मेरी प्यारी बहन Part 10
कॉलेज पहिने से पहले ही बस में कुछ और हुआ। वो लेडी जिस्के पास आशिता बैठा थी, आगे बस स्टॉप पर उतर गई, विहान को 5 सीट पिच जग मिली थी बैठने को और वहां से देख रहा था जब वो महिला उतर रही थी। तो सबसे पहले करना ये था के उसे जल्दी से जा कर आशिता के पास बैठा था ना?
मगर विहान नहीं गया। जान बुझ कर नहीं गया, थोड़ा घुस्सा था उसके अंदर आशिता की बेरुखी से और देखना चाहता था कि आशिता उसे नहीं, पिच से आशिता पर ही अपने नजरें गदाये हुए था। उस्का मन तो बहुत ही कर रहा था उसे पास बैठा कर उसे जकारने को, उसे खेलने को, उसे चुनने को, उससे बात करने को, उसे बेरुखी को तोडने को, मगर नहीं गया।
अब आशिता भी यही उम्मीद कर रही थी के विहान जल्द से उसके पास होगा, मगर जब देखा के सीट खाली रह गई और बस चलने लगी क्योंकि कोई और नहीं आया बस में उस बस स्टॉप पर, तो आशिता सोचन लगा के में आया…. उसको पता भी नहीं था के विहान किधर बैठा था बस में, अब मुधकर देखना तो छती थी मगर उसे पता था के विहान पिचे से उसे देख रहा होगा और मुधकर देखने में उसे अब अजीब लगने लगा।
और विहान इसी इंतजार में था के आशिता उसे धुंडे बस में, इस लिए उसे नजर उस पर टीका हुआ था। और जिस पोजीशन में आशिता बैठा थी, विहान को उसकी लेफ्ट साइड बहुत साफ दिख रहा था, उसस्की प्रोफाइल को विहान ने अपने मोबाइल में क्वैद करना शुरू किया, केई पिक्स लिए उसे वहां बैठे हुए और मोबाइल को वीडियो मोड में कर हाय जमाये रखा विहान ने इस उम्मेद में के एक बार आशिता मुध कर देखे के विहान उसको कैमरे में रिकॉर्ड करे…।
और अगला बस पड़ाव आया, बस रुका क्यों अब कोई चढ रहा था बस में और सिरफ आशिता के पास ही एक जग था तो इस बार जब आशिता ने देखा के कोई अरहा है उसके पास बैठा तो मुंहा बस में पीने दे ये सोच के क्यों जग खली होने पर भी वो नहीं आया उसके पास, और विहान ने खुशी से आशिता को रिकॉर्ड किया, उसकी प्यारी नजरें अपने भाई को धुंते हुए बस में, उसकी सम्मान, उसकी अभिव्यक्ति बहुत ही खूबसूरत में, कोई 10 सेकंड तक तो आशिता की नज़रें पहले धुंदती रही और जब उसकी नज़र विहान पर परी, तब उसे वापस अपना चेहरा किया एक हल्की सी मुस्कान के साथ... उस हल्की सी मुस्कान को ही रिकॉर्डिंग में बार फिर से बार-बार।
जब तक स्कूल नहीं पहूँचे दोंन अलग ही बैठे रहे और उतरने के बाद फिर आशिता अगुए चलती गई बिना पिचे देखे और कॉलेज के अंदर दखिल हो गए दों और अपने अपने क्लासेस में चले गए।
ब्रेक में आशिता आज विहान के पास नहीं आई। वो अपने सहपाठियों, प्रिया और दसरे दोस्तों के बीच ही रही। मगर विहान को उसकी नज़रें धुंध रही थी। उस जग पर जहान हमेशा दोंन बैठे थे उधार आशिता की नजरें विहान को धूल रही थी।
और विहान जान बुझ कर कहीं और खड़ा उसे निहार रहा था अपने दोस्तों के साथ। विहान के पास तो कुछ खाने पाइन को था नहीं बस 10 मिनट की ब्रेक में ऐसे ही आशिता को देखता रहा।
लंच ब्रेक में आशिता फिर प्रिया के साथ बैठी खाना खाने के लिए। और फिर उस जगह पर देखा जहान हर रोज वो और विहान बैठे थे। जब उसे विहान नहीं दिखाया तो उसे कुछ अजीब लगा और सोचा के विहान उस से नराज है इसी लिए वो उधार नहीं आया है आज।
विहान ने तो टिफिन लिया ही नहीं था, इस लिए बिना कुछ खाए ही रहा दिन भर। भुक तो बड़ी ज़ोर से लगी थी उससे भी और उसका मन कर रहा था के जा कर आशिता के लंच से कुछ मांग कर खाए, वो जरूर शेयर करें अपने भाई के साथ मगर जान बुझ कर विहान नहीं गया। ऐसे ही रहा। कुछ खरीदा भी नहीं कैंटीन में।
जब लंच टाइम एंड होने को आया तब आशिता चारो तारफ विहान को धुँधने लगी। और प्रिया से पुचा, "तुमने विहान को देखा कि कहीं?"
