मेरी बहन मेरी जिंदगी Part 4

 


            मेरी बहन मेरी जिंदगी Part 4




  "मुझे खुद को पता दिम मुझे क्या हो गया है। आज सब से कुछ ज्यादा ही जैसा मेरा क्लाइमेक्स होने वाला था एक बांध से इमेज आ गई मेरे मन में .." अरुण दुसरी तारफ मुह क्रके बोला.. तब तक अरुण बिस्तर पर और  सुप्रिया सामने कुर्सी पर बैठा जाति है।


  "तो कौन थी वो? स्नेहा .." सुप्रिया ने बड़ी उत्सुक्त के साथ पुचा ..


  "सोनिया..." अरुण बहुत धीमे से बोलकर सुप्रिया की तरफ देखने लगता है...



  अद्यतन - 7





  "सोनिया..." अरुण बहुत धीमे से बोलकर सुप्रिया की तरफ देखने लगता है...


  अरुण का चेहरा ये कहते हैं बिलकुल गरम और लाल हो जाता है।


  "सोनिया? सच मे.."


  अरुण ऊपर की या देखता है तो सुप्रिया के चेहरे पर कन्फ्यूजन देखता है।


  "मैं कह रहा हूं इस्का नाम ले..मजा आएगा.."


  "क्यू सोनिया में क्या दीकत है..वह हॉट और सेक्सी है .." अरुण अपनी मन की आवाज़ को ना सुनकर सोनिया को बचाव करता है।  खुद विश्वास नहीं होता की वो सोनिया को बचाने को बचाव करने की कोसिस कर रहा है का प्रयोग करें।


  "मैं जनता था तेरा सोनिया के लिए ही खड़ा होता है.."


  "प्लीज तुम चुप रहो तुम्हारे करन ही ये हो रहा है" अरुण मन में सोचा है..


  "नहीं सोनिया में कोई समस्या नहीं है लेकिन मैंने सोचा अगर तुम किसी के नंगे मुझे सोचोगे तो फिर स्नेहा होगी। क्यूके उसके स्तन भी लगभाग परफेक्ट हैं या फिर आरोही ... वैसे भी तुम और आरोही कफी बंद हो .."  उसी तरह देखते हैं कहते हैं..


  "भाई मैं बटा रहा हूं तेरी दी पक्का लेस्बो हैं..देख इनकी भी नजर है स्नेहा दी के मम्मो पर..हाहा"


  "प्लज़" अरुण मन में सोचा है और सुप्रिया की या बहुत ही असमंजस स्व देखने लगता है।  अपने कानो पर याकेन ही नहीं होता की उसकी सुप्रिया दी जो इतनी सीधी और सरल दिखी है वो स्नेहा दी के स्तन भी नोटिस कृति होगी।


  "क्या ?? ऐसे क्या देख रहे हैं..अब मैं दैनिक इसी घर में तो रहती हूं तो एक दो चिज़ तो नोटिस कर रही हूं.." सुप्रिया अपनी सफाई पेश कृति है..


  "लेस्बो...लेसबो...लेसबो...तेरी दी लेस्बो...हुर्रे"


  इधर उसके यार में पार्टी सेलिब्रेशन चल रही है..


  "दी मैं हमेश ऐसा थोड़ा न करता हूं..बस पता नहीं कैसे आज ही ये पहली बार हुआ की सोनिया का ख्याल आया हो जहां में हस्तमैथुन करता हूं..." अरुण सुप्रिया की नजरों को बचाता हुआ कहता है।

  वो आरोही और आ सोनिया वाली बात अपने तक ही रखता है।


  "इसमे इतना परशान होने वाली कोई बात नहीं है भाई.. सबके मन में हस्तमैथुन करते समय अजीब से ख्याल आते हैं.."  पर अरुण उसकी नजरों से नजरें मिला ही नहीं पा रहा है..


  "अरुण.."


  "क्या दी..?"


  "तुम्हारा ये अभी तक खड़ा है कैसा है?  सुप्रिया बड़ी जिज्ञासा के साथ उसके लुंड की तराफ उनगली करने का उपयोग करें।


  अरुण इस बार सुप्रिया की आंखों की तरफ देखता है..


  "पता नहीं दी..ऐसा लगता है जैसे ये सामान्य होना ही नहीं चाहता..चाहे मैं कुछ भी कर लूं.." अरुण थोड़ा परेशन होके कहता है।


  "तुम हस्तमैथुन करने के लिए कुछ देख क्यू नहि लेटे लाइक पी..पोर्न वागैराह..?"  सुप्रिया अपनी नजरें बचाते हैं कहती है।  उसकी आंखें बार बार अरुण के चेहरे और लुंड के बिच ऊपर आला हो रही हैं..


  "ओह येस..तेरी दी तुझे सेक्स ज्ञान दे रह है..इसे कहते हैं दी.."


  "कोई फ़ायदा नहीं दी.."


  "कुछ कल्पना करने के लिए हाय क्र लो"


  "जैसी ही कुछ कल्पना क्रूंगा दोबारा सोनिया आ जाएगी दिमग मी.."


