मेरी बहन मेरी जिंदगी Part 7
सोनिया लेटे ही सोच रही है.. फिर उसका ध्यान किस की तरह चला जाता है.. जब वो सुभ जगी तो सामने अरुण का चेहरा देख उससे रहा नहीं गया और उसके होने खुद बा खुद वो गया या खिंचे चले गए। एहसास जब उसके होने ने अरुण के सम्मान को चुआ..वो अहसास वो शब्द में बयान नहीं कर पा रही थी..क्या था वो अहसास।
वो जादू वो नशा..वो माधोशी जब उसका रस उसके मुह में घुलने लगा... इन बातों को याद करके दोबारा उसके हिस्से में वही रोमांस वाली लहर दौड़ गई..
उसने सिरफ का इस्तेमाल करें धन्यवाद कहने के लिए किया था लेकिन उसके बाद तो जैसा उसका खूफ पर बस ही नहीं था.. ऐसा भी नहीं था की उसे आज से पहले कभी चुंबन नहीं किया था। नहीं किस किस्म की खोमरी थी..उसने आज से पहले कभी भी किसी के लिए ये महसूस नहीं किया था..क्या थी ये भावनाएं और क्यू???
कहीं प्यार तो नहीं हो गया है ?? नहीं नहीं ये प्यार नहीं है.. और अपने भाई से तो बिलकुल नहीं हो सकता..ये गलात है.. लेकिन फिर क्यों हर वक्त उसी के पास रहने के इचा होती है..क्यू यूज उसमें मुझे जेक मिला एक है जो और कहीं नहीं मिला.. उसके हाथ लगाते ही वो पिघल सी जाति है..
"हां मैं भाई से प्यार ही तो कृति हूं.. कृति क्या हूं मैं हमा से कृति आई हूं चाहे कितना भी परशान किया हो"।
देखे बिना उससे लड़े बिना उसका खाना ही कहा हज़म होता था.. उस्का दिन पुरा ही तब होता था जब वो उसी एक बार बालक ले.. और अब जब भी वो उसके सामने होता है तो एक ख़लीपन सा रह दिल में होता है उसके ..
"मैं भाई को अभी जा के दूंगा की मुझसे उनसे प्यार है.. मैं उससे प्यार करता हूं.." सोनिया सोच के मुस्कान लगी..
लेकिन अगर वो मुझसे प्यार नहीं करते फिर .. अगर प्यार नहीं करते तो मेरे लिए अपनी जान दों पर क्यों लगते हैं ?? लेकिन ऐसा तो कोई भी भाई अपनी बहन के लिए कर रहा है.. नहीं वो भी मुझे प्यार करते हैं.. और अगर ये सिरफ भाई बहन वाला प्यार हुआ तो ?? सोनिया खुद से ही लड़े जा रही है..
आगर भाई ने मेरा प्यार स्वीकार करने से मन कर दिया तो..ये सोचे ही उसमें से अनसू निकल आए.. लेकिन मैं भाई को बताया बिना भी रह स्कती.. मैं अभी जाके उन सब बता दूंगा फिर आएगा जो होगा देखा .. सोनिया अपने अंशु पोछते हुए खड़ी होती है और रूम से निकल जाती है..
इधर अरुण थोडा तेजी से सीढ़ियां चढता हुआ अपने रूम तक पहुंचा.. हांकी इस्मे दर्द कफी हुआ लेकिन वक्त उसका दिमाग सिर्फ सोनिया की हरकतों को याद कर रहा था.. रूम के अंदर आते ही वो धम्म से बिस्तर पर गिर गया
उसे अपना सर अपने हाथ में पका लिया और सोचने लगा.. ये क्या हो गया मुझसे.. अब सोनिया क्या सोचेगी उसका भाई उसके नंगे में है तारिके से सोचा है.. ठीक ये उसकी बहन के साथ ही क्यों हो रहा है.. पहले सुप्रिया दी और अब सोनिया.. नहीं मैं सोनिया के साथ आगे नहीं बढ़ स्कता.. चाहे पहले मैंने उसके नंगे में कितने भी गंदे तारिके से सोचा हो पर अब नहीं.. अब वो बदल गई है.. "मैं सही में बहुत बुरा इंसान हूं.. हमें बेचारी ने सोने के लिए मेरा हाथ और मैं उसके शरीर के अहसास से ही उत्तेजित हो गया.. मैं उसे गलता खड़ा रहा हूं.. मुझे उससे दूर रहना होगा.. यही सही है..' तारिके से सोचने लगा..
