मेरी प्यारी बहन Part 4
अगले सुभा को क्यों छुटी द स्कूल के तो काफ़ी देर तक दोनो सोटे रहे। काम पर जाने से पहले मां ने के बार उन दोंनों के कामरे के दरवाजे को खोल कर उन्हें उठने के लिए गई मगर दों मस्त और बड़े में तो रहे थे सिरफ "हम्म हां हम" में आवाज दिए दोंन ने।
मां ने एक बार अनिरुद्ध को दोंन के काम में बुलाया दिखने के लिए किस तरह से दून एक दसरे के साथ लिपटे हुए सोए हुए हैं, और किस तरह से दूनों के तानेंगे एक दसरे के टंगों में फैन्स हुए हैं की ड्रेस और के लिए ऊपर कमर तक उठे हैं, उसकी जांघों के बीच केइस विहान के जाने हैं बंधे हुए हैं… ..
बाप ने बस बात को देखते हुए हुए कहा, "क्या हमारे बचे हैं दोंन एक साथ ऐसे सोने से प्यार बढ़ता है और गरम महसूस होता है दोंनों को सोने दो नहीं, स्कूल की छुटी है दोंन अपने समय से उठेंगे तुम क्यों, चलो देर से हो जाएगा, रहने दो दोंनों को सोने हुए ही!”
मगर सुमन को कुछ अच्छा नहीं लगा। उसने कहा, "अशिता के लिए अलग इंतजारम करना चाहिए अब, दोंनों एक साथ नहीं सो सक्ते ऐसे मैं सोचती हूं। कहीं कुछ हो गया तो?"
बाप ने कहा, "चुप कर तू फालतू की बातें करना, किया हो जाएगा? भाई बहन ही दोंन तुम किया आना शनाप लेने लगी अब!”
दोनो काम के लिए निकल गए मगर सुमन के मन में दिन भर वो मंज़र और रहा जो उसने दोंनों के बिस्तर पर देखा को और उस ने सोचा लिया के अब एक अलग बिस्तर खड़ीगी आशिता के लिए।
उधार जब विहान की जरूरत टूटी दिन के सादे नौ बजे तो सुभा सुभा जो समान खड़ा हुआ रहता है, वेइसा खड़ा हुआ था और आशिता की टंगें उसके टंगों में लिपटा हुआ था तो उसे अपने लुंड में और के लिए अपने लुंड को पर दबया और हलका सा रागद दिया… .. आशिता ने एक अंगराई लेटे हुए अधे नींध की हालत में बदबादे हुए कहा, "हम्म किया कर रहे हो भाई, कल रात को सोने से पहले भी तुमने ऐसा पाया है मुझे करो नहीं मुझे पता है तुम किया कर रहे हो! गंदे हो तुम भाई!”
ये सुनकर विहान झट से उस से अलग होते हुए सोचा के ये तो अच्छी बात है अगर आशिता को पता है के वो किया कर रहा था, मगर उसे शर्म आई के उसस्की चोरी अपने तने गए और वो शर्माते ब्रश करने वाले चलाकर लुंड को दबाते हुए। जब वो उठाकर जा रहा था तो आशिता एक आंख बंद की हुई दसरी आंख को खोलके उसे जाते देख रही थी और फिर सोने लगी कंबल को अपने सर के ऊपर करके।
मगर उसे अब नीचे नहीं आ रही थी तो बस कुछ मिनट बाद वो भी गई ब्रश करने को जहान विहान पहले से ही ब्रश कर रहा था। आलसी चलते हुए, ढीली बदन में आशिता ने अपना ब्रश लिया और विहान को हल्के से ढका देकर उसे बगल में खिस्काते हुए वो आने के सामने हुई खुद के चेरे को देखने के लिए।
तब विहान ने ज़ोर से हंसते हुए उसको चिधाया ये कहकर, "हाहाहा देख अपना चेहरा सोने के बाद केसी लगती है हाहाहा अपनी बाल को देख बिलकुल गंदी दिख रही है हाहाहा!"
