मेरी बहन मेरी जिंदगी Part 3

 



                 मेरी बहन मेरी जिंदगी Part 3



अरुण सोचा है की इसे अभी तक मुझे देखना चाहिए शुरू क्यों नहीं किया..ओह माय गॉड.. यही थी सुबा।  अब से मैं गया।  अब से पक्का अस्पताल में दिखूंगा...


 "दूध पर हाथ मार और तेजी से भाग। तुझे कभी पक्का नहीं मिलेगा।"  उसके मन ने अपना आइडिया दीया।


 सोनिया आला आकार सिद्ध किचन में चली जाती है और अपने लिए मिल्कशेक लेने लगी है।  "थोड़ा आरोही के लिए भी बचाना," सुप्रिया पराठे बनते हुए उससे कहते हैं।  सोनिया बहुत हाय एटीट्यूड में सुप्रिया की या देखती है लेकिन थोड़ा मिल्कशेक छोड भी देता है।


 फ़िर अपना ग्लास लेकर हॉल में जाते समय अरुण के सर पर मर के भागते हुए कहते हैं, "ऐसे ही रोज़ इतने परठे खोगे तो ढोल बनाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।"


 "आज मेरा दिमाग मत ठीक कर।"


 "नहीं तो क्या कर लोगे.."


 "नि तो पक्का आज नानी याद दुला दूंगा तुझे.."अरुण ने पिचे मुदकर इस्तेमाल देखते हुए कहा।  और उसकी नजर वही टिक गई।  सोनिया उसके उलटे तारफ मुह करके मिल्कशेक पी रही है।  उसकी नज़रें अपने आप ही उसकी बॉडी को तराशने लगी और जैसे ही उसके हिप्स पर पाहुंची तो बस देखता ही रह गया।  बिल्कुल गोल, मुलायम, सुदौल।


 अरुण ने किसी तरह से अपनी नजरें दोबारा अपनी प्लेट पर वापसी कर और खाने पर ध्यान देने लगा।  लेकिन थोड़ी देर में दोबारा उसकी नजरें वापस सोनिया पर टिक गई।  तब तक वो अपना मिल्कशेक खतम कर चुकी थी और मिल्खेड़े की एक दो बुंदे उसके मुह और बगीचे से होते हुए उसके क्लीवेज तक जा रही थी।  उसकी त्वचा बिलकुल ही चिकनी और मुलायम लग रही थी।  अरुण ने सोचा की लोशन के एक बोतल तो दैनिक खतम ही हो जाति होगी।


 "क्या बोली अरुंधति..?"  सोनिया ने बनावती आवाज में बड़े प्यार में पुचा।

 {अरुंधति उपनाम अरुण का केवल सोनिया द्वारा दिया गया।}


 "कोई लड़ाइ नहीं।"  तूरंत ही सुप्रिया की आवाज़ और से आई।


 अरुण ने जब आरोही की तरफ देखा तो तुरंत ही आरोही ने अपनी नजर टीवी की या कर दी।  वो जनबुझकर का इस्तेमाल इग्नोर कर रही थी।  तब जेक अरुण को एहसास हुआ आरोही ही थी।  और वो सोचने लगा पक्का 2 दिन के अंदर आरोही की हर बात मनानी मिलेगी।


 "तो आज का क्या प्लान है..?"  सुप्रिया ने बरतन सिंक मी डाल्ते हुए पुचा।


 "मैं तो पूल की सफाई करने वाला हूं। गरमियां बस आने ही वाली हैं।"  अरुण ने अपने बरतन सिंक में रखते हुए जवाब दिया।  उसे सोचा की अपने में सुधार करें हार्मोन को कंट्रोल करने के लिए पूल साफ करने की मेहंदी से बढ़कर कोई काम नहीं।


 "मैं तो आज एक पार्टी में जाने वाली हूं..रॉयल क्लब में..सोच रही हूं एक दो अच्छे दोस्त ही मिलेंगे वहां.." सोनिया ने अंगदयी लेटे हुए कहा।


 इस बात को सुन कर अरुण को हल्की सी हांसी आ गई।


 "क्या जोकर बनो.."


 "हां..चमेलीबाई.."