तबी दरवाजे पर हलकी सी दस्तक सुनई पड़ी है..
"कौन ??" अरुण सोचा है जरूर सोनिया ही होगी..
"भाई मैं अंदर आ जाऊं.." सोनिया और अपना सर कर के बोलती है..
अरुण हां में सर हिला देता है और अपने चेहरे के भाव को स्माइल में चेंज कर देता है.. सोनिया आके सामने घुटनों पर बैठा जाती है..
"आई एम सॉरी.." दोनो एक साथ ही बोल पढ़ते हैं..
"क्या ?? आप क्यू सॉरी बोल रहे हो.." सोनिया पुचती है..
"वो जो कुछ भी हुआ आज सब उसके लिए .." अरुण ठुक निगलते हुए कहते हैं..
और एक गहरी सांस लेता है..
"सोनिया कल रात मुझे अपनी अब तक की सबसे अच्छी नींद आई जबकी मेरी बॉडी में इतनी छोटी आई हैं.. सब कुछ के लिए जो पहले हुआ था ... और।" अरुण बड़े धीरे बोलता है.. लेकिन तब तक सोनिया अपना हाथ उसके होने पर रख देती है..
"भाई एक बात बताउँ.. मुझे पता नहीं क्यू लेकिन आपसे एक तारिके से नफ़रत थी जबसे दुर्घटना हुआ था। इसिलिए मैं हमा आप से लड़की रहती और आपको दुख पाहुचाने की कोशिश पाकरती रहती थी। की मैं तो आपसे हमा से प्यार करता हूं.. और जैसे मैं आपके नंगे में सब कुछ जनता हूं.. कल से जब भी मैं अकेले सोने की कोसिस करता हूं तो डरवाने सपने आते हैं.. लेकिन जब मैं आपके साथ इतने सोई सुख मिला की मैं आपको बता नहीं सकती.. और अपने कुछ भी बेकर नहीं किया.. मैंने ही आपको किस किया था..' सोनिया अपनी आंख से निकला अंश पोचकर कहती है..
"और आपको किस करके मुझे एहसास हुआ हुआ की मैं आपसे सच में प्यार करता हूं और ये प्यार बहन भाई के प्यार से बढ़कर है.. मैं तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं .. मैं तुमसे प्यार करता हूं भाई .." सोनिया इतना कह के शांत हो जाति है..
इस्के बाद रूम में सन्नाटा चा जाता है। अरुण के दिमाग ने तो काम ही करना बंद कर दिया।
वो धीरे से सोनिया का हाथ पक्का के कहता है.. "सोनिया देखो तुम अभी थोड़े इमोशनल स्टेट से गुजर रही हो.. तुम मुझसे प्यार नहीं करती हो.. बस तुम ऐसा लग रहा है.. और ये गलत भी है.. बात समाधान की कोषिश कर.. गुड़िया.."
सोनिया ये सुनते ही थोड़ा सा सखत हो जाती है...उसके आंखें में अनु बनाने शुरू हो जाते हैं... "भाई प्लीज ऐसा मत बोलो.. मैं सच में तुमसे प्यार करता हूं.. कृपया भाई समझने की कोशिश करें.. मैं जनता हूं आपको भी मुझसे प्यार है लेकिन आप स्वीकार नहीं करना चाहते.."
अरुण इतना सुनता है तो थोड़ा सा अच्छा भी होता है की जो चिज वो अभी सोच रहा था वो कैसे पता... लेकिन फिर भी खुद को कंट्रोल करता है..
"सोनिया ये गलत है .. मैं तुमसे प्यार करता हूं लेकिन एक बहन बस के रूप में .. और कृपया रोना मत। तुम्हें कुछ समय चाहिए है सोचने के लिए .. और हम लोग थोड़े समय दूर ही रहेंगे .. ठीक देखना तुम्हारा जब मूड थिक होगा तो तुम्हें एहसास होगा की तुम गलत सोच रही थी..."
