सोहनी पंजाबन Part 1
कुलदीप सिंह (44 वर्ष) -बापी
मनजीत कौर (42 वर्ष) - माँ (चित्र- 40-32-40)
नवदीप कौर (22 वर्ष) - वद्दी धी (चित्र-38-30-38)
जसमीन कौर (20 वर्ष)- छोटी घी (चित्र-36-28-36)
दिलप्रीत सिंह (19 वर्ष) - छोटा मुंडा
परिचय
एह इक पंजाबी परिवार दी कहानी है जेहरा पंजाब दे इक छोटे जेहे पिंड "सोहनपुर" वच रहना है। सोहनपुर पिंड भुत ज्यादा वड्डा नहीं है पर फिर वी हुन ओह काफी फेलदा जा रहा है। एह पंजाबी परिवार 1947 दी वंद तो बाद उठा आया सी ते उड़ो टन ही उठे रह रहा है। क्या परिवार वच पंज जी हुं....
1)कुलदीप सिंह (44 वर्ष) -बापी
2)मनजीत कौर (42 वर्ष) - माँ (चित्र- 40-32-40)
3)नवदीप कौर (22 वर्ष) - वद्दी धी (चित्र-38-30-38)
4)जसमीन कौर (20 वर्ष)- छोटी घी (चित्र-36-28-36)
5)दिलप्रीत सिंह (19 वर्ष) - छोटा मुंडा
कुलदीप सिंह भुत ज्यदा परह्य लिखा न होन करने के लिए कोई भी नौकरी ते नहीं लग शाक्य ते हुं खेती करके ही अपने घर दा खराचा पानी चलंदा है। पहला हमें तो मासा ही कुज कू जमीन सी पर हम कोल के किल्ले जमीन हो चुकी है। देखना नु भूत ही सोना ते ऊंचा लंबा जवान जट्ट गभरू है। भट ही खुशीजाज सुभा दा मालिक है ते भूत रंगेन किसम दा आदमी है।
मनजीत कौर भुत ही सोहनी ते गुंडवे शेयरर वाली घरवाली है।पूरे पिंड वच एसबी तो सोहनी वोट मन्नी जानदी है। सोने तिखे नैन नक्श...मोतियान आंखें..गोरा दूध वर्गा रंग...अच्छा लंबा कद...लाल टमाटर वर्गे सूहे बुल..लंबे वाल..मोटे मोटे फुटबॉल वर्ग मुम्मे जो थोरा जेहा चालान ते टेनिस दी बॉल वंगरा ऊपर थेले हुंडे हूं। ते बहार नु निल्के होये वड्डे वड्डे चितद्दद्द जो उसदे जोड़ी पुत्तन ते इक दूसरे वच इस तरह खिच खिच के वजदे ने की उन्हा दी आवाज सामने रखे हैं बंदे दे लुन सीधे सिद्ध वार करदी है। सुबाह उस्दा बड़ा शर्मीला है। भुत ही चंगी तराह ओह अपने बच्चों दा ख्याल रख रही है।
नवदीप कौर इज घर दी सब तो वड्डी घी है। जिनी देख वीच हूर परी लगदी है उन्ही ज्यादा ही परहाई वच तेज है। हुने हुए बी.एड दा कोर्स किता है ते शहर दे इक प्राइवेट स्कूल वीच नौकरी कर रही है। देख नू बिलकुल अपनी मां ते गई है। मोटे गुभारे वर्गे मुम्मे ते लुन नु इक झटके वच खरा कर दें वाली वड्डी छोरी फुली होई बंड। जिस स्कूल वच ओह परयुंदी आ सारे क्लास दे मुंडे उसदी बंद ते पता नहीं कितनी वार मुठ मारदे ने। जो एह हिरनी वांग चलती है तन ज़ोर नल ऊपर थले हुंडे मुम्मे ते खब्बे सज्जे हुंडी बुंद संबंहि भुत औखी हो जंडी है..ओह एंड्रो बहुत ही शरीफ ते सौ है ते कदे भी किस ने गल नुंडे सुनि।
जसमीन कौर घर दी छोटी दे है। उसदा हिस्सेदार उसदी उमर नालो जल्दी जवान हो गया है सर दी रकां बन गई है। हुने हुए बी.कॉम! पहला साल वीच होई है पर देख नू पूरी जोबन नल भारी होई मुटियार लगदी है। रंग इस्दा वी शीशे वंगरा साफ है ते हिस्सेर पक्खू पूरा लूं खरा करन वाला माल बन गई है। इसदी वी अपनी मां ते बहन वांग बंद बहार नु निकली होई है ते मम्मे सूटन वीच मासा ही फस्दे ने.. जसमीन इस घर वीसीएच एसबी से ज्यादा एडवांस्ड है ते कदड़े टाइट फिट जींस पा के वी शेहर कुज समान लेने चली गई है बाजार इसदे मटक मटक चलदे होए कदमा नाल हिल्दी भारी बंद तो नजर नहीं हटांडा। इस्दा सुबाह भी नवदीप नालो ज्यादा खुला है ते शर्म वगारा थोरी घाट करदी है। कॉलेज दे लगभाग सारे मुंडे इस्ते अपनी जान शिरक्दे ने पर हल तक इस्दा हिस्सेदार किस दे हाथ नहीं आया है।
दिलप्रीत सिंह घर दा सब तो छोटा काका है। देख नु सोहना सरदार। ते परान वच उन्ना ही नायक। गल्लां मारन नू एसबी तो अब रहना है ते हले बचन वाला शरारती पुना है वचो मुक्केया नहीं है। हाले 10वीं वीच परदा है पर किस नू आगू कोई गल नहीं आयां डिंडा। इसदे दोस्त भी इसे वांग ही लोफर ने ते हर शाम नु एह शहर भी गहरी मारन जाने ने। नित नवे पटोले पिंडा-शहर वच देखने में रोज़ दी रूटीन है। दिलप्रीत दे की सारी फीमेल फ्रेंड्स ने पर हाल तक किस दे नाल हद पार नहीं किटी है उसे। कोषिश तन बथेरी वर कीति पर कोई न कोई मुश्किल होना करके कम सर नहीं चरर खातिर।
दिलप्रीत सिंह घर दा सब तो छोटा काका है। देख नु सोहना सरदार। ते परान वच उन्ना ही नायक। गल्लां मारन नू एसबी तो अब रहना है ते हले बचन वाला शरारती पुना है वचो मुक्केया नहीं है। हाले 10वीं वीच परदा है पर किस नू आगू कोई गल नहीं आयां डिंडा। इसदे दोस्त भी इसे वांग ही लोफर ने ते हर शाम नु एह शहर भी गहरी मारन जाने ने। नित नवे पटोले पिंडा-शहर वच देखने में रोज़ दी रूटीन है। दिलप्रीत दे की सारी फीमेल फ्रेंड्स ने पर हाल तक किस दे नाल हद पार नहीं किटी है उसे। कोषिश तन बथेरी वर कीति पर कोई न कोई मुश्किल होना करके कम सर नहीं चरर खातिर।
हुन एग्गी
(दिन- रविवार। समय सुबह 10.30 बजे)
"नी चमेली......किथे आ कुरिये?" मंजीत कौर ने चमेली नू बुलाऊं लेई ऊंची दी आवाज मारी। पर जसमीन वाली उसदी आवाज दा कोई जवाब नहीं आया। मनजीत ने फिर दोबारा से ज़ोर दी कहा।
"किथे मार्गी ई ???????? बहार आ .. अपने बापू नु रोटी दे आ" मनजीत बहार बैठी चुल्ले वच सब्जी बना रही है ते इक डब्बे वच रोटी ते सब्जी पायंदी होई बोली। पर चमेली ने एंड्रो फिर कोई आवाज नहीं ऐसी। मंजीत कौर फिर खुद उठी ते जसमीन दे कामरे वल वध गई। जादू ओह उसदे कामरे दे और गई तन देखा की चमेली बिस्तर ते टिड्ड भर लेटी होई है ते उस्दी मोती बंद ऊपर वल नू है।
मंजीत- "नी कुरिये ..... तनु शर्म है के नहीं। मैं कुछ दी आवाजा मार रही है।" मनजीत ने थोरा गुसे वच कहा। जसमीन ने मां नु सामने देख अपने कन्ना वचो हेडफोन लेउंडे होया पुच्या....
जसमीन- "की होया मम्मी?"
मंजीत- "हाय रब्बा एह मोबाइल वालें ने सादे बच्चे बड़े के रख दते। नी माई कोदो दी आवाजन मार रही हा की जा बापू नू रोटी दे आ। राह देख रहा होना। दोपहर होने वाली आ।"
जसमीन- "की आ मम्मी। छुट्टी वाले दिन भी टिकन नहीं दिन। नवदीप दीदी नु कह दो तन" जसमीन ने बुल वतेरद्या होया कहा।
मंजीत- "ओह सेवर दी परह रही आ...तेरे वंग वेहली बैठी मौजा नहीं कर रही"। मनजीत ने कारक आवाज वच कह
जसमीन- "दिलप्रीत वीरे नु वी कुज केहा क्रो ना। ओह वी तन वेहला ही हुंदा है" जसमीन होली होली बेड से उठी होई बोली।
मंजीत- "ओह हाथ वच आयुंदा काइट। सवेरे ही दोस्त नल निकल गया। पता नहीं कोदो आएगा। उस्दा कुज पता नहीं लगड़ा" मनजीत ने जसमीन नु संजय ते दोनो बहार एक अगयन।
जसमीन ने ट्रांसपेरेंट जेही व्हाइट शर्ट ते नाल उसदे पट्टा नल सैप वंग लिपि होई पजामी पाई है ते उसदे वड्डे मम्मी शर्ट वीच इंज झलक दे रहे ने की जीवन किस वी वक्त कमीज फार के बहार निकल आन। नल थल जो पजामी पाई है ओह वी मोटे ते छोरे पत्तन दा आकार बिलकुल साफ दिख रहा है ते हम वच बंड है तराह हिल्डी है जीवन उसे और उसमें कुज पाया ही ना होवे। जसमीन ते मनजीत बहार आ गया ते मनजीत ने चुल्हे दे मुहरू रोटियो दा डब्बा चले ते जसमीन दे हाथ वीच फरहंदे होय कहा।
मंजीत- "एह फरह डब्बा ते जल्दी दे आया बापू नु। ऐवेन फिर गाला कद दा आयुग" मनजीत ने डब्बा जसमीन नु फरहा दिट्टा ते चमेली ने फरह लिया।
जसमीन- "ठीक है मां। मैं फरहा आंदी आ" जसमीन कहने वाले होए बुंद मटका मटका के चली ही सी की मां ने पिछू देखा की उसदा शेयर तन जरा भी नहीं लुक रेहा तन उसे पिछू दी आवाज मारी।
मंजीत- "शरम दा घटा तनु। कपरे तन होर पा के जा। जलोस कदवेंगी" मनजीत ने ऊंची दीनी कहा पर जसमीन दे सर ते जीवन जून तक नी सरकार।
जसमीन- "मम्मी कुज नहीं हुंदा। शहर वच व सारे इड्डा ही गुमदे ने" जसमीन केहदी होई बूहे तो बहार हो गई ते पिंड दी सरक ते आ गई जो कच्ची ही है। उस्ते मटक मटक के पभ धारदेया होया जसमीन अपने खेतान वल नु वधन लग्गी।
राह जंदे होया पिंड दे मुंडे कुरियन उसेकोलो लंग रहे हैं। कुरियन उसवल्ल इंज गोर गोर के देख रहियां ने जीवन ओह नंगी ही जा रही हो ते मुंडे तन उस जिस्म दे हर इक अंग नू गरीब सालेके नाल ऊपर थल्ले हुंडा देख रहे हैं। जसमीन नू इस गल दा पता है की सारे उस्नु देख रहे ने पर उस्नु अपना जिस्म दिखना भुत ज्यादा चंगा लगदा है। ओह जान के लंबियान पल्लंगा पुदी है टंकी उसदे टैंक वर्गे मुम्मे पूरी ताकात नल शारप्पा मारन ते उसदी मास दे लोठेरिया नाल नक्को नक्क भारी होई बुंद भी लंबे लम्बे हुलारे खावे। जसमीन तन बुद्धि दे सुत्ते लुन्ना नु वी ठोकर मार मार उठांडी होई जा रही है।
अखिर ओह अपने खेतान दे वतन ते पूज्जी। फिर वट्टा ते बोच बोच पब धारदी होई ओह अपनी मोटर वल जा रही है। उसे सजे हाथ वच रोटी वाला डब्बा है। जादू ओह काफ़ी नेरे पूज गई तन उस्नु रामू दिख्या जो हाथ वच दात दूर पत्थे वड़ रहा है। रामू जसमीन नु दकेहदे होये बोल्या....
रामू- "आप रहने दो छोटी मल्किन ... हम दे आती हैं रोटी" रामू जसमीन दे भूत नेरे आ के कहने लगा। इंहा नेहरे के दूध वंग चमकडे दूध उसियां नजरन नु अपने वल खिच रहे हैं।
जसमीन- "नि रामू ... माई दे और आई आ। फिर रोटी वापस वी ले जाऊंगी।" जसमीन ने रामू नु जवाब देता ते ते आगे चल पाई। रामू उठे खरा ही जसमीन दा माल शाल नंगे ध्यान नल देखा लगा। उसदी हिल्दी बंद दा ओह शुरू टन ही दीवाना है। इक अखिर नज़र मार के ओह फिर पत्थे वधन लग पेया।
जसमीन आखिरकर अपनी बांबी ते पुज गई ते देखा की उसदा बापू ते पिंड दा इक अंकल मांजा धा के देग दे थल बैठे हूं। जसमीन तेज कदम दे नाल चलती होई उन्हा कोल पूजी ते कहा,,,,,,
जसमीन- "बापू...आह लाओ रोटी..." जसमीन ने झुके होया डब्बा मांजे ते रखदेया होया काश किता ते खोलन लग गई। उसदे झुके ही कुलदीप ते कोल बैठे अंकल नु जसमीन दे गोर चित्ते मुम्मे दा क्लीवेज साफ साफ नजर आया।
कुलदीप- "कोई ना मैं खोल लूंगा.तू घर जा के अपनी मां नु केह की आज मैनु डर हो जायुगी ओह शहर जाना है" कुलदीप ने जसमीन नु केहा। नल बैठा अंकल जिस्दे चिट्टी दारी बहुत सी ओह वी जवान जसमीन नु देखेदे होया मू चो पानी कद रेहा है। उस्दियां अखान जसमीन वल ही टिकियां रहियां।
जसमीन- "ठीक ए बापू। मैं कहूँगी" जसमीन ने कहा ते वापीस घर वल नु जान लग्गी।
वापीस तुरदी तुरी ओह फिर रामू नु मिली जो रे ते पांडन बन के पते पा रहा है। जसमीन ने देखा की बड़ी मुश्किल नल ओह पांडन चुक्क रेहा है। तन जसमीन नु उस्नु कहा...
जसमीन- "भूत भारीन ने पांडन लगदा ?????????"
रामू- "हां बीबी जी......भूत भारी हूं..." रामू ने पंड चुकदेया होया कामदी आवाज छ कहा।
जसमीन- "माई हेल्प कर दिंडी आ रामू।" जसमीन रामू दी मदद करना लेई उसदे कोल आई ते एक बच्ची पंड नु हाथ पा लिया।
रामू- "रहने दो बीबी जी। भुत भारी है। आप चक नहीं हो पायेगी"
जसमीन- "ले तनु की लगदा मेरे छ जान नहीं। मैं चक के दीखंडी आ हुनी" जसमीन ने कहा ते पंढ नू छक्कन लग्गी। रामू कोल खरा जसमीन नू देख रहा है।
जसमीन ने पूरा जोर लाया ते पंड हल्की होने करके उसे सर उटे तन रख ली पर ज्यादा डर संभल ना साकी। ज़ोर लगन करके जसमीन दा शर्रर थोरा कम रेहा है ते कम्पन करके उसदी बंद वी हिल रही है। हाय रामू नु एह देखे हुए मजा आ रहा है। और जसमीन ने सर ते तन रख लेई पर उसकोलो रेहरे ते पंड रख नहि होई ते राखदी राखी ओह उसदे सर तो तिलक गई ते जसमीन वी थेले दिग गई जिस्नाल उस्दी भीरी पजामी काफ़ी ते हमें पूरी न गई थी। . हायी रामू ने दकेह्या की जसमीन ने काली कच्ची पाई होई है जो उसदी बुंद दी दरर वच पूरी बार चुकी है। जसमीन ने वी मौका संभलदे होयां फटाफट अपनी पजामी नु ऊपर किता ते साइड ते खड़ी हो गई। रामू ने इंज शो किता की जीवन उसे कुछ नहीं देखा।
रामू- "हमने कहा था न बीबी जी। आपसे चक्की नहीं जाएगी"
जसमीन- "कोई ना किस दिन चक्कर के दिखूंगी।" जसमीन ने हसदे हो केहा ते कापरे झारदी होई वापीस अपने घर वल नू आन लागी। रामू मन वीच सोचन लगा की "चक्कंगा तन माई तुहानु बीबी जी किस दिन" जारी रहेगा
जसमीन- "कोई ना किस दिन चक्कर के दिखूंगी।" जसमीन ने हसदे हो केहा ते कापरे झारदी होई वापीस अपने घर वल नू आन लागी। रामू मन वीच सोचन लगा की "चकंगा तन माई तुहानु बीबी जी किस दिन"
हुन आगगे.......
जसमीन वापीस अपने घर नू भाग रही है। राह वच जंदे सारे लोग उसमें चले छुटदान दा मजा ले रहे हैं।
(दसरी तराफ)
नवदीप अपने कामरे वछ बैठी होई हाथन वच किताब चक्की पर रही है। बेबी पिंक रंग दी खुल्ली पटियाला शाही सलवार पाई...ओह स्कूल दे लय नोट्स तया कर रही है। भावें उसदी सलवार खुल्ली है पर उसके हिस्से नु लुकान वच नाकामयाब है। उसदे छोरे मुम्मे ते हमें तो वी छोरी बंद सलवार वीच फिर वी फास रहे ने। आने नू उसदे कोल मनजीत आयुंदी आ ते दो गलन करदे ने......
मंजीत- "आह दिलप्रीत वी आखे नहीं लगदा। अखे आज तन ऐतवर सी .., ... घर दे 100 कम हुंडे आ। टिक के नहीं बेहड़ा।"
नवदीप- "हेले बच्चा है माँ। जदो वड्डा होगा तन समाज जावेगा।" नवदीप ने सहज सूबा ही जवाब दित्ता,
मंजीत- "ना दासवीन छ हो गया। हुन किन्ना कू वड्डा होना। दारी बहुत आ गई आ। तू ही संजय कर उहनु।" मनजीत ने नवदीप नु उच्च आवाज वच कहा,
नवदीप- "ठीक है माँ। मैं समाज दूंगा" नवदीप ने मनजीत नु चुप करांडेय कहा।
मंजीत- "ठीक आ। आचा मैं जरा और दी सफाई कर देने आ।" नवदीप अपनी मा दी गल नू कड़ी मन नहीं करदी है। इसलिये उसे अपना किताब सेट करके टेबल ते राखी ते कामरे तो बहार आई। बहार वेहरे दे कोने वीच झारू चाकेया ते वेहरे नू सुंभरन लग पाई। नवदीप दा जिस्म इक मुत्यार वंग हो चुक्का है। उसदे शरीफ़ होन दी वजाह नाल पिंड दे मुंडेयं नु वी पता है की उसदी फुद्दी किन्नी टाइट होनी आ। पिंड दे भुत सारे मुंडे उसदे भूंड आशिक बने हो गए। ते इंहा वचो ही इक आशिक है उन्हा दे ग्वांडियां दा मुंडा हैरी। हैरी दी शूरू तो ही नवदीप ने नज़र रहती है। ओह हर रोज़ इस्नु घर तो जंदेया, स्कूल तो परहा के और ते कोई वी कम करदेया देखा रहता है।
हुन वी कोठे ते चर्या होया नवदीप दा इंतजार कर रहा सी ते हायी नवदीप नु झारू लेउंडे वेख इस्दा लुन उड़ने सैप वंग फरते मारन लग पाया। कोठे तो नज़र बचा के इसदी निगाह सिद्धि झारू लेउंडे होय नवदीप दे हिल्दे मुम्मे ते वैल खंडी वड्डी बुंद दे पाई रेही है। नवदीप जदो थोरा जेहा झुकी तन उसदे कमीज द गाला थाले नु हो जिंदा ते मोटे मम्मियां दी हल्की जी झलक हैरी दे लुन उते सत् मार जंडी। हैरी ने फटाफट अपने लुन नु हाथ पा लिया। हायी नवदीप कोड़ी हो के टेबल ते थल्लो मिट्टी कदद रही है जिस्नल उसदी मोती बुंदेद होर वी बहार नू निकल गई है। हैरी एह सीन देख के पागल जहां हो गया। उस्दा दिल किट्टा जीवन हुनि जा के नवदीप दी पजामी ला देवे ते अपना प्यासा लूं उसदी बुंद वच वार देवे। पर हैई पता नहीं एह सपना को सच होगा। हैरी नवदीप नु देखादा होया आइना माजे वच आ गया की आपने पजामे वच हाथ पा के लुन नु फरह लिया ते होली ऊपर थाले करन लगा। उस्दा लुन पूरा 90 डिग्री दे एंगल वंग खरा है।
आने नू जसमीन गेट कोलो लंगड़ी होई और आ गई। जसमीन दी निगाह और अयंडे होए अपने आप ऊपर नू पाई तन उस्दा रंग उध गया। हैरी उसदी बहन नवदीप वल देखा होया अपने लूं ते हाथ फिर रहा है। हैरी नु बिलकुल वी पता नहीं लगा की चमेली उसे देख रहा है। ओह तन नवदीप दे जिस्म वच पूरी तरह गुवाच चुक्का है। जसमीन पूरी ताकतकी लगान होई हैरी वैल देख लग्गी ता अचानक हैरी दी निगाह जसमीन ते पाई ते हैरी ने इक झटका नाल अपना हाथ पजामे वचो बहार कद लिया। जसमीन फ़िर सिद्ध घर दे होर अँगाई। हैरी नु लगा की जसमीन नू उस्नु देख लिया है ते ओह भज के अपने घर और वर वर गया।
नवदीप- "होर फिर आ गई बापू नू रोटी फरहा के..." नवदीप ने जसमीन नु देखादा होया कहा।
मंजीत- "कुज केहा तन नहीं बापू ने देर से होने ?????" और मंजीत भी बहार निकल आई ते जसमीन नू सावल किता।
जसमीन- "ना ऐडा नहीं कुज कहा ... बापू कहना सी आज देर आयु .... किसी कम करके शहर जाना है।"
मंजीत- "उसदा दा एही कम हो गया हूं रोज़ दा। पक्का दारू पीन जाना हो" मनजीत अपने आप वीच बरबुरयुं लग्गी।
जैसमेन- "लगड़ा बापू नु बारा मिस करदी आ मम्मी" जसमीन ने शरत्ति अंदाज वच मनजीत नु कहा।
मंजीत- "ले वे आ ....शरम दा घटा है इहनु ... नी कुज संजय कर इहनु वी।" मनजीत ने नवदीप नु कहा।
नवदीप- "हुं मैं तन संजयंदि रहंदी आ ...... जे समाधान फिर ही ना" नवदीप ने अपनी बेबसी जहीर करने के लिए।
जसमीन- "ठीक आ .... ठीक आ ... समाज जाएगी।" जैस्मीन केहदी होई और चली चली।
(दोपहर नू 1 बाजे)
बहार घर दा दरवाजा खरकेया ... "थारक्क ... थारक्क"। नवदीप बाथरूम वच नहीं रही है। जसमीन ते मनजीत कामरे वीच बैठी होइयां टीवी देख रियान ने। मनजीत ने जसमीन नु कहा की देख के आ कौन है। जसमीन पजदी पजदी दरवाजा खोलन गई तन जोदो ही दरवाजा खोले तान पिंड दे उन्चे लांबे 2 मुंडे उसके सामने खड़े हैं। (इक पम्मा जिसे काला परना बना ते कल्ला कुर्ता पाया ते नाल जींस पाई है ते दूसरा जस्सा सिंपल शर्ट पेंट वीच है)
पम्मा- "सत् श्री अकाल जी..." पम्मा जसमीन दे शर्ट वच फसे होए मम्मे देख के बोल्या।
जसमीन-" हांजी सत श्री अकाल..."जैस्मीन ने मीठी आवाज वच जवाब दित्ता।
पम्मा- "ओह नवदीप मैडम घर ही ने??????" पम्मे ने नवदीप बारे पुच्य। कोल खरा जस्सा बस जसमीन नु ऊपर तो लाई के ठकले तक ही देखा रेहा।
जसमीन- "हैगे ने लेकिन हले नहीं रहे आ ... दसो की कम?"