 इस बल्ले को कहकर जैसे ही अरुण उसकी तराफ पलटता ही नमक की डिब्बा उसके देखे पे धम्म से पड़ी।  सोनिया के चमेलीबाई कहे जाने से बहुत नफ़रत थी।  बचपन में वो चमेली फिल्म को देखो कफी डांस किया कृति थी तबसे अरुण ने उसे ये बच्चा बना दी थी।


 "काम से मेरा एक बॉयफ्रेंड तो है..तेरी तरह अपने रूम में ब्लू फिल्म्स तो छुपा कर नहीं रख रही हूं.." सोनिया ने चिखते हुए पलटवार किया।


 "मुजरा धंग से करना चमेली बाई .." अरुण ये कहकर सिद्धियों की ट्रैफ जाने लगा।


 "जाओ जाओ हिलाओ जेक अरुंधति.." सोनिया ने जैसे ही ये कहा आरोही के मुह से मिल्कशेक निकल गया और दूर पर गिर गया।  और वो बहुत तेजी से खाने लगी जिससे टेबल का सहारा लेना पड़ा का इस्तेमाल करें।

 हरकत को देख अरुण का चेहरा पूरा लाल पड़ गया।


 इधर स्नेह और सुप्रिया भी बहुत तेजी से हसने लगी।


 "बस अब और नहीं..,"सुप्रिया अपनी हांसी को दबते हुए बोली लेकिन और तेजी से आने लगी।


 लेकिन तब तक सोनिया ने दोबारा युद्ध किया, "तुम मेरे साथ आज रत क्यू न चलते शायद किसी लड़की को तुम पसंद आ जाओ अरुणिया बेगम।"  उसे लड़के सब पर ज्यादा जोर देते हुए कहा।  बस इतना बोलना था की अरुण अपने रूम में चला गया।  पर साड़ी लड़कियों बहुत तेजी से हस्ती रही।  स्नेहा ने तो अपना सर टेबल पर रख दिया और उसके कांधे हिलते रहे जब तक उसके पेट में दर्द नहीं होने लगा।


 "ऐ..इतना भी उससे मत सत्या कर..." सुप्रिया अपनी हसी को कंट्रोल करते हुए बोली।


 "कुटिया कही की.."


 अरुण ने बार यूज़ नहीं टोका है।  वो सही मैंने में कुटिया ही थी।  अरुण कोस्टे ह्यू पुरानी टीशर्ट पहनने लगा का इस्तेमाल करते हैं।


 अरुण बिना किचन की या देखे पिचे के दरवाजे से बहार जाने लगा।  हसी तो सुनई दे रही थी पर गपशप की आवाज खूब आ रही थी का इस्तेमाल करें।  आखिर ये लोग इतनी बातें करते हैं कैसे लेते हैं।  उसे अगर 5 दिन भी बिना कुछ बोले रहने के लिए कहा जाए तब भी रह लेगा।  पर यहां तो ऐसा लगता जैसा हर वक्त रेडियो ऑन ही रहता हो।


 अरुण के दिमाग में शुभ के आने लगे।  सपना, फ़िर आरोही, फ़िर शावर।  मल।  अखिर सोनिया ही क्यू आई उसके दिमाग।  जहां देखो वह अपनी टंगे ले के चली आएगी।  मराये जेक कही या.


 "तू क्यू न मार लेटा।"


 "तुम तो चुप ही रहो.. तुम्हारे करन ही सबह वो बावल हुआ.." वो अपने मन को कोस्टा हुआ बहार आ गया।  कभी कभी इस्तेमाल लगता था शायद ये किशोरी होने का साइड इफेक्ट है।  एक तो छोटी सी उमर में ही उसके मम्मी पापा गुजर गए।  तो इसे करना वो लोगो से थोड़ा काटा रहने लगा।  11वीं तक तो किसी लड़की से बात तक नहीं कृत था (स्कूल मैं)।  ऐसा नहीं था की इस्तेमाल लड़की अच्छी नहीं लगती थी पर फिर भी छोटी उमर में किसी परिवार के सदस्य की मौत आपको कफी में बदल स्कती है।  वो अपनी साड़ी एनर्जी फुटबॉल में लगा देता था।  स्कूल के शीर्ष फुटबॉल खिलाड़ी मुझे उसका नाम आता था।  पर कॉलेज में आने पर उसे फुटबॉल को छोड़ ही दिया।  उसका बिलकुल मान हाय टोपी गया उस खेल से।