"ठीक है भाई आप स्वीकार नहीं करना चाहते हैं कोई बात नहीं.. मैं कुछ नहीं कहूंगी वैसा भी आपने मेरे लिए बहुत कुछ किया है ... के अपने रूम में चली जाती है..
और अरुण दरवाजा को तका रहता है..
और अरुण दरवाजा को तका रहता है..
सोनिया के जाने के बाद अरुण बिस्तर पर गया और सोचने लगा... यह क्या बकवास है?? ये क्या हो रहा है मेरे साथ... सोनिया... वो मुझसे कैसे प्यार कर सकती है?? नहीं ये नहीं हो सकता.. वो मुझसे प्यार नहीं कर सकती.. ये गलत है.. तो फिर क्या तेरा और सुप्रिया दी का रिश्ता गलत नहीं है.. नहीं वो अलग चिज़ है.. हमारे बीच जो कुछ भी हुआ वो अलग स्थितियां थी. सोनिया अभी बच्ची है.. इस्तेमाल में चीज की समझ ही है.. वो थोड़ी इमोशनल है हम घटना के बाद इसलिय इस्तेमाल ऐसा लगता है की वो मुझसे प्यार कृति है लेकिन ऐसा है नहीं.. और तू?? मैं मैं मुझे..म..मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा.. हो तो मुझे भी कुछ हो जाता है जब मैं उसके साथ रहता हूं। लेकिन क्या ?? इस्का जवाब मुझे भी नहीं पता। केह तो दिया है मैंने की हम दोनो थोड़े दिन दूर रहेंगे लेकिन क्या मैं दूर रहूँगा.. काश कोई मेरी मदद कर पता ?? आरोही !! हां वो मेरी हर बात समजति है वो मेरी मदद कर सक्ती है..
लेकिन अगर उसे गलत समझा तो..वैसे भी उसे मुझे आह सोनिया कहते पके लिया था। वो समझी की मैं अपनी हवा मिटाने के लिए ये सब कर रहा हूं..नहीं। आरोही मुझे अच्छे से जनता है वो ऐसा नहीं सोचेगी.. लेकिन अगर उसे सोचा तो और वैसा ही तू एक बहन से ये पूछेगा की दसरी बहन तुझसे एक भाई की तरह नहीं एक प्रेमी की तरह प्यार है। .. क्या हो रहा मेरे साथ ?? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा..
ऐसे सोचते सोचते अरुण थोड़ी देर और सो लिया। और फिर बाथरूम में नहीं लिया जाके.. तैय्यर होके वो धीरे-धीरे चल के बहार हॉल में आकार टीवी देखने लगा.. बाकी सब लोग कफी हांसी मजाक करने लगे.. स्नेह के पूछने पर सोनिया ने कहा दिया की कुछ नहीं बस थकन है और शांत ही राही.. लेकिन अरुण बार बार उसे या देखता फिर आला की या देखने लगता है.. आरोही नोटिस की लेकिन कुछ नहीं बोला। फिर बुरा कर के सब लोग अपने अपने काम पर लग गए और अरुण अपने रूम में जेक कंप्यूटर पर कुछ करने लगा।*
थोड़ी देर में आरोही आकार उसके बिस्तर पर पेट के बल चलो गई और उसे देखने लगी..
"क्या...??" अरुण जब ने अपनी तरह ऐसे देखे पता है तो पुचने लगा का इस्तेमाल किया।
"कुछ नहीं.." आरोही कुछ नहीं कहती..
थोड़ी देर दो शांत रहते हैं.. लेकिन आरोही के चेहरे पर प्रश्न चिह्न बना ही रहता है..
"तो मुझे पुछना ही मिलेगा फिर तुम खुद ही शुरू करोगे.." आरोही बोलती है..
अरुण दो मिनट शांत रहता है उपयोग करें समझ में नहीं आता की इसे हमेश पता कैसे चल जाता है और वो भी समझ नहीं पा रहा है कि कैसे शुरू करें..
"चलो मैं पुछ ही लेटी हुं तुम्हें बताता में आसान होगी.. क्या हुआ सोनिया के साथ ?? और मैं बाथरूम के दृश्य के बारे में बात नहीं कर रहा हूं ..ही" आरोही हंस के पुचती है ..
