्को प्यार करो, इस्को बाहों में लेलो, इस्को गले से लगालो, इस्को कभी अकेले तुम्हारे पास मत छोरर?  "


 सुमन: "हां तब बहुत छोटे थे दून, और विहान भाई चाहता था और बहन से बच्चा था इसी लिए उसके दिल में आशिता के लिए अपनापन पाया कर रही थी मैं!"


 अनिरुद: “और अब, जब प्यार दिया हो गया, प्यार ने घर बना कर मजबूर कर लिया तब उस घर को गिराना क्यों चाहता हो तुम?  किया, हो किया गया है तुम?!"


 सुमन लाल पीली होती हुई बोली, "हां क्योंकि मैं ने आशिता के बगीचे के पिचे लवबाइट्स देखा है, उस रोज नहीं रही थी तो उसे चाय के केई हिसन को लाल देखा है, वो सब किस ने किया होगा, हमने ही नहीं?  !  इसी लिए दोंनों को अलग कर रही हूं अब आई बात समझ में?"


 अनिरुद्ध बहोत हेरान हुआ और अपने माथे पर हाथ रख कर बैठे हुए कहा, "अभी से ही?  इस बाली उमर में ही लवबाइट्स हैं उसके बगीचे पर... मगर...।  मगर किया पता के……” और वो रुक गया बोलना तो सुमन उसके चेहरे में घुरते हुए बोली,


 "किआ हुआ?  बोलती बंद क्यों हो गई अब?  बोलिये, और बोलिये नहीं मगर किया?!!"


 अनिरुद्ध सुमन को तेरी नज़र से देखते हुए कहा, “मगर किया पता के उसकी कोई बॉयफ्रेंड हो स्कूल में?  अगर किस्सी और ने लवबाइट्स किया होगा तो?  और आज कल तो लड़की भी जान बुझकर चेरने के लिए अपने सहेलियों को ऐसे दांत काटते हैं बगीचा पर दसरे लड़कों को जलाने के लिए अगर कोई ऐसी बात हुई तो?  तुम क्यूं उस से बात नहीं करते ऐसे अचानक गरम होने की बाजे?"


 जिस वक्त दोन ये सब बातें कर रहे थे दोंन भाई बहन जाग गए थे और सब बातें सुन रहे थे दोंनों की।  आशिता ने बहुत ही ज़ोर से विहान को जकार लिया था डर के मारे और फुसफुसते हुए पुचा, "अब किया करुंगी भाई, मां ने कब मेरे शरीर पर वो सब देखा?"


 विहान ने उसे पीठ सहलाते हुए कहा,


 तू फ़िकर मत कर सुना नहीं पापा ने किया कहा के आज कल लड़की भी ऐसा करते हैं अपने सहेलियों के साथ तू कहना के तेरे सेहियों ने ऐसा किया है ज़बरदस्ती तेरे साथ….”


 आशिता ने मुंह फूलते हुए कहा,


 "भाई मैं ने केई बार कहा तुमको के वाइज मत चुसो रेड मार्क बन जाता है मगर तुम बड़े धित हो मुझे सुनते ही नहीं हो!"


 और आशिता ने तुरंत अपनी चाट को देखाते हुए कहा, "देखो ये कल रात को किया तुमने, अभी ये ताजा है अगर आज फिर मम्मी ने देखना चाहा तो?  तब किया कहूंगी मैं ?!"


 विहान ने तुरंत उसस्की चाट को चुमते हुए बोला,


 "अरी मेरी प्यारी डार्लिंग मुउउह मुउउआह, कुछ नहीं होगा री तू फ़िकर मत कर...।"


 आशिता: "देखना आज रात को मुझसे फिर से उसी कामरे में उसी बिस्तर पर जाने को कहेगी मम्मी और बहुत दांत मिलेगी मुझे क्योंकि मैं उठा कर तुम्हारे पास चली आई, मार भी पढ़ सकती है भाई!"


 विहान: "मेरे लिए थोड़ी सी दांत खाने में किया है बेबी?  मारेगी से नहीं, अगर मारा से मैं बीच में अबुंगा देखना!”