आशिता ने मुहं फूलते हुए तेरी नजर से विहान के चेहरे में देखा और कहा, "तू बड़ा हीरो दिख रहा है कि अभी खुद को भी तो देख! हिहिहीही"
बस इतना ही कहा आशिता ने के उस्स्की ब्रश तो गई और दो टुकड़े हो गए….. अब उसे मन फुलाते हुए विहान से कहा, "अब मैं कैसे ब्रश करूंगी भाई ये देखो, इस्का तो टुकड़ा हो गया हम्म्म!"
विहान उसको और चिढ़ाते हुए ज़िदा ज़ोर से हंसने लगा…. तो आशिता ने विहान के हाथ से उसस्का ब्रश चिन लिया और धोकर उसस्पर टूथपेस्ट लगा कर अपने टूथ ब्रश करने लगी अपने भाई के ब्रश से…। वाइज विहान का ब्रश हो गया था तब तक….. विहान ने माउथ वॉश कर लिया तो आशिता को ब्रश करते हुए देखते हुए कहा, मेरे मुंह के अंदर से निकले हुए ब्रश को अपने मैं में दाल दिया तुमने इस्का मैटल समझी है किया?! "
तो उस वक्त आशिता ने वो किया जो विहान ने बिलकूल भी नहीं सोचा था के वो ऐसा करेगा - आशिता ने जल्दी से अपने मुंह के टूथपेस्ट के फोम को विहान के सर पाकर के उस के मुंह में डाला उसके दं उस कार्रवाई को से आशिता के जीब भी गए विहान के मुंह में……
ये करने के बाद आशिता बड़े ज़ोर से हंसने लगी, और विहान तो बस हकबका गया और विरासत से आशिता के चेहरे में देखता रहा फ्रीज हो गया!
माउथ वॉश करने के बाद आशिता ने कहा,
“कौन से बड़ी बात हो गई भाई अगर मैं ने तुम्हारे ब्रश को अपने मुहं में डाला? हम एक दसरे के झुठन नहीं खाते किया? मैं और छोटी थी तो तुम अक्सर पहले अपने मुझे में चिजो को कुछ के बाद मुझे खिलाते थे, तब वो झुट्टान नहीं होता था किया? तुम्हारे मुं के अंदर से निकले हुए कितने बच्चों को खिलाड़ी है तुमने मुझे, मां और पापा ने भी तो ऐसा किया है तो इसमें कौन सी बड़ी बात है?"
विहान ने सोचा सही तो कह रही थी और दून एक ही तौलिया के दो अंत से चेहरा पोंछते हुए एक दसरे को देखते हुए हंस रहे थे तब विहान ने कहा,
"तू तो अब बड़ी सयानी हो गई है री!"
आशिता ने अगुए चलते हुए जवाब दिया,
"लड़कियां सयानी ही होते हैं और लड़के बुद्धू"
तो झपक के विहान ने उसस्की छोटी पकारा और कहा,
"तुमने मुझे बुद्धू कहा अभी बताता हूं!"
और दून झगड़ने लगे, वही झूठ मूठ की लड़ाइयां, प्यार वाले झगड़े जो भाई बहन के बीच अक्सर होता है….
दोनो चाय पीने गए, बिस्कुट वघैरा लिए तो आशिता ने कहा, "चाय थंडी हो गई है भाई, थेरो मैं नई बनाती हूं!"
हां आशिता किचन के बहुत सारे काम करती थी, उसे मां ने उसको बचपन से ही किचन में काम करना पढ़ाया और आशिता को किचन में खाना, केक कुक करना और बहुत सारे काम करता था, और स्कूल में घर इको तो भी करना ये सब उस्को पासंद था। वेइस काफ़ी कुछ विहान को भी इसलिए था क्योंकि उसे भी माँ से बहुत कुछ पढ़ा था जब आशिता बेबी थी टैब।
अब विहान आशिता को चाय बनाते हैं निहार रहा था। ऐसा लग रहा था एक पति बैठा हुआ पत्नी की हाथ की चाय पीने का इंतजार कर रहा था।
खैर चाय पीठे वक्त विहान को एक विचार सुझा। उसने कहा, "सुन, अगर झुटन खाने से तुझे कोई प्रॉब्लम नहीं तो चल एक टेस्ट करते हैं, मैं देखता हूं तू अब भी मेरा झुठन खाती है के नहीं!"