पम्मा- "ओह बस सदा कल टेस्ट है। मम ने कहा सी की जे कोई वी मुश्किल होई परहाई वच तन मेरे कोल आ जाए। शानू इक मठ दा अध्याय नहीं पता लग रहा ..... बस ओही थोरा जेहा पुचना सीसी .. ...." पम्मा ने इक साह वच ही सब बोल दत्ता।
जसमीन- "आचा ... कोई ना तुसी आजू और ते बथू ... ओह थोरी डेर तक बहार आ के परहा दिने तूहानु। आजू और ..." जसमीन ने उन्हा दोना नु कह ते अंदर तूर पाई। उसदे पिचे पम्मा ते जस्सा वी चल रहे ने। तुर्दे होए जसमीन दी हिल्दी बंद नु देख के दोना दे मूह वच पानी आ गया। जस्सा ने होली देनी पम्मे नु केहा "भेंछोड़ किन्ना तगड़ा माल आ साली"।
पम्मा- "सलेया नवदीप मैडम दा समान तन इस्तो वी वड्डा है।" पम्मे ने जस्से नु जवाब दित्ता।
जमीं मटक मटक चलती होई चंगी तराह उन्हा नु अपनी बुंद दीखंडी होई और वर्री ते ड्राइंग रूम वछ बिठा दित्ता। फिर मनजीत ने उन्हा नुचा पानी पुचया जो उन्हा ने मन कर दत्ता। ओह बैठे आले द्वाले लगियां जसमीन, मनजीत ते नवदीप दिया फोटोयां देखा लग्गे।
नवदीप थोरी बाद अपने बाथरूम छो बाहर निकली। उसने हाल नाइटी पाई होई है जो उस्दे पत्तन तक मासा आ रही आ क्यूंकी कपरे ओह गलती नाल प्रेस टेबल ते ही भूल गई है जो ड्राइंग रूम दे नाल वाले कामरे छ है। उसु पता नहीं है की दो मुंडे उस्दे ड्राइंग रूम वीच बैठे ने क्योंकी जसमीन उस्नु दासना भूल गई है। नवदीप फटाफट अपने कामरे चो निकली। ते ड्राइंग रूम तो लंगड़ी होई दसरे कामरे छ प्रेस टेबल कोल पाहुंची।
uffffffffffffffffffffffffff ...... पम्मा ते जस्सा नवदीप नू नाइटी वीच कोलो लंगदेया देख पागल जेहे हो गए। उन्हा नू नवदीप दे मोटे मोटे गोरे पैट नंगे देख नू मिल गए। नवदीप सामने कामरे वीच उन्हा नू बिलकुल साफ दिख रही है। नवदीप नु भोरा वी अंदाजा नहीं की उसदे बिलकुल सामने नाल कामरे वीच दोनो पिंड दे मुंडे उस्नु अंखन पार के वेख रहे ने। नवदीप उन्हा तो अंजान अपनी निगटी नु ऊपर चकड़ी है ते शेयरर तो ला के बिस्तर ते सुत्त दिंडी आ।
ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ... पम्मा ते जस्सा ओह सीन देख के लुन पत्थर वंग सख्त हो जिंदा है। नवदीप सिरफ ब्रा ते पैंटी वीच है। उन्हा ने देखा की नवदीप ने नीली ब्रा ते नीली कच्ची पाई होई आ। नवदीप दे मुम्मे आने वडे ने की ब्रा वी मस्सा ही फस्सी होई आ। मुम्मे इन टाइट लगदे ने जीवन किस वी पल ब्रा दी हक टूट जावे। उत्तो उसी कच्ची वी बंद वच और तक फस्सी पाई है। भावे उसे देसी कच्ची पाई है जो पूरी तरह बुंद नू कवर करदी आ पर उसदी बुंद इनी यादा वड्डी ते मोती आ की कच्ची वी उस्नु लुकन च नाकामयाब है। नवदीप ब्रे आराम नाल प्रेस टेबल तो अपना नीला सूट चक्कर के पा रही है। पर पम्मा ते जस्सा बिलकुल चुप करके उस जिस्म नु देख दा मजा ले रहे ने।
जदो नवदीप ने कमीज पाई तन अपनी ब्रा थोरी सेट कितनी जिस्नाल उसदे मुम्मे इवेन हिले जीवन भुचाल आ गया होवे। उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ सलवार पान वेले भी नवदीप ने अपनी बंड वच धस छुक्की कच्ची नु हथन नल ततोल के बहार कडेय। हायीईई... कच्ची बड़ी और तक बुंद दे धासी होई सी क्योंकि नवदीप नु थोरा ज़ोर ला के खिचनी पाई कदन लेई। पम्मा ते जस्सा तन आखन परह परह द्रिश देख रहे ने ते उन्हा नु इंज लग्गा जीवन उन्हा दा पानी बिना मुथ मारे ही निकल जाएगा। बहुत चुन्नी लायी ते बहार वल नू आई तन सामने दोनो मुंडे बैठे वेख ओह बुरी तरह घभरा गई
सोहनी पंजाबन Part 2
कुलदीप सिंह (44 वर्ष) -बापी
मनजीत कौर (42 वर्ष) - माँ (चित्र- 40-32-40)
नवदीप कौर (22 वर्ष) - वद्दी धी (चित्र-38-30-38)
जसमीन कौर (20 वर्ष)- छोटी घी (चित्र-36-28-36)
दिलप्रीत सिंह (19 वर्ष) - छोटा मुंडा
पम्मा ते जस्सा तन आखन परह परह द्रिश देख रहे ने ते उन्हा नु इंज लग्गा जीवन उन्हा दा पानी बिना मुथ मारे ही निकल जाएगा। आखिरी चीज जो मैं करना चाहता था, वह यहां से निकल जाना था, और मेरे सामने दोनो मुंडे बैठे देखकर मैं चौंक गया था।
हुन आगे ....
नवदीप पम्मे ते जस नु वेखद्य गरीब तारः घभरा गई आ पर अपने आप नु संभलदा होया ओह होली होली कदमा नाल कामरे दे अंदर वरही। उस्नु देखदेएं दी पम्मा ते जस्सा अपने सोफ़े तो उस खड़े हो गए ते इंज व्यवहार किता की जीवन हुनि वेख्या होवे नवदीप नु .....
पम्मा ते जस्सा- "सत श्री अकाल मैडम जी" डोना ने बरे सालेके नाल नवदीप नू की कामना की।
नवदीप- "बैठे श्री अकाल" नवदीप ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। वह नोटिस नहीं कर रहा था। उसदे सहं वीच साह आए ते नवदीप नाल लगदे सोफे ते बैठा गई।
पम्मा- "मैडम जी ओह मैथ दे इक चैप्टर दे सावल न शानू समाज आ रहे। बीएस ओही पुचन आए सी।" पम्मा ने नवदीप को अपनी जेब से 2-3 पन्ने दिए। यहां तक कि नवदीप भी अपने गोर से छुटकारा नहीं पा सके हैं।
जस्सा- "बस मैडम जी तुहाड़े सर ते ही पास होना। तुसी भुत वदिया संवाद हो। तारीफ कर रहा सी पर और्रो ओह मान च नवदीप दे गोल घुभरे वर्गे मम्मियां दे विचार नु जनक रेहा सी।
नवदीप- "ओह तन टंक है पर मैनु लगदा आजकल पम्मे ने पराई शादी हो गई"
पम्मा- "नो मैडम जी ..... रोज परदा आ ... पर की होया जी ???????" पम्मे नु कुज समाज नहीं लगी।
नवदीप- "यही आप मुख्य अध्याय में कह रहे हैं। यह आपका सिलेबस नहीं है।"
पम्मा- "आचा मैडम जी ...... ओह शायद भूल गया लग गया होना।" पम्मा सर छ खास करदा होया बोल्या।
नवदीप- "चंगी तार परह्या करो नालयेको ... पता नहीं की बनेगा तुहड़ा" नवदीप ने हसे वच पम्मे नु केहा।
पम्मा- "नि मैडम जी ....जरूर वदिया नुबेर लेया के विखवंगे ... ध्यान रखेंगे जी अगली बार" पम्मा ते जस्सा अपनी सीट तो खड़े होंगे।
नवदीप- "होर कुज पुचना?"
पम्मा- "नहीं मैडम...बाकी सब तैयार है। ठीक है मैडम हुं चलदे आ"
जस्सा- "सालेया तू व फुद्दू ई ही आ ....... सिलेबस व्च है नहीं ते तून चक के पुचन चला गया"। जसे ने पम्मे दा मजाक उड़ें होया कहा।
पम्मा- "भेंछोड़ा मैनु वी पता ही सीसी ... माई तन बस उसे मम्मे ते चिटदान दा स्वद लें आयु सी। नाले जे सिलेबस वाला लाई जवन तन परहना वी दर्द उठे जो मेरे वास दा रोग नहीं"
जस्सा- "सही गल आ मित्रा। नवदीप मैडम बमब आ पूरी ...... पता नहीं साला को सील खोलूगा"
पम्मा- "ओह तन पता नहीं ... पर मैनु अपना पानी जरूर जाना ..... बहनछोड़ आज तन मुथ मारनी ही दर्द आ।"
पम्मा और जस्सा घर चले गए।
उधार घर वीच नवदीप भी जसमीन ते मनजीत दे नाल टीवी देख लग गई। नवदीप ने कहा "माँ सेवा करना नहीं जाना आज?"।
मंजीत- "हां चलदे आ..बास आ सीरियल मुक्क जांदे... थोरा जेहा रह गया" मनजीत ने टीवी देखते हुए कहा।
नवदीप- "की आ मम्मी ......? एह टीवी ज्यादा जरूरी आ मठ टेकन नालो ते सेवा नालो ..." नवदीप ने मनजीत दे लागे बैठा होया तार्या।
जसमीन- "ओह बहन .... चुप कर जा जरा ... सुन नहीं रह कुज" जसमीन वी टीवी रिमोट दी आवाज ऊंची करदी होई बोली।
नवदीप- "ना तू व आज सेवा करन चले .... देखी किनी शांति मिलुगी मन नु" नवदीप ने लम्मी पाई जसमीन नु केहा।
जसमीन- "नि तुसी ही जा आओ ..... मेरे कोलो नहीं हुंदा कम वम्म" जसमीन ने साफ इनकार कर दिया।
नवदीप खामोश होने पर टीवी सीरियल के खत्म होने का इंतजार कर रही होंगी।
असल वच नवदीप भुत ही धार्मिक विचार वाली कुरी है। ओह रोज़ पूजा-पाठ करदी है ते रब्ब ते उसदा औरत विश्वास है। उसे अपने धर्म में पहले से कहीं अधिक आस्था है, लेकिन वह अन्य सभी धर्मों का सम्मान करता है। उसदे रोम वीच एह गल वासी होई है की एह शेयरर नशवान है ते इसी आत्मा सदा अमर है। वह जानता है कि उसका नश्वर हिस्सा एक दिन मिट्टी वच मिल का भक्षक बन जाएगा, लेकिन जिसके पास आत्मा है वह हमेशा जीवित रहेगा। नवदीप दिल ते दिमाग दी भुत सौ ते पवित्र है। ओह जाट पात या अमीरी गरीब नु बिलकुल वी नहीं मंडी। वह केवल अपने रब्बी और मानवता से पूरी तरह वाकिफ है। ओह, मेरे भगवान! घर वच सब तो वध सोहनी ते शरीफ धार्मिक कुरी नवदीप कौर है।
पिंड वच इक जग है जैसी भूत मान्यता है। इक बाबा के सालन तो उसे पूजा-पाठ करदा है। उसदे नाल के होर वी महापुरुष उठते बैठे के विचार करदे। केई वार हमें थान ते वड्डा मेला वी लगदा है। नवदीप प्रतिदिन मठ जाते हैं और प्रतिदिन उनकी सेवा करते हैं। अजेहा करन नाल उस्नु भूत असीम शांति मिल्दी है ते बुरे ख्याल ते विचार उस्दे कोल नहीं फटकड़े।
आज वह दिन है जब उसकी वहाँ सेवा की जानी है। मनजीत ने कहा कि आज उनकी सेवा की जा रही है। वैसा मनजीत बनाम भूत धार्मिक ख्याल दी है। लेकिन ओह घर ऐसे लोगों से भरा हुआ है जो यह नहीं जानते कि इसे हर दिन कैसे किया जाए। नवदीप वहां अपनी मां का इंतजार कर रहा है........
(दसरे पासे)
दिलप्रीत गेहरी ला में अपने दोस्त नाल शेहर के साथ पार्क में किसी का इंतजार कर रही है। दिलप्रीत ने काली पग। ते नाला उसदा दोस्त शंपी ने रेबन दियान सोहनियां जहां आइंकाना लाइयां ने जो बहमना दा मुंडा है। ते नाल दोस्त लड्डी .. इक नहीं दा नशीरी ते जुवारी मुंडा। अगर आपको वह नहीं मिल रहा है जिसकी आप तलाश कर रहे हैं तो बस पूछें। नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के खाने में शराब और बीयर शामिल हैं। हाल के एपिसोड्स में शो थोड़ा अनफोकस्ड नजर आया है। मतलाब टीनो दोस्त देख वीच भुत चेंज घर दे लगदे ने पर है तिन्नी इक नो दे नालायक।
दिलप्रीत ने लुधियाना शहर दी इक सोहनी ते भुत रिच भप्पन सुखप्रीत कौर कोहली नू हफ्ते पहला विच नंबर फरया सी। दोना छ फोन ते गलबत वि चल पे सी। मैंने कल रात डोना के फोन पर आज फोन पर एक कार्यक्रम बनाया। मैंने अभी बहुत सारे जोड़े देखे हैं। दिलप्रीत दे बाकी दोस्त वी हम भप्पन नु दकेहन लेई थोरा दूर दूर झरियां पिचे ल्यूक होए ने। दिलप्रीत इक छोर पर पिचे उस्दा इंतजार है। समय समाप्त हो रहा है लेकिन यह अभी तक नहीं आया है। दिलप्रीत बार-बार अपने घर की ओर देख रहा है।
हालाँकि, संयुक्त राज्य अमेरिका में ऐसा नहीं है। दिलप्रीत ने अपने दोस्त से कहा कि वह उसे देखकर पागल हो गई है। ... आखन उड़े काले गॉगल्स .... थल्ले उस्तो वी टाइट नीली कापरी जो उस्दे मोटे मोटे पत्तन वीच कास के फस्सी होई सी ते उन गोरियां लट्टन ते ऊपर भारी ते छोरे चित्ताड़ जो गरीब मेजे नाल पींग दे हुलारे दी तार खब्बे सज्जे हो रहे सी। दिलप्रीत दा लुन तन पेंट दे एंड्रो ही खरा हो के उसदे जिस्म नु सलामी दे लग गया। उसदे दोस्ताना दे वी लुन ऐन गेन्ट माल नु देख के फतन नु आ गए।
"हैलो दिल" सुखप्रीत ने दिलप्रीत दे बिलकुल कोल आ के मीठी आवाज वीच हाथ वधांडे होया उस्नु कहा। दिलप्रीत उसदे लिपग्लॉस नल चमक रहे गुलाबी बुलां नु वेखदा ही रह गया।
सुखप्रीत- "मैं कहा जी जनाब किवेन ऊ" सुखप्रीत ने फिर इक वार कातिलाना अदा दे नाल दिलप्रीत नु बुलाया। दिलप्रीत तन जीवन उस्नु देख के जाम गया सी. उसने सिर्फ उसके अपने शब्दों का जवाब दिया।
दिलप्रीत- "हैलो सुख .... मैं वड़िया तू आना ???????"
सुखप्रीत- "माई वी वड़िया। पर तू किथे गवाच गया सी ?????"
दिलप्रीत - "... हायीईई। तेरे च .... कितनी सोहनी लग रही है यार" "फोटो टन वी ज्यादा सोहनी ..."
सुखप्रीत- "तू वी कुज घाट नहीं लग रहा दिल" "पग वाला मुंडा वाला जछड़ा..."
दिलप्रीत- "होर फिर इन दिन गल कर के किवेन लगा मेरे नाल? की सोची फिर ??????" दिलप्रीत ने उनसे एक सवाल किया।
सुखप्रीत- "यार सच दासा तन मैनु भूत वादिया लग्गा। पता माई शूरु तो ही एहि चुनंडी सी की मैनु कोई सम्मान वाला होवे।" सुखप्रीत ने काजल नल भारियां को अपनी कहानी सुनाने के लिए अपने चश्मे का इस्तेमाल किया।
दिलप्रीत- "ते फिर की फैसला लिया तू सुख ??????" दिलप्रीत ने भुत ही होली जेही आवाज छ उस्नु पुच्य। दिलप्रीत के चेहरे कांप रहा है।
सुखप्रीत- "मुझे नहीं पता कि मैं कहाँ से आया हूँ, लेकिन मैंने रात भर तुमसे कुछ नहीं सुना। मैंने तुमसे अभी तक नहीं सुना," सुखप्रीत ने कहा।
दिलप्रीत- "एह सब कुज मेरे नाल वी होया दिल ... पता आज माई इसे चाह वीच 5 वजे दा उठा होया की तेरे नाल मिलना ... ऐसे थोड़े दिन वीच की जादू कर दीता कुरिय" दिलप्रीत ने साह नू खिचड़े होया कहा।
सुखप्रीत- "माई वी एही हाल है दिल।"
दिलप्रीत- "फिर तेरा जवाब की ई सुख ??????? /" दिलप्रीत ने फी ओही सावल पुचिया।
सुखप्रीत- "यार मैनु इज एजीजी वीच जोड़ी धरन तो डर भुत लगड़ा वा दिल। जे इक वारी कुड़ गए तन फिर वापीस न मुर्या जाना।"
दिलप्रीत- "मैनु तन बस इक गल पता ... इक दिन छ तू मैनु पागल करता सी सुख ... तेरी खूबसूरती ... तेरी आवाज .... तेरा सुबाह .... तेरी गलन .... .जट्टं दा मुंडा लुट्या गया"। दिलप्रीत दे कहते हैं उसदे अंखन वीच हंजू आ गए तन सुखप्रीत दा दिल वी पसेज्या गया।
हायीई .... सुखरीत दे मोटे सख्त मुम्मी दिलप्रीत दी शातियां वच ज़ोर नाल वज्जे ते इंज लग्गा जीवन उसदी शाति वच दास ही गए सम्मान। दिलप्रीत नु सुखप्रीत दे करक होए निप्पलन दा वी अपनी शाति ते एहसास होया। सुखरीत ने दिलप्रीत नु घुत्त के जफ्फी पा लेई ते अखन वीच हंजू लियांदी होई बोली .....
सुखप्रीत- "आई लव यू दिलप्रीत .... मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। मेरा जवाब हां है। मैं तुम्हारे नाम से दोस्ती करना चाहता हूं ...." वी गुट के पा लिया। दिलप्रीत दा नाटक कम कर गया। उसी खुशी दा कोई टिकाना न रहा .... उसे देखा सामने उस्नु जाफी पौंडे होय देख रहे दिलप्रीत ने वी मौका फरहदेया उसनु आंत के जफ्फी पा लेई ते अपने देखे वच उस्दे मम्मे होर वी जोर नाल दशा ले। दिलप्रीत हुं पुरे मेजे नाल उस्दी पीठ ते हाथ फिरन लगा ते होली होली उसदे कापरी वच फसे वड्डे चितदान तक पहुंचन दी कोषिश करन लगा।
दिलप्रीत- "आई लव यू टू सुखप्रीत ..... लव यू अलॉट .........." आपको अन्य लोगों के प्रति जो सहायता प्रदान करते हैं, उसमें आपको अधिक भेदभावपूर्ण होना होगा। सुखप्रीत का फोकस वैल नहीं है। उन्होंने इसे दिलप्रीत मोड में रखा है.