 वो धीरे धीरे पूल के किनारे से पटे वगैरह हटते अपनी पुरानी लाइफ के नंगे मुझे सोचने लगा।  उसकी भी एक गर्लफ्रेंड थी 12वीं में।  वो कफी भगवान से डरने वाली टाइप की थी तो कभी किसिंग और हल्की फुलकी टचिंग से आगे नहीं बढ़े दो।  एक तारिके से सिंपल लव अफेयर था दोनो में।  12वीं के बाद दो अलग हो गए।  वो याही मुंबई में एक कॉलेज में पढ़ने लगा और वो विदेश चली गई पढने।


 इधर अरुण पूल के अंदर उतर के सफाई करने लगता है।  धूप भी तेज होने लगी है तो वो टीशर्ट उतर देता है और गॉगल्स पहनने देता है।  तब तक लेडीज फौज आ जाती है बैकयार्ड मी।  पूल के किनारे और घर की बाउंड्री के पास थोडे बड़े पेड़ है जिन्के आला सोनिया और स्नेह चादर बिचा के बैठे जाते हैं।  पिचे से आरोही और सुप्रिया आती हैं।  सुप्रिया के हाथ में एक जग है पानी का।  सुप्रिया हमेशा से ही अरुण के लग भाग हर जरुरत का ध्यान रखती थी तो अरुण को पानी पिला के अंदर चली जाती है।  इधर अरुण पानी पाई के पिच देखता है तो देखता ही रहता है। सोनिया स्ट्रेचिंग कर रही होती है।  उसे स्पोर्ट्स ब्रा तो वही पेहनी हुई पर पंत की जग शॉर्ट्स पहनने लिए हैं। और जब वो उसके उलटी या देखती हुई दोनो हाथो और घुटनो पर आगे की या स्ट्रेचिंग कृति है तो अरुण के गले में पानी तो अटक के है रे।  वो अपने आप को गॉगल्स पहनने के लिए शबाशी देता है।


 "एक रोटी...एक रोटी...मजा आ जाएगा..देख तो कितनी गदराई है.." आवाज का अपना राग चालू है।


 स्नेहा तो अपनी किताब में खोई हुई है।


 लेकिन 2 नजरें बड़े ध्यान से अरुण की या देख रही होती हैं।  ये नज़रें हैं आरोही की जो अपने नखुन काट रही है चुपके से अरुण को सोनिया की गंद की तरफ देखते हुए देख रही है।  उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है।  उसे नजर जब अरुण की आंखों से आला उसकी बॉडी पर पड़ती है तो उसे भी आज पहली बार कुछ अजीब लगता है।  ऐसा नहीं है अरुण की बॉडी बहुत ही भारी भरकम किसी बॉडी बिल्डर की तरह हो।  उसकी बॉडी सिंपल है जैसे सुशांत सिंह राजपूत की काई पो चे में थी वैसी।  हलके से पैक।  सिंपल क्लीन परफेक्ट।  ऐसा भी नहीं है की आरोही ने पहले कभी अरुण को ऐसा देखा नहीं है।  पर आज सुबह की घटना ने उसके नजरिए को बदल दिया था।  वो एक तारिके से अरुण की बॉडी से अट्रैक्ट होने लगी थी।


 उधार सोनिया की तरफ देखते देखते अरूण पता नहीं क्या क्या कल्पना करने लगते हैं।


 उधार उसके मन में आ रही हैं "बूब्स। दुधुउ।मम्मे।गंद। चुतर...आह।"


 उसकी नज़र टैब जेक स्नेहा दी की तरफ़ पड़ी।  और वो सोचने लगा कितनी सुंदर दी है उसकी।  इनका तो कभी बॉयफ्रेंड वगैरह भी नहीं रहा।  और क्यों वैसे भी आज उसके हार्मोन हाई थे तो वो सोचने लगा क्या कभी किसी ने स्नेहा दी के दूध चूए होंगे।  क्या स्नेहा दी वर्जिन होंगी।??  फ़िर तूरंत ही उसके मुह से निकला "कर क्या रहा हूं अच्छी मैं।"  और पूल के दुसरी साइड जेक सफाई करने लगा।  फ़िर उसकी नज़र आरोही की तराफ़ पड़ी जो पेड़ की छाया में अपना एक हाथ आँखों पर रह के सो रही है शायद।  उसे पाटली सफेद टीशर्ट और ब्लू कैपरी पेहनी हुई है।  वो देखने लगा के उसके बूब्स थोड़े छोटे थे।  सोनिया से थोड़े से छोटे।  हमें लगता था की आरोही अभी भी कुंवारी ही होगी का प्रयोग करें।  जुड़वा होने का साइड इफेक्ट शायद जो ये बल्ले इस्तेमाल लगती थी।