दोनो चाय के कप लिए और बिस्किट लिए बैठे हैं तो अनीशा ने कहा, "ठीक है।"
और विहान ने बिस्किट का एक टुकड़ा अपने में डाला, उसे भीगो दिया और आशिता के मन के पास किया और कहा, "इससे अपने मुझे में ले ले!"
आशिता ने बिना समस्या के अपना मैं खोला और विहान के मुंह से उस भीगे हुए बिस्किट के टुडके को अपने मुंह में ले लिया और खा लिया।
विहान को बहुत अच्छा लगा, और उसे जान बुझकर अपने जीब को आशिता के जीब से तकया वेइसा करते वक्त। फिर कहा, "एक और बार करते हैं!"
तो आशिता ने मुंह खोल दिया और अपने मन को विहान के मन के पास कर दिया, जल्दी से विहान ने एक और बिस्किट का टुकड़ा मुंह में लिया और आशिता के मुंह में डाला फिर से अपने जीब को अपनी बहन के लिए।
विहान को कुछ होने लगा था, उसके जिस्म में एक आग जैसे भादक रहे थे वो आशिता के चेहरे में घुरर रहा था और अचानक आशिता ने कहा, "अब मेरी बारी, तुम अब मेरे मुंह से खाओगे भाई ठीक है?"
और विहान जैसे फ्रीज होते हुए अपने सर को हां में हिलाया और इस बार आशिता ने अपने मुंह से बिस्किट को विहान के मुंह में डाला, वो करने के लिए आशिता को कुर्सी से खड़ा होना पड़ा और विहान करीब के जियादा। और जिस वक्त आशिता के मुंह से विहान के मुंह में बिस्किट ट्रांसफर हो रहे थे उस उस दौर विहान के दोंन हाथ आशिता के कमर पर हुए और उसे आशिता को जोर से बात में भर लिया, और आपने मुझे में आशिता के लिए और उसे में ले लिया। जीब को अपने मैं में लेकर चुनने लगा……
आशिता का हाथ विहान के कांधे पर गए और उसे छोटे छोटे थपथापाहत के लिए विहान के कांधे पर… मतलाब रुकने का इशारा कर रही थी… कोई 20 सेकंड तक विहान ने अपनी बहन के जीब को छू गया था।
विहान ने सोचा के आशिता नरज होगी, चिल्लाएगी और शोर मचाएगी मगर वो बहुत हीरान हुआ के आशिता ने कुछ नहीं कहा, नहीं किया बस बिलकूल नॉर्मल थी जिसे कुछ हुआ ही नहीं; और जो अपना बिस्किट खाने लगी को वापस करता है। विहान आशिता के चेहरे में देखते जा रहा था सोचते हुए के किआ आशिता को पता भी है के अभी अभी दोंनों के किस पहली बार, रियल वाले फ्रेंच किस किए गए दोंन ने किया आशिता को पता था?!
विहान का जाम खड़ा हो गया और आशिता को घुरते जा रहा था मगर आशिता जैसे कुछ हुआ ही नहीं वेइस नॉर्मल बिहेवियर कर रही थी, तो विहान ने कहा,
"मैं ने दो बार तुमको बिस्किट खिलाड़ी अपने मुंह से और तुम्हारे सिरफ एक ही बार किया, एक बार और करना है नहीं?"
आशिता ने मस्कुराते हुए कहा के लिए, "ओके थिक है और एक बार करता हूं..."