दिलप्रीत- "ओए बस कर मेरी लाडली .... इधर देख ज़रा ...."
सुखप्रीत- "दिल तू मैनु किन्ना प्यार करदा वा?" सुखप्रीत ने बचन बरगी आवाज छ पुचया।
दिलप्रीत- "भूत ज्यादा .... दास नहीं सकड़ा"
सुखप्रीत- "आचा... लेकिन सबूत नहीं......." सुखप्रीत मुस्कुराई और दिलप्रीत से कहा। दिलप्रीत नु लगा की एह भुत वादिया मौका है तन उसे उस्वाल वेखदेयां कहा ....
दिलप्रीत- "सबूत चाहिदा तुहानु माल्को ...."
सुखप्रीत- "हांजी..." सुखप्रीत ने मीठी आवाज में कहा,
दिलप्रीत ने मौका पांउंडा ही सुखप्रीत नु अपने वल खिचिया ते उसदे गुलाबी बुलां नाल अपने बैल जोर लाए ..... दिलप्रीत सुखप्रीत दे गुलाबुई बुलां दा रास निम्बु वांगु चूस चूस के निचोरन लगा। सुखप्रीत ने वी इस्दा विरदोह न किता ते सागो उस्नु गुट के अपने देखे नाल ला लिया।
दिलप्रीत उस्नु दारहक्त दे औले भुत ही मजा नाल चूसन लग पेया। दिलप्रीत दा लुन पूरा तंग होया सुखप्रीत की कापरी दे नाल घीस रेहा है। सुखप्रीत दे मम्मे दिलप्रीत दे शतिया नाल रागर खा रहे हैं। ते दिलप्रीत अपनी जीब नू पूरी लंबी नल उसदे मूह वच पा पा उस्नु अपना ठुक चटवा है ते उस्दी जवानी दा रस्स दे भूलभुलैया ले रेहा है।
दिलप्रीत ने अपना हाथ उसी पीठ ते फिरदया होया थाले ले और ते हुं उसदी बंद नु ओह गरीब जोर नल मसाला लग गया। हाय उसी वड्डे वड्डे चित्तड्ड दिलप्रीत दे हथन वच कैद नहीं हो रहे। दिलप्रीत ने अपने दोना हाथ नाल उसदे चितदान नु फरह लिया ते उन्हा दा चंगी तराह नाप लिया। भुट ही भरे मास दे बने होय ने ते बुलबुलियां वांग हिल रहे ने। दिलप्रीत दे दूर खरे दोस्त एह सीन नु देख के मुथ मारन लगे पाए। सुखप्रीत के लिए दरवाजा खुला है जो दिलप्रीत माजे नाल को देख रहा है।
दिलप्रीत ने अचानक उसे तांग कापरी वछ हाथ बढ़ा लिया ते हायी हम भप्पन दे गोर नारंगे चितद्दद्दद उस्दे हाथ वच आ गए। उसकी कोई पैंटी नहीं है। दिलप्रीत दा लुन शर्राते मारन लग पेया। नारा नाराम मास जो भुत ही गर्मी शद रेहा है दिलप्रीत सुखप्रीत दी बुंदद्द नु हथन वीच फर्ह के गुटन लग पेया। सुखप्रीत दे मूह वची हल्की जी सिस्कियां निकलान लग गई। दिलप्रीत ने देखा है कि उसका दोस्त दिखा रहा है कि वह सुखप्रीत की कापरी को थोड़ा बेहतर बनाने का अच्छा काम कर रहा है।
दिलप्रीत ने इसारे वीच उन्हा नू हन किटी ते अपने हथन नु सुखप्रीत दी कापरी चो बहार कदया पर उसदे बैल चुस्नू न सहदे। फिर उसे सुखप्रीत दी कापरी दी हुक्का नु हाथ पा लाया ते अपने इक हटा नाल उसदी हुक्का खोलन लगा। सुखरीत वालोन की तरफ से तो कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन दिलप्रीत का दिल धड़क रहा था। फिर उसे कापरी दी जिप थल नू किटी ते अपने दोना हाथ नाल उस्दी कापरी नू फरह के हाथ करन लग पेया। बस कुज ही पाला वच उसी कापरी उसदे पत्तन तक थल हो चुक्की सी ते हमें सोहनी अमीर भप्पन दे वड्डे चितद्दद खुल्ली हवा वच बिलकुल नंगे हो गए। दिलप्रीत ने अपने दोना हाथ नाल जदो उस भप्पन दी बुंद नु फरज्या तन चिददान दा मास आईना ज्यादा नारम सी की उसदे लूं चो पानी इक बार तन बहार निकल ही चालान सी। दिलप्रीत नु आने सोहने चितदन नु हाथ वच फरह के भूत मजा आ रहा है। ओह सुखप्रीत दी बुंद नु शेयरयाम पार्क वीच नंगा करके पत रेहा है ते सुखप्रीत भी मजा लेंदी हो उसनु होर वी डब के अपने बैल चुसा रहा।
दिलप्रीत दे दो दोस्त सुखप्रीत दी दूर चमक रही नंगी बंद देख के पागल हो गए। ओह वी अपना लुन कद के सुखप्रीत दी छोरी नंगी बंद वल वेखद्य होया मुथ मारन लगगे। सुखप्रीत दी बुंद दूध वांग चिट्टी जपदी पेई है ते उत्तो दिलप्रीत वी उसदी बुंद दी तारेर (दारर) नु हथन नाल बार बार खोल के वीच लुकी उस्दी कस्सी होई मूरि (छेद) ते अपनान फेररा रेहा है। सुखप्रीत अपने बंड वच किस मुंडे दी अनगल दे स्पर्श नाल चस्के लेंदी होई अखान ऊपर थाल को आगे बढ़ा रही हैं। दिलप्रीत ने हुं उससे बुलां नू छाया ते उसदे मूह वल वेखदेयां कहन लगा....
दिलप्रीत- "सुख लट्टन चोरियां कर" दिलप्रीत सुखप्रीत दी फुद्दी देखना चुनंदा है।
सुखप्रीत- "न ... नहीं..नही दिल .... रहने दे ..."
दिलप्रीत- "प्लज़ सुख ..... फिर पता नहीं कादो मिलना ... मारी जाहि दीखा दे ......" दिलप्रीत अपने गोडेया भर हो गया। अन्य लोग।
सुखप्रीत- "ना सुख .... हाय मैनु शर्म आयुंदी आ" सुखप्रीत दी आवाज च बांध नहीं सी।
दिलप्रीत "- यार बास .... मेरी जेही देखनी किवेन दी आ .... हाय सुख ..." ....
जदो ही सुखप्रीत दे हाथ फुद्दी तो उठे .... हाय उस भप्पन दी बिना वालन वाली चिकनी फुद्दी दिलप्रीत दी आखन दे बिलकुल सामने आ गई। ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्णण् गुलाबी रंग फुड्डी है जो एक लम्बी झील के साथ एक लंबी काली झील की तरह दिख रहा है. दिलप्रीत उसनु देखदेया ही पूरी ताकात नाल अपना मूह खोला ते उसदी फुद्दी नु लम्बा सा खिच के अंदर ले लिया। हैईईईई सुखप्रीत किलकरियां मारन लग्गी ...... उसदे मू चो हल्की जाहि चीक निल्की। दिलप्रीत ने अपने डोवेन हथन नाल उसदे पट्टन नु फरह के लट्टन नु चोरा किता ते उसदी फुद्दी नु खिच के चयन लग पेया। "पच्छ्ह्ह्ह्ह्ह पच्छ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ं वहां दूर खरे दोस्ताना नु वी सुनायी दित्ती.
सुखप्रीत:
दिलीप्रीत- "पाशहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प" vi क्यूं न पहली वार ज़िंदगी ch उसे कोई कुड़ी नंगी देखी सी चुनें। नाले जो रतन नु जाग के ब्लू फिल्म देखियां, उस्दा अनुभव वि करना सी हूं।
सुखप्रीत ऐसा नहीं कर पाएगी क्योंकि उनकी फुड्डी में पानी भर जाएगा, जिसे देखकर उनका दिल भर आएगा। सुखप्रीत मशली वांग ऊपर थेले हुंडी होई दिलप्रीत नु अपनी फुद्दी दा स्वद दे लग्गी। दिलप्रीत ने जद ही जीब उत्ते हमें भप्पन दी फुद्दी दा रस दिग्ग्या तन ओह उस्नु आइना मीठा लग्गा की ओह आंत भरदा होया और लेने लगा। सुखप्रीत भूलभुलैया नल अपने किया मम्मी अपने आप डबुन लगी पाई। ओह डोवेन भूलभुलैया वीच इज चूर चूर हो गए की उस वक्त भुल चुक्के सैन की ओह किथे हूं। दिलप्रीत ने हुं ज़ोर ला के उस्नु होर पिचे ढक्क्य तन सुखप्रीत दी नंगी बुंद उस दरख्त दी सख्त लकड़ी नाल गिस्र गी जिस्नाल उसदी बुंद दे मास ते जबरदस्त रागर लग्गी ........
सुखप्रीत- "हैईईईईईई दिल ......... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्...
दिलप्रीत ने देखा कि उसके बंडल पर रोशनी तो थी, लेकिन ज्यादा नहीं। पर सुखप्रीत अपनी कापरी ऊपर छुक्कन लग्गी ........
दिलप्रीत- "सुख कुज नहीं होया ... ऐवेन मारी जाही लग्गी आ ......."
सुखप्रीत- "नहीं दिल..भूत दुख रेहा है ......... है मम्मीय्याय्य ...." सुखप्रीत ने कापरी से कहा।
दिलप्रीत- "यार हले तन कुज वी नहीं कितना ... थोरा होर प्यार करदे आ सुख" दिलप्रीत ने उसदा हाथ फरहदेया कहा। दिलप्रीत नु लग्गेया जीवन उसे खड़े लुन ते कुट्टी दंड मार गई होवे।
सुखप्रीत- "हाय दिल नहीं ... भुत निकल रेहा पिचे ... फिर कड़ी करंगे पक्का ........." सुखप्रीत ने सवाल का जवाब दिया ओह, मेरे भगवान
दिलप्रीत- "हाय फिर कदूू... मेरे तो रह नहीं जाना"
सुखप्रीत- "चिंता मत करो... मेरे घर के आसपास कोई नहीं है... मैंने फोन किया और डीएसएसडुंगी ... आजायिन उड़ू... हुं मैं चलती आ..." सुखप्रीत ने दिल नु गल्लां ते किस करदेय होया संजय।
दिलप्रीत- "हैई ..... सुख ......... मुहाआआआआआआआआआ" दिलप्रीत उथे खरा सुखप्रीत दे वजदे लक्क ते हिल्दी बुंद नु भुखे कुट्टे वंग झकड़ा रेहा .... आज फिर उसदा कम वच ही रह गया। पता हमेशा उसनाल ऐदा क्यूं हुंदा होता है। लगदा उसदी किस्मत ही बुरा है। दिलप्रीत चुपचाप खरा सोच लगा। उसदे दोस्ताना ने तन को दो दी मुथ मार लेई है पर दिलप्रीत फिर सुक्का ही रह गया आज ......
(दूसरी ओर)
नवदीप कौर बिस्तर ते बैठा मां दे उत्थान दा इंतजार है। अंत में टीवी पर कार्यक्रम खत्म होने के बाद मनजीत कौर होली बेड से उठी। जदो मनजीत ने मोड ते चुन्नी लेई तन जा के नवदीप नु साहा आया की हुन सेवा करन चले आ। नवदीप ने खुद को सबसे ऊपर फटाफट को देखकर खुद को स्थापित किया। फिर मनजीत कौर दे नाल पिंड दी उस जग ते सेवा कारवायं लेई चल पाई। खेतान वच कम करदे ते पत्थे कुत्रदे मुंडे ते बंदे तन उन्हा वाल आखन पार जाक ही रहे हैं पर बुद्धेयान ने वी उन्हा राह जंदेयं डोवेन मा-धी दे हिलदे होये सोदियां ते बाज वांग अख वंग है। मंजीत कौर भवन तिन बचान दी मां है पर किस लुन्न नु इक मिंट छ खरा कर दें वाला जसिम देख के कोई वी अंदाज नहीं ला सकाड़ा की इस्दा वियाह वी होया होवे। पूरे 40 तो उत्ते दे गेंट्ट गेन्ट मम्मे ते 40 तो उते दी मास नाल भारी होई वड्डी चोरी कारकदार बंड किस नामर्द दी लुल्ली नु वी लुन्न वांग फरते मारन लेई मजबूर कर स्कडे ने। पिंड दे बुधेयां ते इसदे परायणे दे दोस्त दी तन शूरू तो ही मनजीत दी फुद्दी ते बुंद ते नजर रही पर बेचेरेयां नु कोई मौका नहीं मिला।
नाल जंडी नवदीप कौर वी मनजीत तो घाट नहीं है। सागो एह तन हुं जवानी वीच ही मोटे बम्बब्बब वेरगे मुम्मे ते छोरे पहाड़ वर्गे चितड्ड कड्डी बच्चन तो लाई के बजरगा तक दियान मुथन मिंट छ मारवा दिंडी है। नवदीप दी बुंद वी अपनी मां नालो घाट नहीं सगों इसदे चित्तद्द तान ऐडा वाल खांडे ने की ऐडा दा कोई सूट या कपड़ा नहीं बनया जो इसदे चित्तदान दे आकार नु लुका खातिर। नवदीप कौर पिंड दी सब तो शरीफ ते रज्ज के सुनाखी नारन वचो पहले नहीं ते आयुंडी है। असी इंज कह सके आ सरन पिंड ही नवदीप दे जिस्म नु हाथियों दे सपने लेंदा रहना है।
डोवेन मां-धे कुज ही डर वीच हमें जगा ते पूजा गए। वहाँ एक बाबा रहना ते नाल ही जग ते काई होर बेब उस्दा साथ दिने हैं। सब तो पहला पार्षद लाई के हमें बेब नू मथा टेकना हुंडा है। सरीन सफेद कुर्ते पजामा नहीं पहनती हैं। ओह बेबी, मैं यहां कुछ साल पहले आया हूं और मैं इसके लिए काफी मशहूर हो गया हूं। 24 गंठे उठे पाठ पूजा हुंडी रहती है। नवदीप और मंजीत को इतना कुछ किए हुए काफी समय हो गया है। परशाद लाई के भूत संगत लाइन वीच हमें बेब नू मठ टेकन दी उडेक कर रही ने। मनजीत ने नवदीप नु कहा .....
मंजीत- "पुत्र अज तन वावा भीर आ ..... आपा इंज करदे आ पहला सेव का दिन आ फिर मथन टेक लवंगे ... उन्ने नु भीर वी घाट जावेगी।"
नवदीप- "नि माँ .... ऐडा चांगा नहीं लगदा मैनु। मैं तन पहला मठ टेकंगी फिर सेवा करन जावंगी" नवदीप ने मनजीत नु अपने दिल दी गल दास दिति।
मंजीत- "चल ठीक आ..तू फिर मठ टेक ला पुत्र ... मैं सेवा कर दिनी आ .... ते बाद वच टेक लवंगी ....."
नवदीप ने प्रसाद लिया जो बाहर मिला और चुपचाप सीमा पार कर गया। इसे आने में काफी समय हो गया है, लेकिन इसे आने में काफी समय हो गया है। दिस ढाका मुक्की वीच नवदीप दे वीच वी बंदे जनानियां बज रहे ने। पर नवदीप चुपचप पथ करदी हुई खड़ी है। आने नु कुज 2-3 मुंडे ढाका मुक्की व्च उसे पिचे खरे हो गए। उन्हा वचो इक मुंडे ने जीवन ही सामने खड़ी नवदीप नु देखा तन उस्दी बहार नु निकली चोरी वड्डी बुंद उसियां आखन वीच जीवन घर कर गई। उसियां पुतलियान आवेन फुल गए जीवन अखन बहार ही ना निकल आन। पूरी दुनिया में उथल-पुथल है। नीले सूट वच कस्सी होई अथो-अठह मर्दी उसदी चोरी बंद मुंडे दे लुन नु मिंता वच ही मोटा ते लंबा करदी चली गई। द मुंडे दा लुन कुज ही पाला वच अपने पूरे आकार वच आ गया ते जो पाजामा ओह पा के आया सी हमें वचू साफ साफ दिखन लग गया।
ओह मुंडा कुज डॉ तन ऐवेन आले दौले देखड़ा रेहा ते जदो उस्नु लगा की कोई वी किस वल ध्यान नहीं दे रेहा तन ओह भीर दा फेयदा उठा के नवदीप दे बिलकुल पिच खारा हो गया। Hayeeeeeeeeeeeeeeeeeee ....... पाल मुंडे दा खर्या होया लुन नवदीप डी वार्डे वार्डे चितदायाआन डी वीचो वीसीएच जा लागीगा का उपयोग करें। ओह मुंडे नु चितदन दे नारम मास दा एहसास चंगी तराह होया ते उसदियां आखन माजे वच इक बार ऊपर थल होइयां। नवदीप का विचार दे विचारर कुज तीखा जेहा चुब्बेया पर उसे ज्यादा ध्यान नहीं देता ते अखन बंद करदी होई वापीस अपने कम लग गई। उड़ो ही इक दम किन लोग मठ टेक के बहार निकले ते कायन ने और जान लेई धक्का मुक्की करनी शुरी कर दिति। फिर से लॉग आउट करें। दिस ढाका मुक्की वीच भीर दा फैदा लेंदेया होया उस मुंडे ने नवदीप दी बुंद ते केई वार अपना लुंड ज़ोर दी राग्रेया। नवदीप को नहीं पता कि यह कौन कर रहा है। लेकिन आप यह सब बढ़िया चीजें कैसे करते हैं? उसने पिचे गम के वेख्या तन मुंडा पहला ही अलग जग ते जा चुक्का सी। नवदीप अगले दिन तक इंतजार नहीं कर पाएंगे।
थोरी डेर बाद ही उन्हा दी बारी आ गई ते ओह हम बेब नू मथा टेकन और वरहन लगगे। उड़न इक्को दम लोकन ने आना ढका किता की ओह मुंडे नु मौजा लग गया। वह अपना हाथ नवदीप दी बूँद के बाँध पर ले गया और उसे अपनी टोपी छ जीवन उस्दे मोटे चिताअद्द गुट के फर्ह्ह ही ले ले गया। नवदीप ने पिच को देखने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि उनके स्कूल ने पिच को नहीं देखा था। तब तक, वह बहुत शांत था और वह 2-3 बार बंड को नेविगेट करने में सक्षम था। हायी नवदीप नू अपना दो पवित्र वड्डे चित्तदान दे वच किसी दी पहली बार महूस हुई। उस्नु पता ही नहीं लगा की एह ऐसी हरकत सी. उस मुंडे ने अनगल ऐनी ज़ोर नल बंद छ ढकी सी की नवदीप दा सलवार ते सूट बंड वीसीएच और तक फास गया सी। इस पवित्र स्थान पर रहने के कारण नवदीप के आदमी अंदार बहुत नाराज हैं।
नवदीप आखिरकर अंदर आ गई। सीधी निगाह मारी तन सामने एक बुजुर्ग बाबा बैठा है। चित्त कुर्ता पायजामा ते चिते वस्त्रर। चिट्टी दारी बहुत .... ते नाल उसदे थोरा डोर साइड ते 2 भुत सोने सोने उचे लंबे बेब बैठे ने। वह एक युवक है जो अभी आया है। देखना वच भूत नूर है उसदे चेहरे ते। लोकी मठ टेकन लग गए ते फिर नवदीप दी बारी वी जल्दी आ गई। नवदीप ने अपने पिता के साथ भी अपना आपा खो दिया है। हाय सब लोग, क्या आपके पास बाल एक्सटेंशन के लिए अपॉइंटमेंट देखने या प्राप्त करने के बारे में कोई सुझाव है? बैठे बबेया नु वी उसदे छोरे हिल्डे चितदान दी दारार वच धस चुक्केया कपड़ा नजर आया की तरफ। ऊंचा वचो सब तो ज्यादा मजा इक नवेन आए बेब नु होया। उसदा लून तन इस्तेमाल वेले ऐसी सोहनी मुटियार नवदीप दी बुंद दा साइज देखा होया खरा हो गया। ओह तन उपयोग पल नवदीप दे चितदान दा दीवाना हो गया। नवदीप ने मथा टेक्य ते फिर ओह बहार वल नु तूर पाई। हाय चलदे होया उसदी बंद पटक पाठक धमक करदी होई खब्बे सज्जे कास कास के हिल रही है ओह नौजवान बेब दियान इस्दा पूरा मजा ले रहियां ने। ओह, मेरे भगवान!