  "सोनिया ही क्यू ?? स्नेहा क्यों नहीं ?? और आरोही ... क्या बस सोनिया ही बसी पड़ी है मुझे ??"  वो हल्की मुस्कान के साथ पुछी है..


  "सोनिया...ओह मेरी सोनिया.."


  "ये मेरी जिंदगी का सबसे बेकर दिन है" अरुण अपने चेहरे पर अपने हाथों को रखता है कहता है।


  "ओह स्वीटु..मैं तो बस हेल्प करना चाहता हूं..."


  "ऐसा नहीं है की सिरफ सोनिया आती हो..तुम सब आती हो कभी न कभी मेरे दिमाग में..मैं इसे नियंत्रित नहीं कर सकता..पिछले कुछ सैलून से ऐसा ही हो रहा है.."


  "हम सब ?? इस्का matlab k..kya..."


  सुप्रिया थोडा सा शर्मते हुए बोले की कोसिस कृति है।


  इस बार अरुण के चेहरे पर बहुत हलकी सी मुस्कान आ जाती है जो वो जहीर में होने देता है.." हां दी आप भी.."


  सुप्रिया का चेहरा ये सुनाते ही लाल हो जाता है और वो अपनी नजरें चुराने लगती है..



  "हां दी आप भी.."


  सुप्रिया का चेहरा ये सुनाते ही लाल हो जाता है और वो अपनी नजरें चुराने लगती है..


  "और दी आजकल तो आप कुछ ज्यादा ही..."


  "एम..एमएम..मेन ??"


  कुछ सेकंड के लिए बिलकुल सन्नाटा चा जाता है।  अरुण और सुप्रिया की आंखें वक्त एक दसरे से मिलने की हिम्मत नहीं कर पा रही हैं।  सुप्रिया के गालों पर हलका गुलाबी रंग लगाना शुरू हो गया है।


  "मेन क्यू ??"  सुप्रिया हकलाकर पुछी है..


  "क्योंकि आपके पास कमाल की सेक्सी चिकन मलाइदार दूधू है..." इस्के बुरे अरुण के दिमाग में सेतियां बजती हैं..


  "मतलाब दी.." अरुण कुछ समझ नहीं पाता..


  "मतलब मैं क्यू ?? ना तो मैं सोनिया जितनी खूबसूरत हूं .. न मेरे स्नेहा जितने ब .. बूब्स परफेक्ट हैं .. न आरोही की तरह मेरी बॉडी सेक्सी है फिर मैं क्यों ??"  सुप्रिया थोडा धीमी आवाज़ में बोली..


  pongggg..... lesbo...


  "आरोही की सेक्सी बॉडी???"  अरुण बोला...


  "अब ये मत कहना की आरोही की बॉडी सेक्सी नहीं है.." सुप्रिया ने बिलकुल आम तौर पर बोला..


  "नहीं है..लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा की आप भी ऐसी सोची होगी.." अरुण को अब ऐसा लग रहा था जैसे वो अपनी सुप्रिया दी को तो बिलकुल जनता ही ना हो..


  "हां..उन लोगो में वो गुण हैं..लेकिन आप मुझे बिल्कुल सही लगती हो. क्यूट, परफेक्ट, ब्यूटीफुल, सुंदर.." अरुण ये लेते वक्त सीधे सुप्रिया की आंखें में देखता है..


  "तुम्हे सही में लगता है मैं खूबसूरत हूं?"


  "हां दी..जब आप खाना बनाना हो बिलकुल उसमे ध्यान केंद्रित करने के लिए तब मन करता है बस आपको ही देखता हूं। आप हम समय बिलकुल परफेक्ट डॉल की तरह लगती हो .."


  ये सुन के सुप्रिया के गालों की लाली और बढ़ गई..


  मम्म्मीई


  "तू पक्का मर पड़वेगा .." अरुण सोचा है ..

  "दी..सॉरी" अरुण अपना चेहरा आला झुकते हुए कहते हैं..


  "किसलिये अरुण? मास्टरबेशन के टाइम मेरे नंगे में सोचने के लिए?"


  "हां और हालत के लिए भी.." अरुण अपने लुंड की तरफ देखते हुए कहते हैं..


  बेटा चंदन पैडने वाली हैं..


  अब अरुण और सुप्रिया दोनो थोड़ा थोड़ा खुलके बातें करने लगे हैं..


  "श..डोंट बी सॉरी..मुझे तो ये कॉम्प्लिमेंट लगा की तुम मेरे नंगे में ऐसा सोचा हो..वैसे और क्या क्या सेक्सी लगता है मैं..मेरे नंगे मुझे?"  सुप्रिया एक मुस्कान के साथ पुछी है..


  "प्लज़ भाई...मम्मे बोल..बोल हो"


  "आपको क्या बात से कोई समस्या नहीं है, मैं आपके नंगे में सोचता हूं?"  अरुण को याकीन ही होता की उसे दी को इस बात से कोई समस्या ही नहीं है..


