मेरी प्यारी बहन Part 6
आशिता इतना रोने लगी थी के मां ने उसे गले लगाते हुए कुछ डर उसको आराम किया ये कहते हुए विहान के सामने, उसके तार भी देखते हुए,
“देखो बेटा, तुम हर रोज़ रात के 11 या बरह बाजे तक अपने होमवर्क अपने भाई के कमरे में ही एक साथ तो करोगी नहीं? तब तक एक साथ ही रहेंगे तुम दून, सिरफ सोने के वक्त आना इस बिस्तर पर मेरे कमरे में। वेसे सुभा से लेकर रात बारह बजे तक तो तुम दोंन एक साथ ही रहेंगे, अलग केइस होंगे फिर? तुम सुभा को एक साथ तयार होकर कॉलेज जाओगे, कॉलेज से एक साथ वापस आएंगे, फिर रात के बारह बजे तक एक साथ रहेंगे, सिर्फ 5-6 घंटे तो दूर होंगे अपने भाई से तो क्यों रो रही हो तुम?"
विहान भी बहोत ही उदास दिख रहा था आशिता को वे रोटी देख कर, और बार बार सिरफ आशिता को ही देखे जा रहा था अपनी मां की बातों को सुनते हुए, तब मां ने विहान से कहा, "ले उसे मैं रसोई में ही हूं।" चली अब!"
और फिर विहान ने आशिता के कांधों पर हाथ करके उसके साथ चलते हुए अपने काम में लेगा। दोनो बिस्तर पर बैठे और विहान ने उदासी आवाज में कहा,
“चल अब चुप कर नहीं! कोई बात नहीं मां सही तो कह रही है हम दोंनों ज़ियादा समय तो एक साथ ही होंगे नहीं। अगर उन लोगों को नहीं अच्छा लगता के हम साथ सोय तो ठीक है, अलग अलग सो लेंगे रात को फिर दिन में तो दों जीना चाहे एक साथ रह सकते हैं नहीं!"
इतना ही कहा था विहान ने के झट से आशिता ने अपना मुंह विहान के मुंह में किया और दून जोश से किस करने लगे। के आशिता ने बड़े ज़ोर से विहान को अपने बहाने में जकरा हुआ था चुंबन करते वक्त, देखने बंद दों के और किस को गहरायी से महसूस करते हैं जा रहे हैं पर विहान ने एंख खोल कर दरवाजे से तार देखा को, , "रुको नहीं देखो दरवाजा खुला है अभी अचानक पापा आ सकता है इस तरह से और मुश्किल हो जाएगी, तू भी नहीं, ऐसे तो मुझसे भागी रहती है और अब जब जुडा होना है तो मैंने तुम्हें क्या किया होगा" !"
आशिता ने नखरें वाली आवाज में कहा, "मुझे नहीं सोना अकेले, मुझे तुम्हारे साथ ही सोना है भाई, तुम्हारे साथ गरम लगता है और तुमको कहां में भरके सोने की आदत है मेरी!"
मुस्कुराते हुए विहान ने कहा, "मुझे भी तो वही आदत हो गई है, मुझे भी तो तुमको वेइस ही बानों में बरके सोने की आदत है, और अब तेरी जिस्म की खुश्बू रात भर महसूस करना, अब तुम्हें पता है को लाने की आदत है और वहन रागधने की आदत भी हो गई है, मुझे भी तो बहुत मुश्किलों से गुजारना पड़ेगा लेकिन किया करेगा, माता-पिता ने ऐसा फैसला किया कि किया तो हमको मन्ना पदेगा नहीं तो उनको शक होगा हम, हमें भी होगा। चाहिये और चुपचाप अलग से सोना चाहिए जानेमन!"
उस तारफ अनिरुद्ध रसोई में सुमन के पास गया और कहा,
“तुमने बड़े आराम से आशिता की बिस्तर तो लगा दिया हमारे कमरे में मगर सोचा है के हमारा किया होगा? मैं कब और कैसे करुंगा तेरे साथ जब आशिता होगी रूम में?"
