मेरी प्यारी बहन Part 1


 

                   मेरी प्यारी बहन  Part 1




 विहान के जन्म के 4 साल बाद आशिता पाया हुई।  विहान को तब आशिता पास और नहीं थी।  वो इस लिए के विहान को एक छोटा भाई चाहिए था कहीं नहीं।  उसे मुंह फूला कर चेहरा बना लिया था और आशिता के तरफ देखता ही नहीं था।


 माँ बाप के लाख समाधान, बहलाने, फुस्सलाने के बावजुद विहान एक कोने में रहता और एक तरफ देखता रहता।  जब कभी आशिता की रोने की आवाज आती तो विहान अपने दूनों पर अपना हाथ दबा कर घर से बहार भाग जाता।


 दोनो माँ बाप को फ़िकर रहता के पता नहीं कब विवान आशिता को स्वीकार करेगा।  बहोत दिनों तक ईसा चला।  विहान अपने आप में खोए हुए से रहते हैं।  वो भी बचा था और सब एक ही कामरे में रात को सोते थे, विहान इशिता के जन्म से पहले अपने पापा और मम्मी के साथ ही सोता था, और अब आशिता के भुगतान होने के बाद, विहान ने उसे बिस्तर में किया शेयर कर  .  उसने कहा वो अकेले सोयागा एक दसरे बिस्तर पर।  दशहरा बिस्तर तो था ही नहीं, और सिरफ दो कामरे वाला छोटा सा घर था जिस में शौचालय, बाथरूम और किचन अलग से जुड़े हुए एक दीवार सेपरेशन से।  बीच में एक कॉरिडोर था जो दून रूम को अलग करते थे।  सामने एक छोटा सा जीवित था जिसे अपना लाउंज कहते हैं।  लाउंज से कॉरिडोर में होकर दोंन तराफ में एक कामरा था फिर किचन कॉरिडोर एंड होने के बाद, और राइट में टॉयलेट और बाथरूम।


 अब दशहरा कमरा खाली था, सिर्फ एक छोटा सा मेज और कुर्सी हुआ करता था उस में।  ज़ियादा पैसा भी नहीं था के एक नया बिस्तर खरीदा जा खातिर उन दिनों को।  बाप ममूली बैंक का मुलजिम, महिने भर का तनख्वा से घर का राशन, सब्जियां, बिजली का बिल, पानी का बिल, इंटरनेट कनेक्शन इन सब के खर्च से महिना का तनख्वा अंत हो जाता था कुछ बच्चा ही नहीं था।  तो नए बिस्तर ख़रीदने का सवाल ही नहीं पाया हुआ बालके दोंन माँ बाप ने ये सोचा के अब विहान को मातृ विद्यालय में दखिल कर देना चाहिए।


 तो रात को उन दिनों विहान दसरे कामरे में जाकर उस टेबल पर एक चादर लगा कर सो जाता था।  माँ बाप दोंनों को बहुत अफ्सोस होता उसस्की उस रवायये से।  एक कंबल से उसे बाप जाकर ओढ़ा देता और बार बार रात को उसे देखने जाते हैं दोंन बारी बारी।  जब भी रात में आशिता जगती तब आशिता को पिलाने के बाद मां उस कामरे में विहान को देखने जाति।


 चांद हफ़्तों के बाद बाप ने विहान का दाखिला करा दिया मातृ विद्यालय में।  इतने दिनों में विहान ने एक बार भी आशिता के चेहरे को नहीं देखा था।  माँ को डर था के कहीं विहान आशिता को अकेले पाकर उसको छोट नहीं पहूँचाये, उसे कहीं मारे नहीं, इन सब बातों को सोच ही उसको स्कूल में दाखिल करवा गया।


 अब यूएस स्कूल में नर्सरी वाले हिसा भी था, जहान माता-पिता अपने बच्चों को चोर कर काम करने चले जाते और शाम को काम से वापस निकलने के बाद वहां से बच्चों को ले जाते।  और वो बगल वाले कामरे में जहां विहान की क्लास थी….  अक्सर आईएसएस क्लास के बच्चे यूएस नर्सरी के बेबीज को देखने और उन से खेलने को जाते हैं...  अब यूएस स्कूल के टीचर्स और हेल्पर्स स्कूल के बच्चों को इस लिए उन बच्चों से घुलने मिलने देते हैं बच्चों को ऐसे लगे के उनके पास खेलने वाले छोटे बच्चे भी हैं……


