द मैजिक मिरर


 द मैजिक मिरर 




अध्याय-1



इस कहानी का हीरो एक टीन एज लड़का है। जिसने अभी-अभी दसवीं कक्षा की परीक्षा पास कर के 11 वीं कक्षा में कदम रखा है। राज़ पढ़ने में बहुत ही होशियार है तो उसने दसवीं कक्षा 89% अंकों से उतीर्ण कर ली। ये कहानी तब शुरू हुई जब राज़ (राजेश) तीन महीनों का जो परीक्षा के बाद अवकाश होता है उसमें अपनी नानी के पास गांव गया था। राज़ हाँ यही नाम है अपने हीरो का। देखने में एकदम सीधा सादा, भोला भाला, जादुई दुनिया, और परियों की दुनिया अपने ख़्यालों मैं रच कर अकेले एकांत में बैठ कर दिन निकालने वाला। कोई कह नही सकता कि ये लड़का एक दिन इतनी बड़ी ताकत का मालिक बन बैठेगा।

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राज एक मिडिल क्लास परिवार से है। इसका परिवार ना तो गरीब है ना ही अमीर है। फिर भी किसी भी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधा से ये अछूते नहीं है। कहानी आगे बढ़ाने से पहले हम एक बार राज़ के परिवार के बारे में अच्छे से जान लेते है।

राज के परिवार में राज़ के पापा, मम्मी, 2 बहनें और एक नानी रहती है। राज़ के दादा-दादी और नाना का देहांत काफी अर्से पहले ही हो गया था। नहीं-नहीं कोई दुर्घटना में नहीं बल्कि बीमारियों की वजह से राज़ के दादा कैंसर से पीड़ित थे और दादी टी. बी. की मरीज थी। इलाज करवाया गया था लेकिन होनी को कौन टाल सकता था। राज़ के नाना को अस्थमा का रोग था। गांव में उड़ती धूल मिट्टी की चपेट में आये दिन आते रहते थे तो एक दिन उस मिट्टी ने राज के नाना जी की सांस ही उखाड़ ली।

राज़ की नानी को कोई परेशानी नही है बल्कि वो जवानों से ज्यादा स्वस्थ है। मेरा मतलब जो 80 साल की बूढ़ी खुद बिना लाठी के सहारे अपने खेतों के बागों का ध्यान रखे उसे 80 साल की बुढ़िया कहना तो सरासर गलत ही होगा ना। चलिए मुर्दों की बात यहीं खत्म करते है और ज़िंदा लोगो की भी खबर ले लेते है। राज़ के पाप एक सरकारी बैंक कर्मचारी है। उनकी सेलेरी यही चालीस-45 हजार के करीब होगी।
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राज़ के पापा का नाम गिरधारी है। गिरधारी जी की उम्र कोई 45-48 वर्ष के आस-पास होगी।

गिरधारी जी बहुत ही साधारण जीवन जीने में यकीन रखते है। ये सुबह 8 बजे घर से निकलते है बैंक के लिए और बैंक से शाम को 5 बजे निकलते है और 5.45 तक या फिर कभी-कभी 6 बजे तक घर पहुंच जाते है।

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राज़ की मम्मी का नाम है सरिता देवी।

सरिता एक डॉक्टर है। कभी-कभी हॉस्पिटल में इमरजेंसी पड़ने पर जाती है वरना तो ये आपको घर पर या घर से दो ढाई किलोमीटर दूर इनका क्लिनिक है वहां पर अपने मरीजों के साथ मिल ही जाएगी। जी बिल्कुल अपने मरीजों के साथ क्यों कि सरिता गिरधारी जी से 5 साल छोटी है तो इनकी उम्र लगभग 40 या 38 के आस पास होगी। तो कुछ मरीज़ तो वाकई में किसी बीमारी के शिकार होतें है लेकिन कुछ मरीज तो सरिता देवी की खूबसूरत जवानी के शिकार थे। इनकी शादी गिरधारी जी से कम उम्र में ही कर दी गयी थी। और काम उम्र में ही इनकी 2 संताने हुई दोनों संताने लड़की होने के कारण गिरधारी जी ने तीसरी संतान के लिए प्रयास लगभग 5-6 साल के अंतराल के बाद किया और किशमत से इन्हें बहुत ही सुंदर संतान प्राप्त हुई और इस बार ये संतान लड़का थी। जी हमारा हीरो राज़। अब आप कहेंगे कि मैंने राज़ की बहनों का परिचय नही करवाया। इस से पहले की आप मुझसे नाराज हों मैं उनका परिचय भी करवा देता हूँ।