प्रिया ने कहा, "नहीं तो, क्या हां आज तुम और वो एक साथ क्यों नहीं हो? झगड़ा किया है किया अपने भाई के साथ तुमने? ब्रेक में भी तू मेरे साथ ही बैठी थी, हर रोज तो अपने भाई के सात खाना खाती हो नहीं?"
आशिता अपने पैर पर खड़े होकर छात्रों के भीड में चारो तरफ नजर फिरते हुए प्रिया को ऐसे ही जवाब दिया, "नहीं बस ऐसे ही आज टिफिन अलग अलग लाए हैं हम दून...।"
और दिन गुजर फिर स्कूल होने के बाद बस स्टॉप पर आशिता एक समूह में खादी थी जहां बस में घुसने के लिए सभी छात्रों के बीच ढाका ढाका हुआ करता है, लडके और लडकियां भी होते हैं साथ में और उसके बदमाश दौरा स्कर्ट उठते ही और हाथ फिरते हैं….
विहान कुछ दूर बनायें हुए था खुद आशिता से और देख रहा था के वो बस के अंदर जाति है। हर रोज़ होता ये था के आशिता को अपने सामने रखता था विहान और बाकी लोगों को धक्का देते हुए आशिता को पहले बस में और जाने देता उसके बाद वो और ग़ुस्स्ता था मगर आज बस देख रहा था। हां उसे पता था के लड़के लड़कियों को छुटे हैं उस वक्त और वो वही देख रहा था के कोई आशिता को कहीं छू नहीं…..
कुछ लड़कों विहान से भी बड़े क्लासेस के थे, जो विहान से उमर में और कद में भी बड़े थे, और हर तरह के लड़के थे, बदमाश, शरीफ, गुंडे टाइप के भी, दिल फिंक और रोमियो टाइप भी... एक बस भर जटा तो दसरे का इंतजार किया जाता था, फिर तीसरे का भी कभी...। तो आज विहान ने सोच लिया था के अगर उसको फर्स्ट बस में जग नहीं मिला तो आशिता को अकेले जाने देगा वो बाद में दसरे बस में जाएगा…..
और जब पहला बस आया और बस के अंदर जाने के लिए जब धक्का शुरू हुआ तो विहान ने देखा एक लड़का आशिता के पीठ पर अपना हाथ फिर रहा है और एक उसकी पिचवेयर को दबा रहा है... गया और दून लड़कों के कॉलर पकार कर पुरा ज़ोर लगाके अपने तारफ खिंचा और दोंन को जमीन पर गिरा दिया, उन में से एक लड़का विहान से बड़ा था और ऊंचा भी, तब तक बस भर गया और जाने लगा नहीं मिली और इधर लड़ै शूरु हो गई विहान और उन दोन लड़कों के बीच। जो लडका विहान के उमर का था उसे सॉरी कहा और एक तरह से गया मगर जो बड़ा था उस्ने विहान को उठाकर एक घुनसा मारा सीधे उसके चेहरे पर, जिस से विहान दो कदम था लदखदाते हुए आला गिद वाड़ा और वो और मार्ने तब तक आशिता और प्रिया बीच में आकार उस लड़के को गालियां से नेहलाने लगे। फिर बाकी के लड़कों भी इन दोंनों का साथ देने लगे तो वो बड़ा लड़का वहां से निकल गया चुप चाप। आशिता जल्दी से विहान के पास गई और उसे उठने में मदद किया मगर विहान ने आशिता का हाथ झटकाते हुए उसे अलग किया। बहोत ग़ुस्से में था वो अब। विहान के होने के कोने से थोड़ा सा खून निकल पड़ा था जिसको आशिता ने अपने रुमाल से पोंचना चाहा मगर फिर विहान ने उसके हाथ को हटा। प्रिया ने सब देखा और धीरे से आशिता से कहा,
“हम्म ज़रूर तुम दूनों में लड़ी हुई है, है ना? इसी लिए वो तुझसे बात तक नहीं कर रहा, क्यों रे किया हुआ तुम दोंनों के बीच?!"