"हुह्ह्ह्ह .. मुझे नहीं पता .. मुझे खुद को पता क्या हुआ है .. उसने आपको अच्छे तरीके से बदल दिया है ..लेकिन ..." अरुण को शब्द ही मिल पा रहे हैं ..
"लेकिन..." आरोही सर हिलाकर पुछी है..
"ठीक है, मैं शुरू से शुरू करूँगा...और कृपया निर्णय न करें, ठीक है..." अरुण बोलता है..
"ओके..." आरोही थोडा सीरियस होके बोलती है
"ठीक है..तुमने तो देखा ही है कि सोनिया किस तारिके से बदलो हो गई है पारसो रात के बाद। उसका व्यवहार मेरे लिए पूरी तरह से बदल गया है .. तो कल रात मैं पानी पाइन के लिए उठा तो सोनिया भी थी रसोई में।" हम दोनो में हलकी फुलकी बातें हुई फिर उसे बहुत ही दारी और सहमी सी आवाज में पुचा की क्या वो मेरे पास सो स्कती है.. तो मैंने हां कर दी.. इतना कह कर अरुण आरोही की आंखों में देखने में काफी कुछ कर रही हूं। से प्रतिक्रिया के इंतजार में..
"फ़िर.." आरोही ने बिना किसी एक्सप्रेशन के जवाब दिया..
"फिर हम दो सो गए लेकिन थोड़ा दार लग रहा था तो वो मुझसे सत कर जाने दो और मैं भी भाई के रूप में थापकी देने लगा..ठीक है..लेकिन सुबाह.."अरुण फिर रुक गया..
"हुंह्ह..सुबाह"*
"सुबह उसे मुझसे आई लव यू कहा तो मैने भी हम टाइम यूज़ आई लव यू केह दिया लेकिन फिर उसे मुझे फिर से आई लव यू कहा और एक तरह से एक बहन को नहीं करना चाहिए" अरुण थोडा कहानी बनाना के इस्तेमाल किया है और किस के नंगे मुझे कहने की उसे हिम्मत ही नहीं हुई..'तो मैं थोड़ा सा घर गया और अपने रूम में यहां आ गया और सोच ही रहा था तो सोनिया आती है और उसे फिर मुझे पूरी बात बताया कि कैसे इस्तेमाल करें हुआ को मुझसे प्यार करें आई है और वह मुझसे प्यार करती है और वह मेरे साथ रहना चाहती है..." अरुण इतना कह कर शांत हो गया..
आरोही कुछ सेकंड रुकी है जैसे कुछ सोच रही हो..
"फिर तुमने क्या कहा..."
"मैं क्या कहता मैंने इस्तेमाल किया समझ की ये सब सही नहीं है..वो इमोशनल है इज टाइम इसलिय यूज ऐसा लग रहा है.. जब उसका थोड़ा मूड अपलिफ्ट हो जाएगा तो सही हो जाएगा... तो वो कहूंगा प्यार से मैं भी उससे कृता हूं लेकिन स्वीकार नहीं कर रहा.. और रोते हुए चली गई..."
"ओकेय्य... तो सोनिया को लगता है कि वो तुमसे प्यार करने लगी है और एक बहन की तरह नहीं .. और उसे भी कहा का इस्तेमाल करें ये भी पता है कि तुम भी प्यार क्रते हो..ऐसा क्यों कहा .. ?? ओह्मीगोड तुम दोनो के बिच बटों के अलावा भी कुछ हुआ है ?? है ना..." आरोही अपनी आंखें चौडी करके बोली..
अब अरुण का दिल बैठा के इसे कैसे जाना किस के नंगे में और वो कहे भी तो कैसे..
"नहीं आरोही ऐसा कुछ नहीं है.."
"तुम्हे अच्छे से पता है कि हम दो दुनिया को झूठ बोल सकते हैं लेकिन खुद एक दसरे से नहीं..और तुम झूठ बोल रहे हो.. अब जल्दी बता क्या हुआ.." आरोही आगे बढ़कर बोली..