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राज़ की सबसे बड़ी बहन का नाम है रानी। रानी की फ़िगर है 32सी 30 35,रानी बहुत ही शर्मीली लड़की है। हालांकि मॉडर्न लड़की है मॉडर्न कपड़े भी पहनती है लेकिन ये किसी से भी बात करने में बहुत शर्माती है।

रानी से छोटी है सोनिया राज़ की दूसरी बड़ी बहन ये भी रानी की तरह मॉडर्न है लेकिन बहुत भोली है ।

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सोनिया जब भी चुपचुप रहती है तो ऐसे लगती है जैसी किसी बात को लेकर परेशान हो या फिर उदास हो लेकिन जब बोलना शुरू करती है तो बस राम बचाये जान।

भोली होने के साथ-साथ सोनिया को राज़ सवालों की मशीन बुलाता रहता है क्योंकि ये इतने सवाल पूछती है कि कोई भी पागल हो जाये। अपने इसी भोलेपन के कारण इसने घर मे सभी का दिल जीत रखा है।

सोनिया का फ़िगर है 32सी 28 34, सोनिया और रानी दोनों कॉलेज में पढ़ती हौ। रानी जहां बायो स्टूडेंट है और फाइनल ईयर की तैयारी कर रही है वही सोनिया इंजीनियरिंग के सेकंड ईयर की तैयारी कर रही है।

अब कहानी में आगे बढ़ते है जब राज़ अपनी नानी के पास गांव पहुंचा।

राज़ के पिता राज़ की मम्मी से बातें करते है कि राज को क्यों ना गर्मी की छुट्टियां बिताने कहीं घूमने ले जाया जाए। राज़ के पिता के इस विचार से राज़ की मम्मी भी खुश थी। राज़ की मम्मी इस बात को लेकर बहुत परेशान रहा करती थी कि राज अब ग्यारहवीं कक्षा में जाने वाला है और ये गुमसुम से बैठा पता नहीं क्या सोचता रहता है। ना किसी से ज्यादा बात चीत करता है ना ही खाना ठीक से खाता है। अगर राज़ अपनी नानी के पास जाएगा तो उसकी हवा पानी भी बदल जाएगी और साथ ही गांव के कुछ दोस्त बना लेगा तो अच्छा रहेगा। यहां तो ये किसी से बात भी नही करता।

राज़ के पिता राज़ की मम्मी के इस मत से बहुत ही गंभीर हो जातें है और सीधे से राज़ की मम्मी से बोलते है यार तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन वहाँ तुम जानती हो ना तुम्हारे पापा क्या जादू टोने किया करते थे। और फिर तुम्हारी मम्मी अभी तक ऐसी है जैसे उन्हें 80 साल की उम्र को तय तक ना किया हो। सर पर सफेद आगये है लेकिन चलती ऐसे है जैसे की 40-45 साल की औरत चलती हो।
राज़ की मम्मी हैं ये क्या बात हुई भगवान करे मेरी मम्मी और जियें और हां वेसे आप की चिंता जायज है लेकिन देखिये ना पिताजी तो अब रहे नही, तो क्या जादू टोना होगा वहाँ, दूसरी बात मम्मी भी तो काफी समय से अकेली पड़ गयी है। अब जब उनका नाती जाएगा तो वो कितनी खुश होंगी। और वेसे भी मैं अपना क्लिनिक बन्द नही कर सकती और आपको भी तो 3 महीनों की छुट्टी तो मिल नही सकती।