आशिता विहान के चेहरे में देखते हैं प्रिया को जवाब दिया, "कुछ भी तो नहीं!"
और विहान वहां से हट गया, एक तरफ चला गया, कुछ दूर पर….
और प्रिया ने पुचा,
"विहान ने क्यों ज़मीन पर पताका था उन दूनों को किया उन दूनों ने तेरे साथ कुछ किया था?"
आशिता ने कहा, "भीड़ में शायद किसी ने मुझे छूआ था, किसी ने मेरे स्कर्ट के आला अपना हाथ डाला था, और विहान तो पिच खड़ा था तो उसे जरूर देखा होगा तबी तो ये सब हुआ !!"
तब प्रिया ने कहा, "हम्म तेरा बॉडीगार्ड यह था और सब देख रहा था पिच से ही; वह रे वह तेरा भाई तो तुझे प्रोटेक्ट करता है रे, तुझे तो खुश होना चाहिए के ऐसा तेरा रक्षा करने वाला भाई है तेरे साथ, काश मेरा भी ऐसा भाई होता!”
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आखिर में दसरे बस में दूनों को जगा मिले और वही बस में दों वपस घर आए मगर अलग सीट पर बैठा कर।
घर आते ही आशिता की नज़र विहान की टिफिन बॉक्स पर पड़ी, और जाहल्दी से बॉक्स उठाकर खोलते हुए देखा फिर मुड़कर विहान को इन्सू से भाडे हंखों से देखते हुए कहा,
“भाई तुमने क्यों टिफिन बॉक्स नहीं लिया था? तुम आज दिन भर भुके रहे क्या? भाई क्यों ऐसा किया तुमने!"
और वो फूट कर रोने लगी, रोटे हुए आला जमीन पर बैठा हाथ में उस टिफिन बॉक्स को लिए हुए।
विहान वही खड़ा उसको रोते हुए देख रहा था और उसके लिए भी भर आए मगर एक शब्द नहीं कहा उसे। बस आशिता को देखता रहा, अपने प्यार को रोटा देख कर कितनी डर वेइस खड़ा रहता, आशिता ज़ोर से रो रही थी और विहान से आशिता को रोते हुए नहीं देखा जाता, बचपन से ही जब भी आशिता रोटी तो वो झट से हमें था और उसे चुप कराता था, और आज के उसे और ज़िदा रोते हुए देख सकता था, उस से रहा नहीं गया और उसे पास बैठा कर उसे गले से लगाना चाहा, मगर आशिता का उठ खड़ा हुआ, और रोते हुए
“मुझे पता है तुमने जान बुझ कर मुझे दुख देने के लिए ऐसा किया, मैं ने अलग टिफिन बॉक्स लिए इस लिए तुम ने ऐसा किया, मत छूओ मुझे जाओ चले जाओ, अपने दो साइबर कैफे चले जाओ अभी से ही! "
विहान वही खड़ा उसे देख रहा था और फिर कहा,
"चल जौन? सच में चला जाउंगा बिना कुछ खाए पिए, जौन किया ?!"
आशिता ने ज़ियादा रोते हुए कहा,
"जो करना है करो मुझसे क्यों पुछ रहे हो?"
और विहान फिर उसके तारफ बढ़ा उसको बाहों में भरने के लिए लेकिन आशिता पिचे हट गई और कहा,
"मैं ने कहा नहीं मत छूओ मुझे, जाओ अपना खाना कहो, मैं चाय बनाती हूं पेशाब कर तब जाना!"
विहान अपने मन को मारते हुए बैठा खाने को क्यों असल में उसे बड़े जोर की भूल लगी थी। उस्का मन तो आशिता को बाहों में कसके जकार कर उसको बहुत सारे चुम्मियां देने को कर रहा था, आशिता से बहुत प्यार करने का मन कर रहा था मगर अपने और अपने बनाए को दबाते लाए वो दिए गए।
कोई एक घंटे बाद विहान का जाने का समय हुआ। अब हमें हिम्मत नहीं थी आशिता के ज़ियादा करिब जाने को। दिल तो बहुत करता था उससे, के आशिता को वहां में भरे, उसको किस करे, उसके साथ बिस्तर पर कुछ समय गुजरे, उस जिस्म जिस्म की खुश्भु को अपने और बसे, मगर जिस तरह से आशिता वो हमें करने लगी थी उसे तो घर से निकलने से पहले इतना इतना आशिता से,
“मेरा इंतजार करेगी या अपने काम में चली जाएगी तू? अभी से ही बता दे तो मैं अपने ख्यालों में सपनों के महल को और ज़िदा नहीं बढ़ने दूंगा….”