 इन सब बातों को सोचते हुए वो दोबारा पूल की सफाई में जुट गया।


 इधर सोनिया अब अपना योग करके पत्रिका पढ़ रही थी।  लेकिन वो पत्रिका पर ध्यान ही दे पा रही थी।  वो बार बार अरुण को पूल की सफाई करते हुए देखती और हर बार एक गुसे की लहर उसके अंदर उमद पद्ती।  समझ में नहीं आ रहा था की अखिर एक इंसान का प्रयोग करें इतना कैसे इरिटेट कर स्कता है।  वो उसकी मांसपेशियां और शरीर की तरफ देखने लगती है और उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ जाती है।  लेकिन फिर तूरंत हाय उपयोग अपने ऊपर गुसा आने लगता है जब उपयोग एहसास होता है कि वो अपने डफर भाई की बॉडी की टैरिफ कर रही होती है।


 अरुण तब तक पूल की सफाई पूरी कर चुका था।

 इस्के बुरे उसे ऐसे ही अपनी तीनो खूबसूरत बहनें की तरफ नजरें घुमाने।  बस यहीं गल्ती कर गया।  वो तीन सुंदरता की देवियां वहा आराम फरमा रही थी।  उन तीन को देखो तो किसी का भी मन डोल जाए तो अरुण तो ऐसे भी सबा से ही सेक्स का मारा हुआ था।  सोनिया की जंग, स्नेहा के स्तन और आरोही की कैपरी के बीच से चलती उसे दारार को देखने के लिए अरुण के लुंड महाराज ने अपना सर उठा दिया था।


 अरुण ने टैब पूल से निकलने की सोची लेकिन जब उसका ध्यान अपने हाथियार की या गया तो वो बड़ा सावधानियों से अपनी बहन की नजर बचाकर पूल से बाहर निकला और अपने आप को आराम पर देने के लिए से वहा पाए दबाव पाइप  डालने लगा।  लेकिन इस से कुछ फ़ायदा तो हुआ नहीं उल्टा उसकी तीनो बहन की आंखें चौड़ी जरुर हो गई।  अरुण ने सोचा अब इस से बचने का एक ही तारिका है की हस्तमैथुन कर लिया जाए।


 "आह... सोनिया.." ये कहकर उसके मन में हसी की आवाज़ आने लगी।


 अरुण तेज़ से पिचे के दरवाजे की या गया और हाल में जाने ही वाला थी की सुप्रिया तब तक वही तौलिया लेकर आ गई और बोली..ऐसे गंदगी फेलोगे क्या फ़र्श पर.. कपडे देकर जाओ..


 "नहीं मैं ऊपर से बदल दूंगा .." अरुण जल्दी से बोला।


 "और ऊपर से तुम्हारे भी तो याद करना है.." ऐसा उसे मैं आवाज आई।


 लेकिन सुप्रिया फरश तो गंडा होने नहीं देने वाली थी तो दोबारा फोर्स किया।  तो अरुण ने अपनी जींस का बटन खोलके एक हाथ से अपना बॉक्सर पकाकर दसरे हाथ से जींस आला करने लगा।  पर जैसा हम चाहते हैं वैसा तो हो नहीं सकता तो जींस ऊपर से भीगी हुई तो आला से हो नहीं रही थी।  तो सुप्रिया ने सिर्फ मदद करने के लिए उसकी जींस को पक्का कर थोड़ी फोर्स के साथ आला कर लिया। और जींस आला हो भी गई लेकिन...


 जींस के साथ साथ अरुण का बॉक्सर भी आला आ गया और इसके करन अरुण का लुंड फुफ्कर कर खड़ा हो गया और सुप्रिया जोकी बैठा के जींस उतर रही थी उसके होथों से रागद खाता हुआ ऊंचाने लगा।  इस्के करन सुप्रिया एक बांध से पिच को हटी और फ़र्श पर गिर पड़ी और एक बांध से उसका हाथ अपने मुह पर आ गया...


 "शाबाश मेरे शेर" उसके मन ने कहा।


 "ओह माय गॉड आई एम सॉरी"... बस इतना कह के अरुण तेजी से जीन्स और मुक्केबाजों को हाथो से पकड़कर सीढ़ियां से ऊपर भाग गया..