 दोनो बड़े कसके एक दसरे को कंबल के आला जाकरे हुए और विहान का ज़बरदस्त खड़ा हुआ था वही मॉर्निंग इरेक्शन और आशिता के पेठ के आला, छुट के करीब दबा हुआ था और वो और भी ज़ोरों से दबते था और रहा था  ऊपर आशिता के गाल चुसना शुरू किया था के आशिता ने कहा,


 "भाई मत दबाओ आला, मुझे ज़ोर से सुसु आई है, दुख रहा है पेठ पर वेइस दबाते हो तो!"


 तो झट से विहान ने अपने कमर को पिच किया और कहा, "ठीक है तो जा सुसु करके वापस आ!"


 आशिता ने कहा, "अरे नहीं बाबा नहीं जब तक मम्मी काम के लिए नहीं जाने वाली मैं से नहीं उठने वाली, मैं तो गहरी नींद में होने की नाटक करुंगी, मुझे उसको नहीं फेस करना अभी शाम को अब से ही उस में!"


 विहान ने कहा,


 "ये हुई नहीं अकालमंदों वाली बात, मेरी छोटी बहन बड़ी सयानी हो गई है अब हे!"




 और विहान को चिढ़ते हुए आशिता ने कहा,


 "और नहीं तो किया मैं तुम्हारे तारह ​​बुद्धू थोड़े ही हूं!"


 और विहान ने कहा,


 "अच्छा सुन सयानी बहना, एक काम कर नहीं मेरे लिए!"


 आशिता, "किआ?"


 विहान ने अपने लुंड को बहार निकला कम्बल के आला ही और थोड़ा सा आशिता के जांघ पर चुत हुए कहा,


 "इसको अपने हाथ में पकार नहीं!"


 आशिता ने अपने नाक और होने मोडे हुए नखरों में कहा,


 "हम्मम नहीं मैं नहीं चुनने वाली उसे!"


 विहान ने कुछ तड़पती आवाज में कहा,


 "प्लीज हाथ में लेले नहीं, और थोड़ा सा सेहला नहीं इसे, ये तुम्हारे कोमल प्यारी हाथ की स्पर्श को तड़प रहा है बेबी प्लीज लो ना!"


 कोई 15 मिनट के मिन्नतें करने के बाद आखिर में आशिता ने अपने भाई के लुंड पर अपने हाथ को रखा, मगर तूरंत वापस खिनच लिया हंसस्टे हुए विहान के चेहरे में देखते।

 विहान का लुंड 9.5 इंच था या मोट बी काफ़ी था आशिता के में उसके लुंड के बारे में ही चल रहा था


 विहान ने फिर उसके गालों को चुमते हुए कहा, "क्यूं हाथ हट्टा लिया जानेमन, पकरो नहीं आराम से और थोड़ा सा सहलाओ नहीं!"


 आशिता को तरास आया अपने भाई पर जिस तरह से उसे तड़पते हुए फरमायिश की, आशिता से रहा नहीं गया और अपने भाई को खुश करने के लिए उसने उसके लुंड को अपने हाथों में लिया और अपने होने को महसूस किया  में देखते हैं पुचा,


 "ईस?  ठीक है?  तुमको अच्छा महसूस हो रहा है भाई?"


 विहान ने "इस्स्स्स्स्स्स्शशशश" की आवाज निकलते हुए आंखों को मुंड लिया और कहा,


 “हाआआन्नन्न बहुत अच्छा महसूस हो रहा है री, अपने मुठी को चला उस पर, जरा ज़ोरों से दबाते हुए चला नहीं मजा आ रहा है डार्लिंग ….. उफ्फ्फ्फ !!!!


 आशिता ने अपने बंद मुठी को अपने भाई के लुंड पर चलते हुए कहा,


 "सशः भाई अहिस्ता बोलो नहीं मम्मी पापा तुम्हारे आवाज सुन लेंगे …… फुसफुस्सकर बात करो!"


 जब आशिता अपने मुठी को चलाने लगी विहान के लुंड पर उसे ढका देना शूरू कर दिया उसकी मुठी में ही, और झट से कंबल हट्टा दिया तो आशिता ने खुद के मुठी में अपने भाई के लुंड को देखते हुए मस्कुराई और कहा,


 "कितना अजीब दिखता है ये हिहिहिहिही!"