सुमन 30 के उमर में थी और अनिरुद्ध 40 के…. अभी तक दोंनों के यौन जीवन बिलकूल बढ़ चल रहा था। सुमन एक बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी औरत थी। तीस के दशक में थी मगर दिखी थी 20/25 की जवान औरत। उसने अपने फिगर को बहुत अच्छा मेंटेन किया किया था दो बच्चों के मां होने के बावजुद।
पिचले 18 सालो में वो घर के काम काज और बच्चों की परवरिश में लगी हुई थी घरेलु औरत की तरह। किसी भी ग़ैर मर्द के साथ कभी कोई चक्कर नहीं हुआ था सुमन का। अब जब काम करने लगी थी कुछ मर्दों को दीवाना बनाने लगी है उस तारफ और रास्ते में….. मगर किया पता कब किया हो सकता है ऐसी गर्म औरत के साथ।
अनिरुद्ध ने जब उसे अपने बारे में कहा तो सुमन ने हंसते हुए कहा,
“आप को अपनी परी है, बेटी जवान होने लगी है घर में, कभी घर से देखा है अनीशा को आप ने? 18 साल की हो गई है...उसकी चाय पर गौर किया है कभी कितना ऊंचा गया है? को पता भाई के साथ चुम्मा चाट करता है या भाई उसके चाट को मसल्ता है, मुझे तो फिकर होती है ये सब सोच कर के कहीं इसत की ढजियां नहीं उध जाए इन दोंन के कर... के वक्त डोनों को जिस जिस पोज में सुभाष को देखा हुआ उस से बहुत कुछ दिमाग में आता है, एक सुभा को तो आशिता की ड्रेस पुरा ऊपर उठा हुआ था और उसके लिए भाई के जांघे उस और वहां से प्रशंसकों के हैं और आशिता वहां हैं। की पैंटी पर उसका चडी सत्ता हुआ था… मना के रात को जरूरत में सब हुआ होगा, मगर पति और पत्नी की तरह कभी सोटे हैं किया भाई बहन? मुझे नहीं पसंद है और वो सब देखने को उन दूनों के बीच….”
….. और आप को कोई फ़िकर नहीं करनी वो अपने भाई के साथ रहेगी हर रात को 11 से बारह बजे तक तब तक हम अपना काम तो कर सकते हैं नहीं? हमारा समय सारिणी होना चाहिए अब, सोच लेना किस रात को प्यार करना है, कह देना उस रात को तब हम दरवाजा और से ताला कर देंगे और 11 बजे से पहले काम कर लेना चाहिए, ठीक है जी?"
अनिरुद्ध के दिल में उस वक्त आशिता के जिस्म का नजर आया, और उसके दिल में एक अजीब सी हलचल हुई आशिता के बदन को सोच और विहान और उसे सेक्स के नंगे में सोच...। उसके मन में किया उमंग उठा था उस वक्त ये वो भी नहीं समाज पाया उस वक्त…। तो उसे अपने पत्नी को पिच से अपने बहन में दबोचते हुए, उसके बगीचे पर पिच चुंबन करते हुए कहा, "वह रे मेरी रानी, सब कुछ सोच लिया है तुमने तो, साला अब बच्चों की वजह से मुझे भी करने का आनंद लिया टाइम टेबल बनाना पडेगा, धात तेरी की!”
और उस रात को कोई 9.30 को अनिरुद्ध ने सुमन को नाइटी में बिस्तर पर पता और उसके लिए ब्रा निकल फींका और चुनने को कहा, फिर अपनी पत्नी की जवान जिस्म को चाटे भी कहा, “अरी सुमन, तू बेटी ने आप दे दिया है क्यों उसके जिस्म के बारे में बता दिया, अब तेरे जिस्म को चाटे हुए मुझे आशिता याद आने लगी री !!"