"वो..वो..सुबाह जब मेरी आंख खुली तो वो मुझे किस कर रही थी.. और मैं नींद से जग रहा था तो मैं उसे रोक नहीं पाया..लेकिन मैं कसम खाता हूं कि मैं वह नहीं था जिसने उस चुंबन को शुरू किया था.." जल्दी से बोला..
"बाप रे.."
इतना बोल के आरोही बिलकुल शांत पद गई और अपना सर अपने हाथों में लेकर बैठा गई..
"वो तुम किस कर रहे थे और तुमने इस्तेमाल किया रोका नहीं क्योंकि तुम मुझे चाहिए..और इस्तेमाल लगता है कि जैसा वो महसूस करता है कृति है वैसा ही तुम भी महसूस करता हूं.. और तुम्हें खुद ही पता करता हूं कि तुम कैसा महसूस करता हूं। .. इसकी जटिल .. केवल एक ही समाधान .." आरोही ऊपर देख के बोले जा रही थी ..
"क्या ??"
"इसे कुछ समय दो भाई .." आरोही ने उसका हाथ थापथपते हुए कहा .. और कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा .." आरोही ने बड़े प्यार से कहा .. तो अरुण को कुछ अच्छा महसूस हुआ ..की कम से कम समस्याओं को हल करें तो कुछ राहत जरूर दिया था का उपयोग करें। वो कब से किसी से है नंगे में बात करना चाहता था..
"तो आप कह रहे हैं की टाइम सब ठीक कर दूंगा..?" अरुण ने पुचा..
"नहीं लेकिन समय देने पर तुम समझ पाओगे की तुम्हारे दिल में उसके लिए क्या है और वो भी चीज को सॉर्टआउट कर पायेगी..संजे.." आरोही बिलकुल एक शिक्षक की तरह बोली।
"हम्म ओके..ये भी देखते हैं.." अरुण आ भरके बोला..
फिर हम ऐसे ही आधार की बातें करने लगे..फिर आरोही के जाने के बाद अरुण कंप्यूटर पर कुछ करता रहा तब तक लंच का टाइम हो गया तो सब कुछ जेक खाना खाने लगे.. सिर्फ सोनिया के पास वाली कुर्सी खाली थी तो अरुण थोड़ा रुका फिर आरोही को हल्के से इशारा कर दिया तो वो जेक सोनिया के पास बैठा और अरुण आरोही की जगा बैठा गया। ये देख कर सोनिया को चेहरा और ज्यादा उतर गया.. खैर सब ने खाना खाया। और प्योर लंच के दौरन ना सोनिया ने अरुण की तरफ देखा और न ही अरुण ने.. लेकिन बाकी तीनो ने ये सब बड़े गौर से देखा..
"मैं जनता थी.. मुझे पता था.." सुप्रिया थोडा उत्साहित होके बोली..
सब लोग उसकी या देखने लगे सब करने के लिए..
"क्या दी..?" आरोही ने पुचा..
"ये दोनो बिना लड़े रह ही नहीं स्केते..जितना कल का ड्रामा था की मैं फिर कभी नहीं लड़ूंगी..वगैराह वगैराह सब नकली था..अरे अगर इन दोनो ने लदना छोड दिया तो दुनिया नहीं तबह हो जाएगी.." सुप्रिया हंस कर बोली तो सब हंसने लगे और सोने ने भी हलका सा मुस्काना दिया..
"ऐसा कुछ नहीं है दी.." अरुण बोला..
"रहने दे मुझे साफ दिख रहा है कि तुम दोनो एक दसरे को इग्नोर कर रहे हो.." सुप्रिया बोली तो दोनो जेप गए..
"खैर तुम दोनो खुद ही ये लड़ाइ सॉर्ट आउट क्रो..और ये तुम दोनो कोल्ड वॉर कब से खेलने लगे.. बिना मार धड़ के कैसा खाना होता है तुम लोगो का?" सुप्रिया उनकी तांग खिचती ही जा रही थी..
फिर ऐसे ही लंच कर लिया सबने और सब अपने रूम में चले गए..सोनिया ने सोचा अरुण से बात करनी ही मिलेगी तो वो अरुण के रूम में जा ही रही थी कि का उसे नीचे किसी के आने की आवाज सुनी तो इकलौता की दोस्त रोहित आ रहा है..तो वो अपने कमरे में चली गई..