 विहान ने घुरते हुए कहा, "तेरी वाली भी तो मजेदार ही है डार्लिंग ... मैं घुटनों पर अता हूं और तुम वेइस ही जोर से हाथ चलाते रहना देखना मैं झूंडूंगा और मेरे वीर्य बहार निकलेगा, कल तू पुच रखा था नहीं  था तेरे जान पर अब उसे देखना… ..”


 आशिता ने कभी वो सब नहीं देखा नहीं सुना था तो वो दिलचस्पी हुई देखने के लिए उसके हाथ चलाने से किया वो सब सच में... उसको जादू लगेगा अगर सच में उसके हाथ चलाने से उससे लुंड।  तो ज़ोरों से हाथ चलाती गई अपने भाई के लुंड पर जबके विहान घुटनों के बाल कमर हिला रहा था अपनी बहन की छोटे स्तन को दबते हुए हाथ से…..


 और कुछ ही पल बाद विहान ने तड़पते और हनफ्ते हुए कहा, "निकलने वाला है देख देख नहीं!"


 और प्रेशर से उसके वीर्य पचक से निकले और आशिता के गाल पर कुछ कटे और कुछ बिस्तर पर…..


 आशिता बहोत ही हेरान, और जिज्ञासा में डूबे हुए उस मंज़र को इस तरह से देख रही थी के जैसे उसे कोई बड़ी सी जादू दिख गई... वो सोचने लगी के ये किया चमत्कार है के एक जिस्म के टुकड़े से हमें तरने  ऐसे कुछ तरल बहार निकलता है….  और फिर आशिता के जिस्म के और एक लहर सी दौड़ी, और उसका मन ज़ोर से अपने भाई को जकारने और चुम्ने को किया…..


 मगर विहान कुछ और ही सोच रहा था उसे आशिता से कहा, "अब इसे किस कर नहीं डार्लिंग!"


 आशिता सर उठाकर विहान के चेहरे में सावली नजरों से देख रही थी, तो विहियां ने कहा,


 "अरी इसा करते हैं, इसको चुने भी हैं, खैर तू नहीं समष्टि तो चुस मत अभी बस चुंबन कर नहीं, थोड़ा सा अगर अपना जीब चलाती इस्के टिप पर तो सोने पे सुहागा हो जाता मेरे लिए..."


 विहान ने नहीं सोचा था के आशिता से उसके लुंड को अपने मैं में ले लेगी ... वो हेयरात से देखता रहा और उसका लुंड आशिता के मुंह के और गया उसके बचे हुए वीर्या को चुनने के लिए !!"


 आशिता के अंदर एक आग सी भदक गई थी वो कुछ ऐसा ही करने को सोच ही रही थी के उसके भाई ने उस लुंड को किस करने को कहा, और उसने तो चुस्ना ही शूरू कर दिया…।  आशिता की जिस्म की वो मांग थी, जरूरी थी उस वक्त के बिना पुचे उसने अपने आप ही लुंड को मुंह में लेकर आराम से चुस्ने लग गई……

 जब माता-पिता चले गए, तो आशिता खुद उठ खड़ी हुई और खिड़की के परदे के पीछे छुपे हुए देख रही थी और जब दों चले गए तो भागती और ज़ोरों से हंसती हुई मुधकर विहान को सु देख समलैंगिक शौचालय।


 विहान बिस्तर पर बैठे बड़े प्यार और उल्फत से आशिता को जाते देख रहा था।  उस्को में से ज़ियादा प्यार हो गया था अपनी बहन से और सोच रहा था कि ऐसा रहेगा उसके बिना।  विहान ने सोचा उसको मोबाइल जल्द से जल्द लेना चाहिए क्योंकि अब वो आशिता को अपने मोबाइल के कैमरे में कायद करना चाहता था।  ये उस ने अभी तय किया कि किया जब वो उसे भागते हुए, और मुधकर उसे देखते हुए देखा, जिस अदा से आशिता ने मुधकर उसे देखा था वो आशिता की मुस्कान और उसकी वो नजर, उस्सका चेहरा खिलाड़ी और कुछ और  उसके चेहरे में वो विहान ने सोचा अगर कैमरा होता तो उसको क्लिक करके बचाओ करता और जी भरके देखता रहता… ..