नवदीप कौर उठे सेवा करें लग पाई। सारेयां नू रोटी पानी वंदन लग गई। हालांकि, इस लेख के लिए कोई टिप्पणी नहीं है, आप टिप्पणी पोस्ट करने वाले पहले व्यक्ति हो सकते हैं। केई मुंडे तन जान बुज के बार बार रोटी खाना आ रहे हैं ने टंकी उन्हा नु नवदीप दी हिल्दी बुंद दे दर्शन हो सकान। ओह नौजवान बाबा वर्सेज कामरे छ आ गया। हायी बाल्टी चो दाल पाउंडी होई नवदीप झुकी होई ते उसदी बुरी तारा हिल्दी बुंद होर वी वड्डी लग रही है। दिस बेब दा दिल कित्ता जीवन इथे ही ओह नवदीप दा सूट पार देवे ते कोड़ी करके जनवारण दी तरह चूड़ी। नवदीप ने अभी तक अपने बच्चे को नहीं देखा है
सोहनी पंजाबन Part 3
कुलदीप सिंह (44 वर्ष) -बापी
मनजीत कौर (42 वर्ष) - माँ (चित्र- 40-32-40)
नवदीप कौर (22 वर्ष) - वद्दी धी (चित्र-38-30-38)
जसमीन कौर (20 वर्ष)- छोटी घी (चित्र-36-28-36)
दिलप्रीत सिंह (19 वर्ष) - छोटा मुंडा
नवदीप ने बालती च दाल पाई ते फिर तो सेवा करुं लग पाई। बाबा उठे दूर खरा नवदीप दे हिल्डे चित्तदान नु देखाड़ा रेहा। आहिरकर नवदीप जदो थोरा जेहा ठक गई तन इक नल लगदे कामरे छ चली गई। उठे होर वी के जनानियां बैठियां ने। मोटे मोटे मम्मियां ते चोरियां बुंदन वालियां आंटीयां नवदीप नु देख के सोच वीच पाई गई। ऐनी जवान ते सोहनी मुटियारा कच्ची उमर व्च ही इनी सेवा करदी है ते इन्ना नाम जपदी है। उत्तो सोहनी वी रज्ज के है ते जिस्म वी ऐडा दा है जहां हर किस दे देखी कड़ी ना बजन वाली आग ला देवे। नवदीप कुज साह लें लेई उठे और आ के उन्हा नाल भुंझे छटाई ते बात गई।
नवदीप काफी समय से अपने बच्चे को स्तनपान करा रही हैं। उन्हें पिंक कलर का सूट मिला है। नवदीप ने देखा कि जिस लड़की को काटा गया था वह गायब है, और वह एक ममी के निप्पल की मदद से उसे बहकाने की कोशिश कर रहा था। यह वह जगह है जहां सभी परिवार बात कर रहे हैं। उस्दा इक मुम्मा पूरा नंगा दिख रहा सी जिस्दे निप्पल नु बच्चा मूह वीच पाके गैलप गलप्प चुंग रेहा सी। नवदीप ने मन ही मन वच सोच की उस्दा वी विया होवेगा ते ओह वी इक दिन आपके बच्चे नु दूध चंगावेगी। नवदीप भुत सोने सोने सजौन लग पाई।
थोरी डेर बाद नवदीप ने जादू साह ले लिया तन ओह फिर टन सेवा करुं लेई उठ गई। उसने अपना बच्चा नहीं दिखाया। हो सकता है कि वह अभी-अभी घर गई हो। फिर ओह दोबारा तो सेवा करुं लग गई। बाबा उसे फिर से देखकर खुश हुए। हे भगवान, मैं तुम्हारे नवदीप के कमरे से बाहर आने का इंतजार कर रहा हूं। जादू नवदीप सेवा करदी होई उसदे कोल आई तन इक बांध हम बेब दे वच वज्जी। हायी नवदीप दे मोटे ते कस्से होय मम्मे बेब दी शातियां नाल जा लगे ते नवदीप दे करक निप्पलन दा एहसास बेब नू गरीब भूले नल होया।
नवदीप- "ओह्ह्ह्ह ...... सॉरी बाबा जी ......... हह ने गलती की"
बाबा- "कोई गल नहीं बिबा जी....इंसान कोलो ही गलतिया हुंडियां ने।" नवदीप हमें बेब दे चेहरे ते आया नूर वेख के मंतरमुगद जाही हो गई।
नवदीप- "हंजी बाबा जी.. पर जे कोई गलत हो जावे तन बख्श्युनी वी चाहीदी है न"
बाबा- "वाह बीबा .... तुसी तन नंगे समाजदार लग रहे हैं .... लगदा काफ़ी सुलजे हो" बेब ने नवदीप दी तारीफ छ लफ्ज कह।
नवदीप- "नि बाबा जी .... सब कुज रब्ब दी महरबानी है। उन्हा ने ही एह शेयरर बख्शा ते उन्हा ने ही अकाल" नवदीप ने कहा। बाबा नवदीप दिया गुज्जियां गल्लां सुन के भूत प्रभाव होया।
बाबा- "बिल्कुल सही बीबा जी। एह सब उन्हा दी ही करामत है। तुसी भुत चंगा कम कर रहे हो सेवा दा।
नवदीप- "बिल्कुल बाबा जी .... मैं एहि तन पेउना चुनुंडी आ। बस मैनु कोई सही रास्ता दिखूं वाला मिल...।"
बाबा- "तुम्हारे वर्गे नौजवान आजकल भूत घाट मिले ने जो इन्ना दूंगा सोचदे हुं। तुसी सेवा कराउ ते फिर और आए। बेब ने हमें वल प्यार नाल देखदेया होया बोल्या।
नवदीप- "धनवाद बाबा जी ....जरूर" नवदीप ने सर हिलाया ते सेवा करुं लग पाई। नवदीप के चेहरे पर है बेहद खुशी सी. उस्नू बेब दियान गल्लां भुत चंगियां लगियां हैं। मैं इसे जल्द से जल्द करना चाहता हूं ताकि मैं अपने आदमी को शांत कर सकूं और उससे छुटकारा पाने की कोशिश कर सकूं। नवदीप ने पुरे तन मन नल सेवा करायि। ते सारे जाने ने रोटी खां दे नाल नाल उस्दी वड्डी छोरी बंद नु हिल्देन देख के स्वद लिया। नवदीप ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और फिर बेब दे दास होय कामरे वल नु वध गई में गए। नवदीप कामरे दे कोल पूजी ते दरवाजा खोला ते अंदर दखिल हो गई।
वह्ह्ह्ह अंदर दा महूल देख के नवदीप दा तन मन दी थाकावत जीवन दूर जाही हो गई। भूत सोना सजेय होया कामरा है। इतने प्रकार हैं, कहना मुश्किल है। सोहनी सजवत को अपने कमरे में देखकर नवदीप बहुत खुश हुआ।
बाबा- "आयो आयो बिबा जी...... इथे बैठाओ"
नवदीप चल के उठे ते बेब दे सामने बैठे गए। हायी बैठादे होइयां बेब ने नवदीप दे मुम्मियां दी झलक ते सोने सोने मोटे पत्तन दी झलक पूरी निगाह गद्दा के देखी। नवदीप चुनकरी मार के बेब दे अब बैठा गई। hieeeeeeee ...... नवदीप इसका अधिकतम लाभ उठाने का एक तरीका खोजने में सक्षम है। मोटे मोटे मम्मे ते गुंडवे पत्तन दे उठते बार बाबा कुट्टा झाक रख है।
नवदीप- "सत श्री अकाल बाबा जी .........." नवदीप ने नंगे ही अदब दे नाल बुलाया,
बाबा- "सत श्री अकाल बिबा जी...... होर दसो सेवा ला लेई..." बेब ने कहा।
नवदीप- "हंजी बाबा जी .... मैं हर ऐतवर नु सेवा करुं आयुंदी हां जी"
बाबा- "भूत चंगा करदे हो बिबा जी ... भूत पुन काम रहे हो"
नवदीप- "पर बाबा जी माई तुहानु आज पहली बार वेख रही हैं..." नवदीप ने पूछा।
बाबा- "हंजी बीबा .... मैं नया आया हूं थे। हले 2 कू दिन ही होय ने। मेरा नाम है।" प्रीत इंदर सिंह "। किट्टी ते फिर इधर सेवा आले पास आ गया" नाल नाल नवदीप दे शेयरर दे हर हिसे नु चंगी तारः झकेया ..
बाबा- "होर दसो फिर .... तुसी की पुछना चाहुंडे हो"
नवदीप- "बस बाबा जी केई सायल मन वच आएंडे ने ते उन्हा दा कोई जवाब नहीं मिल पांडा।
बाबा- "बीबा जी .... यह सवाल उन्हें इतना आसान लगता है। मुक्ति पाउं लेई इक रह चाहता है। होया चलदे रहिये "बेबे ने नवदीप नु जवाब दित्ता पर नाल ही नाल उसदे मोटे मुमीन नु अखान दे नाल नंगा करदा रहा
नवदीप- "हांजी तुसी सही कहा बाबा जी....."
बाबा- "आत्मा को पवित्र रख मुक्ति के मार्ग पर चलना आसान है"।
नवदीप- "हंजी ..... एह आत्मा तन है ही अमर। शेरर दा नाश जो जिंदा है पर एह आत्मा सदा अमर है। एह कड़ी खतम नहीं हुंडी।" नवदीप ने भी जवाब दिया खुश रहो ओह वी नवदीप दे विचारा नु सुन के भूत प्रभाव होया।
नवदीप ते ओह बाबा काफ़ी डेर उठे बैठे के गलन करदे रहे। नवदीप ते बेब विचार भुत सरियां चुनियां गल्लां होइयां। नवदीप के जवाब ने उसे नहाने के लिए मजबूर कर दिया, जिससे नवदीप बहुत दूर चला गया। ते नवदीप भी बेब दी शकियत टन भुत प्रभाव होई। उस्नु बेब नाल गल्लां करके भुत चंगा लागे ते उसे नवदीप दे दिल वीच इक अलग जगा बना लेई। ओह, कोई गलती नहीं, बस प्यार।
नवदीप ते बेब दिया गल्लां फिर खतम होइयां ते डोवेन उठे। बाबा तन नवदीप दी बुंद देख लेई उसदे पिचे पिच जाना चाहता हूं सी. होया व ऐदा ही है। नवदीप उठी ते बहार वल नू चल पाई। बाबा उसदे पिचे चलं लग्गा तन नवदीप दी बम्बब्बब्ब बंडद्द नु देख के बेब दिया अखन नु साह आया। नवदीप फिर जा सकते हैं घर
जगह निकली थी ओह बहार रह ते आ गई। उसदी बेबे उस्नु पतंग वी नहीं दिखी तन उसे सोच की शायद घर पूजा गई होवगी। नवदीप कौर कल्ली ही घर वल नू तूर पाई। थोरा जेहा नेहरा पाई गया सी. पर फिर वी पिंड दिया गलियां छ छेल पहल सी. नवदीप अपने घर जा रहा है। उसदी बंद मटक मटक करदी सारें दी नजरान नु अपने वल खिच रही है। पिंड दे सारे मुंडेयं ते बुधेयां नु पता है ऐतवर नु इसे वेले नवदीप सड़क तो तुर्दी अपने घर वल नू जानदी है। आज बेब नाल गैलन करदेयां ओह कुज देर हो गई सी पर नवदीप नु फिर वी उसदे आशिक आले दौले तो लुक लुक के जिस्म नु देख के अपनी मुठ मारन दा जुगाड़ भी रहे ने।
आने नू की होया की नवदीप कौर जा रही है ते बस अपने घर वल जंडी गली नु मैं सड़क तो मुर्रान ही लगी है की दो मोटर साइकिल ते सावर मुंडे उसदे कोल आ गए ते कहन लग...
मुरला मुंडा- "हाय वद्दी बंद वालेओ सोहनेओ..नंबर लेलो ......" नवदीप नु इक दम झटका लगा ते गुसे वीच उन्हा वल वेखान लगी पर उन्हा डोवन ने मोह ते रुमाला बन्या
नवदीप उसकी उपेक्षा करता है और चुपचाप मान जाता है कि यह आखिरी बार है जब उसने आवाज सुनी है ......
पिछला मुंडा- "ओए यार ... किड्डा हिल्डे आ चितद्दद्दद्दद्द .... स्वद ही आ गया" ते ओह मुंडे थोरा हसन लग पाए। गोंद देखकर नवदीप ने किसी से बात नहीं की।
हे भगवान, मैंने बाइक फिर से शुरू की, मैं नाव पर चढ़ गया, मैं नाव पर चढ़ गया, मैं बाइक पर चढ़ गया, मैं बाइक पर चढ़ गया, मैं नाव पर चढ़ गया, मैं नाव पर चढ़ गया बाइक, मैं बाइक पर चढ़ा, मैं बाइक पर चढ़ा, मैं बाइक पर चढ़ा, मैं बाइक पर चढ़ा।
नवदीप ने ऊंची डेनी के साथ धोखा करना शुरू कर दिया। पर शायद तुम कुछ नहीं जानते।
बाइक सवार होते ही नवदीप उसके घर आ गया।
नवदीप दे पिचे आएंडे होये शायद के मुंडेयं ने नवदीप दे चित्तदान दी आवाज ऊंची दे सुनी होवे। लेकिन उन्हें यकीन नहीं है क्योंकि हमारी मदद करने वाला कोई नहीं है। नवदीप को बहुत गुस्सा आया और वह अपने घर जाकर उन्हें प्रणाम करने चला गया।
नवदीप कौर की सांसें ऊपर-नीचे हो रही हैं. ओह पाज के अपने घर दे अंदर वर्ह गई ते धर्म देनी बूहा बंद किटा ते और वल नु पज्जी आई। अंदर टीवी वाले कामरे वीच आई तन जसमीन लम्मी पपाई टीवी देख रही है।
जसमीन- "की होया दीदी ... ???? ऐडा पज्ज के अंदर आए हो? जसमीन नु हाफदी नवदीप नु पुच्या।
नवदीप- "ना कोई गल नहीं आ ....... हम्म्म। बेबे किथे आ ?????????" नवदीप ने अपनी पत्नी से सवाल का जवाब मांगा।
जसमीन- "बेबे तन तेरे नाल ही गई सी ..... सेवा करें ......" जसमीन ने दसदेया कहा।
नवदीप- "हाल आई नई आ ........?"
जसमीन- "नि हाल तन नहीं आई"
नवदीप- "चल आ मेरा फोन फरहा दे हुन ......... मैं जरा चार्जिंग ते ला देवन"
जसमीन- "की आ दीदी ... मासा तन शट्टी आले दिन में फोन मिल्डा .... किन्नी वारी कह की मैनु वी ले दो ...." जसमीन ने बचन वांग रोंडे होय्या।
नवदीप- "बस कर ... इक दिन तनु दिन एक फोन .... सारा दिन खेरहा नहीं शाद दी .... कृपया बताएं, क्या कहानी है उनके बड़े पिल्ले ....
आने नू बेबे वी आ गई …… और आयुंदी बेबे नु नवदीप ने पुच्या ……
नवदीप- "बेबे लेट हो गए ....किथे गए ग?"
मनजीत- "ओह बस उठे कीर्तन सुन लग पाई सा .... पिचले पासे ........ तनु माई लहेया ते फिर लगा की तू चली गई होनी आ ........"
नवदीप- "मैं वी तुहानु लभ्या सी .... मैं कीर्तन वाले पास नहीं गए .... नहीं तन तुहाड़े नाल ही आ जान ....."
फिर नवदीप ते मंदीप रात दी रोटी दी तयराय करन लग गए। तोरी ही डर तक दिलप्रीत वी मोटरसाइकिल नू "धरम्मम्मम्मम्ममम्म .... दग्राममम्मम्ममम्म" करदा आ गया ........
मनजीत- "वे खोली आआआ ...... सबर रख जरा ........" मनजीत बूहा खोलन लेई नस के गई ते दिलप्रीत नु केहा जो बहार ऊंची आवाज वीच मोटरसाइकिल दी रेस दे रेहा सी।
मंजीत ने दरवाज़ा खोला और दिलप्रीत आंदर आया गया के पास गया और अपनी जगह बाइक की सवारी करने लगा।
मनजीत- "वे कुज शर्म वी हैगी आ तनु ........ सेवर दा गया हुन मुर्र्या ......... घर दे कम काज वी करने हुंडे ने./" मनजीत दिलप्रीत नु तारन लगी पर दिलप्रीत ने अनुसुना किता ते अपने कामरे वीच वर्ह गया ते काप्रे बदला लग गया।
जसमीन अभी भी टीवी देख रही हैं। नवदीप और मनजीत रसोई खूब मेहनत कर रहे हैं और दिलप्रीत भी अपने रूम फोन पर बात कर रहे हैं।
(रात 9 बजे)
सरियान रोटी खा चुका है। वह चुपचाप अपने कमरे में सो रही है। कुलदीप सिंह अभी नहीं आए हैं। वह जानता है कि उसे रात के लिए देर हो जाएगी, लेकिन वह जानता है कि वह अपने दोस्त नैथ बैथ के साथ रात के लिए लेट हो जाएगा। नवदीप कौर प्रीत इंदर सिंह से मिलने के लिए उत्सुक हैं, जिन्होंने अभी-अभी अपनी रूममेट सर्विस समाप्त की है। ओह, वह सोने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसका चेहरा बार-बार आ रहा है। ओह, वह आज हमसे बहुत प्रभावित है। बबडे दी सोहनी सूरत ते उसे मीठा भरे होय शब्द ते उस्नु उत्तम ज्ञान वाले बंदूक बार बार नवदीप नु उस बब्बे नू याद करना लाए मजबूर करे। नवदीप इक सरहाने अपनी बेब के बारे में सोच रहे हैं जिसने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। दूसरी तरफ, दिलप्रीत सुखप्रीत नल गल्लां मार रेहा है नाले अपने लुन नु हाथ वच फरहके मुथ मार रेहा है। जसमीन टीवी देखती होई नींद वीच कड़ी वी जा सकती है। मंजीत के पास एजे वी चेन नहीं है।
मनजीत अपने बिस्तर पर लेटा है और उसकी प्रार्थना का इंतजार कर रहा है। ओह, मुझे लगता है कि पहला तन ऐदा कदे नहीं सी हुंडा। लेकिन आप जानते हैं, अब बहुत देर हो चुकी है। दारू ते मीट मशी नाल दोस्ताना वीच बैठना गीज गया है। मनजीत भवन तिन बच्चन दी माँ सी पर उस जिस्म हाले वी लूं लेने ले अग दी भट्टी वांग तपड़ा रहता है। रोज़ चूहा नु टप्प-टप्प के लुं लेन वाली मनजीत नु लगभाग साल तो ऊपर हो चलेया सी की लूं लेन तन दूर दी गल किस मर्द ने उस जिस्म नु चंगी तार हाथ तक नहीं लाया सी। मंजीत को अपनी जिंदगी के पहले 3 साल याद हैं। किन्ना माज़ा आयुंडा सी उड़ो जदो कुलदीप उस्नु अपने हाथ दे ज़ोर नाल चक के खिच खिच के उस्दी फुद्दी वीच लुन वरदा हुंडा सी। तुम हे भगवान। रात नू 2-3 बार तन कुलदीप उदी फुड्डी ठोकड़ा हुंडा सी. सेवर नु उसदे जिस्म ते लल्ली ते पाए होए डंडा दे निशान ओह नहूं वेले बार शीशे वीच वेखदी सी ते रात नु मिला माजा याद करदी होयदी हस्दी सी।
पर आजकल तन बस सपना वच ही ओह फुद्दी मरयूं बार सोची है। यह पहली बार है जब मैंने उसे पानी में देखा है, और उसे देखे हुए काफी समय हो गया है। इंज लगदा की सदियां बीट गईयां हो ते उसे वाया औरत वाला मजा नहीं लिया। मंजीत ऐसा करने के लिए बहुत कोशिश कर रहा है, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पा रहा है।
हमें दुसरे पासे)
कुलदीप अपने दोस्त नाल इक के साथ मोटरबाइक पर मोटरबाइक चला रहा है। नाल एंडे ते मीट लियांदा होया है। इसमें तो कोई शक ही नहीं है। सारें ने दारु ऐनी कू पेशाब राखी है उन्हा नू ख्याल नहीं की ओह की बोल रहे ने ते किस बार रहे। बास उर गाला ते बुले उर्रा रहे हैं..वचो इक दोस्त बिल्ला है उसे सेहेज सुबाह ही गल किट्टी ........
बिल्ला- "बाई कुलदीप्य ... सादी भाभी तन वही सोहनी ए ......... पता नहीं तनु पतंदरा किथों लभ गई"
कुलदीप- "ओह बस ऐदा ही है फिर... यारा ते रब दी महरबानी आ..."
बिल्ला- "यार ओह आईना टकड़ा माल है ......
कुलदीप- "यारा ऐडा दी गल नहीं ....... साला बथेरियां रतन रंगेन कितन वियाह तो बाद। साला बिना नघा पाया फते चकड़ा रहा हूं मैं .... पर हूं उसदे वच ओह गल नहीं रही .. ..... "
बिल्ला- "ले कमाल करदा .... सारा पिंड हमें उत्ते तल्ली होया पेया ... ते तू कहना गल बात नहीं ........."
मुझे ऐसा नहीं लगता है।
कुलदीप- "हुं बस आप ओह हो गए आ हम टन ... की कहने अंग्रेजी वच यार ......... उसु.बी ........ बब्बा ........ हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह "
टिप्पी- "बोरेईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई) नल बैठे दोस्त टिप्पी ने जवाब दित्ता ......... "उसदा जवाब सुनके सारे ने हमी भारी।
कुलदीप- "हां बोरी हो गया ... हुं तन सील बंद फुद्दी दी लोर आ यारा"
बिल्ला- "तेरियां तन कुरियन वी आओ ... और मर्दिया .... उन्हा नु ही चक ले किस नु ....." वी गल नु वंधायूं लग पाया।
कुलदीप- "कुरियन नशे दी पुरियां..." कहने ओह नींद्रा जेहा हो गया ते गार्डन सित्त के बैठा जीवन कुट्टा दवका मरके बिठाया होवे।
टिप्पी- "यार एहदा तन लगदा हो गया कम ...." बगीचा लम्का के हवसियां वांग पाए कुलदीप नु देखके ओह बोले। "पर यार इसदी कुड़ी दी मिल जावे तन समजो मुक्ति मिल जावे .."
बिल्ला- "केरही वाली दी यार जस्सु या नवी ????"
टिप्पी - "यार जस्सु तन हेल बच्ची जेही लगदी मैनु ......... वड्डी कुरी आ पटाका ......... नवदीप कौर ........ उसदी मिल जावे तन सारी जिंदगी दे वरे न्यारे हो जान "टिप्पी नशे वच आइना तून हो चुका है की उस्नु समाज नहीं एक राही ओह की बोल रेहा "बहनछोड़ गुरुद्वारा छ जादो मट्ठा टेकन लेई कोड़ी हुंडी आ ना ...