और वही हुआ फिरसे…. जैसे ही आशिता ने विहान के मन में बिस्किट का टुकड़ा डाला विहान ने उसे जोर से वहां में भारते हुए हुए आशिता के बगीचे के पिचे हाथ से जोर लगाते हुए उसको अपने मैं आशिता के बिस्किट को वही जीने के लिए अपने मन में लिया और अपनी बहन के जीब को चुनने लगा…. आशिता वेइस ही विहान से लिपटी रही और अपने भाई को जीब चुनने दिया
जैसे के बिस्किट खा रहा था उसके जीब से... लास्ट बार 20 सेकेंड तक हुआ इस बार 45 सेकेंड तक चूसा उसे आशिता के जीब को... और जब रुका तो बिलकूल आम तौर पर आशिता ने विहान के चेहरे में देखा, "हो गया? बस?"
विहान उसस्की मासूमियत पर मुस्कान दीये और कुछ डर उसके चेहरे में गौर से देखने के बाद पुचा,
"तुमको पता भी है के अभी हम दोंनों ने किया किया आशु?"
आशिता ने अपने कंधों को ऊपर उठते हुए कहा,
"किआ किया? बिस्किट ख़िलाया तुमको और किया ?!"
विहान: "और उसके इलावा किया किया हम दोंनों ने आशु?"
आशिता: "कुछ भी तो नहीं किया!"
विहान सोचने लगा कि आशिता भोली बनने की धोंग कर रही है या सच में उसे समझ में नहीं आया के दनों ने अभी अभी किस किया! उसे कहने के लिए,
"अच्छा डार्लिंग एक काम करते हैं..."
आशिता बहोत ज़ोर से हंसने लगी और पुचा, "तुमने मुझे 'डार्लिंग' क्यों कहा भाई हिहिहिहिहिहिहिही!"
टू विहान ने कहा, "अरी तो डार्लिंग, जानेमन, मेरा प्यार' ये सब जिस से बहुत प्यार करते हैं उसी को ऐसे बुलाते हैं नहीं!"
आशिता ने कहा, "हां तो तुम मुझे क्यों ऐसे बुलाने लगे अचानक?"
विहान: "चलो आज के बाद मैं तुमको इन 3 नामों से ही बुलाउंगा, या डार्लिंग, जानेमन या मेरा प्यार ठीक है?"
आशिता: "हम्म और मम्मी पापा ने सुना तो?"
विहान: "नहीं उनके सामने नहीं बुलाउंगा, जब हम अकेले होंगे तब ऐसा बुलाउंगा थिक है?"
आशिता: "ओके हां तो तुम किया बोल रहे द जब पहली बार डार्लिंग बोला तब हिहिही!"
विहान ने कहा: "हां तो तुम मुझे बिस्किट खेला रही थी तुमने कहा नहीं? तो बिना बिस्किट खिलाते हुए ही आकार मुझे खिलाड़ी जैसा एक्शन कर फिर कहता हूं जो कहना था समझ गई?"
और विहान के पास आई, और विहान ने वेइसे ही उसको बाहों में लिया, आशिता ने मुझे खोला और विहान ने अपने जीब निकला और आशिता के मुंह में डाला जिसे आपने देखा। ने आशिता के जीब को चुसा… ..
उसके बाद आशिता से विहान ने पुचा,
“तो अब बता हम ने अभी किया किया? इस से पहले तो बिस्किट खेला रहा एक दसरे को नहीं? तो अभी हमने जो किया वो किया था?”
आशिता चुप चुप कर हंस रही थी फिर विहान को देखते हुए कहा, "कुछ नहीं हम वाइज ही एक्ट कर रहे थे जिसे एक दसरे को बिस्किट खिलाते हैं, झूठ मुठ के बिस्किट खेला रहे थे!"
विहान ने कहा, "हैं धत तेरी की! तू खुद को सयानी कहती है नहीं तो क्यों नहीं पता तुझे के हम किया कर रहे अभी?”