सुमन ने हंसते हुए कहा, "खबरदार अगर मेरी बेटी को तुम कभी उस नजर से देखा तो तुम्हारी आंखें नोच लुंगी समझे तुम?"
मगर उस वक्त सुमन को छोडते हुए अनिरुद सिरफ आशिता को ही सोच रहा था, के ऐसे सुमन फिर से और भी जवान हो गई आशिता के रूप में…..उसके ख्यालों में खुद उसकी बेटी बसी हुई थी अपने। अहिस्ते अहिस्टे डोनों पति पत्नी ने अपने सारे कपड़े निकल फीके और बिलकूल नंगे होते हुए जबर्दस्त चुदाई होने लगी दोंनों के बीच…..
उस तरह अपने काम में दों भाई बहन होमवर्क कर रहे थे… .. विहान गणित कर रहा था और हमें अपने कैलकुलेटर का इस्तेमाल करते वक्त पता चला के उसकी बैटरी बिलकूल डाउन है, तो उसे आशिता को अपने पापा के कैलकुलेटर लाने को कहें। …..
आशिता गई अपने माता-पिता के काम में कैलकुलेटर मांगने अपने पापा से, वो नॉर्मल की तरह जाकर अपने पापा के कामरे के दरवाजे को आराम से खोला तो जो नजरा उसके आंखों के सामने आया उसे आशिता को बिलकूल फ्रीज कर दिया। में बस दो कदम दखिल हुई थी के उसके देखते के सामने उसके पापा का नंगा गान और उसे लुंड अपनी मां के छुट के अंदर आते जाते हुए आशिता ने … रहे द और ओर्गास्म के हाल में द डॉन के आशिता को और आते हैं बिलकूल नहीं सुना किसी ने खुद के आवाज जो आ रहे हैं और जोरों से हनफ्फ रहे द डॉन टू किस्सी को कुछ पता नहीं चला के आशिता और आई और हुई का पीठ दरवाजे से था और सुमन के चेहरा तो अनिरुद्ध के आघोष में था तो उसे सिर्फ अनिरुद्ध दिख रहा था दरवाजा नहीं…..
आशिता बुठ बनी खादी रही कोई 50 सेकंड तक और उस समय तेज दिल के धड़कनों के साथ उसे अपने कदमों को वेइसे ही पिच लिया जैसा और आई थी और उसे लगा के 50 सेकंड में उसके कदम पिचे ही और घंटे लगे… .. जब उसकी कदम कामरे के बहार निकल गए तो वाइज ही बहोत ही ऐसे से दोंनों के जिस्म को देखते हुए आशिता ने दरवाजे को फिर बंद किया और जैसा एक सपने में चलती हुई फिर आपके...
वाइज़ हाय टेबल पर झुक कर होमवर्क करते हैं विहान ने अपने बाज़ू को बिना आशिता के तार देखे हाथ उसके पास किया कैलकुलेटर लेने के लिए, और जब आशिता प्रतिमा की तरह वही खड़ी रही और विहान के हाथ में कैलकुलेटर देखते हुए कहा,
"क्या किआ हुआ? क्यूं कैलकुलेटर नहीं लायी तू?"
आशिता जैसे होश में नहीं थी बस सामने मोती मोती एन्खोन को फड़े हुए देख रही थी…. उसको उस हालत में देख कर विहान उत्थान उसे छुटे हुए कहा, “अरी हुआ कि तुझे? कोई भूत दिख गया कि किया?!... धत, रहने दे मैं खुद लेकर और पापा का कैलकुलेटर" और वो काम से निकलाने लगा तो झट से आशिता ने उसके लिए और कहा, "मत जाओ भाई पापा के कामरे में अभी मत जाओ तुम!"
विहान हेरानी से आशिता को देखते हुए पुचा, “क्यूं? क्यूं नहीं जौन? क्या मुझे कैलकुलेटर की जरूरत जरूरी है इसी वक्त, मैं अभी आता हूं!”