आशिता ने एक तरफ देखते हुए कहा,
“अगर होमवर्क पूरा कर लिया तो चली जाउंगी, और तुम मुझे हर रात अपने कमरे में करना अब बंद कर देना, और वापस आने के बाद तो जाना ये मत उम्मीद करना के वापस यहां आऊंगी मैं, वेइस मैं ने पापा से मेरा आल बनाने को कहा दिया है लाउंज को अलग करके, तब मैं यहां बिलकूल नहीं आऊंगी, उस्सि रूम में होमवर्क करूंगी और सो जाऊंगी….”
विहान ने कहा,
“मतलब सब सपने टूट गए मेरे? याने के हम एक दसरे से बिलकूल अलग हो गए ये कहना चाहता हो नहीं? और हमारे प्यार का किया हुआ? प्यार कर्ता हो मुझसे या वो भी खतम हो गया? मेरी गर्लफ्रेंड हो अब भी या नहीं ये जाना है मुझे!”
आशिता ने विहान से पीठ करते हुए कहा,
"वो होता है ना ब्रेक अप? समाज लो के अपने गर्लफ्रेंड से तुम्हारा ब्रेक अप हो गया, और अब जाओ, तुमको देर नहीं हो रही ?!"
विहान वहां से जोर से रोते हुए निकला और पागलों की तरह रास्ते पर दौड़ लगा, तेज रफ्तार से दौता गया जैसा कि किस अंजाने मंजिल के तरफ बढ़ा रहा है…..
ऐसा के दिनो तक चला, फिर हफ्ते गुजरे और के महिने...
आशिता के लिए नया रूम बन गया, एक नई अल्मारी भी खरीद लिया गया और आशिता का विहान के रूम में जाना बिलकूल बंद हो गया।
ऐसे बहोत आए इन दों के बीच जब तकरार हुए, ऊँचे आवाज़ में बाते हुए, रोना धोना हुआ, घुस और प्यार के दरमियान में छुपे जज्बातों के मिलावत में इमोशन के लिए...
सेक्स को लेकर ऐसी स्थितियाँ हुई जहाँ आशिता ने विहान को उससे झाँकते या उसकी तस्वीर लेटे हुए पाया, मगर कुछ नहीं कहा बस एक तेरी नज़र काफ़ी होता था…।
एक बार तो जब आशिता नहीं रही थी विहान मोबाइल से उसे शूट करने की कोशिश में भी लगा मगर नाकामयाब हुआ…. काय बार जब आशिता अपना दरवाजा लॉक करने भूल गई या लॉक करने से पहले जरूरत आएगी तो विहान चुप कर उसे कामरे में उसे निहारने जाता, उसकी वीडियो बना, उसकी रात में उस रात रिकॉर्ड करने के लिए, स्की स्तन को जाने के लिए , फिर उन वीडियो को देख कर मुथ मार्ता अपने कामरे में… ..
करीबन एक साल ऐसे ही गुजरे दोंनों के बीच। के अंदर ही और विहान जैसा खोखला होता जा रहा था, उसके दिल के के टुकडे हो चुके थे, उसे अपने दिल का हाल बयान करना था ही नहीं था, मुझे याद आया दोबार प्यार पैड गई उस गम को भुलाने के लिए जो उसको खुद उसकी आशिता ने दिया था….
कॉलेज में उसके निशान गिर गए और आशिता के बढ़ते गए; विहान को क्लासेस रिपीट करना पड़ा तो दोंन एक ही क्लास में पाए गए।
तब विहान से बरदाश्त नहीं हुआ जब दूनों एक ही क्लास में मिले क्यों तब तक आशिता की बेरुखी जिस विहान की दुश्मनी में तबदील हो चुकी थी... विहान से देखा नहीं जाता जब आशिता पुरुष सहपाठियों के साथ करता है, साथ लंच लेटी या बातें करते हैं ….. विहान के लिए सब बरदश्त के बहार होता जा रहा था, और उसे कॉलेज चोरने का फैसला किया, आगे स्टडीज को नहीं करना चाहता था, सब सिरफ आशिता से आशिता से एक ऐसा होता है। कुछ मलूम ही नहीं था या मलूम था मगर अंजान बन रही थी ….. इस के बारे में सोच विहान परशान था के जैसे आशिता उसको फेल होते देख शक्ति है, किसी उसे समझ में नहीं आता के ….. क्यों आशिता पर कोई फरक नहीं पर रहा के विहान की पढ़ाई इतना प्रभावित हुआ उसके लिए…….