 टू विहान अपने क्लास से जब बच्चों के रोने की आवाज सुनता तो हमें अपने घर में आशिता की रोने वाली आवाज सुनायी देता।  अब, जब बाकी के बच्चे से खेलने को जाते हैं तो विहान हीरान रहता के केइस ये सब बच्चे इतने छोटे बच्चों से खेलते हैं;  इस तरह एक दिन एक बच्चे को फॉलो करते हैं विहान भी उस नर्सरी में गया जहां बहुत सारे बेबी द क्रैडल्स में।


 विहान दरवाजे पर सत् कर खड़े उन सब पालने में बच्चों के तरफ देख रहे हैं अपने एक उनगली को चुने हुए।  एक हेल्पर ने एक बेबी को हाथ में लिए हुए दो पिला रही थी बोतल से और एक बच्चे को अपने पास बुलाया और उस बच्चे को दूध वाली बोतल दिया और बेबी को पिलाने को कहा।  विहान देख रहा था और उसे उस बच्चे के चेहरे को देखा।  उस्को बेबी बहुत क्यूट लगा।  वो रो नहीं रही थी बस आराम से बोतल के निप्पल से दूध पेशाब रही थी।  उस लेडी ने विहान को देखा और अपने पास बुलाया मगर विहान ने सर हिलाते हुए न कहा और वापस अपने क्लास में भाग गया।


 उस दिन को स्कूल से घर वापस आने के बाद विहान ने चुपके चुपके कर आशिता को झंका जब वो बिस्तर पर सो रही थी।  मां उस वक्त किचन में थी और विहान आशिता को घुर रहा था।  हिम्मत करके वो अहिस्ते बिस्तर के तार बढ़ा और काफ़ी पास जा कर आशिता को देखने लगा।


 मां ने किचन से आवाज दिया, "कहां हो विहान बेटा?  किआ कर रहे हो ?!"


 विहान आशिता को देखते हुए इतना ख्यालों में डूबा हुआ था के उसे अपनी मां की आवाज सुनायी नहीं दी, तो मां का दिल जोर से धड़का ये सोच कर के कहीं विहान आशिता को कुछ कर ही खराब से और।


 कामरे के दरवाजे के पास आकार देखा के बिस्तर के पास खड़ा विहान आशिता को आराम से देख रहा था बिस्तर पर।  मां वहां रुक गई और कुछ डर खादी देखती रही के विहान किया करेगा।  ये पहली बार थी केई महिनों के बाद जब विहान को आशिता को देखते हुए पाया था मां ने।  मां की आंखें भर आई उसको उस तरह से आशिता को देखते हुए कर।  विहान बहुत प्यार भरी नजरों से देख रहा था आशिता को।  लग रहा था के वो उसे अपने बहाने में लेना चाह रहे हो जिसे।  विहान बिस्तर के इतने करिब चला गया था और लगता था वो अपना हाथ बढ़ाने वाला है आशिता को चुनने के लिए, मगर मां को डर भी लग रही थी के विहान कहीं आशिता को मारे नहीं!  फिर भी वो खादी देखती रही, ये जाना चाहती थी के विहान किया करना चाह रहा है।


 विहान ने अपनी एक उन्गली को मुंह में लिए हुए चुने हुए घुरर रहा था अपनी बेबी बहन को जो नीचे में थी।  और उसे अपने एक पेयर को बिस्तर के ऊपर किया और ज़िदा नाज़दिक से आशिता को देखने लगा तब माँ को और भी डर लगा और अंदर दाखिल हो गई ये कहते हैं, "हम्म तुम अपनी बहन को जाने में होना चाहिए?"