राज़ के पाप काफी विचार करके ठीक है फिर मैं छुट्टी नही लेता हूँ वैसे मुझे 1 महीने का अवकाश तो मिल ही सकता है लेकिन 3 महीने तो नहीं। चलो फिर मैं राज़ को उसकी नानी के पास छोड़ कर उसी रात वापस आ जाउँगा। सरिता ये बात सुनकर बहुत खुश होती है। वो अपने पति के गले मे बाहें डाल कर उसे एक चुम्बन दे देती है। गिरधारी सरिता का चुम्बन पाकर सरिता से बोलता है। लगता है आज काफी टाइम बाद पलंग तोड़ना पड़ेगा। गिरधारी की ये बात सुन कर सरिता इशशशशश करके शर्मा जाती है और वह से किचन में चली जाती है।

रात को खाने के टाइम गिरधारी बेटा राज़ तुम अपने कपड़े जमा लो एक बैग में हम लोग कल तुम्हारी नानी के पास जाएंगे। तभी रानी बोलती है पापा हमसे क्या कोई दुश्मनी है जो इस लाड़साब को ही पूछ रहे हो। रानी की ये बात सुन कर सोनिया हसने लगती है। और राज की माँ सोनिया के सर पर हल्के से मुस्कुराते हुए मारती है और कहती है चुप चाप खाना खाओ। टैब गिरधारी बोलता है बेटी राज़ तीन महीने अपनी नानी के पास रहेगा क्या तुम लोगों के पास इतना टाइम है?

रानी और सोनिया दोनों एक साथ बोलती है तीन महीने????
तभी राज खाने की टेबल से उठ कर जाने लगता है। तो सरिता पूछती है। क्या हुआ बेटा।

राज़:= कुछ नहीं मम्मी वो पाप ने बोला ना कपड़े जमाने को तो...

सरिता- बेटा वो तो ठीक है मगर तूने बताया नही की तू जाना चाहता है या नहीं।

तभी रानी बीच में बोलती है...

रानी- अरे मम्मी ये क्यों मना करेगा नानी इसे रोज रोज नई नई जादू और जादूगरों की कहानियां जो सुनाएंगी। ही ही ही

राज़- रानी की बात सुन कर मन ही मन खुश हो जाता है कि उसे ज़रूर नानी से नई जादू की कहानियां सुन ने को मिलेगी।

लेकिन रानी के मुह से जादू और कहानी की बात सुन कर गिरधारी और सरिता एक दूसरे की तरफ सीरियस होकर देखने लगतें है।

राज़ बिना कुछ बोले अपने कमरे मैं चला जाता है और अपना सामान पैक करने लगता है। रानी और सोनिया दोनों का कमरा एक ही था बस दोनों के पलंग अलग अलग लगे थे दोनों अपने अपने बिस्तर पर बैठ कर नावेल निकाल कर पढ़ने लगती है। बाहर गिरधारी सरिता से बोलता है।

गिरधारी- सरिता तुम अपनी मम्मी से अभी साफ साफ बोल दो फ़ोन पर की राज़ को कोई जादू वादु की बात ना सिखाये राज़ उनके पास तीन महीने रहने आ रहा है। मैं नहीं चाहता तुम्हारे पिताजी जैसा कुछ मेरे बेटे के साथ हो। सरिता की आंखों में आंसू आ जाते है। सरिता पलट कर गिरधारी से ...

सरिता-क्यों क्या राज़ मेरा बेटा नही है मैंने पहले ही मम्मी को सब बोल दिया।

गिरधारी सरिता को रोता देख उसके कंधे पर हाथ रखता है लेकिन सरिता बहुत दुखी थी उसने तुरंत गिरधारी का हाथ अपने कंधे से हटा कर अपने कमरे में चाकी गयी। पीछे पीछे गिरधारी भी जाता है लेकिन सरिता गिरधारी के मुह पर दरवाजा बंद कर देती है और अंदर मुस्कुरा पड़ती है। बाहर गिरधारी भी मुस्कुरा पड़ता है। सारी रात गिरधारी सोफा पर लेटकर गुजार रहा था।

फिर सुबह हुई...