तब आशिता आराम से कुर्सी से उतरी, विहान के पास गई, उसके गाल पर किस किया और कहा, "भाई तुम सच में बुद्ध हो किया? मुझे पता है हम किया कर रहे हैं और हैं मैं तुमसे भी सयानी हूं तुम बुद्धू ही हो ईउउउउउउउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्द्धंः)
अगले सुभा को क्यों छुटी द स्कूल के तो काफ़ी देर तक दोनो सोटे रहे। काम पर जाने से पहले मां ने के बार उन दोंनों के कामरे के दरवाजे को खोल कर उन्हें उठने के लिए गई मगर दों मस्त और बड़े में तो रहे थे सिरफ "हम्म हां हम" में आवाज दिए दोंन ने।
मां ने एक बार अनिरुद्ध को दोंन के काम में बुलाया दिखने के लिए किस तरह से दून एक दसरे के साथ लिपटे हुए सोए हुए हैं, और किस तरह से दूनों के तानेंगे एक दसरे के टंगों में फैन्स हुए हैं की ड्रेस और के लिए ऊपर कमर तक उठे हैं, उसकी जांघों के बीच केइस विहान के जाने हैं बंधे हुए हैं… ..
बाप ने बस बात को देखते हुए हुए कहा, "क्या हमारे बचे हैं दोंन एक साथ ऐसे सोने से प्यार बढ़ता है और गरम महसूस होता है दोंनों को सोने दो नहीं, स्कूल की छुटी है दोंन अपने समय से उठेंगे तुम क्यों, चलो देर से हो जाएगा, रहने दो दोंनों को सोने हुए ही!”
मगर सुमन को कुछ अच्छा नहीं लगा। उसने कहा, "अशिता के लिए अलग इंतजारम करना चाहिए अब, दोंनों एक साथ नहीं सो सक्ते ऐसे मैं सोचती हूं। कहीं कुछ हो गया तो?"
बाप ने कहा, "चुप कर तू फालतू की बातें करना, किया हो जाएगा? भाई बहन ही दोंन तुम किया आना शनाप लेने लगी अब!”
दोनो काम के लिए निकल गए मगर सुमन के मन में दिन भर वो मंज़र और रहा जो उसने दोंनों के बिस्तर पर देखा को और उस ने सोचा लिया के अब एक अलग बिस्तर खड़ीगी आशिता के लिए।
उधार जब विहान की जरूरत टूटी दिन के सादे नौ बजे तो सुभा सुभा जो समान खड़ा हुआ रहता है, वेइसा खड़ा हुआ था और आशिता की टंगें उसके टंगों में लिपटा हुआ था तो उसे अपने लुंड में और के लिए अपने लुंड को पर दबया और हलका सा रागद दिया… .. आशिता ने एक अंगराई लेटे हुए अधे नींध की हालत में बदबादे हुए कहा, "हम्म किया कर रहे हो भाई, कल रात को सोने से पहले भी तुमने ऐसा पाया है मुझे करो नहीं मुझे पता है तुम किया कर रहे हो! गंदे हो तुम भाई!”
ये सुनकर विहान झट से उस से अलग होते हुए सोचा के ये तो अच्छी बात है अगर आशिता को पता है के वो किया कर रहा था, मगर उसे शर्म आई के उसस्की चोरी अपने तने गए और वो शर्माते ब्रश करने वाले चलाकर लुंड को दबाते हुए। जब वो उठाकर जा रहा था तो आशिता एक आंख बंद की हुई दसरी आंख को खोलके उसे जाते देख रही थी और फिर सोने लगी कंबल को अपने सर के ऊपर करके।
मगर उसे अब नीचे नहीं आ रही थी तो बस कुछ मिनट बाद वो भी गई ब्रश करने को जहान विहान पहले से ही ब्रश कर रहा था। आलसी चलते हुए, ढीली बदन में आशिता ने अपना ब्रश लिया और विहान को हल्के से ढका देकर उसे बगल में खिस्काते हुए वो आने के सामने हुई खुद के चेरे को देखने के लिए।
तब विहान ने ज़ोर से हंसते हुए उसको चिधाया ये कहकर, "हाहाहा देख अपना चेहरा सोने के बाद केसी लगती है हाहाहा अपनी बाल को देख बिलकुल गंदी दिख रही है हाहाहा!"