 "वाह.." बस इतना ही सुप्रिया के मुह से निकला पाया..


 "बहुत खूब..."



 "वाह.." बस इतना ही सुप्रिया के मुह से निकला पाया..

 "बहुत खूब..."


 अरुण तेजी से भागकर अपने रूम में पहंचा और सोचने लगा इस स्थिति से बाहर कैसे आया जाए।


 एक तो उसका हाथियार शांत होने का नाम नहीं ले रहा था।  तो अपने दराज से लोशन निकला और एक कपड़ा को कांधे पर दलकर मुथ मरने लगा।


 पहले तो पोर्न को याद करने लगा पर जब उससे फायदा नहीं हुआ तो फिर सोनिया के नंगे में सेक्सी बातें सोचा लगा।  उसके मन में दिखी देने लगा सोनिया अपने सेक्सी चिकन दूध पर तेल मसाला रही है।  उसके दूध बिलकुल सफेद, कंदर है।  छोटे छोटे हल्के गुलाबी रंग के निप्पल और साथ में वो अपने दो हाथो से उसे मसाला रह है निपल्स को खिचकर उन्हे मसाला रह है और साथ में हल्की हल्की आ रही है उसके गले से बहार आ रही है..


 "ओह सोनिया..सोनिया...सोनिया" बस यही रग अल्पता जा रहा था।


 "अरुण.."


 अरुण के हाथ एक बांध रुक गए।  याद आया की वो अपने कमरे का दरवाजा ताला करना भूल गया था का प्रयोग करें।  उसकी पीठ दरवाजे की तरफ है...


 "शिट ... शिट ... शिट" अरुण मन में सोचा है ये तो सुप्रिया दी की आवाज है ..


 "अरुण तुम थिक हो...इधर देखो.." सुप्रिया आगे बढ़ते उसके कांधे पर हाथ रखते हुए कहते हैं।


 "हम्म" अरुण बिना पलटे जवाब देता है..

 "मैंने कहा इधर देखो .." सुप्रिया एक तारिके से ऑर्डर देने वाले उसे कांधा अपनी तरह से खींचती है..


 अरुण अपना लुंड हाथ में लिए अपनी सुप्रिया दी के सामने पलटता है उसकी आंखें बंद हैं..

 सुप्रिया जैसे ही ये देखती है वो थोड़ा पीछे हट जाती है..


 "मैं..एम..मैं.." अरुण के मुह से शर्म के करन शब्द नहीं निकलते और आंखें बंद ही रखता है..उसने अपने हाथों से जींस और बॉक्सर ऊपर चढा देता है।

"स्वीटू .. शर्मिंदगी होने की जरूरत नहीं है ... ये तो सामान्य चिज़ है .. मैं भी कृति हूं हलंकी तुम्हारे जितना नहीं और न ही मैं अपनी बहन के नंगे में सोची हूं ये क्रते वक्त .." सुप्रिया बड़े प्यार से दिलासा  डिटे ह्यू बोलि..


  अब तो अरुण और ज्यादा शर्म से बड़ा चला जाता है...


  अरुण का पूरा चेहरा लाल हो गया है।  उसी इच्छा हो रही की बस अभी धरती फट जाए और वो उसमें समा जाए।


  "भाई कुछ तो बोलो.."


  "क्या बोलू। आज तो सही में जिंदगी का सबसे बेकर दिन है। पहले आला तुम्हारे साथ वो... और अब तुम मुझे हस्तमैथुन करते हुए हुए हैं वो भी अपनी ही बहन को कल्पना करते हुए..."ऐसा लगा रहा था  अरुण बस रोने ही वाला हो।


  "आई एम सॉरी... मैने तुम्हें आला कपड़े उतारने को मजबूर किया जिसके करन..." सुप्रिया बोली..


  "जिसके करन तुम्हारे मुह मेरा वो तकरा गया..." अरुण रंधी सी आवाज में बोला।


  "श... मैं गुसा नहीं हूं स्वीटु.." सुप्रिया प्यार से बोली।  "क्या हम बात कर सकते हैं? तुम शायद थोड़ा अच्छा महसूस करोगे..."


  "इससे बढ़िया मैं अपने आप को किसी कोठरी में बैंड कर लुंगा..." अरुण आंखें आला कर ही बोला..


  "वैसे तुम ये कृते अपनी बहन को क्यू याद कर रहे थे?"


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