  "बेटा तू सन्यासी बन जा।"


  "नि अरुण..बताओ ना क्या सेक्सी लगता है मेरे नंगे मुझे?"


  "आ..आ..आपके स्तन। वे बिल्कुल सही दिखते हैं। और ऊपर से मुझे थोड़ा कम ऊंचाई की लड़की ज्यादा ही पसंद है। (सुप्रिया, स्नेहा और सोनिया टीनो की ऊंचाई अरुण से 6 7 इंच कम है। बस आरोही ही)  लगभाग उसके बराबर है लेकिन वो भी 2 3 इंच शॉर्ट हैबलकिन उसकी एथलेटिक बॉडी के करन ये पता नहीं चलता।) और मुझे आप खाना बनाते वक्त और जब आप सिब पर बारतन धोती हो तो बहुत अच्छा लगता है।  चेहरे पर भी हल्की सी मुस्कान आनी शुरू हो गई है..


  "बार्टन धोते वक्त ??"  सुप्रिया को समझ में नहीं आता की बार्टन धोते वक्त ऐसा क्या होता है..


  "बोल.. गंद मटकाती है.."


  "दी आप जब थोड़ा झुक के बार्टन धूल रह होती हो..तो बहुत ही प्यारी गुड़िया लगती हो जिसे दुनिया का ध्यान ही नहीं है..और वो आपके बी..बी. स्तन टीशर्ट और एप्रन के और सा हलका हलका में ऐसा होता है  लगता है जैसा आप ब्रा पहनना ही नहीं चाहती हो..आपका दरार और कभी कभी जब हलका सा देखा भी जाता है आपका तो वही सेक्सी लगती हो..कोई काम करता वक्त जब आप अपने उन लोगों से...  टीवी देखते टाइम जब आप अपने जोड़ी के अंगुठे को हिलाती रहती हो..आपकी मुस्कान आपकी आंखें सब कुछ" अरुण एक सांस में बोलता चला गया..


  "मेरे शेर की तारीफ करने का अच्छा तरीका"


  अरुण मान में ही आंख मरता है..

  इधर सोनिया का हलका सा मुह खुला हुआ है और चेहरा तो बिलकुल ही गुलाबी हो गया है..


  "स. सही में..एक बात पुचु अरुण?"  सुप्रिया उसकी आँखों में देखता हूँ बोलती है..


  "ज़रूर दी.."


  "क्या मेरे चुनेंगे और भैया..." इसके बुरे अरुण को आह आह की आवाज़ सुनाते हैं।


  "भाई प्लीज मान जा..मत कर" अरुण सोचा है..


  "तुम हस्तमैथुन करते वक्त क्या सोचते हो मेरे ब.. नंगे मुझे?"  ये पुछते वक्त सुप्रिया का चेहरा बिलकुल गरम पद जाता है..


  अरुण आगे की या झुक के अपनी चिन अपनी हाथ पे रखता है और ऐसा बैठा है जैसे किसी गहरी सोच में हो ..


  "दी..मुजे दिखी देता है की आप सिंक में डिश धो रहे हैं लेकिन आपके सिरफ एक सफेद एप्रन पहचान हुआ और कुछ नहीं..पानी से भीगकर आपका एप्रन हलका सा पारदर्शी हो गया है... और आपके नं।  रहे हैं। और साथ में आपके हिलने से आपके स्तन भी हिलते जा रहे हैं.. फिर आप पिचे पलटती हो और आप अपना एप्रन के और हाथ दाल के पानी को पोचने की फिर और फिर जैसे हो जिससे आपके निपल्स और हो गए  अनगली सेक्सी तारिके से अपने मुह में रख के चूसना कृति हुई मेरे पास आती हो.."


  ये बताते हैं अरुण का लुंड दोबारा अपने फुल साइज में आ जाता है..इधर सुप्रिया एक दम से गहरे सांस लेते हैं..और अरुण के आंखों और जमीन को बारी बारी देखने लगती है..


  "और ऐसे सोचने से तुम्हारा काम हो जाता है?" अब सुप्रिया लगभाग पूरी तारिके से ओपं हो चुकी है।


  "हां..ऐसा तो मैं केई बार सोचता हूं दिन में.."


  "काई बार..क्या मतलब तुम दिन में कितनी बार हस्तमैथुन करते हो...?"


  "5 से 6 बार.."


  "क्या ?? इतनी बार कैसे.." सुप्रिया को बल्ले पर याकेन ही होता है..


  "पटा नहीं क्यू दी..मेरे आदमी में हर वक्त सेक्स ही सेक्स रहता है..ऐसा लगता है जैसा मन ना हो कर सेक्स मशीन हो.. ऊपर से आप लोग मेरी हालत और खराब करते हो आपका काम.. स्नेहा दी के स्तन  ..सोनिया के वो सेक्सी ड्रेस और आरोही तो चिपकती ही रहती है.. मुझसे कंट्रोल ही नहीं होता.." अरुण अपनी प्रॉब्लम बटा है


  "वाह.. मुझे तो पता ही नहीं था की तुम पर हम लोगो का ऐसा प्रभाव पड़ा है.."