 मगर जैसे ही विहान ने अपने मां की आवाज सुना वो झट से बिस्तर से उतर कर भागे हुए दसरे कामरे में चला गया।


 माँ को बहुत फ़िकर हुई उस मंज़र को देख कर।  वो सिरफ ये सोच रही थी के विहान आशिता को जरूर तकलीफ पहुंचता अगर वो और नहीं आती तो।


 रात को उसने विहान के पापा को सब कुछ बताया तो बाप ने कहा के हो सकता है अब विहान आशिता के करीब आने की कोशिश कर रहा है, हो सकता है अब वो उसे स्वीकार करना लगा है, उसे दे चोरर  के वो कर्ता किया आखिर।


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 बाकी दिनों को स्कूल में विहान के बार बच्चों के कमरे में जाते हैं।  उसे के बच्चे के गाल को छूआ, हाथ से सहलाया, और प्यार से सब को देखा, उन बच्चों में लड़कों और लड़कियों भी थे।  एक बार एक टीचर ने बेबी को पिलाते वक्त विहान को बोतल दिया और बेबी को पिलाने को कहा जो विहान ने किया।  और बेबी ने थोड़ा दूध मुं से बहार फ़िंका तो विहान चिल्लाया, "नहीं पी रही है, उगल रही है वापस!"  टू टीचर ने हंसते हुए बेबी का मुंह पोंचा और कहा के उगल नहीं रही है गिर रही है क्योंकि जियादा ऊपर उठा हुआ है बोतल को उसने।


 घर वापस आने के बाद विहान फिर गया आशिता को बिस्तर पर देखने।  मां उसी के इंतजार में थी और वही दरवाजे के पास चुप कर खादी देखने लगी के वो किया करेगा।  मां को हिरानी हुई देख कर के विहान ने बड़े प्यार से आशिता के गाल पर अपना हाथ फेरा।  मां की आंखें भर आई और आपके एंख पोंछते हुए मस्कुराकर कहा, "क्यूं रे, तू चुप चुप कर क्यों अपनी बहन से प्यार करता है?"


 इस बार विहान नहीं भागा, वही बिस्तर के पास खड़ा रहा और सर झुका लिया आला।  मां उसके करीब आई और उसे गोद में लेकर कहां, "देख कितनी प्यारी है नहीं?  हम्म?  तू इस से प्यार करता है नहीं बोल?”


 विहान ने सर को हां में हिलाया।  माँ ने उस्को ज़ोर से देखे से लगते हुए कहा, "अरे मेरा बच्चा मुझे बहुत खुशी हुई आज।"  विहान ने कहा, "आज स्कूल में मैं ने एक ऐसी ही बेबी को बोतल से दूध पिलाया!"


 तब माँ ने जल्दी से बोतल वाले दूध तयार किया और आशिता को जगाया और विहान को पिलाने को दिया।  स्कूल में तो बच्चे पालने में लेटे हुए दूध पिया था मगर यहां पर मां ने आशिता को विहान के गोद में रख दिया और हाथ में बोटाल दे दिया और पिलाने को कहा...  और मस्कुराते हुए उसके चेहरे में देखते हुए कहा, "अभी देखना उगल दूंगा दूध को अगर मैं ने बोटाल को ज़िदा ऊपर उठा तो!"


 माँ ने हंसते हुए कहा, "हैं वाह, तुझे तो अब बहुत कुछ पता है बच्चों के बारे में!"


 और विहान ने देखा के आशिता अपनी छोटी छोटी आंखों से उसे देख रही है दूध पीठे फिर अचानक आशिता की नन्ही सी हाट ने विहान का हाथ पाकर लिया तो विहान जोर से छलया, "मां इसे मेरा बोलो मेरे हाथ पाकर  इस्ने केइस मेरा हाथ पकारा हुआ है और मुझे घूर रही है !!!”


 माँ ने हंसते हुए कहा, "क्या तो किया हुआ?  वो भी तुमसे प्यार करता है उसे पता है के तू उस्का भाई है इसी लिए उसे तेरा हाथ पकारा……”


 तो इस तरह से विहान ने आशिता को स्वीकार किया और उससे अपनी बहन से प्यार हुआ और उस दिन के बाद वो बिस्तर पर सोने लगा सबके साथ, खास कर आशिता के पास सोता रात को, आशिता रोटी तो मां से पहले विहार  को खामोश कर्ता… ..


 और दिन गुजारते गए और दून आशिता और विहान बढ़ते गए और दून एक दसरे के बघैर रह नहीं पाते….. स्कूल से वापस आते ही विहान सबसे पहले आशिता से मिला, उस से खेलता, उसके साथ पुरा वक्त बीटा…


 और जब विहान कुछ या बड़ा हुआ तो आशिता सेम स्कूल में अपने भाई के साथ सुभाष निकल जाने के लिए और दों साथ वपस घर आते…….

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