आज सुबह से ही बारिश हो रही थी।
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राज़ के पापा सुबह 6 बजे उठे । छुट्टी का दिन था और फिर सिर्फ राज़ को उसकी नानी के पास छोड़ने का ही तो एक काम था उनके पास तो आज वो अपनी नींद पूरी करते हुए 6 बजे उठे। बाहर हल्की-हल्की रोशनी और चिड़ियों की चूँ चूँ की आवाजें थी। मौसम भी एक दम साफ था। फिर अचानक 20 मिनट में ऐसा क्या हो गया। फ्रेश होकर ब्रश ही किया था कि अचानक से इतनी तेज बिजली कड़की की एक बार तो वो भी डर से हिल गए। फिर जब खिड़की से बाहर झांका तो बहुत तेज बारिश हो रही थी। गिरधारी इस बात को हल्के में ले जाता है सोचता है सबसे बड़ी ताकत प्रकृति ही तो है। राज के पापा गिरधारी अभी किचन में जा कर अपने लिए कॉफी बना ही रहे थे कि राज मम्मी भी फ्रेश हो कर बाहर आ गयी।

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सरिता:- अरे आज आप जल्दी उठ गए। वरना तो छुट्टी के दिन आप...

अभी सरिता कुछ बोल ही रही थी कि राज के पापा ने सरिता को पीछे घूम कर अपनी बाहों में जकड़ लिया।

गिरधारी: अरे आपने हमे रात को सोने लायक छोड़ा ही कहाँ था। हम तो सारी रात तड़प कर काट रहे थे। सोचा सुबह जल्दी यहां से राज़ को लेकर निकल जाएंगे तो रात से पहले घर आ जायेंगे।

सरिता अपने दोनों हाथों को अपने पेट पर पड़े गिरधारी के हाथों पर रख कर गिरधारी से पूछती है।

सरिता: और भला ऐसा क्यों?

गिरधारी सरिता के एक कान को अपने मुह में लपक लेता है और उसके झुमके को अपने मुह मैं ले लेता है। सरिता उस ओर अपनी गर्दन झुका कर।

सरिता: अरे रुकिए आपकी कॉफ़ी।

गिरधारी कॉफ़ी की सुनकर सरिता का कान छोड़ देता है।

सरिता कॉफ़ी संभलते हुए

सरिता: आपने बताया नही (मुस्कुराते हुए पूछती है)

गिरधारी: सोचा बहुत दिन हो गए आपको हम हमारे होने का एहसास नही दिला पा रहे है। इस लिए क्यों ना आज रात को....

सरिता पलट ते हुए अपने हाथों में 2 कप कॉफी लेकर गिरधारी को बीच में टोकते हुए बोलती है।

सरिता:- बस बस ज्यादा रोमांटिक होने की ज़रूरत नही है। अब आपके बच्चे, बच्चे नही रहे समझे, लीजिये कॉफी.....

गिरधारी सरिता के हाथ से कॉफ़ी लेकर सोफा की ओर बढ़ते हुए बोलता है।

गिरधारी: अरे अगर हम इतने रोमांटिक नही होते तो हमारे बच्चे ही कहाँ होते।

गिरधारी इतना बोलकर पीछे मुड़कर सरिता को देखता है। सरिता और गिरधारी दोनों की आंख मिलती है और दोनों हल्के हल्के मुस्कुरा पड़ते है।

सरिता भी आकर गिरधारी के सामने बैठ जाती है। सरिता कुछ बोलने को हुई थी कि रानी और सोनिया दोनों नीचे आ ते हुए बोलती है गुड मॉर्निंग मोम डैड...

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गिरधारी और सरिता दोनों एक साथ बोलते हैं गुड़ मॉर्निंग बेटा।

तभी सोनिया बोलती है।

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सोनिया: क्या हुआ मॉम आपके लाड़ साहब अभी तक नही उठे क्या?

रानी: सोने दे ना यार बच्चा ही तो है और वैसे भी अब तो नानी के पास चला जायेगा। बस कुछ ही देर है हमारे साथ।

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तभी एक जोरदार बिजली कड़कती है और लाइट गुल।
दोनों लड़कियों की बिजली की कड़क सुन कर चीख निकल जाती है यहां तक कि सरिता की भी..

