मेरी प्यारी बहन Part 3



                    मेरी प्यारी बहन  Part 3




आशिता का चेहरा और ज़िदा लाल हो गया विहान के मुंह से ये बात सुनकर और उसे कोई जवाब नहीं दिया बस कुछ ख्यालों में डूबा वहीँ अलमारी के पास खादी कुछ सोच रही थी।  या विहान बीसीए द्वितीय वर्ष में

 आशिका के बूब्स मीडियम साइज के आ चुके थे या गंद बी ठीक शेप में आ चुकी थी


 तो उसके तरफ देखते हैं विहान ने कहा,


 "किआ हुआ?  किया सोचने लगी तू?  इधर आह न तुझसे और बहुत कुछ कहना है मुझे।"


 आशिता अपने आला वाले होंठ को थोड़ा सा मोडे हुए जिसे विहान को चिढ़ाते हुए सर को नहीं में हिलाया।


 विहान उठाकर आशिता के तरफ बढ़ा मगर आशिता ने जिसे पकरी कहते हैं वेइस विहान से एक तरह से उसे एक हलका सा झटका देते हुए कामरे से भागते हुए निकल गई हंसते हुए जोरों से।


 विहान ने भी दौड़े हुए उस्का पिच किया।  और अपने माता-पिता के काम में जाकर आशिता को पकरा विहान ने और उसे अपने बहाने में भारते हुए आराम से थोड़ा हनफ्ते हुए पुचा, "क्यूं?  तुझे खेलने का मन कर रहा है अब ?!”


 तो आशिता उसके baahon से निकलने की कोशिश करते हुए, थोड़े आते हुए कहा,


 "नहीं मुझे कुछ भी करने को मन नहीं कर रहा है, भाई मुझे चोरो नहीं, चोरो मुझे, मुझे बाहर जाना है, उफ क्यों मुझे इतना जोर से पकारा हुआ है तुम्हारे चोरो नहीं भाई !!"


 और आशिता ने थोड़ा जोर लगा और विहान के बाहर से निकल गई और भाग कर घर से बाहर निकल गई, सामने आंगन में एक पत्थर पर जाकर बैठ गई और अपने खुले हुए गेसू को धूप देने लगी।  उसके बाल अभी भी कुछ भीगे हुए जिसको वो सुखाने की कोशिह कर रही ही धूप में, मगर एक नजर घर की द्वार पर किए हुए ये देखने के लिए भी कहीं बाहर है  .


 मगर विहान दरवाजे पर नज़र नहीं आए क्योंकि वो तो घर के सामने वाले खिडकी से झाँक रहा था आशिता को।  ब्लके निहार रहा था उसे वो।  विहान को लग रहा था के उसका प्रेमिका बैठी हुई है वहां आंगन में अपने भीगे बाल को सुखाते हुए, बिलकूल उसे आदिता अपनी बहन नहीं दिख रहे थे।


 और विहान देख रहा था जिस पोज में आशिता बैठी थी, अपने बगीचे को दिन तारफ झुकाये हुए, उस तरह अपने सर के शुद्ध बालो को फेयलाये हुए, थोड़े भीगे हुए और थोड़े सूखे, जो आशिता के भी लंबे होंगे  ड्रेस के ऊपर से होते हुए।  विहान ने देखा के किस तरह से आशिता घर के सामने वाले दरवाजे पर अपनी नजरें किए हुए हैं और किस तरह से अपने होने को मोड रही थी, और उसकी प्यारी प्यारी आंखें कितनी खूबसूरत दिखने लगे को अचानक विहान को।


 अपनी छोटी बहन को उस तरह से निहारते हुए विहान ने खुद से कहा, “मुझे इस लड़की से प्यार हो गया है अब लगता है…।  कितनी खूबसूरत है हमारी आशिता, मुझे और कोई भी ऐसी लड़की कहीं भी मिल ही नहीं सकती….  कितनी प्यारी है, कितनी कोमल है, कितनी भोली भी है, कितनी अच्छी दिल है, कितनी अच्छी है, सुशील भी है और मेरी उस से कितना बना है, तो ये तो मेरा गर्लफ्रेंड बनने लायक है, क्यों और किस को मैं गर्लफ्रेंड बनाऊं  खुद घर में इतनी खूबसूरत और प्यारी गर्लफ्रेंड है !!?"


 वो बस चुप कर आशिता को देखे जा रहा था और उधार आशिता इतनी डेर इंतजार करने के बाद जब देखा के विहान उसे पास नहीं आया तो उसे फुकारा,


 "भाई!  किधर हो तुम?  बहार आओ ना देखो कितनी अच्छी धूप है, बहुत अच्छा लग रहा है आओ ना यहां!"


 विहान ने हंसते हुए खुद से कहा, "लो!  मेरा गर्लफ्रेंड मुझे बुला भी रही है तो चलो अपने गर्लफ्रेंड के पास जाता हूं अब!”