  "रियली दी..आप ये सब जान के नारज नहीं हो मुझसे ??"


  "बिलकुल नहीं...थोड़ी सी गल्ती हम लोगो की भी है..वैसे अब तुम राक्षस से कैसे छुटकारा पाओगे?"  सुप्रिया थोड़ा सा हंस के बोलती है..


  "पता नहीं दी..शायद अपने आप नॉर्मल हो जाए.."


  "तुम्हे पता है ना की तुम के..." सुप्रिया बहुत ज्यादा अटक के कुछ बोल रही होती है


  अरुण बड़ी ही अजीब नजरों से सुप्रिया की तरफ देखता है...


  "की..तुम कभी भी म..मेरी म..मदद ले स्कते हो?"  सुप्रिया एक बिना मुझमें बोल जाती है...


  "छुट मिल गई..यारा चूट मिल गई।"


  अरुण का मुह खुला का खुला रह जाता है..


  "दी..." अरुण थोडा तेजी से बोलता है..




  अरुण का मुह खुला का खुला रह जाता है..


  "दी..." अरुण थोडा तेजी से बोलता है..


  "चुटिये.. हां बोल"


  "क्या...मैं वैसे भी तुम्हारा हर तारिके से ख्याल रखती हूं। और तुम मेरे भाई हो और मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। और मुझे ऐसा लग रहा है जैसे तुम चीज से बहुत समस्या भी हो रही है। अब तुम्हारी दी तुम्हारी है।  समस्या हल करने में मदद नहीं करेगी तो कौन करेगा। और ऊपर से जब तुम मुझे बताओ की तुम दिन में 5 से 6 बार एम..हस्तमैथुन करने हो तब से मुझे एहसास हुआ कि तुम्हारे हार्मोन कुछ ज्यादा ही दौड़ रहे हैं .." सुप्रिया  ने ये बात बड़े कैजुअली कह दी जैसे कोई बुखार की दवा बना रहा हो।  और अपना एक हाथ कमर पर रख के खादी हो गई..


  "Klpd (खड़े लुंड पे धोका) मत कर... हां बोल"


  "दी... plz"


  "अरुण...मैं तो सिर्फ तुम्हारी मदद के लिए कह रही हूं। मैंने थोड़ी न कहा की मैं तुम्हारे साथ स.सेक्स करने दूंगा.." सुप्रिया ने अपने सांस रोक के कहा..


  "वह एक गर्म कुतिया है ..."


  "ओह गॉड,, प्लीज दी..." इन सब बातों से तो उसके लुंड महाराज और ज्यादा खड़े हुए जा रहे थे...


  "शांत रहो अरुण। दो गहरी सांस लो .." सुप्रिया ने हंस के कहा ..


  अरुण ने दो गहरी सांस ली।  एक बार सुप्रिया की या नज़र डालने पर उपयोग पता चल गया की वो ऐसे नहीं जाने वाली।  उसे अपने मुह को अपने हाथ से साफ किया और बोला ---


  "क्या करुं? बताओ..."


  "पकड़ और गिरा दे बिस्टर पे..."


  "आ.आ..अगर तुम चाहो तो तुम म..मुजे द..." सुप्रिया बहुत ही ज्यादा हकला के बोल रही थी।  और उसकी छटी ऊपर आला हो रही थी और चीहरी पर लाली चाही हुई थी..


  "बोलो दीइइ..." अरुण ने आंखों में देखते हुए जोर देके कहा..


  "मैं कह रही हूं की अगर तुम चाहो तो म.. मुझे देखते हुए म..हस्तमैथुन कर सकते हो .." इतना कह के सुप्रिया ने अपना चेहरा दसरी तरह मोड लिया..


  "ये है सक्सेस बॉस..."


  इधर अरुण का मुह खुला का खुला रह गया।

  "आ ... आ ... आप सही में मुझे देखने दोगे ..." अरुण का गला सुख जाता है आगे के दृश्य कल्पना करें ..


  "बेशक.. इतनी मदद तो मैं तुम्हारी क्र ही कृति हूं।"


  "ओके..." और उसके बुरे ठुक और निगल जाता है...


  "तुम बिस्तर पर जाने क्यों न जाते..." सुप्रिया थोडा कुर्सी हटके बिस्तर के सामने आते हुए बोलती है..


  वो फिर खिड़की और दरवाजे का ताला चेक करने के लिए दोबारा बिस्तर के नजर आती हैं।  अरुण के जोड़ी बिस्तर के नीचे लाते हैं।  और सर तकिया के ऊपर रखके उसे अपने ऊपर चादर दाल ली है और अपनी जींस और बॉक्सर आला क्रके अपना लुंड अपने हाथ में ले रखा है...