बिल्ला- "सही गल आ तेरी यारा ........ सारे मुंडे गुरुद्वारा नवदीप दी बुंद देख ही जानदे आ यार ... जो गल हम वच आ ओह किस पिंड दियान जननी च नहीं .... बरियान बरियां गुंडवे शरी वलियान वी पानी भारियां ओहदा"
टिप्पी- "जदो सेवा करीद तुरदी आ ना ... हाय खब्बे सज्जे हुंडे चितद मू ते वज्जे मेरे ..." ओह बेशरम होके हुं बोलन लगगे। "जी करदा हुंडा लुन दे नाल नाल तत्ते वी उस्दी बंद छ धक्क दिया यार ..."
बिल्ला- "ओह तेरी दी बल्ले .... दिल तन मेरा वी करदा हुंदा साली दी धार्मिक फुद्दी ते बुंद नु लुन दा पार्षद खिलायूं लेई। मैं तन सुन्घनो न शड्डा उसदा चुगाथा। बहनचोद होर तन होर साली दा पद वी मेहका खिलाड़ी .... "
एह गल सुनके सारे जाने ठका मार्के हसन लग पाने।
टिप्पी - "सही गल आआआआआआआआआआआआआआ पता नहीं कीदन दा लगना ........."।
बिल्ला- "आह गया सदा माल... हुं आजू स्वर"
रोला जेहा सुनके बिल्ला ने कुलदीप नु वी झोंजरेया तन कुलदीप दे वी देले खुल गए। गद्दी दी आवाज़ सुनके ओह बरका मारन लगा।
कुलदीप- "हुं बनी गलल ......... बुर्र्ह्ह्ह्ह्ह्ह" कुलदीप भी उठा के खरा हो गया ... निकली जिस्ने भुत ही सोहना पटियाला सूट पाया होया सी. लम्बी गुट्ट ...... लाल बुल ..... गोरा रंग ..मोतियान अखान ....... कन्ना वच वालियां। नक्क वच कोका ....... ऊंचा लंबा कद ..... ..मोटे मोटे मुम्मे ते उस्तो वी मोटे ते छोरे चुतद्दद्दद्दद्दद। सारे दोस्त हमें नार दी ख़ूबसूरती नु देख के पागल ही हो गए।
कुलदीप- "वीरे एह सप्प किठो कदद लियांदा तुसी ???????" नशेरी जेही आवाज़ छ कुलदीप ने भोले नु पुच्य।
भोला- "गरीब 10000 टेक दा माल आ ……… कॉलेज छ पारदी आआ हले …… फुद्दी दे नाल नाल बुंदद्दद वी मरुंडी आआ …… रज्ज के बड़े दिन ,, ,,, "
कुलदीप- "ओए बल्ले ....स्ववाद लिया ता यारा ......... हुं तन पूरी रात महफिल चलु इथे ... आज लिया"
उठे कुलदीप नु मिला के 5 होर बंदे सी. यानी के पंजा ने हमें कुरी दी फुड्डी मारनी आ सारी रात। टिप्पी को अपने नवदीप को देखकर याद आया। पर आह कुरी दा जिस्म बनाम नदीप दे आगे कुज नहीं हैगा। सारे जाने हमें कुरी नू लाई के मोटर दे अंदर चालान लगें .....
भोला- "ओये मित्रू ऐथे कोई नहीं आयां लगा... मांजा बहार कद्दो ते खुली हवा छ मौजा करो ...... पूरी रात कोई परिंदा वी पार नहीं मर्दा इथे।"
सारें ने भोले दी गल सुंडेयां ही उस्नु बहार ले औरा। कुरी रज्ज के सोने ते सुनाखी है। उसदा जिस्म भरा ते बिलकुल पंजाब वांग भाखड़ा पाया है। सभी पहले कुलदीपों को उनके द्वारा चूमा गया। कुलदीप ने उसदी चुन्नी ला के परन सुत्त दिति ते उसदे बैल हवाशियां वांग चुसन लग पेया। सारे दोस्त उसे नाल खरे हरे अपने लूं ते हाथ फिर लगे पाए। कुलदीप ने उसे बुलाएं नु अपने शरब नाल महक रहे मूह नाल इंज चुना जीवन उसे पट्ट के लाई जाने आ। कुरी वी मस्त हो के उसु अपने बुलां दा रस पेयों लग्गी। कुलदीप ने फिर उसे कमीज नू हाथ पाया ते उस्नु फटाफट ऊपर कर दित्ता .... उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ ... हम कुरी दी चिती ब्रा वीच कैद उसदे 38 साइज दे मुम्मे बाल्दी और गर्मी शद्दन लगगे। कुलदीप ने फटाफट उसदी ब्रा नू हाथ पाया ते को बाजी मारी।उसदी ब्रा दे चुक्कान नल ही उस पंजाब मुटियार दे मोटे मोटे ते वड्डे मुम्मे खुली हवा वच आजाद हो गए ते कुलदीप दी जीब लारा शद्दन लग्गी। आईने सोने ते गोल मातोल मुम्मे देख खड़े सारे जाने हेयर रे गए। गोर मास दे बेर होय तरबूज वर्गे मुम्में दे ऊपर तकब्रान 2 इंच डे निपल्स सख्त आसन वच खरे सलामी दे रहे ने। उसदे मुमीन दे निपल्स दे आले द्वाले वाला घेरा वी भूरा ते हल्के गुलाबी रंग दे मेल नाल बनाया होया भाखडे तंदूर वंग अग ला रेहा सी। कुलदीप तान उस्नु देखदेया ही उस कुरी दे मुम्मियां ते टूट पेया। कुरी दी कमर नु हाथ पा के अपने वल ज़ोर दी खिचड़े होयां उसे उस्ने तोप्पन वर्गे मुम्मे वच पा ले। हायी ... कुरी दीयां किलकरियां निकलं लगियां। कुलदीप इक भुखे शीर वंग सोहनी हिरनी दा शिकार करन लगा। उसदे इक मुम्मे दे मोटे निप्पल नु मूह वच मां के बच्चे वंग सा और नु खिच खिच के चुसन लगा ते दूजे मुम्मे नू अपने दूसरे हाथ नाल जनवारा दी तराह मसाला लग पे। कुलदीप दी पीठ फरह की मदद से कुरी अपना काम नहीं कर पाएंगे।
कुलदीप दे साथियान तो वी रह नहीं हो रहा c. वह अपना पजामा लेकर आया और बेशर्मा वंग खुले अस्मान दे थल ते थंडियां चल रियान रात दिया हवावा वच बिलकुल नं हो गए को खोला। उन्हे नु कुलदीप वी मुम्मे चूसदा होया अपने पूरे कपरे ला चुक्का सी। उसदा मोटा तकड़ा लुंड कुरी दी सलवार नाल लगड़ा होया उसदी फुद्दी नाल ज़ोर के घिसर रेहा सी. कुरी दे गुलाबी सांड चूस के कुलदीप ने फिक्के कर दते सूरज। हुन ओह उसदे मुम्मियां नु चंगी तारः निचोर रेहा सी. कुलदीप ने मुम्मे चूसदेया होया ही उस कुरी दी हाथ पा लिया ते झट ही कुज सेकंड्स वीच ही उस्दी सलवार फुद्दी ते पत्तन नु ढकन दी वजाये जमीन ते दिग्गी पाई सी.थले पाई होई काली कच्ची नु हाथ कुलदीप ओह हाले वी उसदे डोवेन मुम्मे बारी बारी सर चूस रेहा सी। हुन उसे टिड्ड ते जीब फीरी ते होली होली चटड़ा होया उसदी धुनी दे द्वाले जीब घुमायूं लगा। कुरी नु व माज़े आयुं लगे जिस्करके उसदी लट्टन कम्बन लग गई। कुलदीप ने हमें स्पष्ट कर दिया कि उसने अपनी गिल्ली-जीब डब के बारे में अपना विचार बदल दिया है।
उसने हमें बताया कि वह स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता खोजने में सक्षम था, और वह स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता खोजने में सक्षम था। शेव किटी होई बिना वालन वाली चमकदार गुलाबी फुद्दी सारा दे लुन्ना ते तेरे वंग चुब्बन लग्गी। कुलदीप ते ओह कुरी वी हुन पूरी तरह नंगे हो चुके ने। कुलदीप ने कुरी नू अपने ऊपर बिठा लिया ते आप मांजे ते बैठा गया। जिस्नाल उसदा लून कुरी दी मुलायम फुद्दी ते लगार रागर खंडा होया माजे दें लगा। कुलदीप ने जादू उस्नु अपने ऊपर लिटाया तन ओह भूलभुलैया वीच पागल हो गया। कुरी दे मुम्मे कुलदीप दी शातियां वच जीवन दास ही गए। उन्होंने वड्डे मास नाल भरे हो गए चित्तदा ते राखे ते दोना चित्तदान नु हाथ वच फरह के गुट्टान लगा पर हाथ रखा। हाय रू वांग पोल ते मुलायम चित्ताड्ड कुलदीप दे सख्त हथन करके लाल हो रहे सी. कुरी वी किसी तकडे मर्द हाथोन अपनी बंड नु पटयुंडी होई माज़े वीच डबड़ी जा रही सी। कुलदीप ने रज्ज के उस्दे जिस्म दे अंग नु पट्ट्या ते फिर उसु थले लम्मी पा लिया ते लट्टन चोरी कर लेइयां।
हाय सोहनी सुनाखी मुटियार ने अपने अखान लूं लेन दे लेई बंद कर लेइयां ते लट्टन गरीबियां खोल लेइयां। कुलदीप ने उस मूह वच थोरी डेर लुन पा के गिला करना लेई चुसवाया। हाय उसदे गुलाबी बुलां और लूं जान दी डर सी की कुलदीप तर्पण जेहा लग गया। हमें कुरी दी मुलायम जीब ते गिला गरम मूह उसदे लूं नु पूरे माजे नाल ठुक नाल भियों रहे ने। कुलदीप दिया चीखन निकल गया। कुलदीप चुस्वायन अपने तत तक हमें कुरी ते मूह वच डब डब के पाए ते गोलियां चंगी तारा चुस्वायियां। जब दिल भर आया, तो उन्होंने गुरी गरम भुरकी फुद्दी दे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह इक ही झटके वच हाथयार अपने निशाने वल चला गया पर अपना मोटा लांबा लुं रखा। पच्छ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्द्ध:द्ध.. कुरी ने ज़ोरदार गाल मारी ते कुलदीप ने मेजे नाल दहारा मर्दिया होया उस्नु लक तो फरह्या ते बात बत्त की उस फुद्दी मारन लगा। फटक फटक फटक फटाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआकक्क ... घास इंज मार रेहा सी जीवन गरम लोहे ते हाथोड़े मार रेहा होवे।
मांजा आगे पीछे बुरी तरह हिलान लगा ते कुरी दी फुद्दी जीवन लीरो लीर होन दई सी. कुलदीप ने उस्नु बुंद तो फरह्या होया सी ते हमें पूरा भर सित्त के फछ फछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह दी जोरदार आवाज करदा होया फुद्दीई नु लुन नाल बुरी तरह फरह रेहा सी। लूं ते फुद्दी दी टकरा दिया आवाज दरवाजा दूर तक सुनिया जा स्किडियां सुन। लेकिन आयुंडा इस्लिये खुल्ले वच पंजाब मुटियार दी इज्जत लुत्तन दा मजा और गरीब आराम नाल ले रेहा सी जैसी कोई चीज नहीं है। उसे कुरी दी बुंद वच पहला इक अनगल पाई ......... फिर दो उनगला पाईं ते देखदेया उसने उसे तिन उंगलन कुरी दे चितदान दी मोरी वच वार दित्तियां।
हायी ...... नाल नाल फुद्दी नु पारहदा होया कुलदीप उसदी बुंद नु वी खुला करदा जा रहा है। कुरी पुरे भूलभुलैया नाल उसदा लूं अपने तिध तक ले रही है। पूरी फुद्दी लगार पानी शद रही है जिस्नाल कुलदीप दा लुन तिलकड़ा होया हम कुरी दे और वर्ह रहा है ते चोदन दा आनंद डोवन नु भरपुर मिल रहा है। कुलदीप ने लगभाग आधा गंता कुरी दा फुड्डा परहया। उसे मार मार के उसदी फुद्दी नु भोसरा बना षडय्या। लगदा सी की की सालं तो ऐसी जवान फुद्दी दा भुका फिर रेहा सी ते हुं मौका मिले ही सारी कसार ला रेहा सी। उसी कुर दी ऐसी फुद्दी ठोकी उसने की उसियां आखन चो हंजू तक आ गए। अंत में कुलदीप ने अपना लुन दे वचो माल दिया धारावां हमें कुरी दे फुद्दी वच ही शादियां…
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ं भेंचोद .....मां यावियी .....गलां कद दा होया कुलदीप बिना कंडोम के तो उसी फुद्दी वच झरं लगा ते देखदेया उसे अपना सारा माल हम कुरी दे फुद्दे वच भर दत्ता। अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ः कुरी नु फिर पतंग जा के सह आया ते अपने सहान दे फुलन दी आवाज नू सुनायी दें लगी. कुलदीप नशेरियां वांग उसदे ऊपर जीवन बेजान जेहा लिट गया। उसदे दोस्ताना ने उस्नु उठा ते ओह बेसुर्त जेहा हो के नाल भुंजे ही जलाया। हुन हमें कुरी दे ऊपर उसदे दोस्त टूटे पाए। बारी बारी सर ..... बिल्ला, टिप्पी, भोला उस कुरी दी इज़्ज़त अपने लून नाल लुउत्दे रहे। उसने पूरी रात डगआउट में बिताई और मर रहा था। सारे ने अपनी रीज राज के लाहि ते अपने लुन्ना नु ओह स्कुन दत्ता जो के समान तो उन्हा नू नहीं मिला सी। यदि आप इसके बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आपको इसे यहीं पर छोड़ना होगा। हे प्रभु, वह होश में आया और उसे एक बिच्छू भेजा। ते सारे दोस्त अपने अपने घर नू चल पाए।
(दो पक्षों)
सभी लोग रूटीन फॉलो कर रहे हैं। जेहा टाइट टॉप पा पाने के लिए जैसमीन कॉलेज से जींस फिट करने गई हैं।दिलप्रीत ने भी स्कूल छोड़ दिया है। लेकिन नवदीप आज स्कूल जा रहा है। मुझे नहीं पता कि आज स्कूल कैसे जाना है। उस्नु बेब दियान गलन दा भूत असर हो रहा है। उसदे दिमाग वीच प्रीत इंदर सिंह (बेबे दा नाम) दे सोने मुख चो निकलियां गल्ला कन्ना वीच बार सुनायी दे रहियां ने। ओह, वह लंबे समय से तैयार थी, लेकिन उस समय उसने अपना मन बदल लिया और स्कूल नहीं गई। आज उसे भुत ही अत सोहना जेहा पजामी सूट पाया है। जामनी रंग दी कमीज ते चिट्टी पजामी पाई होई ओह हुस्न दी मल्लिका लगन दया है। उसदे मोटे पहाड़ वर्गे मुम्मे चालान ते मस्त तारेके नाल हिल रहे ने। नाल ही वड्डी हुलारे खांडी बंद व साफ हिली नजर आ रही है। आज, यह स्पष्ट है कि हममें से अधिकांश के पास बहुत सारा पैसा है। मनजीत ने उस्नु स्कूल न जाने होया वेख पुच्य...
मंजीत- "नी की होया आज स्कूली परहन नहीं जाना ....... की बंद है तेनु ???" मनजीत ने सवाल किटा। "कल तन दसय नहीं कुछ?"
नवदीप- "नो बेबे शट्टी नी है बस आज जान दा दिल नहीं किता। मन आशांत जेहा लग रहा, कुज वी करण नू दिल नहीं कर रहा।"
मंजीत- "फिर पुत्त ऐडा करना सी .... जा के मठ टेक्या। देखी तन-मन नु शांति मिल जानी आ" मनजीत ने उस्नु केहा। नवदीप दा चेहरा एह गल सुन के जीवन नवदीप दी उदासी काइट गयाब ही हो गई। जीवन उसदी मन दी गल उसदी बेबे ने कहा होवे। उसे झट हां करदेया कहा।
नवदीप- "हन बेबे .... तुसी सही कह रहे हैं। मैं जा के उठे मठ टेक आयुंदी आ ते नाले इस समय भीर वी घाट हुंडी ए।"।
"बेबे मैं शाम तक आ जावंगी। उठे सेवा वी कारा दवंगी" नवदीप ने जंदेया होया कहा।
"ठीक है, चलते हैं। तरकला चलते हैं।"
नवदीप ने घर से बाहर आकर उसे जगह दी। उसदे मुख ते भुत खुशी झलक रही सी. शायद एह हमें बेब नू मिलन करके ज्यादा सी। नवदीप दे मन वीच बेब वारे कोई गलत विचार नहीं सी पर ओह उसियां गल्लां सुन लेई ज्यादा कहली सी। उस्नु बेब दीया गल्लां भुत चंगिया लगड़ियां सूरज। इस्लिये ओह उठे जाना चहुंडी सी ते बेब नु मिलना चाहुंडी सी। नवदीप ने हमें एक बच्ची दी है, वह उसके घर पहुंच सका है।। वह प्रसाद लेकर आंदर मठ गए। अंदर कुज लोक ही बैठे सूरज। उसने कहा कि वह उसदी हसीन वद्दी बंद के बारे में और जानना चाहता है।
पर नवदीप नु ओह बाबा काइट नहीं दिखया दित्ता। उसके चेहरे की मुस्कान ने उसे मुस्कुरा दिया। ओह, मेरे भगवान! चलते हो उसदे मोटे मम्मे ते वद्दी बुंद पूरी शान नाल हुलारे खा रहे हैं। उठे बैठे सारे लोकन नु हिल्डे मुम्मियां ते चितदान दी दर्दी धमक जीवन साफ साफ सुन रही हो। नवदीप के दूसरे आगमन को देख बाबा प्रसन्न हुए। ते नवदीप दे हुस्न नु अखन छ utaarda होया उसदे जिस्म नु गोर नाल देख लग्गा। पूरी पंजाब मुटियार लग रही है। माथे ते चुन्नी ते साधे काप्रे ... पर फिर वी निरी अग जो लुन नु इक मिंट वच सार देवे। नवदीप ने उसके पिता को उसके सम्मान में बुलाया। बेब ने वी उस्नु प्यार नाल कबूल किता।
नवदीप अपने पिता से बात करने के लिए फर्श पर गया, जो उसके पिता से बात कर रहा था। बेब ने देखा चूनकरी मार की बैठक नाल नवदीप दे मोटे पत्तन दा पूरा आकार सामने दिया। यदि आप इसके बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो कृपया हमसे संपर्क करें .....
बाबा- "होर बीबा जी,,,,,, आज स्वेरे किवे आया होया .... कम ते नहीं गए?" बेबे ने प्यार के बारे में पूछा।
नवदीप- "नहीं बाबा जी। आज कम ते जान दा दिल नहीं किट्टा।" नवदीप ने मीठी आवाज छ नीवियां पायंडे होए कहा।
बाबा- "हंजी बीबा के वर ठकावत हो जंडी आ। तन-मन नु शांति वी दीनी चाहीदी है कड़ी कड़ी" बेब ने जीवन उस आदमी दी गैल नु बाम लिया। नवदीप बेब दे मूहो एह गल सुन के बाल रह गई।
"इन्हा नु किव पता लगा की आज मेरा मन कुज आशांत जेहा है।" नवदीप अपने मन वीच सोचन लग्गी। बब्बे ने देखा नवदीप कुज सोच वीच पेई है ते पुच्य ..
बाबा- "कितने लेने हो गए बीबा जी...?"
नवदीप- "नहीं बाबा जी ..... बस तुसी सही कह रहे हैं ... आज मेरा मन कुज आशांत जेहा है। सुकुन जहां नहीं मिल रहा है" बेबे ने सुंडेया ही हमी भारी ते उस्नु नंगे प्यार नाल कहा।
बाबा- "बीबा जी .... एह सब कुज हम ऊपर वाले दा खेल है।
नवदीप- "तुसी सही कह रहे हैं बाबा जी .... पर मैनु तन एह वी नहीं पता की एह आत्मा हुंडी की है ... मैनु इस्दा कोई ज्ञान नहीं बाबा जी" नवदीप ने बेब वल वेखद्य सावल किता।
बाबा- "बीबा जी आत्मा दी असलियत तो तन सारे वंजे हैं इस्लिये दुख दी तोकरी सर ते चुक्कनी पे रही है उन्हा नु। तुहाड़े वर्गे सुलजे होय नौजवान होन तान दुख नेरेयों वी ना फटकन। आपको जानना अच्छा लगता है।
नवदीप- "बिल्कुल बाबा जी..... मैनु आत्मा बरे ज्ञान दयो।"
बाबा- "जरूर बीबा जी। जे हर बीबी तुहाडे वंग सोचन लग जाए तन दुनिया वही चंगी हो जाए"
नवदीप ने नीवी पाई होई सी ते उसदियां गल्लां लाल सुरख हो गई स्न।
बाबा- "बीबा जी एह जो आत्मा है ना। एह जुगो जग अटल है। सदा शारीर तन बस इक कपरा है जिसे इस्नु ढाक्य होया। अमर है। एह ना दिया हुंडी है ते ना कड़ी खतम हुंडी है।" बाबा नवदीप वल देखा उसु सब समाज रेहा सी.