मगर आशिता ने हमें और भी ज़िदा ज़ोर से अपने तार ख़िनचते हुए जाने से मन किया। विहान के समझ में नहीं अरहा था के क्यूं आशिता वेइसा व्यवहार कर रही है और पुचा, "अरी बता तो सही क्यों मुझे जाने से रोक रही है कुछ तो बोल नहीं!"
आशिता सामने छत देखते हुए कहा, "भाई कोई 15/20 मिनट के बाद जाना अभी मत जाओ इस से ज़ियादा मैं कुछ नहीं बता सकता, मैं गई थी मगर मुझे दरवाजे से ही तूरंत निकलाना पड़ा, समझो नहीं भाई!"
तब विहान के समझ में कुछ बात आई तो अहिस्ते से पुच्छा, "अच्छा? किया देखा तुमने? वे लोग सेक्स कर रहे हैं किया? और उन लोगों ने तुमको नहीं देखा?"
आशिता तब भी इसी शॉक में थी और अपने भाई के चेहरे में एक पागल की तरह देखते हुए सिरफ हां में अपना सर हिलया।
विहान ने शॉक्ड होते हुए पुचा के लिए, “क्या? उन लोगों ने तुमो देखा?"
आशिता जैसे नशे के हलत में बोली, "नहीं उन लोगों ने नहीं देखा मुझे मगर मैं ने दोंनों को वही करता देखा जो तुम ने कहा !! नंगे हेन दोंन !!"
विहान ने हंसना शूरु किया मगर अहिस्ते और आशिता के पास जाते हुए कहा, "ओह तो ये बात है, क्या इस में शॉक होने की कि बात है? ये उन दोंनों का हक है, वे एक-दूसरे से प्यार कर रहे हैं, कोई समस्या नहीं है, हां तुमने देख लिया तो वो एक्सीडेंटल था, तुमने जान बुझ कर तो नहीं झंकने गया नहीं! ठीक है, आराम से ले लो जानेमन!"
आशिता ने वेइस ही ऊपर देखते हैं जैसे सपने में बात करते हुए कहा, "मैं ने आज पहली बार देखा ऐसा नजर, जिंदगी में कभी नहीं देखा... मुझे डर लगने लगा, मेरे सांसें तेज हो गया, गिर पदुंगी मैं लगता है बिमार हूं, मेरे माथे से पहले छुट गए!"
तब विहान ने आशिता को ज़ोर से बाहों में भारते हुए उसके माथे को चुमा, फिर उसके गालों को चुम्ते हुए उसे संझया के सब सामान्य देखा जो कुछ भी देखा उसने सब प्राकृतिक ही ऐसा होता है, माता-पिता वो... "वे पति-पत्नी हैं यार, तुम तो अब नॉर्मल हो जाओ नहीं !!" कहा विवान ने।
तब कोई 30 मिनट के बाद आशिता कुछ शांत हुआ। और फिर सिरफ टैब विहान खुद गया अपने पापा के काम में कैलकुलेटर लेने को, और उस वक्त मा बाप को ख्याल आया के उन लोगों ने दरवाजा लॉक नहीं किया था इश्क करते वक्त। उन डोनों को बिलकूल भी पता नहीं चला के आशिता ने उन लोगों को उस हाल में देखा था।
उस घटने ने आशिता पर किया असर किया था वो बाद में तो पता चलेगा ही, फिल्हाल ये देखते हैं के रात को 11.30 को आशिता अपनी नई बिस्तर पर गई, मगर जाने से पहले अपने भाई को जो से अलविदा कह जाएगा के सुबह में मिलेंगे अब।
मम्मी और पापा इंतजार कर रहे थे आशिता को कामरे में आने को, और जब वो चली आई अपनी बेड पर तब पापा और मम्मी सोने गए। माँ ने आशिता को फुसलाया थोड़ा प्यार व्यार करके। आशिता के दिमाघ में वो मंज़र घुम फिरके आरे द जो उसे देखा था जब मां ने उसे देखा से लगा था... खैर केसे भी करके सब सोने गए…..