आशिता ने मुहं फूलते हुए तेरी नजर से विहान के चेहरे में देखा और कहा, "तू बड़ा हीरो दिख रहा है कि अभी खुद को भी तो देख! हिहिहीही"
बस इतना ही कहा आशिता ने के उस्स्की ब्रश तो गई और दो टुकड़े हो गए….. अब उसे मन फुलाते हुए विहान से कहा, "अब मैं कैसे ब्रश करूंगी भाई ये देखो, इस्का तो टुकड़ा हो गया हम्म्म!"
विहान उसको और चिढ़ाते हुए ज़िदा ज़ोर से हंसने लगा…. तो आशिता ने विहान के हाथ से उसस्का ब्रश चिन लिया और धोकर उसस्पर टूथपेस्ट लगा कर अपने टूथ ब्रश करने लगी अपने भाई के ब्रश से…। वाइज विहान का ब्रश हो गया था तब तक….. विहान ने माउथ वॉश कर लिया तो आशिता को ब्रश करते हुए देखते हुए कहा, मेरे मुंह के अंदर से निकले हुए ब्रश को अपने मैं में दाल दिया तुमने इस्का मैटल समझी है किया?! "
तो उस वक्त आशिता ने वो किया जो विहान ने बिलकूल भी नहीं सोचा था के वो ऐसा करेगा - आशिता ने जल्दी से अपने मुंह के टूथपेस्ट के फोम को विहान के सर पाकर के उस के मुंह में डाला उसके दं उस कार्रवाई को से आशिता के जीब भी गए विहान के मुंह में……
ये करने के बाद आशिता बड़े ज़ोर से हंसने लगी, और विहान तो बस हकबका गया और विरासत से आशिता के चेहरे में देखता रहा फ्रीज हो गया!
माउथ वॉश करने के बाद आशिता ने कहा,
“कौन से बड़ी बात हो गई भाई अगर मैं ने तुम्हारे ब्रश को अपने मुहं में डाला? हम एक दसरे के झुठन नहीं खाते किया? मैं और छोटी थी तो तुम अक्सर पहले अपने मुझे में चिजो को कुछ के बाद मुझे खिलाते थे, तब वो झुट्टान नहीं होता था किया? तुम्हारे मुं के अंदर से निकले हुए कितने बच्चों को खिलाड़ी है तुमने मुझे, मां और पापा ने भी तो ऐसा किया है तो इसमें कौन सी बड़ी बात है?"
विहान ने सोचा सही तो कह रही थी और दून एक ही तौलिया के दो अंत से चेहरा पोंछते हुए एक दसरे को देखते हुए हंस रहे थे तब विहान ने कहा,
"तू तो अब बड़ी सयानी हो गई है री!"
आशिता ने अगुए चलते हुए जवाब दिया,
"लड़कियां सयानी ही होते हैं और लड़के बुद्धू"
तो झपक के विहान ने उसस्की छोटी पकारा और कहा,
"तुमने मुझे बुद्धू कहा अभी बताता हूं!"
और दून झगड़ने लगे, वही झूठ मूठ की लड़ाइयां, प्यार वाले झगड़े जो भाई बहन के बीच अक्सर होता है….
दोनो चाय पीने गए, बिस्कुट वघैरा लिए तो आशिता ने कहा, "चाय थंडी हो गई है भाई, थेरो मैं नई बनाती हूं!"
हां आशिता किचन के बहुत सारे काम करती थी, उसे मां ने उसको बचपन से ही किचन में काम करना पढ़ाया और आशिता को किचन में खाना, केक कुक करना और बहुत सारे काम करता था, और स्कूल में घर इको तो भी करना ये सब उस्को पासंद था। वेइस काफ़ी कुछ विहान को भी इसलिए था क्योंकि उसे भी माँ से बहुत कुछ पढ़ा था जब आशिता बेबी थी टैब।
अब विहान आशिता को चाय बनाते हैं निहार रहा था। ऐसा लग रहा था एक पति बैठा हुआ पत्नी की हाथ की चाय पीने का इंतजार कर रहा था।
खैर चाय पीठे वक्त विहान को एक विचार सुझा। उसने कहा, "सुन, अगर झुटन खाने से तुझे कोई प्रॉब्लम नहीं तो चल एक टेस्ट करते हैं, मैं देखता हूं तू अब भी मेरा झुठन खाती है के नहीं!"