नवदीप सब कुज इन ध्यान नल सुन री सी जीवन ओह सदियां तो ज्ञान दी भुखी सी। इक इक लफ्ज नु ओह अपने अंदर तक उतर रही सी।
बाबा- "हर इंसान जो बुरे काम करता है, यह वही है जो उसे एक शैतान आदमी बनाता है जो हमेशा एक ट्रान्स में रहता है। सूत्र रखदे आ। पर आत्मा नु आसि ऐवेन ही शद्द दीन आ। मोटे मम्में नु अखन छ उतार रेहा सी . नवदीप इक चेली दी तरह अपने गुरु दी गल सुन रही सी।
बाबा- "आत्मा दी आवाज मनमुख नु हमेश सुन्नी चाहीदी आ। इसदी आवाज नु सुन दे लेई आत्मिक ज्ञान होना भूत जरूरी हुंदा है। स्कडा।"
नवदीप कौर बब्बे दे मूहो ज्ञान नाल भरपुर गल्लां सुन के जीवित निहाल हो जंडी है। प्रीत इंदर सिंह हूं उसु दुनिया दा सब टन सोना ते ज्ञानी बंदा जापान लग जिंदा है।
बाबा- "ते बीबा जी तुसी एह गल जरूर याद रखना है" ईश्वर अंश जीव अविनाशी "। कहे उसे नवदीप दे क्लीवेज वाल देखा।
नवदीप कौर अपनी चुन्नी नू सेट करदी होई ते दिखदे मम्मे धाकड़ी होई बब्बे दिया गल्लां नू पल्ले बन रही सी।
बाबा- "बीबा जी इस्ली मैं कहना हुंदा ए संसार दे कम्मा करन दी चिंता ज्यादा नहीं करणी चाहदी। आत्मा नु हमेश शुद्ध रखना चाहता है।
नवदीप- "बाबा जी माई अपनी जुने खराब न करना चाही। मैं इंहा करम कंधन तो ऊपर उठाना चाहुंडी आ"
बाबा- "बीबा जी पाप-पुन तो ऊपर उठा लिय पक्के मन दी भुत लूर दर्दी है। ते पूरन ज्ञान हासिल करना लेई इक गुरु धारणा दी लोह हुंडी है"
नवदीप- "बाबा जी मेरा मन पत्थर तो वी पक्का है ते माई पूरा आत्मिक ज्ञान पायन लेई कुज वी क्रन नू तयार हैं। बस मैं इन दुनिया दुनिया करम-कंदन तो ऊपर उठाना चुनंडी आ"
बाबा- "मैनु भुत खुशी होई जान के तुहाड़े वर्गी बीबीयां वी आजकल ने जो इन धार्मिक विचार रखदियां ने। पूरा आत्मिक ज्ञान दवे "बब्बे ने नवदीप दे मोटे ते तटवार पत्तन वल इक नजर मारदेया।
नवदीप (कुज डेर सोचदेया) - "बाबा जी माई तुहानु अपना गुरु धारणा चुनुंडी आ।" नवदीप ने बारी ही निम्रता दे नाल बब्बे नु केहा।
नवदीप दे मुहो एह गल सुन के बब्बे दे जीवन सुट्टा लून इक झटके दे नाल उठा खरा होया। लगदा सी जिवे नवदीप ने बब्बे दी कोई ऐसी मनोकामना गरीब कर दित्ती होव जिस्दा ओह सदियां तो भुक्खा सी।
बाबा- "मैं तन जी शोता जेहा सेवादार हां ... मेरे तो नंगे सुजवान ते पहंचे होए महापुरुष ने। तुसी उन्हा कोल जायो बीबा जी।" बब्बे ने हाथ जोर्ड्या होया कहा।
ना; वदीप- "नि बाबा जी। मेरे लेई तुसी ही सब तो महान हो। तुहाड़े और ज्ञान दा पूरा भदर है। तुहानु गुरु बना के मैं धन धन हो जावंगी बाबा जी।"
बाबा- "ओके बीबा जी तुहार और ज्ञान दी ऐनी भुख देख के मेरा मन भूत खुश होया। सार तकदेया होया कहा। नवदीप तन जिवे खुशी नल भर गई। चेहरे पर नोज जेहा शा गया।
नवदीप- "जरूर बाबा जी। तुसी भूत कृपा किटी मेरे ते" नवदीप ने कहा भूत खुशी नल। बब्बे ने अपने गुरु खुशी नवदीप दे अंग टन पता लग रही सी।
एह सुन के बाबा खरा हो गया ते नवदीप वी उसदे नाल ही उठा खड़ी होई। उठते सार ही नवदीप ने बब्बे दे जोड़ी हाथ लाए ते उड़ो बब्बे नु झुकी होई नवदीप दी भारी बंद दे दर्शन होय। हायीई नवदीप दी बुंद तन दारुन तो ज्यदा नशा चरयुं आली c. दो वड्डे चितड्ड इंज लग रहे स्न जिवे दो वड्डे वड्डे मटके नवदीप ने अपने पिचे बन्ने सम्मान। बब्बे दिया अखन च जिवे नवदीप दी चोरी बंद और तक उतर गई ते उसदे लूं जीवन झंझोर दित्ता। बब्बे ने नवदीप दी नारम पीठ ते हाथ फिरदेया होया उस्नु आशीर्वाद दित्ता। हालांकि, बेब ने नवदीप की एक भी नहीं सुनी।
द लास्ट नवदीप बब्बे नु मथा टेक के उठ खड़ी होई जिसनल उसदे वड्डे तरबूज जिद्दे मुम्मे कस के ऊपर थल हो ते आप वच वज्जे। बब्बे नू ओह दृश्य जीवन होर मजा दे गया। उसने अपना हाथ अपने सिर पर रखा और कहा "जीयुंडी रे पुट"। नवदीप ने उसे रोकना कबूल किया। फिर नवदीप कल दा वादा कर के वापीस जायुं लेई घूम गई ते तूर पाई।
नवदीप दे तुरान नाल हुलारे खा रही उस्दी मोटे मास दे लोथरेया नाल भारी होई बुंद सज्जे-खाब्बे वल खंडी होई बब्बे दे लुन नु अलग ही स्वद दे रही सी। जीवन जीवन नवदीप पलंग पुदी उवेन उस्दे डोवेन चित्तड़ आपस वीच मिल्दे ते बब्बे नु हमें जवान मुटियार दी पूरी बंद नु अखन नाल महसूस क्रन दा स्वद मिल्दा। मोटे छोरे पत उसदी बंद नु होर वी निखार के पेश कर रहे हैं सी. नवदीप ठुमके मार के वापीस जा रही सी ते बब्बा अपने खरे होए लुन नु बार बार कर रेहा सी। तब नवदीप अपने स्थान पर निकला और अपने घर लौट गया। रास्ते वच रोज़ दी तरह हर कोई उसदे भाखड़े शेयरर नू अपना अखान दे नाल नोच रेहा सी। मुंडे तन मुंडे बुद्धे वी उसदे होगा मर्दे मुम्में ते करारी बुंद दे दीवाने स्न। पिता की मौत के बाद नवदीप घर लौटा।
हमें समय शाम दा वेला सी। जसमीन टीवी देख रही सी ते मनजीत रात नू जो सब्जी बनाउनी सी उस्नू साफ कर रही सी। नवदीप को सार मंजीत ने देखा..
मंजीत- "नी आ गई धेयिये .... वावा डर लगा दिती आ" मनजीत ने आज सुबह कहा।
नवदीप- "हंजी बेबे .... उठे बाबा जी मिल गए सुन। ओहना तोन सत्संग सुनन लग गइ सी ते मैं उन्हा नु अपना गुरु वी धार लिया।"
मनजीत- "नी सच्ची ........ ऐनी जल्दी धार लिया..."
नवदीप- "नि बेबे .... ओह भूत पाहुंचे होय ज्ञानी हूं। उठे सेवा करदे हूं। कहने सी रोज आ जया कृं। उन्हा नु सारा ज्ञान आ .... हां देखा जरूर होगा तुसी उन्हा नु "नवदीप जीवन बेब दे रास वीसीएच गुल चुक्की सी. उसके चेहरे ते बब्बे दी सिफत करदेया इक अलग नूर झलक रेहा सी. "प्रीत इंदर सिंह जी नाम है"
मंजीत- "आचा .... चल फिर जे तू देखा है तन छंगा ही हो। मारिया गैलन नालो तन चंगा है .... जा आया क्रिन रोज ..." मनजीत कुज सेहेज यू इसे फिर से कर सकते हैं।
नवदीप- "ओके आ बेबे .... आचा रामू आया नहीं धर कदन दा टाइम हो गया आ.?" नवदीप ने देखी मजन वाली
मंजीत- "आयुं वाला होना ...."
नवदीप- "चल जद तक आयुंदा रामू, मैं कदम लेनी आ धरन ........" वल तूर पाई।
द मजान दे वारे वच पांच के इक मेज दे थले बाल्टी ते दौंगा रख्या ते अपने कापरे स्वर्ण लग पाई। वह अपनी पसंद की लमकड़ी तार के पास गई और अपना पजामा पहन लिया। हाय इज़ पोज़ वीच बैठान नल नवदीप दी वद्दी बुंद होर वी चोरी ते उत्तेजित क्रन वली बन गई। उसी पटली जेही पजामी उसदे पत्तन ते वड्डे चित्तदान नू लुकून वीच आसफल साबित हो रही सी। उसदे मम्मे वी चुन्नी ना होन के अड़े तन साफ साफ नजर आ रहे सी. हुन नवदीप ने पानी नल मेज दे थान धोते तन उसदे डोवेन मम्मे रबर वांग हिलन लग गए।
सोहनी पंजाबन Part 4
कुलदीप सिंह (44 वर्ष) -बापी
मनजीत कौर (42 वर्ष) - माँ (चित्र- 40-32-40)
नवदीप कौर (22 वर्ष) - वद्दी धी (चित्र-38-30-38)
जसमीन कौर (20 वर्ष)- छोटी घी (चित्र-36-28-36)
दिलप्रीत सिंह (19 वर्ष) - छोटा मुंडा
रामू- "अरे सरदारनी जी क्यों काम कर रहे हो..." सामने टट्टी वाले पोज छ नवदीप दी बुंद उसदे आंखे सामने लिशाक पाई।
नवदीप- "आ गया रामू..." नवदीप ने रामू की ओर देखते हुए कहा। "अज्ज मासा कवेला कर दित्ता आयुं नु..."
रामू- "वोएबी जी रास्ते मैं इक बुजुर्ग सरदार जी चकल से दिग्ग गए वे ... उन चाकने लिए कोई आया नहीं ..." नवदीप दे कोल बैठेके रामू दसन लगा। नाल नाल ओह बिना चुन्नी तोह नंगे होय उसदे खारबूजे वर्गे मुम्मे नु झनक रेहा सी।
नवदीप- "हाय... फिर रामू? तू चक्कर फिर बुर्ज नू?"
रामू- "होर की बीबी जी। हमने उठा सरदार जी को। वो घबड़ा गए वे ... काम रहे वे। मैंने सोचा उनको घर तक शोर आया। रामू अपनी कहानी सुन रहा है, अपनी ममी को सुन रहा है।
नवदीप- "फिर तन वहला चंगा किटा तू रामू। रब्ब तेरी जरा मदद क्रुगा।" नवदीप उसे बताता है कि उसका आदमी छ रामू दी इज्जत होर वध जानदी है।
उसी गल सुंके मन च सोचन लग जांदा "रब्ब मदद करे तन हम तो आपको व चक्कर दे सरदारनी जी.."
"पच पच ... पच पच .... chrrrr"
धरन दी आवाज़ बालती छ पई रही है। गुटके से ज्यादा सोने-सोने-हथन नाल दिखा रहे हैं नवदीप. रामू उसदे कोल ही बैठा है। अरे, अरे, अरे, हे, हे, हे, हे, हे, हे, हे, हे, हे, हे। नाल थल चोरी होई पाई बुंद उसदे लूं नु खड़ा कर है। रामू ने नवदीप को कई बार कहा है कि ओह कड़ लाउगा धरन लेकिन नवदीप ने उसे विश्वास दिलाया है कि तुम धारणा कदन हो। नाल नाल ओह उसनल बब्बे दी गल शेर लेंदी है।
नवदीप- "रामू तू ओह बाबा जी बड़े जांदा ... प्रीत इंदर सिंह जी ... जहां ओह धार्मिक जग ते बैठे हुंडे आ ..."
रामू- "वो जिन्की काली दारी-मूच है... रूहबदार चेहरा है..." शायद रामू पहचाने जाते हैं।
नवदीप- "हां है..जिन्हा दिया आंखें छ नूर झलकदा है..." नवदीप ने सुबह कहा।
रामू- "नूर तो आपकी गान से बथेरा झलकदा है.." होली जेही आवाज़ छ रामू बोलेया।
नवदीप- "की होया रामू? सुन्या नहीं की कहा तू?"
रामू- "हम..हु ... हु ... हमने तो ये कहा की उनकी तो पूरे चेहरे से तपकता है ..." रामू गल संभलदा होया बोलेया। "वो बाबा जी बहुत अच्छे हैं।
नवदीप- "की रामू? केहरी गल कही सी?" नवदीप दा चेहरा तन जिवे लाल हो गया। ओह गल सुनं नु बहुत अधिक उतावली लग रही सी। यह देखकर रामू थोड़ा चौंक गया।
रामू- "वो ऐसे थोड़े बताएंगे सरदारनी जी। उन्होन कहा था कि किसी को मत बताना। वो ज्ञान बहुत अनमोल है .." रामू जांबुज के नवदीप नु तदफायुं लगा।
नवदीप- "ऐद्दा दा कहरा ज्ञान जो लुकां दी लोह पावे? रामू चुपचाप दासदे की दस्सया बाबा जी ने।" नवदीप धरन नु षड़के उसदे जीवन तारले पन लग्गी।
रामू- "वो गया अनमोल है सरदारनी जी। इस्लिये शुपने को कहा है बाबा जी ने। वो नहीं हम बता सकते हैं ऐसे ही ..." रामू दे दिमाग छ कुझ पक्कन लगा सी।
नवदीप- "रामू दासदे प्लीज। उन्हा बाबा जी दी हर गैल मोती दी तरह हुंडी है। तू जो कहेगा तनु ओह बना के खिलाड़ी... तनु पैसे वी वध ढेलुगी। तारले मारन लगी।
रामू- "नहीं सरदारनी जी। हम खाने के थोड़े भोखे हैं। ये पैसे के थोड़े बूके हैं।" ऐनी गल कहके रामू रुक गया।
नवदीप- "तन फिर जो तू कहेगा ओह मिलुगा रामू। बास बाबा जी दी हर गल मैनु दासदे ..." नवदीप ने कहली कहली च उस्नु एह गैल वि केह दिति।
रामू- "पक्का सरदारनी जी। हम जो मांगा वो आप देंगे। चाहे कुछ वि मांग लूं .." रामू इक वारी पक्का करना चाहुंडा सी।
नवदीप - "बिलकुल रामू कुछ वी मांग ली। मैं मन नहीं करुगी। बस मैनु बाबा जी दी गल दासदे .." नवदीप तन जीवन गैल पेशाब पागल हो गई सी।
रामू- "फिर ठीक है सरदारनी जी। पर बाद मैं मुकर्ण मत जी।" रामू दे मुह ते शैतानी मुस्कुराहत आ गई है।
नवदीप- "कड़े वि नहीं रामू। मैं कड़ी वि झूठ नहीं बोल्डी हुंडी।" नवदीप ने रामू दे वल वेखदेया कहा।
रामू- "तो फिर थे सरदारनी जी। वो बाबा जी ने बताया है के ये जो शेयरर है ना..वो इक कपडे की तरह है। असली इंसान तो शेयरर के अंदर शुपा बैठा है।" जल्द ही आपसे बात करें और जारी रखें अच्छी सामग्री। "जैसे ही आप इसे एक हिस्सेदार के साथ साझा करेंगे, वह नग्न हो जाएगा।
यह आखिरी चीज है जिसे रामू नवदीप ने ममियों के आकार के साथ करने की कोशिश की है। ऐसा अनुमान है कि एक ममी का वजन 2.5 - 2.5 किलोग्राम होता है।
नवदीप- "धन है बाबा जी। उन्हा दी गर गल धूंगी हुंडी है।"
रामू- "और उसने कहा कि अगर तुम एक सच्चे इंसान बनना चाहते हो, तो लोगो की सेवा करो। उसकी मुसीबतों में उसकी मदद करो। रामू बड़ा नमकीन नाल संजय है। उस्दा काला लुन सरदारनी दे गोर मम्मी वेखके दूर मारन लग गया है।
नवदीप- "सच्ची गल कहीं है बाबा जी ने। लाख रुपए दी नहीं करोड़ रुपए दी गल है।"
रामू- "और आप जानते हैं सरदारनी जी..उनहोने इक जग बतायी है।
नवदीप- "अच्छा रामू...? किथे है ओह जग?"
रामू- "वो हमारे गाँव से बाहर है।"
नवदीप- "आचा... गांव के बाहर कोई जगह है? मैं तन पहली वार सुन्या?"
रामू- "तभी तो कहा था अनमोल गयान की बात बताता है बाबा जी ने।"
नवदीप- "तू जाके आया रामू?"
हले रामू जवाब दें ही लगा सी की मनजीत दी आवाज आ गई। "वे रामू धरन नहीं कदिया हले तक"। सुनके रामू ते नवदीप गल्लां तो बहार आ गए। हाले ज्यादा बालती वि भर नहीं होई सी।
रामू- "आप रहने दो सरदारनी जी। मैं जल्दी कर दाता हूं ..." रामू ने उस्नु कहा ते थाना नु हाथ पा लिया। उस्नु इंज महूस होया जीवन उसे नवदीप दे मुलायम मुम्मियां नु फरह लिया होवे। नवदीप उस्दी गल मन के उठ के खड़ी हो गई ते चित्ताद नु हाथ नल झरं लग्गी।
हाय ... रामू दा जीवन लुन दा पानी निकलां ही लगा सी। नवदीप दे हाथ लगन नाल उसदे वड्डे चिताद इवेन हीले जीवन स्प्रिंग दे बने होन। यह पहली बार है जब मैंने उसे फुल शेप वाली नाव में देखा है। ओह तन पागल हो लगा सी। फिर नवदीप ने चुन्नी नाल मुम्मे ढकके ते अंदर चली गई।
रात दा दृश्य
पहले ही रात हो चुकी है। घर में सब ठीक हैं। सिवाय नवदीप ते रामू टन। नवदीप प्रीत इंदर सिंह के मूड में हैं। उसदे मन छ ख्याल आ रहा है की प्रीत इंदर सिंह दिया गल्लां किन्निया सच्चियां ते कीमती हूं। उस्नु आज रामू दी गल सुनके वी पूरा याकेन हो गया सी की उसे सही गुरु धारेया हैं। मूडी पाई हो दी बुंद ऊपर नु है। ते लम्मी पाई हो कर के होर वी मोती ते चोरी लग रही है। उस्दे मन च एह चल रहा है की कड़ो सेवर होवे ते ओह प्रीत इंदर सिंह कोल जावे ते उसनाल गयान दिया गैलन संजियां करे।
उधार रामू दा बुरा हाल हो गया पाया है। अज नवदीप नाल काफ़ी डेर उसे गैलन किटियां सी। नाले नवदीप दे अध नंगे तारबूज वर्गे मुम्मे उसे बिलकुल कोलो देखे सी। नाले खारबूजे वर्गी बुंद दी शेप ओह कीव भुल सकड़ा सी। उस्नु नींद बिलकुल वि नहीं आ रही सी। ओह, मेरे भगवान। चींटी उसकोलो रेहा नहीं जिंदा। ओह, मेरे भगवान! पहले वाले ने उसे नहीं मारा। पर आज हमेंकोलो रहा नहीं जहां रहा सी। मैंने उसे एक हफ्ते में नहीं देखा है क्योंकि मैंने उसे नहीं पाया है। Utto Ajj नवदीप दी बुंद जो देख लेई सी। ओह लुक-लुक के डब्बे जोड़ी दे नाल नवदीप दे कामरे दे बूहे अगे पहंच गया। दरवाजा खुला है क्योंकि घर के सभी दरवाजे खुले हैं। उसदे नाल वाले मांजे ते मनजीत सुट्टी पाई सी।
रामू ने देखा कि नवदीप ने मुद्दी को एक लम्मी दी थी और उसका बांध ऊपर वाले नू था। कामरे बहार जगदे बल्ब दी हल्की रोशनी उसदी बुंद ते पाई रही सी। हाये ... उस्दा दिल किता की सिद्धा उस्दे ऊपर जाके चलो जावे ते उसदे गोरे ते मोटे मोटे चिदतन दे उठते अपना काला लुन घासवे। उस्नु नवदीप दे डोवेन चितद पहाड़ दिया चोटियां लग रहे सी जिस्नु उस्दा लुन चरण चाहुंडा सी। वह अपना पजामा उतार देता और अपना मोटा पहन लेता। नाल नाल ओह आला द्वाला वि देख रेहा सी की कोई होर ना देख लवे। आप सभी पर शांति हो। ओह चुपचाप नवदीप दी बुंद नु वेख वेख मुत्त मारी जांदा है। मन छ तन ओह नवदीप नु नंगी क्रके उसदी बुंद विच लुन धक्क रेहा हुंडा है। उस्नु पता नहीं लगायेंगे की कड़ो उसे आंखें बंद कर लियां। मुठ मरनी उसे जारी राखी सी। अचानक उस्नु कुझ खड़क सूर्य। उसने अकदम आंखें खोली और टेट गेल में चला गया। सामने मनजीत मांजे तो उठ के बैठी होई उसदे वैल देख रही सीकौन ... है ... कौन है .....? "मंजीत की आंखें चौड़ी हो गईं।
रामू झट गल समाज गया की उसु मनजीत देख नहीं पा रही। ओह, देखो, उसने देखा कि झुक्या नशे में था, वह नशे में था, वह नशे में था, वह 11 में से 9 था। उसने अपनी चालाकी दिखाई कि मंजीत उसके सामने समाज को नहीं समझता। ओह, मेरे भगवान!
"भूत .. भूत .... भूत ...... भूत ... वे मार गई .... भूत ....."
घर की सारी बत्तियाँ बुझी हुई थीं। कोल लम्मी पाई नवदीप वि उठ के मनजीत कोल आ गई। कुलदीप वर्सेज अपने मंजे तो उठके पज्ज्य आया। जसमीन ते दिलप्रीत वी मनजीत दे मांजे कोल आके बैठे गए। रामू व पज्ज के मनजीत कोल ए गया।
कुलदीप ते पुचन ते मनजीत ने सारी गल दासी। नवदीप ने अपनी मां से एक गिलास पानी लिया।
"रामू देख जरा बहार... चोर होना कोई साला..." कुलदीप ने रामू से कहा। "जा देख जाके.."