 विहान सोचने लगा के किया कभी फिर ऐसा सटीक मौका आएगा जब आशिता उस्को उस तार से मुधकर भागते हुए देखेंगे उसि तरह से मस्कुराते हुए?  किस वो उस पल को दोबारा क्रिएट करेगा?  अभी के लिए उसने अपने दिमाग में उस अदा को, उस लुक को कायद कर लिया था मगर दोबारा कैसे करेगा?  उसे सोच लिया के पार्ट टाइम जॉब वाले तनख्वा पाते ही वो भी करेगा क्रेडिट पर एक मोबाइल जरूर करेगा, बाद वाला जिस से अच्छी तस्वीर ली जा सकती है।


 दोनो भाई बहन कॉलेज के लिए तयार होने लगे और जब आशिता अपने कपड़े पहनने जा रही थी तो विहान ने उसे जकरा और चुम्ते हुए कहा,


 "आज तू मेरे सामने कपड़े बदल, मैं तुमको ऊपर से आला तक देखना चाहता हूं!"


 आशिता: "किआ भाई तुम भी नहीं!  ये सब करने का समय नहीं देर से होगा हम!"


 विहान ने बेड पर बैठे हुए कहा,


 "क्या कुछ करना नहीं है सिर्फ तुमको देखूंगा छुउंगा तक नहीं!"


 आशिता अलमारी के पास खादी उसे देखते हैं कहा,


 "वादा?  अगर वादा करो के वहीं बैठकर कर देखोगे तो ठीक है बदलो कार्ति हूं तुम्हारे सामने मगर, अगर तुम बिस्तर से उठे तो मैं तुमसे बात नहीं करूंगी आज दिन भर तो बोलो वादा और निभाना वादा को!"


 विहान ने बड़े प्यार से मस्कुराते हुए कहा,


 "क्या बाबा ठीक है वादा, नहीं उठूंगा बिस्तर से, बस समझ लो के तुम्हारा पिक्स ले रहा हूं एक कैमरा से थोड़ा पोज भी देना मुझे चेंज करते हुए!  ठीक है ?!"


 ये सुन कर आशिता को अच्छा लगा और खिलखिलाती हुई बोली,


 "क्या वाह किया आइडिया है भाई, ओके मेन मॉडल्स की तरह पोज देता हूं तुमको, ये लो पहला पोज!"


 और उसे अपने कमर पर दो हाथों को करके, बगीचे को सीधे करके, नजरों से एक तरफ देखते हुए एक पोज दिया।


 विहान ने हंसते हुए कहा,


 "अद्भुत, मगर इस कपडे में भद्दा लग रही हो, वर्दी से पहनन, ब्रा और पैंटी में तो पोज़ दो मॉडल दिखोगी मेरी रानी!"


 फिर होना किया था, एक करके आशिता ने अपने कपड़े उतारे अपने भाई के सामने….  जब टॉप निकला, तो उसस्की ब्रा में विहान उसे निहारते हुए अपने लुंड पर हाथ दबाने लगा…।


 और जब आशिता ने अपनी कमर से दूसरी पीस को आला किया तो उसकी पैंटी में आशिता को देखते हुए, उसकी पाटली कमर और उबरते हुए जांघों को और उसकी उभरती हुई गांद को देख कर विहान का पूरा खड़ा हो गया और वो  आशिता को तपते लाड से देखने लगा...


 आशिता के चेहरे में एक प्यारी सी मुकान खिल रही थी वो सब करते हुए अपने भाई के सामने।  वो विहान के चेहरे में देखते हैं सब कर रही थी।  विहान को फिर पछतावा हुआ के उसके पास मोबाइल नहीं आशिता की उस लुक को कैमरा में सेव करने के लिए ... मरता था वो आशिता के उन अदाओं पर, उसस्की उस मस्कुराहट पर, उसस्की भोलेपन पर, ये दिन, ये भोलेपन आया तो कभी  ये विहान को पता था इस लिए उसे जल्दी था ये सब कैमरा में सेव करने के लिए।  विहान को पता था के जब आशिता की उमर बढ़ने लगी तो ये भोलापन, ये मासूमियत उसे नहीं मिलेगा उसके चेहरे में, इस लिए वो ये सब बचाना चाहता था, खास जो हमें दिखा जे  पेठ, वो पाटली कमर, ये सब अभी है बाद में सब चेंज हो जाएगा, इस लिए विहान को जल्दी था सब बचाने के लिए।


 अभी कुछ लम्हे पहले आशिता नाह कर निकली थी, और नया ब्रा और पैंटी पहचान था उसे जिसको देखते हुए विहान ने कहा,


 "एक काम करोगी बेबी?"