  सुप्रिया बेड के पास आके धीरे से अपनी टीशर्ट के किनारे को पक्का है।  है धीरे-धीरे उपयोग ऊपर उठाती है जैसे ही उसकी टीशर्ट उसकी कभी के ऊपर पूँछती है..अरुण का धीरे धीरे अपने लुंड पर ऊपर आला होना लगता है।  उसके सामने उसके बहन सुप्रिया दी की चिकनी, चमकी, गहरी कभी का नजरा आता है।  फिर और ऊपर फिर एक झटके के साथ उसके सामने दुनिया के दो सबसे खूबसूरत फल आते हैं।  और उसकी एक हल्की सी आह निकल जाती है।  सुप्रिया टीशर्ट को बिस्तर की दुसरी साइड फेक देता है.. और हलका सा अपने दूधों को हिलाती हुई अरुण की तरफ देखती है..

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   इधर अरुण उन खरबूजों की एक चीज को आंखों में भर लेना चाहता है।  बिलकुल गोल दूथ हिलते वक्त अपनी कयामत दा रहे हैं।  उनपर हल्के भूरे रंग के निप्पल हलका हलका ऐंथन के साथ टाइट होते जा रहे हैं (कमरे में हल्का भरपुर है)।


  "कैसी लागे???"  सुप्रिया अरुण की आँखों में देख कर हलका सा शर्मते हुए पुछी है...


  "भाई पकाड़...पकड़"


  अरुण एक बार फिर उन सुंदरतों की तरफ नजर डालता है।  इस्तेमाल धीरे धीरे महसूस होता है की सुप्रिया भी गरम होती जा रही है जिसके करन उसके छोटे छोटे निपल्स कड़क होते हैं... सुप्रिया अपनी नजरें नीचे कर देती हैं..


  अरुण दोबारा थूक निगलता है..

  "दी...वे हैं...." समय का उपयोग करना मुश्किल पड़ रहा है "बिल्कुल सही, बहुत सुंदर..."


  सुप्रिया हलकी सी स्माइल के साथ अरुण को देखता है और कहती है "इतने भी अच्छे नहीं हैं..मस्कार करने की जरूरत नहीं है .."


  "चुट मरने की जरूरत है..."


  "नहीं दी..वे वास्तव में अच्छे हैं। बिल्कुल सही, गोल, छोटा। आप सही में गर्म हो ..." अरुण भी मस्कुराते हुए जवाब देता है।  उसका हाथ अभी भी अपने लुंड पर ऊपर आला हो रहा है..


  "टी..तुम चाहो तो छ...छ...चू के देख सकते हैं..." क्या बार सुप्रिया के कान भी लाल लगाने लगते हैं..


  हवा में एक यौन तनाव बढ़ जाती है ... शुद्ध कामरे में सिरफ सुप्रिया और अरुण की सांसों की आवाज और साथ में उसके हाथों के ऊपर आला होने की आवाज सुनी जा स्कती है ..


  "सच में दी..." अरुण बहुत ही ज्यादा खुश होते हैं पुछता है...


  "हां... अगर तुम चाहो तो?"  ये कहते हैं सुप्रिया बिस्तर के बिलकुल नज़र में जाति है..


  अरुण उठता है और सुप्रिया की कमर में दोनो हाथ दाल के इस्तेमाल अपनी बॉडी के पास खेंचता है।  सुप्रिया के बिलकुल पास आते ही इस्तेमाल एक बहुत ही माधोश करने वाली खुशबू आने लगती है.. उसकी नजरें सुप्रिया के शर्म से मस्कुरेट चेहरे से उसके दूधों की तराफ जाति है...जो बुला रहे हैं...


  वो हल्की सी फोन सुप्रिया के गले से लेकर दूध के बीच की जगह पर मरता है...सुप्रिया की हल्की सी आह निकल जाती है..और उसके निप्पल और ज्यादा तन जाते हैं..  ..अरुण के मुह में पानी आ जाता है..उसके हाथ सुप्रिया की पीठ सहला रहे हैं।  अपने हाथों पर अपनी दी की चिकन, मुलायम त्वचा बहुत ही ज्यादा उत्तेजित कर रही होती है का प्रयोग करें।


  वो हलका सा झटका देके इस्तेमाल करें अपनी एक जंग पर बैठाता है और उसकी आंखें में देखते हुए पुछता है "कोई समस्या तो हो ही नहीं दी..."


  सुप्रिया में बोले की तकत नहीं बची है।  वो बस अपना सर इधर उधार हिला देती है..अरुण उसके होठों की तरफ देखता है।  बिलकुल गुलाबी और रस से भरपुर...फिर वो अपना लेफ्ट हाथ लगे लगे एक उनगली गले से लेकर दूधों के बिच में सुप्रिया के सांसों के साथ धीरे-धीरे लेकर जाते हैं...उसके खराब बाएं हल्के से उनगली पर गोल  गोल घुमते हुए जैसे ही निप्पल पे उसकी उंगली पड़ी है।  दोनो की आहें एक साथ मिल्कर घुल जाती हैं।  सुप्रिया और अरुण दोनो एक दसरे की गरम और माधोशी भारी सासें अपने अपने चेहरे पर महसूस कर रहे हैं.. जैसे ही निप्पल पर उनगली पड़ी है..  .ये पहला मिलन उन दोनो के रोमांस को और बड़ा देता है..अरुण के होंथों पर जैसे ही सुप्रिया के टैपे होता है का भाव होता है वो हल्के से अपने होने खोल देता है और सुप्रिया के ऊपर वाले होते हैं।  प्रयोग बहुत ही मीठी मीठी खुशबू आ रही है..उसका एक हाथ सुप्रिया के बालो में दसरा निप्पल के साथ हलकी छेदकनी कर रहा है।  सुप्रिया से भी रहा नहीं जाता वो एक हाथ अरुण के गले में डालती है और दसरे इस्तेमाल उसके बालो में फिरने लगती है..