आशिता के प्यार में जीता सकारात्मकता आया था विहान के जिंदगी में अब उसे लगने लगा के उस से ज़ियादा नकारात्मकता आने लगे द… ..
एक रात विहान बरह बजे घर वापस आया तो नशे में धुत था…। और आनाप शनाप बक रहा था, शोर करने लगा था और आशिता की बेवफाई का ज़िक्र कर रहा था…..
आशिता ने सुना तो मां बाप को पता नहीं चले इस लिए धीरे से उत्थान विहान को संभला और उसके कमरे में उसे सुलाने को लेगाई, और विहान ने उसे जकर लिया और कहा, "तू बेवफा निकल रे, मेरी बेवफा निकल रे, मेरी प्रेमिका ने कितना प्यार किया तुझे और बदले में किया मिला मुझे? खोकला कर दिया तेरे प्यार ने मुझे, क्यों प्यार कर बैठा मैं तुझसे री, किया है तुझ में जो मैं इस कदर आला आया तेरे प्यार में? हेन? तुही बता नहीं किया कर दिया तू ने मुझे रे मेरी आशु ?!"
आशिता ने कोई जवाब नहीं दिया, अब वो 18 से ऊपर की हो चुकी थी, बहोत ही हॉट और सेक्सी दिखने लगी थी, एक टिमटिमाती रात में थी बिना ब्रा के, उसकी जिस्म एक औरत की जिस्म थी, जब वो विहान को बिस्तर पर राही थी तो उसकी स्तन विहान के देखे से सत् रहा था, और विहान ने सर उठा कर उसके उल्लू को चुम्मा, और आशिता ने जिसे अनदेखा किया, जैसा उसे पता नहीं चला के विहान को उसे वहां किस किया, वो वहां था उस वक्त, और जाने से पहले आशिता ने विहान के गाल पर हल्के से किस किया और निकल गई उसके काम से …… विहान उस वक्त जरूरत में था, उसे नहीं पता चला के आशिता ने उसे किस किया…..
अब एक रात कुछ ऐसा हुआ…. रात के 3 बज चुके थे और विहान घर वापस नहीं आया था... आशिता दो बार उठा कर देखने गई और विहान को अपने काम में नहीं पाकर वो अपनी मां को उठने गई।
सब लाउंज में मिले तो सब बहुत के लिए के 3 बजे तक विहान क्यों नहीं आया था... बाप घर से बाहर निकला रास्ते पर देखने के लिए, मगर विहान का कोई पता नहीं था... आशिता बहोत फ़िकर करने लगी और अपने पापा को उसने साइबर कैफे में जाकर देखने को कहा…..
ठीक तबी एक पुलिस का जीब रुका घर के सामने, इंस्पेक्टर ने पुचा किया विहान यहां रहता है तो बाप ने हां कहा तो पुलिस ने कहा का उसका एक्सीडेंट हो गया वो इस वक्त हॉस्पिटल में भारती हुआ है…..
ये सुनकर आशिता ज़ोर से चिल्लायी और बहुत ज़ोर से रोते हुए और चिल्लाते हुए उसके मुं से ये बातें निकले,
"किया हो गया मेरे भाई को? मेरे विहान को किया हो गया? नहीं ऐसा नहीं हो सकता; पापा मुझे अभी उस से मिलना है, उस से बहुत कुछ कहना है, मम्मी अभी इसी वक्त चलो मुझे भाई से बहुत कुछ कहना है, मुझे उस से माफ़ी मांगनी है, मैं ने उस पर बहुत कुछ ज़ुल्म किया है, मैंने उस पर बहुत कुछ किया है, , मैं ने हमें बहुत दुख दिए हैं पापा मुझे जल्दी अस्पताल लेचलो मुझे अपने विहान से मिलना है अभी इसी वक्त!!!!!!”