रानी: सत्यानाश हो इस बीजली का अब मैं कॉफ़ी भी नही बना पाऊंगी।

सोनिया: दी कितनी स्टुपिड हो आप , मोबाइल की लाइट ऑन कर लो ना।

रानी: अच्छा मैं स्टुपिड हूँ तो मेरी समझदार राजकुमारी जी अब ये कॉफ़ी आप ही बनाइये।

तभी ऊपर से राज नीचे आने लगता है वो भी अंधेरा मैं..

राज़: दी आप है क्या ये लाइट को क्या हुआ है। लाइट तो जलाइए।

राज़ ने अभी इतना ही बोला था कि लाइट आ गयी बारिश भी थोड़ी बहुत कम हो गयी थी।

रानी: लो जला दी लाइट।

राज़: ओह तो आप सभी यहां पर है , गुड मॉर्निंग एवरी वन

सोनिया: दी अब तो लाइट भी आ गयी अब आप ही कॉफ़ी बनाई ये।

रानी 2 कॉफ़ी बना कर ले आती है एक सोनिया और एक खुद के लिए, राज़ को एक ग्लास मैं दूध दे देती है।

सभी कॉफ़ी और दूध की चुस्कियां लगा रहे थे कि बाहर बारिश धीमी हो जाती है।

करीब एक घंटे बाद गिरधारी और राज दोनों नानी के घर जाने को तैयार हो गए थे।

राज़ की मम्मी राज़ का माथा चूमती है और सोनिया और रानी राज़ को गले लगाकर विदा करते है।

राज के पापा अपनी गाड़ी में राज़ का सामान रख देते है और दोनों बाप बेटे नानी कर घर के लिए रवाना हो जाते है।

राज़ और उसके पापा को घर से निकले अभी आधा घंटा भी नही हुआ था कि एक बार फिर से बारिश होने लगती है। इस बार सुबह से भी ज्यादा तेज... राज के पापा को लगता है कि ऐसी बारिश मैं आगे बढ़ना ठीक नही लेकिन अब यहां रुक भी तो नही सकते हम लोग शहर से बाहर आ गये है। राज़ के पापा अभी ये सब विचार कर ही रहे थे कि अचानक से बारिश कम हो जाती है। राज़ के पापा अपनी स्पीड बढ़ा लेते है। राज़ की नज़र खिड़की से बाहर की तरफ थी। जब अचानक से राज़ गाड़ी की स्पीड बढ़ते देखता है तो वो सामने नज़र करत है। राज़ एकदम से चोंक जाता है। फिर राज़ पीछे नज़र करता करता। पीछे की और देख कर तो राज़ और भी बुरी तरह से डर जाता है।



राज़: पापा?

गिरधारी: हम्म

राज़: पापा

गिरधारी अपनी स्पीड कम करते हुए

गिरधारी: क्या बात है बेटा?

राज़: पाप हमारी गाड़ी के सामने बारिश कम है और साइड में तो बहुत तेज है।

गिरधारी एक बार तो ये सुन कर चोंक जाता है लेकिन फिर अगले ही पल खुद को संभालते हुए,

गिरधारी: बेटा कई बार ऐसा होता है। कई बार तो पूरी दोपहर में जब धूप रहती है तब भी बारिश हो जाती है जिसे हम बिन बादल बरसात भी कहते है ।

राज़: लेकिन पापा हमारी गाड़ी के पीछे भी ऐसी ही बारिश हो रही है तेज।

गिरधारी खुद डरा हुआ था जब उसने ये मंज़र देखा तो अब गिरधारी और कुछ भी नही देखना चाहता था।



गिरधारी:तुम डरो मत बेटा मैं हूँ ना।

राज़ गिरधारी की बात सुनकर कुछ नहीं बोलता।

गिरधारी खुद इतना डर हुआ था कि उसके हाथ ड्राइविंग करते हुए काँप रहे थे।
राज़ समझ गया था कि उसकी पापा डर रहे है। राज़ ने जब अपनें पापा को डर से कांपते हुए देखा तो राज़ खुद डर के मारे कांपने लगा।