दोनो चाय के कप लिए और बिस्किट लिए बैठे हैं तो अनीशा ने कहा, "ठीक है।"
और विहान ने बिस्किट का एक टुकड़ा अपने में डाला, उसे भीगो दिया और आशिता के मन के पास किया और कहा, "इससे अपने मुझे में ले ले!"
आशिता ने बिना समस्या के अपना मैं खोला और विहान के मुंह से उस भीगे हुए बिस्किट के टुडके को अपने मुंह में ले लिया और खा लिया।
विहान को बहुत अच्छा लगा, और उसे जान बुझकर अपने जीब को आशिता के जीब से तकया वेइसा करते वक्त। फिर कहा, "एक और बार करते हैं!"
तो आशिता ने मुंह खोल दिया और अपने मन को विहान के मन के पास कर दिया, जल्दी से विहान ने एक और बिस्किट का टुकड़ा मुंह में लिया और आशिता के मुंह में डाला फिर से अपने जीब को अपनी बहन के लिए।
विहान को कुछ होने लगा था, उसके जिस्म में एक आग जैसे भादक रहे थे वो आशिता के चेहरे में घुरर रहा था और अचानक आशिता ने कहा, "अब मेरी बारी, तुम अब मेरे मुंह से खाओगे भाई ठीक है?"
और विहान जैसे फ्रीज होते हुए अपने सर को हां में हिलाया और इस बार आशिता ने अपने मुंह से बिस्किट को विहान के मुंह में डाला, वो करने के लिए आशिता को कुर्सी से खड़ा होना पड़ा और विहान करीब के जियादा। और जिस वक्त आशिता के मुंह से विहान के मुंह में बिस्किट ट्रांसफर हो रहे थे उस उस दौर विहान के दोंन हाथ आशिता के कमर पर हुए और उसे आशिता को जोर से बात में भर लिया, और आपने मुझे में आशिता के लिए और उसे में ले लिया। जीब को अपने मैं में लेकर चुनने लगा……
आशिता का हाथ विहान के कांधे पर गए और उसे छोटे छोटे थपथापाहत के लिए विहान के कांधे पर… मतलाब रुकने का इशारा कर रही थी… कोई 20 सेकंड तक विहान ने अपनी बहन के जीब को छू गया था।
विहान ने सोचा के आशिता नरज होगी, चिल्लाएगी और शोर मचाएगी मगर वो बहुत हीरान हुआ के आशिता ने कुछ नहीं कहा, नहीं किया बस बिलकूल नॉर्मल थी जिसे कुछ हुआ ही नहीं; और जो अपना बिस्किट खाने लगी को वापस करता है। विहान आशिता के चेहरे में देखते जा रहा था सोचते हुए के किआ आशिता को पता भी है के अभी अभी दोंनों के किस पहली बार, रियल वाले फ्रेंच किस किए गए दोंन ने किया आशिता को पता था?!
विहान का जाम खड़ा हो गया और आशिता को घुरते जा रहा था मगर आशिता जैसे कुछ हुआ ही नहीं वेइस नॉर्मल बिहेवियर कर रही थी, तो विहान ने कहा,
"मैं ने दो बार तुमको बिस्किट खिलाड़ी अपने मुंह से और तुम्हारे सिरफ एक ही बार किया, एक बार और करना है नहीं?"
आशिता ने मस्कुराते हुए कहा के लिए, "ओके थिक है और एक बार करता हूं..."