 आशिता ने उस्सी प्यारी मुस्कान में विहान के तराफ देखते हुए पुचा,


 "अब किआ?"


 विहान: "पैंटी और ब्रा दोंनों को चेंज कर ना प्लीज!"


 हेयर होते हुए आशिता ने विहान से कहा,


 "अभी अभी तो बाथरूम में मैं ने इस्से, अब क्यों बदलूं मैं?"


 विहान: "अरी बस समझ लो के पिक ले रहा हूं तुम्मो सब बदलते हुए!"


 आशिता ने आते हुए और रोनी आवाज बनते हुए कहा,


 "हम्मम्म भाई, वर्दी पेहंती हूं ना अब, जब सच में मोबाइल होगा तुम्हारे पास तब एक दिन ब्रा और पैंटी को बदल करुंगी तब ले लेना तस्वीरें ठीक है ?!"


 विहान ने एक लम्बा सांस चोरते हुए कहा,


 "धत!  तब पता नहीं ये माहौल होगा के नहीं, तब पता नहीं ऐसा ही होगा के नहीं, खैर ठीक है जाने दे, पहले अपनी वर्दी अब!”


 और जल्दी जल्दी आशिता ने अपने कॉलेज की वर्दी पहचान।  वही एक सफेद ब्लाउज, गहरे नीले रंग की स्कर्ट और एक छोटा सा टाई नेक में।  फिर आशिता ने गोल चक्कर लगाया अपने भाई को दिखाते हुए और पुचा,


 "लो अब तो भद्दा नहीं लग रहा है न लेलो तस्वीरें जितना लेना है हिहिहिही!"


 और वो खुद आया विहान के पास बिस्तर के पास और विहान के दों गैलन पर किस किया और कहा "अब देर हो जाएगी चलो, चलते ही"


 विहान ने कहा, "मैं किया ऐसे कॉलेज जाउंगा किया?  मुझे भी तो वर्दी पहनना है अब तू इंतजार कर लाउंज में मैं आता हूं!"


 आशिता चली गई लाउंज में टिफिन और बैग लेकर अपने भाई का इंतजार करना, तब तक विहान ने वर्दी पहनना और बिस्तर के पास एक बाल्टी में उसे नजर पड़ी जहां आशिता ने अपने उतरे हुए ब्रा और पैंटी रखे थे।  उसने आशिता की उतरी हुई पैंटी को हाथ में लिया और नाक के पास लगा और सुनाने लगा, और उत्पन्न हुआ आशिता की उस खुश्भु से...उसको उस में आशिता महक रही थी...  उस पर और साफ कुछ हलका सा पीला रंग का दाग दिख रहा है उस पर….  तो वो जल्दी से उस पैंटी को लेकर लाउंज में आया और आशिता को देखते हुए कहा,


 "ये मुसिबत की निशानी चोर कर जा रही हो तुम?  मान लो आज मम्मी हम से पहले घर आएगी और तुम्हारे कपड़े धोने के लिए लिया और ये देख लिया तब किया होगा?"


 आशिता नहीं समझी और पुचा,


 “तो इस में कौन सी मुश्किल है भाई?  मेरी पैंटी तो वो हर रोज़ धोती है नहीं?"


 विहान ने आवाज को थोड़ा सा ऊंचा करके कहा,


 “अरी मेरी माँ तुमने देखा नहीं किया है, इस पर?  कल रात वाले मेरे वीर्य की दाग ​​है ये देख !!  इस्को अभी जाकर धो तू, और आज के बाद जब नहीं रही होती हो तब अपनी ब्रा और पैंटी धो देना हर रोज समझी?  इस्को एक आदत बना लो वर्ना मम्मी तुम्हारी जान खा जाएगी, पहले से ही तेरे बगीचा और छती पर मार्क्स देख कर गुस्सा है वो !!"