गिरधारी ने एक नज़र राज़ पर डाली तो राज़ को डर से कांप कर सिमटते हुए देखा।

गिरधारी इस बरसात के बारे में सोच रहा था। वो मन ही मन विचार कर रहा था की जिस तरह से सुबह बरसात का होना। हमारे निकलने के थोड़ा सा पहले आसमान बिल्कुल साफ और जब हम घर से थोड़ा दूर निकल आये तो फिर से बरसात। और अब ये बरसात सिर्फ हमारी कार पर हल्की हल्की हो रही बाकियों पर तो जैसे कहर बरस रहा हो। कहीं ये सब राज़ को वहां ले जाने के कारण तो नही हो रहा। नहीं नहीं राज़ तो अभी बच्चा है। उसका और इस मौसम का एक दूसरे से कोई लेना देना नही है पता नही मैं भी क्या सोचने लगे गया हूँ। लेकिन ये जो सब कुछ हो रहा है ये भी तो नार्मल नहीं है ना। ओह गॉड क्या करूँ मैं अकेला ऊपर से मेरे साथ मेरा मासूम बच्चा ठीक से डर भी जाहिर करूँ तो किस से करूँ।

इसी तरह डर डर कर गिरधारी पूरे 4- 4.5 घंटे की ड्राविंग के बाद राज़ की नानी के घर पहुंच गया। अपने सास के घर पहुंच कर राज़ के पापा काफी खुश थे ।
और अब बरसात भी हल्की हो गयी थी।



दिन के यही कोई 4 या 4.15 का समय होगा लेकिन बार8श के बादल अभी भी दे जिनके कारण ऐसा लग रहा था जैसे शाम के 7 बजे हो।

राज़ के पाप मुश्किल से 30 मिनट राज़ के पास उसकी नानी के घर रुके होंगे कि उन्होंने फिर से घर लौटने के लिए गाड़ी चालू की और चल दिये घर को।

राज़ अपनी नानी के पैर वगैरा छू कर आराम से खाट पर बैठ गया। हालांकि राज के लिए अपनी नानी का घर कोई नई बात तो नही थी लेकिन फिर भी अभी वो बच्चा ही तो है। कुछ दिन तो अटपटा लगेगा ही।

अभी राज को कोई 1.30 घंटा भी नही हुआ था कि कुछ बच्चे भागते हुए राज़ के सामने आ गए।

सभी बच्चे भाग कर राज़ की नानी के घर में छिप गए। उन सभी बच्चों के पीछे एक काले रंग का आदमी दौड़ता हुआ आ रहा था जिसके हाथ में एक हाथ बड़ा गन्ने का टुकड़ा भी था। जिसने सफेद मैली सी धोती और बाजू वाली बनियान पहन रखी थी, जिसके सामने की तरफ ठीक नाभि और सीने के बीच मे एक जेब बनी हुई थी, सर पर एक फटा पुराना गमछा साफे की तरह गोल बांध रखा था। पैरों कोई चप्पल नही थी।



बच्चे तो सभी भाग कर राज़ की नानी के मकान मैं छिप गये लेकिन राज़ वहीं खड़ा रहा। उस आदमी ने आते ही राज का गर्दन के पीछे से शर्ट पकड़ लिया। उसके इतना करते ही राज़ की नानी आ गयी।

नानी: ऐsssssss धनिया खबरदार जो मेरे नाती को हाथ भी लगाया तो तेरा हाथ उखाड़ लुंगी।

उस आदमी ने नानी की आवाज सुनते ही राज़ का कॉलर छोड़ दिया और नानी से बोला।

धनिया: पाय लागू काकी

नानी अपने हाथ में लस्सी के 2 गिलास लेकर आयी थी उसमें से एक राज़ को देते हुए,

नानी: जीता रह, ये बता तूने मेरे नाती पे हाथ कैसे डाला रे?

धनिया एक नज़र राज़ को देखते हुए

धनिया: अरे माफ कर दो काकी, ये अपने गांव के बच्चे है ना वो मेरे गन्ने के खेत से गन्ने चुरा कर ले आये बस उन्ही का पीछा कर रहा था कि आपके नाती हमारे हाथ लग गए।

नानी: अरे रे रे कलमुहे तू नन्ही जानों के पीछे पड़ा था। अरे थोड़े से गन्ने ले भी लिए तो तेरा क्या जाता है। बचपन है थोड़ी बहुत शरारत नहीं करेंगे तो क्या करेंगे।

धनिया: थोड़ी बहुत ? अरी काकी पूरी एक क्यारी उखाड़ दिए। हमसे मांग लेते तो क्या हम मना करते?