  अरुण ऊपर होंथ के बाद नीचे वाले का रास्पन करने लगता है..थोड़ी डेर खराब वो अपनी जिभ सुप्रिया के मुह में डालने की कोसिस करता है तो सुप्रिया मन ही कृति और अपने होता खोल देता है।  लगती है।  सुप्रिया से भी रहा नहीं जाता और वो भी अपनी जीवन अरुण के होने से और डालने लगती है।  दोनो ऐसे चुंबन कर रहे हैं जैसे एक दसरे को खा जाएंगे।  वो किस तब तक चलता रहता है जब तक दोनो को सांस लेना मुश्किल नहीं होता..


  2 मिनट बाद दोनो के होठ एक दसरे से अलग हुए तो दोनो के बीच में एक धागा बन जाता है लार का..अरुण जैसे ही सांस भारत है तूरंत ही अपना मुह नीचे ले जाता है और निप्पल को मैं रखके एक जोर की  है..


  "आह.हा.हा" सुप्रिया के मुह से मधोशी भारी आह निकल जाती है..और वो अपनी छती और ज्यादा अरुण के मुह में फोर्स करते हुए अपनी पीठ को घुमाती है...उसकी जिंदगी भी अपने होने पर फिरती रहती है  .


  अरुण अपनी सुप्रिया दी को अपनी बहन में भरे भरे दोनो निपल्स बारी बारी चूस रहा होता है।  ये उसकी जिंदगी के पहले दूध से बात से वो और ज्यादा उत्साहित हो रहा था..उसी बहनो में सुप्रिया ऐसी समय हुई है जैसे कोई बच्चा अपने मान की भगवान में समाय सुप्रिया ए।  होता है..


  अरुण 10 मिनट तक सिरफ एक निप्पल से दसरे निप्पल पर ही लगा हुआ होता है..सुप्रिया के मुह से आह उह की आवाज निकल रही होती है..


  "निप्पल के अलावा भी दुसरी जगा चुंबन करने पर भी मुझे अच्छा लगेगा..वैसे मुझे कोई समस्या नहीं है निप्पल किस करने से.." सुप्रिया बहुत ही माधोशी भरी आवाज में अरुण के कान को मुह से चाटना है...  हाय उसकी एक तेज आह निकल जाती है.. जैसे ही अरुण एक निप्पल को दोबारा चूस्ता है और हलका से इस्तेमाल दंतों से काट लेता है जिसके करन सुप्रिया का निप्पल और ज्यादा फुल जाता है..


  "अब किसका इंतजार है छुटिये...गिरा और मार ले छुट... गाड़ दे लुंडे ओह सॉरी झंडे"


  अरुण udhar ध्यान ने देकर अपने मुह से निप्पल निकल कर दोबारा इस्तेमाल करें अपनी जीब बहार निकलकर हिलाता है।  फिर अपना ध्यान दूधों के बिच की जग पर दलता है जहान पर हलकी सी नामी आ गई है और अपनी जिंदगी से उपयोग करते हैं लगता है।  वो दो दुधों को चैट कर गिला कर देता है और आस पास के एरिया को भी..


  अब वो धीरे-धीरे उसके बगीचे की तरफ बढ़ते हुए सुप्रिया की एक इंच त्वचा को किस करते करते और साथ में चाटते भी चलते चलते है।  वो उसे चिन को मुह में भर के लेटा है..और एक हाथ से सुप्रिया के निप्पल को खिंच कर मारोद देता है..बस सुप्रिया के मुह से "ओह अरुणन्न..." निकलता है और वो और ज्यादा उसमे घुसने की कोसिस  कृति है और माधोसी में अपना हाथ अरुण के लुंड की तरफ ले जाती है.. जैसे ही उसका हाथ अरुण के लुंड से होता है वैसा ही अरुण का लुंड एक तेज झटका मरता है और अरुण एक आह के साथ कासके बच्चों को  वे अपने तार झूकता है और अपनी जीब सुप्रिया के खुले में मैं दलकर चुनने लगता है..एक तार उसे जीभ सुप्रिया के मुह में अपना कमल दिख रहा है।  मुह से गीला करता है फिर सुप्रिया के निप्पल पर फिरा कर अपने मुह में दाल के चुनने लगता है फिर साइड से सुप्रिया के मुह में डालता है...  पक्का लेता है और इस्तेमाल चादर के ऊपर से भी उसमे से आग निकलते हैं महसूस होती है..