 विहान ने सोचा के उसे अब कितना कुछ कहना है आशिता से, मगर वो तो कुछ सुन्ना ही नहीं चाहती, बस भाग रही है दरवाजा, और बहार आंगन में तो बात नहीं कर पाएगा, क्यों रास्ते पर सुन भी लोग दे  ….. विहान को बड़ा मन था आशिता को अपने बाहों में भरके बहुत सारे बातें करने को, और आंगन में तो वो सब नहीं कर पाएगा… फिर भी गया आशिता के पास, उसी पत्थर पर बैठा और हमारे हाथ का हाथ  कहा, "किआ हुआ?  क्यूं बुलाया मुझे यहां ?!"


 आशिता ने एक बहुत प्यारी सी मुस्कान में कहा, "देखो नहीं कितनी अच्छी धूप है, बहुत अच्छा लग रहा है, मेरे पास बैठा नहीं भाई और घर में ठंडा है!"


 अब विहान को आशिता के सब बातें बहुत ज़िदा अच्छे लगने लगे, उसकी आवाज़ और भी ज़िदा सुरिल लगाने लगे, विहान को अब सिरफ आशिता को सुन का मन कर रहा था और उसे मुस्कुरा को देखने का मन कर रहा था।  विहान ने वेइस ही उसके कांधे पर हाथ रखे हुए हुए धीरे से उसके चेहरे से बालों को एक तरफ सरकार और एक नजर रास्ते पर किया देखने को कहीं कोई उन दोन को देख तो नहीं रहा, फिर आश  अपने चेहरे के तराफ उत्थान।  तो जब आशिता ने उसे चेहरे में देखा तो मासूमियत से अपने भाई के चेहरे में देखे हुए, "किया?"


 विहान ने प्यार से मस्कुराते हुए कहा, "कुछ नहीं बस तुमको देखने को मन कर रहा था!"


 आशिता: "किआ देखने को मन कर रहा था मुझे?  तुम बड़े नटखट हो रहे हो आज कल भाई मुझे नहीं पास और जब तुम ऐसे करते हो बिना वजा के ये वो करना ऐसे!"


 तो विहान ने उसी तरह से आशिता के चेहरे को अपने हाथ में अपने चेहरे के लिए हुए ही उसे जवाब दिया,


 "मुझे तो बहुत पास है, तुम कुछ भी करो, बिना वजह ये वो भी करो तब दो मुझे तो बहुत पास और आता है, तुम हंसो, चिल्लाओ, शोर करो, कुछ भी करो मुझे तो हमा सब पास और इतना है!"


 ये सुनकर आशिता चुप हो गया और सर झुका लिया, पीर विहान का हाथ अपने हाथ में थाम कर कहा, "अच्छ अब चलो वापस और चलते हैं बहुत धूप सेंक लिए हम!"


 विहान को लगा के उसकी गर्लफ्रेंड ने उसका हाथ थामा है और आंगन से चलते हुए घर के अंदर तक आशिता विहान का हाथ पाकर हुए जिस से विहान को बहुत मजा आया क्योंकि उसके लिए हमारी गर्लफ्रेंड थामा था हाथ था।


 अपने काम में आते ही दो अपने बिस्तर पर बैठे।  विहान ने फिर आशिता के कांधे पर अपना हाथ रखा और पुचा,


 "तुम्हारा पीरियड स्टार्ट हो गया है?"


 आशिता झाट से उस खादी हुई और ऐसे के पास जाकर कांघी लिया और अपने बाल बनाने लगी आईने में से विहान को बिस्तर पर बैठे उसके तार देखते हुए देखते...।


 विहान फिर उसके करिब गया और उसके हाथ से कंघी लिया आशिता के बाल में फिरने के लिए… .. हां बचपन से विहान आशिता को कंघी करता आया ऐ, वो अपने मां से गर्म सीख, जब आशिता थी और भी  तो विहान ही आशिता के बाल बना देता था अक्सर।  तो ये आदत थी विहान की ऐसी ली आशिता ने उसे कांघी दे दिया और विहान उसके बाल में कंघी चलाने लगा मगर बात भी किया,


 "तुम ने क्यों जवाब नहीं दिया?"


 आशिता बोली, "भाई ऐसी बातें मत पूछो करो नहीं मुझे शर्म आती है!"


 विहान: "क्या पुगली इसकी प्राकृतिक है, इस में शर्म नहीं आना चाहिए ये प्राकृतिक है सभी लड़कियों को होता है ये सामान्य बात है ….. देखो मुझे क्यों शर्म नहीं आई तुमसे पुचने को…।  तो बताओ शुरू हो गई या नहीं!”