अभी धनिया ने इतना ही कहा था कि बच्चे भी नानी के मकान से बाहर निकल कर आ गये।

उन बच्चों में से एक बच्चा जिसे सब छोटू कह कर बुलाते थे बीच में बोल पड़ा।

छोटू: झूंट बोलता है धनिया काकी, हम गन्ने मांगते है तो ये काटने को दौड़ता है । इसके पास वो फरषे जैसा कुछ है उससे हमारी नुन्नी काटने को बोलता है।

छोटू ने अभी इतना ही बोल था कि धनिया

धनिया: यही है काकी ये इधर आकर छिप गया था, अब बोल अब कहाँ जाएगा।

छोटू ने जब धनिया की ये बात सुनी तो उसे एहसास हुआ कि भावनाओं में बह कर वो सबके सामने आ गया। छोटू ने जीभ अपने दांतों के नीचे दबा कर और सर पर हाथ रख कर बोला।

छोटू: ओह तेरी मर गया अब तो

धनिया छोटू के पीछे और छोटू नानी के चारों और घूम कर नानी से बोल रहा था काकी हमे बचा लो धनिया से , ये हमारी मासूम नुन्नी काट देगा।

राज़ जब छोटू की बेवकूफी भरी बात सुनता है और हरकत देखता है तो खिलखिला कर हसने लगता है। राज़ को हंसता देख राज की नानी बहुत खुश होती है।

राज और नानी दोनों खुश थे कि धनिया ने छोटू को पकड़ लिया और छोटू का कान खींचने लगा।

नानी: ओ धनिया जाने दे बच्चा है। अरे सुन छोटू तू राज को यहाँ आस पास घुमा ला इसका मन लग जायेगा।

धनिया राज की नानी की बात सुनकर तुरंत छोटू को छोड देता है। और छोटू नानी को हां बोल कर राज को घुमाने ले जाता है जहां राज और छोटू मैं दोस्ती हो जाती है।

वही दूसरी और धनिया और नानी कोई 30-40 मिनट बात चीत करते है फिर धनिया अपने खेतों की तरफ चल देता है।

छोटू और राज भी कोई 1 घंटे बाद घर पहुंच जाते है। छोटू राज को कल आने का वादा करके चला जाता है। और राज भी नानी के पास चला जाता है।

राज बहुत खुश लग रहा था। आज राज ने अपनी ज़िन्दगी का पहला दोस्त बनाया था। छोटू... बहुत ही भोला भाला और डरपोक भी।
नानी भी राज को खुश देख कर खुश होती है।

नानी राज का बिस्तर अपने पास ही लगा लेती है दोनों का कमरा तो एक था लेकिन बिस्तर अलग अलग खटिया पर था।

सोने से पहले नानी राज़ से इधर उधर की बातें और शहर की बाते पूछती है और राज सब बात रहा था। बातों ही बातों में राज ने रास्ते में जो बारिश की घटना हुई थी उसके बारे में नानी को बता दिया। नानी ये बात सुन कर झट से बिस्तर पर बैठ गयी।

नानी ने राज से बारिश की और घर से रवाना होने की सारी घटनाएं राज से जानी। नानी अजीब सी चिंता मैं डूब गई थी।

राज की नानी राज को लेकर परेशान हो गयी थी। ये परेशानी वाला चेहरा कोई भी समझदार आदमी नानी के चेहरे को देख कर पढ़ सकता था। लेकिन राज तो अभी बच्चा ही था उसे इस बात का ध्यान भी नही था की उसकी नानी वो सब घटनाएं सुन कर परेशान हो गयी है।

नानी अभी बिचार कर ही रही थी कि राज को अचानक अपनी बड़ी बहन रानी की बात याद आती है कि नानी को बहुत सारी जादू की कहानियां आती है। राज मन ही मन बहुत खुश हो जाता है और अपनी नानी को कहानी सुनाने को बोलता है।

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