रोहित भी अरुण के साथ ही कॉलेज में पढ़ा है.. दोनो की दोस्ती 9वीं कक्षा में मैं हुई थी.. दरसाल रोहित की बहन सोनिया की दोस्त है और वो भी उस रात क्लब में..तो उसी रोहित को खबर दी..
खैर रोहित के आने से सोनिया का प्लान तो रुक गया अरुण से बात करने का। जब तक रोहित गया नहीं तब तक वो अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी अंश गिरती रही। सही है ये मुझे अच्छे हैं भाई को सताने की साजा ही तो मिल रही है। मैं इसी काबिल हूं.. वो ऐसे लेटे लेटे सोचे जा रही थी..
इधर रोहित 3 4 घंटे बाद गया तब तक शाम हो गई थी। तो अरुण भी आला आकार आरोही और स्नेहा के साथ टीवी देखने लगा.. अरुण ने इसारे से आरोही से पुचा की सोनिया कहा है तो उसे दिया दिया की ऊपर रूम में है..सोनिया रूम से तबी निकली जब डिनर का टाइम हो गया। लेकिन ये क्या डिनर के टाइम तो बहुत ही चाहक रही थी। बहुत खुश दिख रही थी खुद को जैसे जैसे ही अरुण की नजर उसकी आंखों पर गई तो जनता डर ना लगी की वो सिर्फ नाटक कर रही थी।
खैर सब लोगो ने डिनर किया और फिर थोडी डेर सब टीवी देखते रहे फिर अरुण अपने रूम में जेक सोने की कोसिस करने लगा..लैग टू यूज भी खलीपन रहा था। लेकिन फिर उसने एक विचार लगा और पहले तो हस्तमैथुन किया फिर कपड़े चेंज करके सो गया.. बस सोने से पहले का उपयोग करें कोई है उसके कमरे के बाहर लेकिन उपयोग करें नींद काफी जोर से आ गया तो गया..
रात में अचानक उसकी जरूरत खुल गई। जब टाइम देखा तो 2 बजे थे.. थोड़ी प्यास भी लगी थी तो वो आला किचन में पानी पाइन चला गया। लेकिन जब वो वापस आया तो उसका ध्यान दरवाजे की साइड वाल पे गया तो उसका दिल मयूसी से भर गया..
सामने सोनिया जमीन पर बैठी हुई थी एक पाटली सी चादर डाले..ध्यान से देखने पर पता चल स्कता था की रोटे सो गई हो..हलकी थंड के करन वो काम भी थी और ऊपर से वो सोते समय पहचान भी कफी छोटे थी स्पोर्ट्स ब्रा और छोटे से सॉर्ट..खैर अरुण का दिल ये देख कर पासिज उठा..पता नहीं कितनी डर से बेचारी याहि ऐसे थंड मी बैठा हुई थी..
तो धीरे से गया और जैसा ही उसका हाथ सोनिया के गाल से चुआ सोनिया गाल उठी.. "मम्म.. मुझे कुछ मत करना प्लीज.. मुझे कुछ मत करना" और रोने लगी..
तो धीरे से गया और जैसा ही उसका हाथ सोनिया के गाल से चुआ सोनिया गाल उठी.. "मम्म.. मुझे कुछ मत करना प्लीज.. मुझे कुछ मत करना" और रोने लगी..
अरुण का तो दिल उसी समय रोने लगा और वो वही बैठा के उपयोग शांत करने की कोसिस करने लगा..." सोनिया.. गुड़िया देख मैं हूं... अरुण..."..लेकिन सोनिया फिर भी रोटी जा रही थी और हाथ जोड़ी चलती जा रही थी..ऐसे ही 2 3 हाथ अरुण के लग गए लेकिन फिर धीरे-धीरे वो शांत हो गई और जब उसे देखा की सामने अरुण है तो वो और ज्यादा ही रोने लगी और तूरंत गाले ही अरुण दाल कर कास कर उसके साथ चिपक गई और रोटे कहने लगी.. "भाई प्लज़ मुझे कभी छोड़ कर मत जाना..भाई मुझे बहुत डर लग रहा है मैं अकेला नहीं रहना चाहता..भाई प्लीज़ मुझे अकेले मत।" और पता नहीं क्या क्या कह कर रोये जा रही थी..