को आशिता को रात के 1 बजे तक बिलकूल नींद नहीं आई थी, वो करवा पे करवाती बदलती जा रही थी मगर उसे बिलकूल नींद नहीं रही थी, वो अपने भाई को मिस कर रही थी, गरमाहत को मिस कर रही थी।
और उस तारफ विहान का वही हाल था। वो भी तो नहीं पा रहा था। आशिता को बहुत याद कर रहा था वो और वो भी उसको मिस कर रहा था….. बालके वो तो उठा कर कॉरिडोर में चल फिर रहा था, अपने माता-पिता के कामरे के दरवाजे पर कान लगा कर सुन रहा था जिसे इसे जाना होगा आशिता सो गई के नहीं….. मगर सच में तो बात ये उसे आशिता के पास जाने का मन कर रहा था, मगर डर रहा था के अगर दरवाजा खोला तो मम्मी पापा को पता चल जाएगा से ही वापस लौट गया। विहान बहोत बेचान था, उस से रहा नहीं जा रहा था, मगर बेबस था और सो नहीं पा रहा था, और उधार आशिता भी नहीं सोया थी बिलकूल...
और सुभा के 3 बाजे आशिता अहिस्ते से उत्थान वापस अपने भाई के काम में आखिरी चली ही गई जब मम्मी पापा गहरी नेंध में, भाई के काम में दखिल होते ही देखा के विहान भी उस से लगा हुआ है हुए पर उसी वजह से विहान भी तड़प रहा है और अभी तक सोया नहीं है, और दोंनों ने एक दसरे को वहां में भरके बिस्तर पर कम्बल के नीचे हो गए और एक दसरे को चुन लिया और इतिहास के लिए हाथ को चुन लिया लगा और आशिता के बूब्स देखने की फरमायिश किया उसने… .. क्यों कुछ डर पहले बिचार गए द डॉन इस बार आशिता ने इन्हें नहीं किया और अपने भाई को अपने ड्रेस को मैंने दिया और विहान ने हमारे लिए उसे चुना
और चुने हुए अपने कमर को दबया आशिता के जांघों के बिच रागदते हुए और झड़ गया अपनी छोटी बहन के जाने के बीच ऊपर ही रागदटे हुए...
आशिता सब समझ रही थी के विहान उसके साथ किया कर रहा है, कुछ डर पहले ही तो उसे अपने मम्मी पापा को ऐसा करते हुए देखा था तो आशिता के लिए ये अब लव मेकिंग था वाइज ही उसे उसी पापा आपने को बनाया था , उसे अपने भाई को वही खुशी दीया जो मम्मी ने पापा को दिया था, ऐसा सोच कर आशिता ने विहान को प्लीज होने दिया…। विहान का पानी जब आशिता के जांघों के बीच लगा तो कुछ लाट पथ फील किया आशिता ने और विहान से पुचा वो किया था, और विहान ने आराम से समझौता के उपयोग वीर्य, याने शुक्राणु कहते हैं …… लगी
आखिर में दोंनों ने कपड़े पहनने के लिए और दोंनों गहरे के आगोश में चले गए कुछ लम्हों के बाद।
सुभा को माँ उठी और देखा के आशिता बिस्तर पर नहीं है तो पापा को जगाया और दोंनों जल्दी विहान के काम में गए तो देखा के आशिता और विहान एक दसरे को कहीं में भरे हुए जरूरत में सोए हुए हैं !!!!
अनिरुद्ध ने कहा, "देखा वो पता नहीं कब अपने भाई के पास चली आई, इन दोनो को अलग करना बेकर है, रहने दो अब...।"
मगर किया सुमन दोंनों को एक साथ रहने देते?
आगे अपडेट में देखते हैं किआ होता है
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