रामू उसदी गल सुन विरंदा छ पेय गंडासा चक्कर के बहार चला गया। जादू मनजीत थोडी शांत होई तन कुलदीप ने उस्नु पुच्य।
कुलदीप- "वेम तन नहीं तेरा?" मंजीत दे सर ते हाथ रखदे हो ने कहा।
मंजीत- "नहीं मैं सच कहना आ। ओह इथे सामने ही खड़ा सी। अच्छा लम्मा ... पर अगले ही पल ओह गयाब हो गया। जीवन नेहरे छ अलूप हो गया होवे।"
कुलदीप- "पर जे कोई बंदा और आया होवे तन इवेन नेहरू छ किव अलग हो सकता है"
"बहार तो कोई नहीं है सरदार जी। हमने सब था शान मारी है ..." बहरो गंडासा चक्की आयुंदा होया रामू बोलेया। हमें नहीं पता कि इसके साथ क्या करना है।
मंजीत- "पर मैं कह रही आ ना... कोई सी इथे..मैं अपना आंख नाल देखा। पर ओह फिर बच्चे गयाब हो गया..." मनजीत ने फिर कहा।
कुलदीप- "किसी ने बुरा सपना देखा था। इड्डा कुछ नहीं जानता। या तन तेरा भूला है। या तन कोई चोर और आया है। मैं खबर करदा कल सवेरे सारे पिंड छ।"
रामू- "सरदार जी इक बात कहते हैं... अगर आप मानो तो.." रामू झिझकड़ा होया बोलेया।
"हां बोल रामू..." कुलदीप ने जवाब दिया।
रामू- "वो भूत होते हैं सरदार जी। हम अपने गांव मनजीत होर वी डर गई में भी हमेशा एक महिला भूत देखते हैं। "और यहाँ मैं भी इस गाँव में हूँ।
"चुप कर रामू। कीव बेफजूल गैलन कर जाना पेय। इवेन दा कुछ नहीं हुंडा समजे। मुड़ के ना गाल करी, अनपढ़ जेहा डंगर .." कुलदीप उस्नु गराज के पेय। रामू ने अपना सर्वश्रेष्ठ महसूस किया लेकिन बहुत क्रोधित हो गया। उसने मुस्कराहट के साथ उत्तर दिया।
"हुन सोवों सारे जाके। सवेरे गल करदे आ। नवदीप तू अपनी मां दे मांजे नाल मांजा जोध के पैजा ..." कुलदीप ने कहा और चला गया।
रात नू फिर तो सब सुनसान हो गया। सारे अपने बिस्त्रेया ते पाई गए सी। मनजीत दे सर ते नवदीप हाथ रख के उस्नु सुवों दी कोषिश कर रही सी। कुलदीप शरब दे नशे छ दोबरा वि शेती सौ गया। लेकिन शायद रामू नहीं आ रहा है।
रामू - "साला ये सरदार जी ने अच्छा नहीं किया। बड़ी सरदारनी जी (नवदीप) के सामने मेरी बेस्टी की। हमको झूठा बोला। ये अच्छा नहीं किया।" मन छ रामू कुलदीप दिया झिरकन बारे सोच "मैं आपको बताऊंगा, सरदार, आपके पास भूत है या नहीं।
सेवर
सर्वर चला गया है। रात कावले सौ के सारे दी आंखें छ हले व नींद चारी हो गई है। बदला गराज रहे ने। ऐसा लगता है कि बारिश जल्द ही शुरू हो गई है। हर कोई रोजाना अपना होमवर्क कर रहा है। रात का घाटा तो मनजीत हाले वी थोड़ा दारी होई पर सवेरे सवेरे कुलदीप नल गल करके ओह झिडका नहीं खाना चांडी। इस्करके चुपचाप रसोई छ चा-पानी बना रही है। दिलप्रीत ने स्कूल छोड़ दिया और कॉलेज चला गया। कुलदीप वि खेतान वल नु तूर पेय। नवदीप तैयार हो रहा है। रामू डांगरान नु कख पा रेहा सी।
मंजीत- "नी कुड़िये... स्कूल जाने के लिए तैयार नहीं? काला शाह बदल चरेया है। जल्दी चल जा पुट फिर जाना अच्छा हो जाना ..."
नवदीप- "बस मम्मी चली आ .... आ गई बास .." एंड्रो आवाज मर्दी होई ने कहा।
थोड़ी देर बाद नवदीप अंदोर बाहर आए, लेकिन हम अभिभूत हो गए।
चित्त सूट च नवदीप दा इकल्ला इकल्ला समान साफ नज़र आ रहा सी। इंज लगदा सी जीवन पंजाबी हमें रण दे जिस्म च फसेया होवे सूट करता है। मोडेयां दी छोरी तो लाइक पत्तन दी गोलाई साफ डिस रही है। मोटे-मोटे मुम्मियां दा कट वी ज्यादा ही दूंगा। उस्दे डोवेन चित्ताद तन जीवन सलवार तोह 2-3 गीत बहार न निकले होय ने। रामू दा लून फराटे मारन लगा। बहुत दिन के बाद नवदीप ने अपना चिट सूट देखा।
"रामू... मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ," नवदीप ने रामू से कहा। उसदे हाथ छ इक लाइफफाफ सी जिस छ किताब ते रोटी वाला डब्बा सी। नवदीप दे नेहरे औंडेया ही रामू दी आंख फत्तन नु अ अगियां। चित्त सूट छ नवदीप दा शेयरर गुंडवा ते रंग लिश्का मार रेहा सी।
रामू- "हंजी सरदारनी जी..." नवदीप दे मुम्मियां विचारली तारेर ते आंख गड्ड के उसे जवाब दित्ता।
नवदीप- "बस एही की कल जहरी बाबा जी ने तनु जग दासी सी। ओह किथे है? कोई सरोवर है?"
रामू - "अच्छा वो सरदारनी जी। वो तो एक छोटा सा स्थान है। जैसे दुकान होता है जी। है। "पिंड के बहार है थोड़ा सरदारनी जी.."
नवदीप- "अच्छा .. मैनु पिंड दे बहार दा ज्यादा पता नहीं है रामू। पर मैं बाबा जी तो पुच लाउगी रास्ता ..."
"नहीं सरदारनी जी। ऐसा मत करना। बाबा जी का हम पर से विश्वास उठ जाएगा। उन्होनें कहा था की ये बात किसी को मत बताना।
नवदीप- "ओह सच में... सॉरी रामू। मुझे गलत लगा। उससे अच्छी तरह पूछें कि क्या वह अब कनेक्शन में लीन नहीं है। रामू उस्दा जिस्म देख पागल हो गया। ऊंची लम्मी मुटियार चित्ते फस्वे सूट छ जदो सामने खादी होवे ते उसदे इक अंग दी शेप नजर आयुंदी होवे तन कोई वी मर्द पागल हो जगा।
रामू - "हम कभी गया नहीं हूं सरदारनी जी। पर रास्ता हमको बराबर मालूम हैं। "मैं आपको चालुगा ले चलता हूँ। लेकिन इश्नाना करने का एक समय है, सर। अमावस्या के दौरान ही अगर आप इश्नाना करते हैं, तो आप पाप से मुक्त होते हैं।"
नवदीप- "अच्छा रामू। हुं फिर कदो आ रही अमावस्या?" इसे लेकर नवदीप काफी उत्साहित हैं।
रामू- "बस अगले हफ्ते ही सरदारनी जी। हम भी उसका ही इंतजार और तबी नहीं जा पाए वहां..." दिल तन उस्दा करदा सी के उठे ही नवदीप दे कपड़े फराह के कोड़ी कर लवे। पर ओह मौका देख के चौका मरना चाहुंडा सी। "एक बात और सरदारनी जी। इशान करने की एक खास विधि बता है बाबा जी ने .... शायद आप कर ना पायो ..."
नवदीप- "केहरी विधि रामू? मैं सब करूंगी। तू दास तन सही किव करना है इशान?"
रामू- "वो थोड़ा आटा है सरदारनी जी। आपको शायद आचा न लगे..." रामू अपने मम्मियां देख रहा है
नवदीप - "जे बाबा जी ने कहा है तन मैनु सब मंजूर हैं। तू दास तन सही रामू।"
रामू- "ठीक है सरदारनी जी।
अगर रामू ने अपने खराब पित्त को समाप्त कर दिया होता, तो वह बिजली लिश्की की शक्ति को पहले ही बदल चुका होता। जिस्नू सुंके मनजीत रसोई बहार आ गई ते नवदीप नु हाले व उठे देख के जोर दी चीकी।
"हैई की सदा होया तनु कुरिये ... मीह सर ते आ ते तू हल तक गई नहीं ...." मनजीत रामू ते नवदीप कोल औंदी होई मनजीत अवाक रह गया। नवदीप ने उसे रामू काख के पास जाने के लिए मनाने की कोशिश की।
"पुट बाद छ समजा दया रामू नू ... मीह वावा चर्या है ... तू जल्दी निकल जा स्कूल लाई ... भज्ज न जाए ..." मनजीत ने नवदीप दे सर ते हाथ रख कहा। नवदीप नु वी समाज आ गई की हूं गल नहीं होनी रामू नाल। ओह वि चुपचाप पिचे मुर गई ते रामू नु नजरान नाल इंज देखा जीवन कह रही हो की आके गल सुनुगी। जानदी होई दी हिल्दी बुंद देखो लेई रामू ने बगीचा घुमा राखी। खब्बे-सज्जे हुंडे उसदे डोवन ब्रेड-पीस रामू दे हिस्सेर छ वर्तमान मर्द हैं।
नवदीप- "ओके मम्मी मैं चलती आ।" डिक्की छ सामान रखना तो बाद स्कूटी स्टार्ट करदी हो बोली। "बाय मम्मी .."।
मंजीत- "चंगा धेये ... सई नाल जावीन ...." दोबारा रसोई वाल जिंदा होई मनजीत ने जवाब
रास्ते चा
नवदीप धीमी गति से स्कूटी ले रहा है। हाले ओह छोटी दूर ही गई की उसु हूं लग रहा है की उसदी मां ने सही कहा सी की ओह जल्दी निकल जावे। स्कूल नवदीप से 5-6 किलोमीटर की दूरी पर है क्योंकि इसमें रोशनी होने लगी है। बारिश दिया बून्दन उस जिस्म नु गिला कर रही ने ते स्कूटी ते जंडी होई नु जेहरी हवा पाई आ ओह उसु थंडक पहुंचा है। अचानक में तेज हो गया। नवदीप ने स्कूटी के हॉर्न को तेज किया। लेकिन बिल्लियों और कुत्तों की बारिश हो रही थी, और उसके पास बहुत अच्छा सूट था।
"अरे रब्बा... मुझे ये चित्तसूट क्यों मिला... मेरा दिमाग़ पागल हो गया.." पर हूं बहुत डर हो चुक्की सी। नवदीप ने पूरा शेयरर भेजा। उस्दा चित्त सूट जेहरा उस्दा जिस्म कुझ डेर पहला धक्क रेहा सी। हुन सूट ने जावब दे दित्ता सी। क्योंकि यह पूरी तरह से पारदर्शी हो गया है। हाय... हम जवान धार्मिक रण के मम्मिया से छुटकारा पाने का एक तरीका खोजने में सक्षम हैं, जिसने इसके डिजाइन को स्पष्ट रखा है। उफ्फ.... चित्त रंग दी ब्रा ते चित्तिया तानियां। ब्रा दी हुक पिशली साइड ते सी। उसदे तिध दा मास वी सूट चो हलका हलका नज़र आ रहा सी। अगर आपको वह नहीं मिल रहा है जिसकी आप तलाश कर रहे हैं तो बस पूछें। मोटे-मोटे चितदान छ वी बारिश दा पानी वर्धन लग पेया सी।
उस्नू हुं लग्गे की उसड़ी हालत बुरा हो गई सी। वे स्कूल बिल्कुल नहीं जा सकते। कृपया इस लेख या अनुभाग का विस्तार करके इसे बेहतर बनाने में मदद करें। फिर जादो बारिश टोपी जग्गी तन ओह घर वाल वापीस तूर जौगी। लेकिन उसे किसी भी जगह रोकना संभव नहीं है। फिर थोरी दूर अचानक उस्नु कुझ नजर आया जिस्नु देख के उस्नु अपने आंखें ते याकीन नहीं होया।
सामने प्रीत इंदर सिंह बाबा सड़क दे विचार खड़ा सी। नवदीप ने अभी ब्रेक लगाया है। बारिश बहुत तेज हो रही है। उस्नु समाज नहीं आया की आई तेज बारिश छ प्रीत इंदर सिंह सड़क दे विश्कर की कर रहा है। जब उसने उसे फिर से देखा, तो उसका दिल धड़क रहा था। प्रीत इंदर सिंह बाबा सड़क ते पाये एक कटोरे नु चुक्क रेहा सी। कटूरा तेज़ बारिश ते बिजली करके डर नल कम्ब रेहा सी ते सड़क दे विचार ही बैठा गया सी। उसदी मां आले द्वाले पतंग नहीं नजर ए रही सी। प्रीत इंदर सिंह ने उस्नु पुचकार के अपने हाथ छ फरहेया ते सड़क तो चक्कर के ओह साइड ते लाई गया। नवदीप एह देख डांग रह गई। जे प्रीत इंदर सिंह हम कटूर नु ना साइड ते करदा तन शायद ओह किस चीज दे थले आ जिंदा। प्रीत इंदर सिंह वी पूरा भिज गया सी।
"वार्म अप, दूध पिलायू जी बेजुबान नु..." "आह्ह फरहू जी..लाई जाऊ जी नु अंदर .." इक होर बेब नु कटोरा फदौंडे होए बाबा बोलेया।
नवदीप उठे ही खादी बेब वैल देख के मंतरमुगत हो गई सी। बारिश शम शम करदी होई हले व पाई राही सी ते बहुत तेज सी। ओह, मेरे भगवान। अचानक नवदीप ने देखा कि प्रीत इंदर सिंह थोड़ा तेज चल रहा था। ओह उस्दा रोहानी अंदाज़ देख के पहला ही पिगल गई सी ते हुं उस्दे दिल दी ढकन तेज़ हो चुक्की सी।
"बीबा जी ... की गल हो गई? थंड लग जावेगी ... आजू और ज़रा..थम लें दो कुदरत नू .." प्रीत इंदर सिंह नवदीप दी स्कूटी कोल आके बोलेया हाय ... भज्जी होई नवदीप दा शेयरर देख प्रीत इंदर सिंह दा गिले पजामे छ वी लुन इक दूसरा छ खड़ा हो गया। "एह तन तुसी हो नवदीप बीबा जी..."
नवदीप- "बस धनवाड़ बाबा जी। बस मैं घर वल नु जा रही आ ... महरबानी .." नवदीप ने झूठा जेहा लारा मर्या। जिस तरह उसे कहा उसनाल इंज लगा जीवन ओह प्रीत इंदर सिंह तो दूर जाना नहीं चाहंडी।
प्रीत इंदर सिंह- "नहीं बीबा जी ... कुदरत हले बड़ी जोबं ते हैं। यदि आप एक उपयुक्त सूट की तलाश में हैं, तो आगे न देखें। उसदा लून तन इवे पत्थर बन गया सी जीवन उसे 2-3 वियाग्रा खा लेइयां सम्मान।
नवदीप दे झूठी जेही ना ज्यादा डर न चली ते ओह स्कूटी लाइक बब्बे दे नाल और वरह गई। एह पिंड छ इन्ना बब्बेया दा दूजा धार्मिक स्थान हैं। सोशल मीडिया कई तरह के होते हैं। नवदीप स्कूटी की पार्किंग में जाकर भज्ज चला गया। एंडी वी क्यूं ना..जिस बब्बे नु उसे गुरु धर्या है ओही उस्नु और बुला रेहा सी। अपने गुरु को कैसे स्वीकार करें।
अंदर इक बुजुर्ग बाबा बैठा होया सी जीते सारे मत रेक रहे सी. नवदीप ने प्रीत इंदर सिंह वाल को देखा और फिर अपना सूट वाल नजर मारी भेज दिया। सूट दा पानी चो-चो के जोड़ी तक दिग रेहा सी। ओह, शायद वह सोचती है कि Andar Mattha tekan kive jave gille kapreyan ch. प्रीत इंदर सिंह गल न समाज गया ते बोलेया।
"रब्ब दा घर सब लेई खुल्ला है बीबा जी। जादू मन विचार शारदा हो तन बाहर मोह माया दे साधन किस कम दे नहीं हुंडे बीबा जी। नवदीप झट समाज गई। उस्नु पाता लग गया के बाबा कह रहे हैं की कपडेयां दा या लोकन दी सोच नाल कोई फरक नहीं पाना चाहता। बस अपने दिल की सुनो। उस पर अपना विश्वास बनाए रखें।
नवदीप उसदी गल सुनके दरवाजा कोल हमें कामरे छ चली गई। प्रीत इंदर सिंह जानता है कि वह अपना आपा खो चुका है। अंदर गिंटी दे 4-5 लोग हाय बैठे स्न। नवदीप सर ते चुन्नी लेके ते हाथ जोर्डी होई बुजुर्ग बब्बे दे बिलकुल कोल पांच गई। सरया दी निगाह नवदीप दे गिले हिस्सेर ते पाई। प्रीत इंदर सिंह ने अपना चंद्र ग्रहण किया। ओह, मेरे भगवान! गिल्ली होन करके चिट्टी सलवार उसदे मोटे मोटे पत्तन नल पूरी तरह चिपक गई सी। यह इस तथ्य के कारण है कि अधिकांश गोल पट्टों का आकार बहुत स्पष्ट होता है। बैठी दी बुंद दा जो नज़र उथे बैठे लोकन नु डिसेय शायद ओह सोच वि नहीं सके। पिंड दी सबतो धार्मिक ते वड्डी बुंद दी पूरी शेप उन्हा दीया आंख सामने सी। चित्तन ऊपर पाई होई चिट्टी कच्ची वि उठे सब नु नज़र आ रही सी। सार्या दी निगाह उठे बब्बे तो टोपी के नवदीप दी बुंद वाल अटक गई सी।
हालांकि नवदीप कुछ देर के लिए नहीं रुके और सिर नीचे कर लिया। सभी डेटा का आकार तदनुसार समायोजित किया जाना है। ओह कडी सुपने च वी नहीं सोच सके सकदे सी की उन्हा नु ऐनी वद्दी बुंद दा साइज वी कड़ी पत्ता लग सकड़ा। लेकिन झुकी होई कोड़ी होई नवदीप तन उन्हा नु लग्गेया जीवन उन्हा नु कह रही हो की "दस्सो तन मेरी बंद दा साइज ज़रा ..."।
कोई औराज़ा लगांदा सी "36 इंच दी बंड .." कोई सोच रेहा सी "40 इंच दा चुगथा" .. कोई मन सीएच सोचा "45 इंच दे चिताद .." सी। प्रीत इंदर सिंह दे मन छ चल रेहा सी "इन्हा पहाड़ वर्गे चितदन दी खुशबु ते स्वद लेने वाला तन कर्मा वाला ही होगा ..."
आपको अपने चारों ओर अपना रूप बदलने में सक्षम होना चाहिए। फिर ओह बहार आ गई जीते प्रीत इंदर सिंह खड़ा सी। ओह बेब दे बिलकुल कोल आ गई।
"मैं चलती आ बाबा जी हूं।" नवदीप ने प्रीत इंदर सिंह दीया आंखें छ देखे कहा।
बीबा जी चाह-पानी दा लंगर तन शक के जाओ। नाले कुदरत तन हले वी ज़ोरान ते हैं ... "प्रीत इंदर सिंह तन लगदा आज उसदा स्वद चकना चाहुंदा सी। "यहाँ आज है ... थोड़ा गर्म बीबी जी ..." इक कामरे वाल इशारा करदा होया बाबा बोले। नवदीप अपनी पूरी क्षमता से कम नहीं गए।
कामरे और वरदे सार उसे देखा की चारो पास वख वख धार्मिक महापुर्शन दिया तस्वीरन दीवार ते तांगियां स्न। कामरे छ इक कोने छ सोफे दा वड्डा सेट रख होया सी जिस ते इक्को समय 5-6 बंद बैठे सके। अगर आपके पास सिंगल सोफा है तो आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। शायद बुजुर्ग बब्बा इथे बैठे के कुछ मीटिंग्स जा होर गैलन करदे होंगे।
"टिक्क"
आवाज हुआ ही ऊपर लगा झूमर जग उथ्य जिस कामरे दे चारो पासे अपनी रोशनी बेखीर दित्ती। जीते नवदीप खादी सी उठे बिलकुल सामने उस्नु इक वद्दा शीशा नजर आया जिस छ उसु अपना पूरा जिस्म नजर आ रेहा सी। उस्दे बाल गरीब छुक्के सं. चित्त सूट चों हले वी पानी नीचे रेहा सी। पाड़ी होई चिट्टी ब्रा दी वादी बिलकुल निगाह छ पाई राही सी। मोटे-मोटे मुम्मियां दी पूरी दी पूरी शेप डिस रही सी। पटल तीध दे मास तो लाइक मोटे मोटे पत्तन तक दा सारा माल नज़र आ रहा सी। उसी कोठे जिद्दी बंद नाल सलवार चिपक गई सी। जिस्नल झूमेर दी रोशनी च बब्बे नु नवदीप दे चितदान दी शॉटी तो शॉटी कर्व वि नजर आ रही सी।
प्रीत इंदर सिंह- "इत्ते बैठे जाओ बीबा जी। मैं लंगर पानी दा बंदोबस करदा जी..." कहे बब्बा कामरे दे अंदर दा इक होर दरवाजा खोल रसोई वल चला गया। नवदीप हां छ सर हिलाया ते सोफ़े ते बैठा गई। उसके अंदर लड्डू फूट रहे हैं सी की ओह अपने गुरु दे कोल है। यह सोचकर वह रात भर जागता रहता है। थोड़ी देर बाद उसे देखकर वह शर्मिंदा हो गई। उसदा गुरु उस्दी सेवा कर रेहा सी। बब्बे दे हाथन च प्लेट फड़ी सी जिस्दे ऊपर 2 कप चा दे ग्लास ते नाल कुछ बिस्कुट पाए सी।
नवदीप- "बाबा जी..प्लीज..इसदी कोई लोर नहीं सी। सेवा तन मैनु करनी चाहीदी है तुहाड़ी।" केहदी हो ओह स्पफे तो खादी बब्बे ने ध्यान नहीं दिया कि ओह बैठा सी उठे सोफ़ा जिला हो गया सी ते उस्ते नवदीप दी बुंद दी पूरी शेप बन गई सी। उसी गिल्ली बंद ने जोड़े तो ज्यादा सोफे ते निशान बनाया सी। बब्बे दा लुन इकदम खड़ा हो गया।
प्रीत इंदर सिंह- "सेवा ही असली गुरु है बीबा जी। तुसी बैठा जी। नाल दे सोफे ते बैठा ते सामने इक टेबल ते समान रख दट्टा।
नवदीप- "बाबा जी तुसी बहुत सुलजे हो गए जी। काश मैं वि अपना मन सुलजा लावा .."