अरुण की भी आंखें नाम हो गई और उस समय उसे कुछ तय कर लिया। वो धीरे-धीरे वही दरवाजे के तरफ मेरे साथ उसका सर अपने कांधे पर रख कर सहलता रहा। जब धीरे धीरे सोनिया शांत हुई तो अरुण उपयोग लेकर खड़ा हुआ और फिर अपने कमरे में गया और रूम बैंड करके दोनो बिस्तर पर चले गए अरुण ने अच्छी तारिके से अपनी या खिंचा और दोनो के ऊपर चादर दाल ली और फिर सोनिया ने इस्तेमाल किया उसके देखे पर और अपने हाथ जोड़ी उसके चारो तार लापेट लिए.. अरुण धीरे धीरे उसके गाल सहलता रहा। थोड़ी देर में सोनिया की हल्की सी आवाज आई.. "भाई सॉरी.." एक दम भारी हुई सी..
"श...किसलिये???" अरुण ने पुचा..
"मैंने फिर आपको मारा और आपकी बात भी नहीं मणि... अपने कहा था की हम दोनो दूर रहेंगे...?"
"बेकर बातें को नहीं मनाना चाहिए.. और मरने की बात तो सपना देख रही थी..वैसे दरवाजे के बहार क्या कर रही थी और कब से बैठी थी...?" अरुण ने थोड़ा ऊपर खिचड़ी कर साइड में कर दिया इस्तेमाल करें। और फिर खुद साइड में होकर उसके हाथ अपने हाथ में ले लिया और लगातर उसकी आंखों में देखने लगा..दोनो के कमर के आला के उनसे आप में उल्झे पडे थे..
"वू..वो..मुजे अकेले सोने में डर लगा रहा था..और ऊपर से अपने पास आने से मन किया था तो मैंने सोचा की आप से दूर नहीं आएगी और पास आ ही शक्ति तो शायद आपके रूम के बहार जाने से मुझे आ जाएगी और सपने नहीं आएंगे क्योंकि आप रूम में होंगे इसलिय जब आपके रूम की लाइट बैंड हुई तो मैं आ गई लेकिन.." और सोनिया ने हल्की सी बड़ी भारी..
अरुण ने तुरंत ही इस्तेमाल अपने पास खिनच और उसके गैलन पर हलका सा किस फिर माथे पर किस किया.. "आज के बाद तू मेरे साथ ही सोयगी..ठीक है अब तो जा कल बल्ले करेंगे.." अरुण ने उसके गैलन पर दोबारा किस करते हुए कहा..
सोनिया को भी इस समय उसके पास और आने लगी तो वो भी उसके माथे और गैलन पर किस करने लगी लेकिन तबी पाटा नहीं उपयोग क्या हुआ उसे हल्के से अपने होने उसके होने से रागदकर जल्दी से उसे देखा में अपना सर छुपा लिया और किया जकड लिया का प्रयोग करें ...
अरुण ने भी बार कुछ नहीं कहा और उसके बाल सहलता रहा..और फिर दोनो भाई बहन एक दसरे के अघोष में तो गए डरवाने सपनों से दूर...
सुबाह अरुण की आंख खुली तो फिर इस्तेमाल वही कल वाला अहसास हुआ और इस्तेमाल जाने डेर ना लगी की सोनिया इस्तेमाल किस कर रही है लेकिन उसने ना तो रोका और ना ही खुद आगे बढ़ा का इस्तेमाल करने के लिए। जब किस टूटा तो अरुण ने आंखें खोली और सामने सोनिया का मस्कुराता हुआ चेहरा पाया तो उसके चेहरे पर भी ऑटोमैटिक स्माइल आती चली गई..
"सुप्रभात भाई .." सोनिया बहुत ही चहकती हुई बोली ..
"गुड मॉर्निंग गुड़िया.." अरुण भी बोल दिया...