 आशिता ने ऐसे में विहान के चेहरे में देखते हुए थोड़े शर्मते हुए कहा, "हां" और जल्दी से नजरों को झूका लिया।


 विहान मुस्कान और कहा को,


 “देखा, कौन सी बड़ी बात हो गई बस तुमने बता दिया और मुझे पता चल गया यह नॉर्मल है, क्या हम दोंनों में कभी कोई सीक्रेट रहा है?  हम्म?  तो मुझसे आज के बाद कोई भी बात नहीं छुपाओगी ठीक किया?  बोलो!"


 आशिता ने एक नखरे वाली अदा में कहा, "ओके भाई!"


 उस वक्त विहान आशिता के पिचे खड़ा था उसके बाल को कंघी करते हुए, आशिता सामने था ... कद में विहान आशिता से ऊंचा था, तो झुक कर विहान ने आशिता के गाल पर किस किया, और आशिता से कहा, "मुझको दो  अब!"


 आशिता ने कहा, "क्यूं?  आज तुम्हारा जन्मदिन तो नहीं है!”


 विहान ने हंसते हुए कहा के लिए, "क्या जन्मदिन पर चुंबन लेते हैं किया?  मैं ने तो दिया अभी तुमको एक किस्सी अब तुम भी मुझे वेइस किस दो नहीं!"


 आशिता ने एक नटखटी अदा में कहा, "नाह!"


 मगर तब विहान ने उसे जकार लिया और खुद अपने गाल को आशिता के हौथों पर दबया और कहा, "अब किस दो वर्ना तुमको नहीं चोरुंगा अब !!"


 आशिता ज़ोरों से हंसने लगी, “हिहिही….  भाई चोरो ना प्लीज चोरो ना !!"


 विहान उसको जाकरे हुए अपने गाल को और ज़ोर से आशिता के चेहरे पर दबाते हुए कहता गया, "किस्सी दो, किस दो टैब चोरुंगा...।"


 और आशिता ने एक नहीं तीन चार किस दीये विहान के दों गैलन पर !!



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 इस तरह से दूनों के बीच बहुत सारे ऐसे हालात आए जहां दोंनों ने कभी अजीब महसूस किया या विहान आशिता से बहुत ज़ियादा आकर्षित हुआ।  जैसे के एक रात को विहान इंटरनेट कैफे से रात को 11.30 को घर वापस आया तो आशिता को सोना हुआ पाया बिस्तर पर।  दोनो एक साथ वही बिस्तर पर सोते तब तक।  आशिता की ड्रेस, जहां के बहुत ज़ियादा ऊपर उठा हुआ था जिस से उसकी बहुत ख़ूबसूरत जांघे में साफ नज़र आरे थे।  वो होता है नहीं जांघ के ऊपर वाले उनके जो हमेशा ड्रेस के आला होता है, तो ऊपर उस से उसका रंग कुछ ज़ियादा सफ़ेद रहता है ड्रेस के आला होने से, वो हिस्सा जो ज़िआदा मुलायम होते हैं, जिस्का रंग ज़ियादा है व्यक्तित्व करता है  , उसी से को विहान देख रहा था कामरे में दखिल होने के बाद।  बहोत ही सेक्सी दिख रहे थे और विहान की सांसें बढ़ने लगे आशिता को ऐसे देखते हुए ... उसे नजर ऊपर के तारफ किया देखने को के आशिता नींध में है के नहीं, चादर उसी जिस्म से बिलकूल हट गए से और भी  पड़ी हुई थी गहरी नींध में….


 विहान ने कुछ डर वेइस ही निहारा अपनी बहन के जिस्म को और अपने कपड़े उतरा सोने के लिए।  तब उसने अपने खुद के जांघों को देखा तो पाया के उसे जानेंगे आशिता के जांघों से ज़ियादा पाता था तो खुद से कहा,


 "कमल है ये मुझसे 3 साल छोटी है मगर इस्की जाने कितने इतने बड़े हैं भला?"  उसको ये नहीं पता था के लड़कों के जिस्म लड़कों से बहुत ज़ियादा बढ़ते ही उस उमर में… तो विहान काफ़ी हेरान हुआ… .. और चादर को चुनने से पहले उसने अहिस्ते से आशिता के हुआ तब जाकर हल के को क्या कहते हैं  एक अंगराई ली, और नींध में ही बदबादाई, "भाई सो जाओ नहीं क्यों लाइट ऑन किया हुआ है हम्म्म!"


 और विहान जल्दी से बिस्तर पर चढ गया और आशिता को वहां में भर लिया, और आशिता ने भी अपने बहाने को नीचे में ही विहान से लाते और दोनो सोने लगे...  आदत थी… मगर आज की रात वाली बात कुछ और थी….  दोंनों एक दसरे के तानों को भी क्रॉस करके सोते द बच्चन से, मगर आज जब विहान ने अपने टंगों को आशिता के टंगों में क्रॉस किया तो पाया के उस्का बिलकूल खड़ा हो गया था और उसका आशिता के जहां पर था  हुए थोड़ा सा रगड़ा भी आशिता के जांघों पर मगर जल्दी ही उसे जरूरत आ गई…..

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