अस्पताल जाते वक्त टैक्सी में आशिता बहल थी, बहुत ही रोटी जा रही थी। आशिता के दिमाघ में सब वो पल घुमने लगे जो उसने विहान के साथ गुजारे हैं, खास कर वे पल एक फिल्म की फ्लैश बैक की तरह उसके दिमाग में घूम रहे जिन्न दिनों दों कितने प्यार में डूबे पर रहते थे, बिस्तर दुबे पर चुंबन करते थे। को बाहों में भरे सोटे थे, और किस तरह विहान उसके जिस्म के हर कोने को चुम्ता चुस्ता था, किस तरह वो सब आशिता पास और कार्ति थी…. ये सब सोचते हुए आशिता और भी ज़िदा रो रही थी।
फिर उसे देखने के सामने वे द्रष्टि दिखने लगे के किस तार से उस्ने विहान पर सीताम धाये हैं, किस तरह से विहान उसको बाहों में भरने के लिए तदपता रहा, किस तरह से उसके साथ हमारे साथ जाने वाले हैं बेरुखी ने विहान को परशान और दुख दिया... सब कुछ आशिता सोच रही थी और अब सोचने लगी के कहीं अगर विहान मार गया तो उस से माफ़ी भी नहीं मांगेगा, अगर विहान चला गया तो वो भी कुछ मर जाएगा आशिता कार में हॉस्पिटल जाते वक्त।
हॉस्पिटल पहंच कर, जल्दी से वार्ड का नंबर लिया गया मगर उस वक्त और जाने की इजात नहीं थी किसी को, मगर आशिता दौड़े हमें वार्ड के तार जाने लगी और एक वार्डबॉय ने जोर से कहा,
“ऐ लड़की वो मर्द का वार्ड है अगर कोई नंगा सोया होगा तब गली अस्पताल वालों को दोगे तुम लोग; क्यों जा रही हो एक पुरुष वार्ड में इस वक्त रात को तुम?"
आशिता की मां ने उंची आवाज में आशिता को रोका मगर, वो अपनी मां की आवाज को अनसुनी करके बढ़ी गई वार्ड के तरफ और वहां जा भी पाहुंची।
अनिरुद्ध ने कहा,
"जाने दो कुम से उस से हमको पता तो चल जाएगा के विहान गंभीर है के नहीं, हम यही इंतजार करते हैं। सुभा के 4 बज चुके थे और कोई दिख ही नहीं रहा था, नर्स नहीं डॉक्टर नहीं कोई और, आशिता और दाखिल हुई तो देखा सेंक्रोन बेड हेन, कुछ बेड खाली है मगर ज़िदा टार बेड पर लोग सोया हुए थे, कुछ लोगों को की धिमी धिमी आवाज़ीं सुनाए दे रहे थे, हॉस्पिटल वाले वो बडभु जो नाक के नसों को और ज़ियादा खोल देता है उस भू से आशिता नावकिफ़ थी क्योंकि उसके दिमाघ में कुछ और चल रहा था….
आशिता एक एक करके सब बिस्तर के मरीज़ों को देखते हुए चल रही थी तेज़ दिल की धड़कन के साथ, थोड़ा हनफ्ते हुए, अपने इन्हें पोंछते हुए, और एक मरीज़ को बिस्तर पर बैठा हुआ पाया, जो एक बूढ़ा दिख रहा था उस से पुचा,
“अभी किसको इस वार्ड में भारती किया कुछ डर पहले? वो किस बेड पर है मुझे बताओ प्लीज वो मेरा भाई है”
टु उस बुद्ध ने अनगली से इशारा करते हुए दरवाजे आखिरी बिस्तर को देखा आशिता को फिर वो तेज कदमों से चलते हुए उधार गई तो देखा विहान के सर पर पट्टी बंधे हुए हैं और वो जिस जरूरत में है, उसके बाजू के नसुई में हैं गया है जिस से सीरम उसके नैस में कटरा कटरा करके जा रहा है….
आशिता लिपट गई विहान से, उसको बहों में भर लिया और उसके मन में चुंबन करने लगी रोटे हुए…। कोई भी देख नहीं पा रहे थे क्यों के वो लास्ट बेड था, एक कोने में था और आशिता ने सब से पीठ किया हुआ था, तो अगर कोई देखता भी तो सिरफ आशिता की पीठ दिख रही थी और सिरफ उस में मरीज को भरा था है ऐसा ही नज़र अरहा था….