 आशिता का चेहरा लाल हो गया और पैंटी को हाथ में देखने लगी और एक नज़र अपने भाई को देखते हुए कहा,


 “अच्छा इस में किस का कुसूर है मेरा या तुम्हारा?  किस ने किया ये मेरे पैंटी पर?  तुम ने ही नहीं?  किस ने मार्क किया मेरे बगीचे और छती पर तुमने, और चिल्ला मुझे पर रहे हो भाई!  सब तुम्हारी ग़ुलामी है और सज़ा मुझे मिलेगी?"


 विहान हेरात में पढ़ गया क्योंकि आशिता सही कह रही थी... फिर उसे कहा,


 "अच्छा चोर मैं ही इससे धो देता हूं तूरंत"


 फिर आशिता ने मुस्कुराते हुए कहा,


 "नहीं नहीं भाई मैं ही धोती हूं मगर कॉलेज के लिए देर से होगा भाई!"


 और आखिर में दून एक साथ गए उन कप्तानों को धोने के लिए, विहान ने मदद किया और उसे भी अपने मजबुत हाथों से खूब सब लगा कर पेंटी से दाग को मिटाया।  आशिता ने कहा,


 "भाई ये भी तो एक समस्या है ना?  आज माँ पुचेगी के क्यों मेरे अंडरवियर को धोया मैं ने तो किया कहूंगी?


 टू विहान को आइडिया सुजा।  उसे कहा,


 "टू सन, इस्को भीगो कर ऐसे ही बाथरूम में चोरदो जीसे धोया हुआ नहीं है बालके तेरे नहीं, वक्त भीगा है और इसे ऐसी मुठी में दबोज कर आला रखदो।"


 और वही किया दोंनों ने और कॉलेज के लिए निकले एक साथ।  बस में दों एक साथ बैठे हमशा की तरह और बात करते हुए गए।  धीरे धीरे बात करते हैं ताके कोई उनके बतों को नहीं सुनें।  आशिता ने कहा,


 “भाई तुमने कहा के मम्मी को ये कहूंगी के मेरे सहेलियों ने मेरे बगीचे पर दांत काटे हैं तो छती पर किस ने लाल मार्क किया वो भी किया सेहेलियों ने किया?  अब बोलो किया कहेंगे मम्मी से?!  और एक बात है अगर मम्मी ने पुचा कौन सी सेहेली है उसका नाम पुचा और अगर उस से मिलने आई कॉलेज में तो?  तब किया होगा?"


 कुछ डर तक सोचने के बाद विहान ने पुचा के उसे कौन सी सबसे करीब से है क्लास में।  आशिता ने प्रिया का नाम लिया।  तो विहान ने कहा,


 "तुम प्रिया से कहो के तुम्हारा एक बॉयफ्रेंड है जिस ने तुमको किस करते वक्त उन जगों पर लवबाइट्स कर दिया और तुमने मम्मी से कहा की सहेली ने किया, तो प्रिया को पता लो के वो कहे के खेल में उसे और वेइसा किया।  चाय पर खेल की अवधि के समय पर !!!!  ईसा कर शक्ति हो?  किया प्रिया ऐसा करेगा तेरे लिए?”


 आशिता ने कहा,


 "मेरी बेस्ट फ्रेंड है वो तो शायद मान जाएगी मगर बहुत सारा करने लगेगी के कौन बॉयफ्रेंड है, उस से मिलना होगा तब किया कहूंगी भाई!"


 विहान ने जोक करते हुए कहा,


 "बता देना के मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड हूं, वीज़ हूं नहीं तेरा बॉयफ्रेंड मैं ही?"


 आशिता ने तब हंसते हुए मुठी बंद करके विहान के चाट पर छोटे छोटे घुंसे मारे।


 और विहान ने फिर बहुत धीरे से आशिता के कान में कहा,


 "किया तू मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है?  है ना?  बाटा!"


 आशिता ने थोड़ा शर्माते हुए हैं में अपना सर हिलया…।


 विहान बोला को,


 "फिर मैं तेरा बॉयफ्रेंड हुआ नहीं?"


 आशिता ने फिर हां में सर को हिलाया…….


 तो विहान ने आशिता को ज़ोर से अपने देखे से सत्ते हुए उसके गालों को चुमा…

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