फिर दोनो बिना कुछ बोले ऐसे ही एक दसरे की आंखें में देखते देखते लेते रहे..पता नहीं कितना समय ऐसे ही बीट गया..अरुण को तो ध्यान भी नहीं रह वो तो बस उन मासूम सी आंखों में खोया फिर था। उसके आंख से एक अंश निकला तो सोनिया ने आगे बढ़ के हमें अनु को उसके गाल से चुना... बस इतना ही होना था की अरुण ने तुरंत ही उसके सर को पक्का और धीरे से अपने होने उसके होने से जोड़ दिए। के होंथों से जुड़े ही दोनो के अंश निकल आए और दोनो एक दसरे को किस करने लगे.. दोनो एक दसरे को बेटाशा किस करने लगी.. सोनिया तो जैसे इसका इस्तेमाल करें। हो गया तो दोनो के चेहरे अलग हुए तो दोनो के चेहरे पर मुस्कान थी.. लेकिन तूरंत ही सोनिया अरुण के ऊपर चढ गई और दोबारा दोनो का चुंबन शुरू हो गया। अरुण अपने हाथ सोनिया की कमर पर ले गया और कास के उपयोग अपने ऊपर दबने लगा और उसके होने की रस की मस्ती में खोने लगा..
पहले तो चूमने के लिए सिरफ होंथों तक सीमा था.. सोनिया कभी उसका निकला हूं कभी ऊपर वाला...अरुण भी कभी उसके होने को डंकन में लेकर सोचता और काट लेता कभी सिरफ चुना फिर सोनिया ने उसे अपने जीवन में मैं डाला तो अरुण ने उसकी जीब को चुनना शुरू कर दिया और फिर उसे भी अपने जीवन को उसके मुह पर डाला।
दोनो अपनी अपनी जीवन से एक दसरे के मुह का मुयाना करने लगे..इस बार जब दो अलग हुए तो दोनो के होंथों के बिच एक थूक का धागा बना हुआ था जिसे देख दोनो फिर एक दसरे की तरफ किस शुरू और फिर गया। ..10 12 मिनट तक ऐसे ही किस करने के बाद दोनो हफ्ते हुए अलग हुए और सोनिया उसके गैलन पर माथे पर चिन पर हर जगह किस करने लगी फिर उसके गले से उसके देखे तक किस करते हुए और फिर वही अपना सर रख ..
अरुण ने भी उसका सर चूमा
और फिर दोनो अपनी सांसों पर काबू पाने लगे..अरुण की ऊपर आला होती छटी के साथ ही सोनिया का सर भी ऊपर आला हो रहा था.. लेकिन बार सोनिया के चेहरे पर एक सुख वाली मुस्कान थी। अपना प्यार मिल जाने का सुख.. ऐसे ही 15 मिनट दोनो लेटे रहे..
"आई लव यू.." दोनो एक साथ ही बोल पाए फिर मस्कुरा दिए..
"मुझे समझ में आ गया सोनिया..मैं भी तुमसे प्यार करता हूं.." अरुण ने उसे सर सहते हुए कहा।
"मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ भाई..मैं तो पहले से ही जान थी..आप ही नहीं मान रहे थे.." सोनिया ने हल्के से उसके देखे पर मरते हुए खा.. अरुण की फिर कर निकल गई..तो सोनिया ने अपने दांतो में जीब ढाबा ली और बिना आवाज के सॉरी कह दिया..
"मुझे समझ में आ गया की मैं खुद तुझसे दूर नहीं रह पाउंगा अब। अभी सुबा तुम्हारी आंखें में देखते वक्त मैंने खुद को मिटा दिया। कभी भी रोने नहीं दूंगा .. वादा .. "अरुण ने ऊपर उठाकर उपयोग करें को चुमते हुए कहा .. "मैं शायद इसलिये डर रहा था क्युकी मैं नहीं चाहता था कि हम लोगो के संबंध में जो परिवर्तन आए हैं वो फिर से टूट जय .."
"नहीं भाई.. अब हम दो कभी भी नहीं लांगे.. सिर्फ करेंगे तो प्यार.." सोनिया ने भी इस्तेमाल किस करते हुए कहा..
फिर दोनो थोड़ी देर किस करते हैं...फिर सोनिया अपने रूम में चली गई और अरुण मस्कुराते हुए लेटा रहा..
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