  सुप्रिया और ज्यादा अरुण के करीब आती है और अपनी छुट को अरुण के लुंड के करीब चुनने की कोसिस करने लगती है..एक हाथ से वो उसके लुंड को ऊपर नीचे कर रही है।  रागद रही है..उसने नीचे पैंटी और उसके ऊपर बहुत ही पतले कपड़े वाला लोअर पहनना हुआ है..इतना ज्यादा ढकके के करन दो बिस्तर पर गिर पदते हैं अरुण नीचे है सुप्रिया उसके ऊपर चढ़ के उसके लुंड पर है।  अरुण के दो हाथ सुप्रिया के बालो में उल्झे हुए हैं और दो बहुत ही आवाज के साथ एक दसरे का रस कर रहे हैं.. कामरे में सिरफ स्लर्प..आह..उह की आवाजें ही सुन रहे हैं।


  सुप्रिया एक हाथ से चादर हटा देती है और अरुण के नंगे लुंड पर अपनी गीली छुट रागदने लगती है।  लोअर के ऊपर से गिलापन साफ ​​देखा जा सकता है..थोड़ी डेर में दोनो किस तोते हैं और सुप्रिया के मुह से आह और उह और तेज हो जाता है..


  "ओह..ओह्ह्ह..आह...उह..हे भगवान...अरुणन्नन..." और अरुण के नाम के साथ का इस्तेमाल होता है वो इतनी ज्यादा गरम हो गई थी उसका भी चुनने वाला ही है..


  "ओह गॉड...दी यू आर सो हॉट... दी...दी...इम कमिंगगग्ग..." और ये कहते हैं अरुण का छुट जाता है.. जैसे ही सुप्रिया को अरुण का वीर्य अपने बूब्स  पेट पर महसूस होता है उसका भी ओगाज़्म हो जाता है दो इतने कास के दसरे को चुनने लगते हैं।  दोनो एक दसरे के हिस्से को एक दसरे के अंदर समा लेना चाहते हैं..


  सुप्रिया की उनगलियों में अरुण का शुक्राणु लग जाता है और अरुण बिना जाने ही ढकके मारने लगता है जैसे की छुट के नीचे लुंड को ले जाना चाहता हो.."ओह अरुण...


  निकलो..निकल दो अपने माल को अपनी दी के ऊपर...आह..उह्ह्ह...फड़ दो अपनी दी की छुट को अपने जमीन से..."


  सुप्रिया अपनी उत्पन्ना में पता नहीं क्या बोले चली जाती है..


  अरुण अपना सर पिचिया में दाल देता है..उसके सर में हलके हल्के विश्फोट होने लगते हैं और उसका विर्या बहार सुप्रियां के हाथ पेट और बूब्स को धक देता है..


  सुप्रिया भी निधल होकर अपना सर उसकी छत पर रख के धर हो जाती है। दोनो की सांसें बड़ी तेजी के साथ ऊपर आला हो रही है... अपनी सासों पे कबू करने के खराब अरुण सुप्रिया के यहां पर है।  और हमें अपने ऊपर खींच के पहले उसके होंठ पे एक छोटी सी किस करना है फिर उसके सर को चुमता है। सुप्रिया भी उसके सर और गाल को चुमती है और दोबारा उसके ऊपर जाने दें


  थोड़ी देर खराब सुप्रिया उठाती है उसके गैलन को छुटी है।  अरुण अपनी आंखें खोलता है तो सामने सुप्रिया का मुस्काना हुआ चेहरा पता है..


  "हाय.." अरुण कहता है..


  "मुझे तुम्हें कुछ बताना है.." सुप्रिया मस्कुराते हुए कहते हैं..


  "आप प्रेग्नेंट हैं.." ये कहते हैं अरुण एक बड़ी सी स्माइल देता है..


  सुप्रिया जल्दबाजी में उसके माथे पर मरती है और कहती है "नो यू इडियट..थोडा सीरियस होके सुनो ... वो बहुत हॉट था..मुझे बहुत अच्छा लगा..मैंने लाइफ में पहली बार इतनी अच्छे तारिक से ऑर्गेज्म का आनंद लिया है  ... और तुमने तारिके से किस करना कहा सेखा... यह एकदम सही और बहुत कामुक था .."


  "मुझे भी नहीं पता दी कहां सी आपके साथ बस हो गया... आप बहुत हॉट हैं... अब आए से पोर्न देख के तो मेरा कुछ नहीं होने वाला.." अरुण हल्की हंसी के साथ कहता है..


  उसके यार मुझे पार्टी चल रही थी..


  "अरुण सुनो..चाहे कुछ भी हो जाए तुम मेरे भाई हो और मैं तुमसे प्यार करता हूं..मुझे नहीं लगता की अभी जो कुछ हमारे बीच हुआ वो गलत था.. मुझे इसे कोई समस्या नहीं है लेकिन अगर तुम कोई समस्या है तो हम आज  के बाद कभी में कोई बात नहीं करेंगे.."