से आशिता विहान के मुंह खोलने की कोशिश कर रही थी अपने जीब से, अपनी जीब डालने की कोशिश कर रही थी विहान के मुंह के अंदर, मगर विहान जिसे बहोश था और मैं नहीं, देखा वहां आशिता लगा, अपने बूब्स पर विहान के सर को दबया, और उस से बात करने लगी उसे जगाने के लिए,
"भाई, मेरे प्यारे भाई उठो ना, देखो मैं आई हूं तुम्हे देखने, तुम्हारी गर्लफ्रेंड आई है भाई, किया हुआ मेरे बॉयफ्रेंड को? मेरा बॉयफ्रेंड क्यों अब मुझसे बात नहीं कर रहा है, कुछ बोलो नहीं भाई, मुझे तुम्हारी आवाज सुन्ना है भाई कुछ तो बोलो मुझसे प्लीज भाई, देखो तुम्हारा चेहरा मेरे स्तन पर है, डबा हुआ है, मुझे गंध करना करना नहीं, गंध करने के लिए करो नहीं भाई, इस मौके का फैदा उठाओ भाई कोई हम में नहीं देख रहा, मुझे किस करो भाई, अपना मैं खोलो नहीं प्लीज भाई प्लीज भाई, उठो नहीं भाई !! मुझे अपने बहाने में भर लो ना भाई” और आशिता ज़ोरों से रोने लगी जब विहान ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दीया…
वार्ड के दसरे कोन में जहान से आशिता और दखिल हुई थी, नर्सों के एक ऑफिस होता है उसके अंदर एकत पुरुष नर्स सोया हुए और आशिता की रोने की आवाज सुनकर एक नर्स उठा और आशिता को देख कर जलदी से वो उसके लिए आवाज़ में कहा,
"कौन है? कौन है उधार? हेलो तुम किया कर रही हो इस वक्त पुरुष वार्ड में? ये मुलाकात के घंटे नहीं हैं चलो निकलो यहां से सुबह 6.30 को आना, उस वक्त आधे घंटे की विजिटिंग टाइम है और शाम को 4 से 5.30 तक विजिटिंग घंटे हैं अभी निकलो यहां से...।"
तब तक नर्स आशिता के पास आ पहुंचा था तो आशिता ने उस से पुचा,
"इस्को किया हुआ, ये क्यों कुछ नहीं बोल रहा है?"
उस पुरुष नर्स ने आशिता को आला से ऊपर तक देखते हुए पुचा,
"कौन है ये? आप की पति है किया? आप को देख कर लगता तो नहीं आप शादी शुदा हो? बॉयफ्रेंड है किआ ये ?!"
आशिता ने दिल में कहा, "हां मेरा बॉयफ्रेंड है, और जवाब दिया, ये मेरा भाई है आप बताइये नहीं किया हुआ इसे?"
नर्स: "गबरने की कोई बात नहीं, अभी सेडेटिव का इफेक्ट है इसे लिए समझेंगे नहीं, और एकत हदी टूटे ही, और सर में छोट आई है, कल पता चल जाएगा, अभी तो मैं दूर हूं तो मैं दूर हूं। बहार जाए डर घंटे बाद वापस आना।”
आशिता ने बिनात्ती किए के उसको विहान के पास रहने वाले समय तक। मगर नर्स ने आराम से समझौता के पुरुष वार्ड है इस लिए वो उसको इजाज़त नहीं दे सकता, अगर महिला वार्ड होता तो रह शक्ति थी, एक लड़की होकर किसी पुरुष वार्ड में वो नहीं रह सकती थी जो कि किसी को भी ये किसी पेशेंट को कपड़े पहनना ही माना था ऑपरेशन वघैरा की वजह से, उस हाल में कुछ भी दिख सकता है इस लिए आशिता को जबरन बहार किया गया...
अपने मम्मी पापा के पास आकार आशिता फिर रोने लगी उन दूनों को बताते हैं के विहान के हदियां टूटे हैं और शायद फ्रैक्चर हुआ है सर में बाद में इस्का कन्फर्मेशन किया जाएगा...। और बता दिया के 6.30 को विजिट कर सकते हैं उसे।
माँ ने कहा के वो वापस घर जाकर कुछ पक्का के लाएगी विहान के लिए और बाप ने कहा थाना जाकर पता लगाएगा के किया और कैसे हुआ। मगर आशिता ने कहा वो वही रहेगी और 6.30 को और जाएगी अपने भाई को देखने, उससे बात करने।
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अनिरुद्ध को पुलिस स्टेशन में पता चला के किसी कार ने ठोक दिया विहान को रास्ते में जब वो घर वापस जा रहा था, साइबर कैफे से निकल कर, और शायद वो नशे में था और रास्ता पार कर रहा था।
सुमन घर पांच कर जल्दी से कुछ खाने के बच्चों को तयार किया और वापस अस्पताल के लिए निकली।
उधार थिक 6.30 को आशिता वार्ड में घुस गई और विहान से दर्द भरी आवाज में बात की जा रही थी रोटे हुए। यहाँ का हाथ चुम रही, उसके गाल चुमती जा रही थी बार बार, उसके बगीचे को चुमा, और हल्के से चुसा, उसके होंटन को चुसा, और जीब उसके मुंह में डालने की लाख कोशिश जैसे एक दसरे से किस्सी चिज़ से जोड़ा गया था और खोलना नामुमकिन था….