और वही हुआ फिरसे…. जैसे ही आशिता ने विहान के मन में बिस्किट का टुकड़ा डाला विहान ने उसे जोर से वहां में भारते हुए हुए आशिता के बगीचे के पिचे हाथ से जोर लगाते हुए उसको अपने मैं आशिता के बिस्किट को वही जीने के लिए अपने मन में लिया और अपनी बहन के जीब को चुनने लगा…. आशिता वेइस ही विहान से लिपटी रही और अपने भाई को जीब चुनने दिया
जैसे के बिस्किट खा रहा था उसके जीब से... लास्ट बार 20 सेकेंड तक हुआ इस बार 45 सेकेंड तक चूसा उसे आशिता के जीब को... और जब रुका तो बिलकूल आम तौर पर आशिता ने विहान के चेहरे में देखा, "हो गया? बस?"
विहान उसस्की मासूमियत पर मुस्कान दीये और कुछ डर उसके चेहरे में गौर से देखने के बाद पुचा,
"तुमको पता भी है के अभी हम दोंनों ने किया किया आशु?"
आशिता ने अपने कंधों को ऊपर उठते हुए कहा,
"किआ किया? बिस्किट ख़िलाया तुमको और किया ?!"
विहान: "और उसके इलावा किया किया हम दोंनों ने आशु?"
आशिता: "कुछ भी तो नहीं किया!"
विहान सोचने लगा कि आशिता भोली बनने की धोंग कर रही है या सच में उसे समझ में नहीं आया के दनों ने अभी अभी किस किया! उसे कहने के लिए,
"अच्छा डार्लिंग एक काम करते हैं..."
आशिता बहोत ज़ोर से हंसने लगी और पुचा, "तुमने मुझे 'डार्लिंग' क्यों कहा भाई हिहिहिहिहिहिहिही!"
टू विहान ने कहा, "अरी तो डार्लिंग, जानेमन, मेरा प्यार' ये सब जिस से बहुत प्यार करते हैं उसी को ऐसे बुलाते हैं नहीं!"
आशिता ने कहा, "हां तो तुम मुझे क्यों ऐसे बुलाने लगे अचानक?"
विहान: "चलो आज के बाद मैं तुमको इन 3 नामों से ही बुलाउंगा, या डार्लिंग, जानेमन या मेरा प्यार ठीक है?"
आशिता: "हम्म और मम्मी पापा ने सुना तो?"
विहान: "नहीं उनके सामने नहीं बुलाउंगा, जब हम अकेले होंगे तब ऐसा बुलाउंगा थिक है?"
आशिता: "ओके हां तो तुम किया बोल रहे द जब पहली बार डार्लिंग बोला तब हिहिही!"
विहान ने कहा: "हां तो तुम मुझे बिस्किट खेला रही थी तुमने कहा नहीं? तो बिना बिस्किट खिलाते हुए ही आकार मुझे खिलाड़ी जैसा एक्शन कर फिर कहता हूं जो कहना था समझ गई?"
और विहान के पास आई, और विहान ने वेइसे ही उसको बाहों में लिया, आशिता ने मुझे खोला और विहान ने अपने जीब निकला और आशिता के मुंह में डाला जिसे आपने देखा। ने आशिता के जीब को चुसा… ..
उसके बाद आशिता से विहान ने पुचा,
“तो अब बता हम ने अभी किया किया? इस से पहले तो बिस्किट खेला रहा एक दसरे को नहीं? तो अभी हमने जो किया वो किया था?”
आशिता चुप चुप कर हंस रही थी फिर विहान को देखते हुए कहा, "कुछ नहीं हम वाइज ही एक्ट कर रहे थे जिसे एक दसरे को बिस्किट खिलाते हैं, झूठ मुठ के बिस्किट खेला रहे थे!"
विहान ने कहा, "हैं धत तेरी की! तू खुद को सयानी कहती है नहीं तो क्यों नहीं पता तुझे के हम किया कर रहे अभी?”
तब आशिता आराम से कुर्सी से उतरी, विहान के पास गई, उसके गाल पर किस किया और कहा, "भाई तुम सच में बुद्ध हो किया? मुझे पता है हम किया कर रहे हैं और हैं मैं तुमसे भी सयानी हूं तुम बुद्धू ही हो ईउउउउउउउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्द्धंः)
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