  "उसे भाड़ में जाओ"


  सुप्रिया अपने आप को साइड में कर के एक हाथ उसकी छत पर रख देती है..


  "मुझसे तो नहीं लगता मैं कभी ये दिन भूल पाऊंगा .." अरुण बहुत ही बड़ी मुस्कान के साथ बोलता है ..


  "देखो अरुण मैंने बचपन से तुम्हारा ख्याल रखा है... तुम्हारी हर समस्या में मैंने तुम्हारी मदद की और मुझे उसमे कोई समस्या भी नहीं हुई..तो आज भी मुझे खुशी हुई जब मैंने अपने छोटे भाई की समस्या का समाधान किया मैंने अपने छोटे भाई की समस्या को हल किया  की..मुजे खुशी है की हमारे बीच ये हुआ..'' सुप्रिया उसके देखे को सहलाते हुई बोली.


  "दी..मैं भी कभी महसूस नहीं क्रूंगा की ये गलत था... मैं सही में आपसे बहुत प्यार करता हूं..और इसके लिए धन्यवाद..और मेरे पहले होने के लिए धन्यवाद.."


  "प्रथम?"  सुप्रिया कंफ्यूज हो जाती है..


  "माई फर्स्ट हैंड जॉब दी..." अरुण स्माइल के साथ कहता है और सुप्रिया के गैलन को सेहलता रहता है..


  "आप ठिक हो..?"  सुप्रिया पुछी है


  "हाँ..बहुत बढ़िया"


  "अगर दोबारा कोई समस्या हो तो तुम्हें पता ही मैं कह मिलुंगी.." सुप्रिया इस्तेमाल आंख मरते हुए बोलती है.. और बिस्तर से उठती है.. "अब मुझे जल्द ही चले जाना चाहिए अभी खाना वैसा ही  भी नहीं बनाया है... और सोनिया को कुछ शक हो गया तो तुम्हारा तो जीना मुश्किल हो जाएगा... हां ये अलग बात है अगर तुम उसे अपना ये हाथियार देखा दो कुछ और हुए मिल जाएंगे.." सुप्रिया अपने बच्चों को  कहते हैं और आंख मार के कहत है..


  "दी... वह मेरी बहन है"


  "और मैं क्या हूं...?"  सुप्रिया उसे पिलो मार्ते हुए कहते हैं..


  "मैं हमें समझ सकता हूं कि नहीं कह रहा था ..." अरुण फिर एक चुंबन कृता है सुप्रिया को और उसका माथा चुम लेता है ..


  सुप्रिया जैसे ही उसके कमरे के दरवाजे तक पूँछती है अरुण बोलता है..


  "दी... मैंने जब कहा था की आप बहुत ही खूबसूरत हो और मैं तुमसे प्यार करता हूं... मेरा सच में मतलब है..." सुप्रिया उसकी या फ्लाइंग किस करके चली जाती है..और अरुण सपनों की दुनिया में जाने की तय्यारी  करने लगता है..


  और धीरे धीरे नींद की अघोष में चला जाता है..इस बार ना कोई जोकर..ना कोई दुर्घटना बस सुहानी नींद...



  अरुण सपनों की दुनिया में जाने की तयारी करने लगता है..


  और धीरे धीरे नींद की अघोष में चला जाता है..इस बार ना कोई जोकर..ना कोई दुर्घटना बस सुहानी नींद...


  इसके बाद अरुण 3 4 घंटे तक आराम से सोता रहा।  इतनी अच्छी और गहरी नींद थी की जब सुप्रिया लंच के लिए बुलाने आई तब भी उठा उठा।  तो सुप्रिया ने सोने दिया लेकिन उसके ऊपर छतर उठा के चली गई और उसके माथे को चुमा का इस्तेमाल किया।


  अरुण अपने सपनों की दुनिया में खोया हुआ था।  उसके सपने में उसके पीछे स्तन और चोतों की फौज उसके पीछे पड़ी थी और वो बेटाशा भागा जा रहा है।  और वो पिच से उपयोग भी दे रहे हैं..


  "अरुण"


  "अरुण"


  "अरुण" आरोही ने अखिर तांग आकार उसके हाथ पे तेजी से मार्टे हुए उपयोग उठने की कोसिस की...


  "मैं कसम खा के कहता हूं मैंने सिर किस किया था..." अरुण बहुत तेजी से उठ के बोलता है....उसका चेहरा आने से भीग जाता है।  पहले कुछ समझ में नहीं आता लेकिन जब उसके कानूनों में बहुत ही तेज हंसने की आवाज और बस्टर हिलने का भाव होता है तो वो अपनी आंखों को माल के चारोन या देखता है की आरोही अपना अपना पेट पक्का करता है।


  अगले 2 3 मिनट तक काम में केवल आरोही के हसने की ही आ रही थी..अखिर में उसे हते हुए कहा.."वह वाकई मजेदार था..."


  इधर अरुण के मन में भी हांसी ही हांसी की आवाजें आ रही थी..


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