आशिता ने चादर हट्टा कर देखा के विहान के घुंटों पर खून लगे हुए और उसके कमर और चाट पर भी खून थे, वो घबराई हुई थी वो सब देख कर, और विहान के कदमों को चुन लेने लगी, हमारे कदमों को , उसे सहलाया, फिर विहान के गाल पर अपना हाथ फेरा, उसे चुमा, अपने सर को उसके चाट पर रख कर उसके दिल के धड़कनों को सुना और कहा,
"ऐ मेरे भाई के दिल के धड़कनों मेरे भाई को बतादो, के मेरे दिल के धड़कनें उसके दिल के धड़कने को चाहते हैं, मेरे भाई को बोलो आंखें खोले और मुझसे बात करे, बोल्डो मैं उस से मैं हूं। के बिना अधूरी हूं, बोल्डो के मैं उस से माफ़ी मांग रही हूं, कहो के मुझसे वो बात करें, बोल्डो के मैं उसके बिना मर जाऊंगी, आई दिल के धड़कनों मेरा संदेश पहंचा दो मेरे भाई को प्लीज!"
और आशिता वहीं विहान की चाय पर सर रख कर रोटी गई। और उसके पीठ पर उसस्की मां ने हाथ थापथापते हुए उसको हटने को कहा, अब वो अपने बेटे से बात करना चाहती थी, और अनिरुद्ध खड़ा अपने पत्नी और बेटी को रोते हुए देख रहा था वहां बिस्तर के पास।
विजिटिंग टाइम खतम हुआ और कुछ समझ में नहीं आया किस्सी को। के परिवार लोग अपने घर के भर्ती सदस्यों को देखने आए थे, वार्ड भरा हुआ था अचानक। तो वार्ड से निकलते वक्त एक आदमी ने अनिरुद से पुचा के विहान को किया हुआ, और उस आदमी से बात करने के बाद अनिरुद्ध के समाज में आया के दिन के 10 बजे डॉक्टर वार्ड में आते ही अपने जाने अपने मरीजों को मिलेगा। के बिल्कुल किया हुआ है विहान को।
अंत में, अनिरुद्ध ने फैसला किया कि किया के वो बैंक में फोन करके बता दूंगा के देर से आएगा क्योंकि उसे अस्पताल जाना है, डॉक्टर से मिलना है, ये सुनकर आशिता ने कहा के वो भी कॉलेज नहीं जाएगी, और वो भी अपने पापा मिलने के साथ डॉक्टर से मिलेंगे जाएगी, उसे भी जाना था के आखिरी हुआ किया है विहान को। सब ने फैसला कर लिया के आज सब हॉस्पिटल जाएंगे डॉक्टर से मिलने।
घर पांच कर आशिता अपने काम में खुद को बंद करके और बहुत देर तक रोटी रही अपने सारे सीताम को याद करते हुए जो उसे विहान पर किए इतने दिनों तक। और खुद को कोसते हुए अपने आप को गलियां देने लगी थी। खुद बेहद प्यार करता था विहान से मगर पता नहीं क्यूं उस से दूर होने की कोशिश कर रही थी इतने दिनों से…..
मगर अब आशिता ने तय कर लिया के अब अपनी जान चिरकेगी अपने भाई पर और उस से बिलकूल भी दूर नहीं होगी, और रात को उसके पास वापस सोने जाएगी, बहुत मिस किया आशिताओं ने उन लोगों को तकरीबन दो साल दूर रही नहीं डर साल तक दूर राखी उसे विहान से, और अब उसके पास वापस जाने का वक्त आया था….
आशिता ने खुद से कहा,
"पापा ने सेक्स करने को तब माना किया था, मगर अब तो मैं 18 के ऊपर की हो गई हूं, और अब तो विहान भी मुझसे बड़ा है तो उसे और मुझे भी पता है कंट्रोल कैसे करना चाहिए के मैं गर्भवती नहीं हो गई हूं, मैटलैब अब विहान के साथ रह शक्ति हूं, ये अब विहान को भी अनाउंस करना होगा...।"
ये सब कहकर आशिता को एक सुख हासिल हुआ, उसके दिल के अंदर आराम, महसूस हुआ और सोचा के विहान कितना खुश होगा ये जान कर के अब मैं वापस उसके साथ सोने आउंगी, अपने आप से खुश हो जाएंगे "वूहू, यायाय्या !!!" और थोड़ा सा कमर मटकाते हुए खुशी से झूमने लगी…..
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