प्रीत इंदर सिंह- "बिल्कुल सुलजा सकदे हो बीबा जी। ओह सामने सोफा देख रहे हो। उसदी साइड ते जेहरा टेबल है। दित्ता।
"बाबा जी मैं जरा देख लवन जी.." नवदीप ने जवाब दिया।
प्रीत इंदर सिंह- "जरूर बीबा जी। एह तुहाड़े वर्गे सूजवां नौजवान लेई है।"
सुनके नवदीप ओह टेबल वैल चली गई। उसदी जादू ही पीठ बब्बे वाल होई तन उफ्फ उसदी वद्दी चौरी बंद चित्त सूट छ देख ओह दोबारा पागल हो गया। सलवार दे एंड्रो पाई चिती कच्ची ओ देख सकड़ा सी। ध्यान नाल देखा तन उस्नु पता लग्गेया के ए धार्मिक रण वी आकार कच्ची पौंडी जो लगभाग गरीब छिड़द कवर। लेकिन अगर आपको वह नहीं मिल रहा है जिसकी आप तलाश कर रहे हैं तो बस पूछें। बब्बे दा लुन पत्थर बन गया।
नवदीप ने किताब खोली और सोफे पर लौट आया। जैसा कि आप पुस्तक के कवर से देख सकते हैं, "दास (10) ANDHVISWAAS" अक्षर प्रकट होता है।
"घर जाओ और इस किताब को एक अलग तरीके से पढ़ो। तुम्हारा ही दुनिया का द्वार होगा। ये ऐसी दुनिया हैं जिन्हें कोई भी इंसान ही समझ सकता है।" प्रीत इंदर सिंह उस्दे गिले जिस्म नू गोर गोर के कह रेहा सी। "तुहाड़ा मन नु भरपुर खुराक मिलेगी .."
"जरूर बब्बा जी.." नवदीप ने जवाब दिया।
नवदीप उसदिया गैलन सुनके बहुत प्रभावित होई ते ओह वी सोफे ते बैठा गई। उसे एक बार फिर लगा कि उसके पास सही गुरु है। फिर दोव बब्बा ते नवदीप इसे तारः दिया गल्लां करना लगेगा। नाल नाल ओह चाह दी चुस्की लेंदी होई बिस्कुट खा रही है। बब्बा गरम गरम चाह उसदे गिले बुलन राही गोरे गले तो उतरके टिड्ड छ जांडेय साफ महसूस कर रहा है। नियंत्रित करना मुश्किल है। सामने उस पिंड दी सबो सेक्सी ते गुंडवे हिस्सेर वाली धार्मिक रण बैठा है, ओह वी पुरे गिले कपडेय च। कोई होर हुंडा तन नवदीप हुं तन सोफे ते कोड़ी करके बुंद ते थप्पड़ मार मार बैंग कर डिंडा, पर प्रीत इंदर सिंह बहुत धीरज वाला बंदा सी।
उधार नवदीप नु गरम चाह पीन नाल गिले कपडेयां च गरममयश मिली। लेकिन वह बार-बार अपना दुपट्टा सेट कर रही हैं। उस्नु लगदा है उस्नू सूट द गाला भुत दीप है ते शायद उस्दे गुरु नु उसदे मुम्मियां विचली तारेर न दिसी जावे ते बब्बा उस्नु वि गलत कुड़िया वंग समजे।
प्रीत इंदर सिंह: प्रीत इंदर सिंह ने उस्नु बार बार इक्को चीज करदेया तोकेया। पहले तो उसने सोचा कि उसके पिता इतना अच्छा क्यों कर रहे हैं। वह बात करना चाहता है
"नहीं बब्बा जी..केके ... केके..केके ... केके .... कुछ नहीं .."
लेकिन प्रीत इंदर सिंह मौके नू भांप गया सी। उसे फिर दोबारा पुचेया।
प्रीत इंदर सिंह- "बीबा जी जे मन च कुज दुविधा हुंडी है तन दास दीदी चाहिए। नाल उस्दा पूरा ध्यान एह नापन छ है की उस मम्मियां दी तारेर किन्नी कू ढूंगी जा रही है।
नवदीप फिर से शर्म नाल लाल और इधा उधार सर मरडी राही गए। लेकिन बच्चा छोटे से कुछ शब्द कहने में सक्षम था, लेकिन दीपक को नहीं।
"बाबा जी..ओह यह माया रूपी शेयरर नु धक्क रही सी ..."
कहे नवदीप ने मुह थले कर लिया। शायद उस्नु बहुत शर्म आ रही सी।
प्रीत इंदर सिंह- "अच्छा बीबा जी। एह गल है। पर इक गल कहं बीबा जी .."
"हंजी बाबा जी..."
प्रीत इंदर सिंह- "शरिर वी रब्ब दी ही दीन है बीबा जी। एह कोई मादी चीज नहीं है। एह ऐसी चीज रब्ब ने बनायी है जो बेहद खूबसूरत है। मेरे घावों में नमक रगड़ने की बात करें - डी ओह!
"अच्छा बाबा जी..." उसडियन गैलन सुंके नवदीप तन जिवे उल्ज गई। उस्नु इंज लगे की उस्नु तन कुछ समाज ही नहीं सी। यह बाबा बहुत पहुँच गए हैं।
प्रीत इंदर सिंह- "इंसां न अपना जिस्म नु कपडे नाल इस्लेई ढकना पेया क्योंकी इंसान सी सोच गलत हो चुक्की है। इसके बिना, कुदरत एक अमूल्य खजाना होता।" बब्बा उसदे वाल देखके उस्नु कह रेहा सी। असल छ ओह एह कहा रेहा सी की नवदीप उसदे सामने नंगी हो जावे तन ओह कुदरत दा अनमोल खजाना देख सके।
"हंजी बाबा जी..."
नवदीप दे मन ते बब्बे दिया गल्लां हाथोड़े वांग वज्ज रहियां सी। इक-इक शबद उस्दे मन-तन नु कील के जा रेहा सी। उसके मन ते बब्बा होली-होली हवाई हो रेहा सी। उस्नु बब्बे दिया गल्लां दुनिया दी सबतो सच्चियां गैलन लग रहियां सी। आज बब्बे ने उसदी इक होर सोच बदल दिती सी।
दूजे पास
उठे नवदीप दे घर छ मनजीत अपने कम कर नबीद के मांजे ते पाई आराम कर रही सी। बारिश पूरे ज़ोरान ते हो रही सी जिस्करके लगभाग सब अपने घर दी चार दिवारी छ ही स्न। पर इक इंसान सी जो बहार बारिश छ वी मिट्टी खोड़ रेहा सी। उसदे मत्ते ते काला टिक्का सी। मोडे ते झोला तांग्या सी जो बारिश करन पूरा गेल्ला हो चुक्का सी। इक हाथ छ निंबु फरह्या सी जिस सीएच 3-4 सुइयां आर पार कितिया ते उत्ते लाल रंग दा सिंदूर शिर्केया होया सी। ओह नवदीप हुना दे घर दे चारो कोनेया ते मिती पाट के हमें छ निंबु गद्दा रेहा सी। नाल नाल मू च मंत्र दा जाप कर रहा सी। वह गांते छ घर दे चारो के किनारे निम्बू गद्दी लगाते थे। Andt ch jhole cho ik koli kaddi, usda dhakkan kholeya. विच लाल रंग दा तारल पदार्थ सी। शायद एह किस जनवर दा खून सी। उसे हाथ विच पाया ते उस्दे शिट्टे घर दे चारे पास मारे। नाल नाल ओह जाप करदा रेहा।
यदि आप उस अव्यवस्था से छुटकारा पाना चाहते हैं जिसकी आपको आवश्यकता नहीं है, तो आपको अन्य लोगों की मदद करने के लिए बस अधिक भेदभाव करना होगा। एह इक गुड्डी लगा रही सी जिस्ते काले रंग दा कपड़ा होया सी। उस्नु देख के ओह मन छ सोचन लगा।
"अभी पता चलेगा आपको सरदार जी भूत होंगे या नहीं होंगे। मुझे झूठा कहा। मेरी बेस्टी की बड़ी सरदारनी जी (नवदीप) के सामने। भी तांत्रिक कलुराम का चेला नहीं। जय हो तांत्रिक कालू राम जी की।वह उस दुकान में एक गुप्त स्थान पर छिप गया जहां वह घर पर रह रहा था। उसके चेहरे पर मुस्कान थी। उस्नु लगड़ा पक्का याकेन सी की उस्दा मंतर कम कर जगा। उसने चुपचाप अपने तांत्रिक वाले कपड़े बदले बदल दिए।
जसमीन दा कॉलेज
बारिश शम शाम बरस रही सी। कॉलेज का दूसरा लेक्चर शुरू हो चुका है। पर जसमीन ते उसदी सहेली मुस्कान दा इराडा लेक्चर लगान दा बिलकुल वि नहीं लग रहा सी। ओह दोनो इक मुंडे (गिप्पी) नाल कॉलेज कैंटीन च बठियां भुक्खेया दी तराह चॉकलेट्स खा रहियां सी। जसमीन ने लाल टॉप ते नीले डेनिम रंग दी टाइट जींस पायियां होइयां सी ते नाल बैठी मुस्कान ने काले रंग दा टाइट सूट। जसमीन दी बुंद कुर्सी ते बैठा होई वावा वडी जपदी पाई सी। यदि आप बोली से बाहर हो गए हैं, तो आपके पास बोली जारी रखने का अवसर है। शायद उस्नु वी गल दा पता सी तन्ही ओह जांबुज के बार बार थोड़ी देर लेई बुंद चुक्क चुक्क के गल करदी सी।
मुस्कान- "तू आज वि नहीं लेक्चर लौना कोई वी?" खांडी होई ने मोह खोले।
जसमीन- "तैनू जीवन पता नहीं सालिए।"
मुस्कान- "पटा तन है पर पिशले हफ्ते वी लेक्चर ना लगन दा कोई फ़यदा होया सी।"
जसमीन- "अज्ज नहीं हुंदा।" कुछ जसमीन ने जवाब नहीं दिया। "तू देखी जा। अज जरूर आउगा .."
गिप्पी- "आग नहीं ... आ गया। ओह देख .." मुंडे ने कैंटीन दे दरवाजे वाल इशारा किता। "मी छ बिज्ज्या रांझा..."
सुनके जादू ही जसमीन ने उसवाल बगीचा घुमाई तन ओह खुशी नाल झूमन लग्गी। सामने उसदा बॉयफ्रेंड विक्की खड़ा सी. उसने मेह छ वि काले रंग दिया गॉगल्स लाएइयां सी। नेवी शर्ट और फौजी डिजाइनर जींस पाईयां होइयां सी। सेठ तो जिम दा शौकिन लगदा सी। उसे हाथ हिलाके उस्नु बुलाया। यह देख जसमीन ने कुर्सी से हाथ मिलाया। ओह मुंडा कुझ मू च बरबरया "चलो .."। जसमीन ने हस्के हां छ बगीचा हिलायी।
मुस्कान- "तेरा कम तन बन गया कुट्टिये।" जसमीन दे चुंडी वड्डके ओह बोली। "मौसम बन गया कमाल के तेरे लेई..हेहे.."
मुस्कान दे चेरें ते गिप्पी वि हस पेय। पर ओह समाज गए सी की हुन एह जीएफ-बीएफ किडरले पासे वाल जा रहे ने। डोवन ने मजाकिया अंदाज़ छ केहा "हीर चली आ रांझे दे कालेजे थंड पायन .."
"चुप रहो..." जसमीन ने अपनी कुर्सी से कहा। "ऐनी डेर बाद आया है मेरा रांझा..जाना ही आ उसे कोल फिर मैं ... चलो मिल्डे आ ... अलविदा .."
सभी को नमस्कार। फिर डव जाने गलन करदे कैंटीन तो बहार चले गए। गल्लां करदे करदे डोवेन कॉलेज दे गेट तो बहार वल नु हो गए। बारिश हाजे वि बहुत तेज सी। विक्की पज्ज ने अपनी कार खोली थी और कॉलेज छोड़कर जा चुकीं जसमीन मोहरे लेयके की हत्या कर दी थी। बिना डर काइट होर कार दे अंदर बैठा गई। एह इक एसयूवी गद्दी सी जिस्तो पता लगदा सी की विक्की बहुत मालदार मुंडा है। उसे गद्दी फुल स्पीड ते दौडा लेई।
"चलो होटल चलते हैं...?" विक्की जसमीन वल देख के बोलेया। "आज तन मौसम वि बहुत सेक्सी आ।"
जसमीन- "जान मैं हमें दिन वि कहा सी ना की नहीं जा सकती। ऐवेन बार बार न पुचो। मैनु बुरा लगदा फिर।" विक्की दे मुह ते हाथ फिरदे हो उसे कहा। "कोई देख लेगा जानू..पता तन है तूहानु।"
"हाहाह..मैनु पता सी जवाब जानू। शेर रेहा सी बस।" हसदे होए विक्की बोलेया। "लेकिन मैं बहुत अच्छे मूड में हूं।"
जसमीन- "गंदे जेहे ... कदो नहीं हुंदा तुहाड़ा। विक्की दे मुह ते प्यार नल थप्पड़ मारके कहा।" सामने देखो सामने ..ऐवेन ठोक ना देओ। "
"ठोकना तन तुहानु जान।" विक्की ने सेक्सी अंदाज में कहा। वह काठी तो हटा के कच्चे रास्ते वाले लेई में जाया करते थे। आले ड्वाले थोड़ा जरियान ही ज़रियान स्न ते दूर दूर तक खेत नज़र आ रहे स्न। "बस थोड़ा सा ..."
जसमीन- "जान तुसी हटे नहीं। कार किदर नू लाइक चले ..." उसने स्टारिंग नु फरहान दी कोशिश किटी। "मुझे नहीं पता।"
"ले ... मुझे नहीं पता कि क्या करना है, मुझे नहीं पता कि क्या करना है," विक्की हास्के ने कहा। "मुझे आपको आखिरी बार देखे हुए 2 सप्ताह हो चुके हैं।
जसमीन- "किन्ने खराब हो गए हो जान। हटजू। कार मेन रोड ते लाइक जाओ प्लीज।" उसे विक्की दे मोडयां ते हाथ रखदे बोले। लेकिन उनकी आवाज बहुत तेज नहीं है। शायद उस्दा अपना मन वि विक्की दे नाल सी।
गल्लां करदेया करदेया विक्की ने कार इक सुनन जी जग ते जाके रोक दिति। यही स्थान उपयुक्त है। ते दरवाजा तक खेत ही खेत स्न। बारिश पूरे ज़ोरान नाल बरस रही सी। कार दा इंजन बैंड किटा सिरफ एसी ऑन सी।
"जानू जो तू सोच रहे हो..मैं नहीं ओह करना देना यादे...हे .." जसमीन ने उस्दे बुलां ते हाथ रखदेया कहा। "नहीं का मतलब नहीं... मुझे समझ नहीं आ रहा..."
"चलो... रोको, बंद करो..." कहे ओह उसदे कोल आया। वह अपनी सीट पर झुक गया और एक सीट ले ली। जसमीन झूठी मूठी दा नाटक करन लग्गी। "नहीं का मतलब नहीं..सिर्फ गले लगना..संजे..."
विक्की ने पहली बार उस्दी गार्डन को किस करना शुरू किया था, जब उन्होंने अलविदा कहा था। इक-दो-तिन्न-चार-पंज-शेय...उफ्फ...
"ओह .... उफ्फ ... अहम्म्म ..." जसमीन दे मू तो आप मुहर ही रसीलियां आवाज उसदे हाथ ने विक्की दी गार्डन नु होर वी कास के फरह लिया।
"ऐसा मत करो, तुम्हें पता है ... तुम मुझे जानते हो।" आंखें बंद करते हुए जसमीन बोली। "मैं कहीं नहीं जा रहा।"
विक्की- "मुझे ये नहीं चाहिए। मुझे तुमसे बात नहीं करनी है..." उफ्फ्फ .... अखिर विक्की उस जट्टी दी वद्दी बुंद नु हथन छ फरहान छ सफल होया। "वड्डे वड्डे चितद सोहनी सुनाखी नार दे ... टिक्खे तीर उसदे लुन ते मर्दे .." एह कहवत उसदे गरीब धुक्क राही सी
आह आह करदी जत्ती जसमीन बडे बेशर्मी नाल उस्दे हथन नु अपने चित्तदान ते महोस करवा रही सी। थोड़ी ही डर च दोना दे बुलान दे विच बुल पाई गए। बिजली अस्मान छ लशकी पर हम जट्टी दे मुलायम लाल बुलन दा मीठा रस चूसके बिजली विक्की दे शेयरर छ डिग्गी। उस्नु इंज लग रेहा सी जीवन ओह कोई चेरी दा फ्रूट खा रेहा होवे ..ऐने मुलायम सी जसमीन दे बुल। होली होली करदा ओह जापानिया वांग उसदे बुलन नु खां लगा ते उस्दी रसीली जीब नु अम्ब वांग मूह च चुस्कियां ले ले के खिचन लगा।
डोवा दे ठुक एक्सचेंज होन लगे ते हुन तान दोना दे जिस्मन च अग दा बम्बर मच चुक्केया सी। मोह खोल खोल जसमीन दा .... विक्की ने अपनी जीब विच पाई। आप इसे जितना हो सके धक्का दे सकते हैं। योर गंडा हमें सेक्सी स्मार्ट जत्ती नू छटा चटा उसदा लुन पत्थर बन गया सी। दोनो थोड़ी देर लेई रुके ते पिचली सीट ते आ गए। कार लॉक थी। हुन शायद जवानी दी सारी हदन पार होन वालियां सी।
जितना अधिक आप करते हैं, उतना ही आप अपने शरीर के शीर्ष को खोलना शुरू करते हैं। हमें जट्टी ने वि बहन ऊपर चक्कर लेइयां। टॉप जिस्म तो उत्तरदेया ही जसमीन दे मोटे मोटे मम्मे उसडियन अंखन सामने स्न। बैंगनी रंग दी जाली वाली ब्रा दे विच गोर-गोर मम्मे उत्तेजक लग रहे सी। विक्की ने अपनी ममियों को ऊपर रखा। जसमीन दिया आंखें बंद हो गई ते मुह ऊपर नू करन लग्गी। होली-होली हथन नाल ओह हम जट्टी दे मुम्मियां नु घुमायूं लग्गा। इस मजेदार और आसान विज्ञान परियोजना में जानें! फिर इक हाथ हटा उसे घिसरदे होन जसमीन दी ढुंगी धुनी ते टीका लिया। हलका जेहा धूनी छ अनगल पा के जोर लाया। उफ्फ्फ जसमीन दे शेयरर चो भांबरर मचान लगगे। ओह मशली दी तराह इद्र मूह क्रदी होई "आह .. आह ..." करन लग्गी। इसे लगभग 2-3 सेकंड के लिए मजबूत रखें। मुझे आश्चर्य है कि क्या वर्तमान चमेली में लगा है।
फिर बगीचा ते पप्पियां लेंदे लेंदे ते मोडयां नू चूसदे चूसदे उसदी ब्रा दी हुक नु हाथ पा लिया।
जसमीन ने माधोशी से कहा, "ना जा ... जे ... जा... जान .... कोई देख लेगा"। "डर लगड़ा मैनु ... कृपया ..."
"मुझे नहीं पता कि यह समय है।" विक्की ने कहा। "ऐवें नहीं तेरे यार नू छुपा रुस्तम कहे..."
जसमीन के चेहरे पर मुस्कान आ गई, लेकिन वह घर से बाहर निकलने का रास्ता तलाश रही थी। बैसर दे मौसम छ अपने यार सामने शैतान नंगियां करण विचार ने उसदे शेयरर नु होर उत्तजीत कर दित्ता है। जीवन जीवन ब्रा उतरी पाई है, उन्हें उवें उसदी काम दी वासना वध रही है।
"ओह माय गॉड... वाह"
हमें देखकर विक्की चौंक गया। "ओह माय गॉड... हर बार पहला नालों वड्डे लगदे आ जान.."
उसदी एह गंदी गल सुनके जसमीन दी फुद्दी नू होर अग लग गई। वह मुस्कुराया और कहा कि उसने विक्की की मुस्कान देखी है और उसने ज्यादातर मुस्कानों पर ध्यान दिया है। दोस्तों के सामने आने में कोई शर्म नहीं है। सागौन उसदी फुद्दी दा रस टिप टिप करना शुरू हो गया सी।
"आप क्या देखने जा रहे हो?" जसमीन दे अंदर बाल्दी अग बोलन लग्गी। "एह देख वली ची ... जेड ... उफ्फ ...."
यह पहली बार है जब विक्की अपनी मम्मी से छुटकारा पा सका है। यदि आप अभी कुछ समय से इस स्थिति में हैं, तो आप ऐसा करने में सक्षम हैं। अव्यवस्था से छुटकारा पाने का यही एकमात्र तरीका है जिसकी आपको आवश्यकता नहीं है। गरम निप्पल ते गिला ठुक लग रहा है सी ते जसमीन मछली वांगु तड़फान लग्गी। मोटे मोटे हमें जत्ती दे विक्की नु नसीब हो रहे सी। ऐनी गोरी रण दे दुध नु चूसन दा मौका किस नु मिलू तन ओह कीवेन शद्दुगा। यदि आप अव्यवस्था से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है, बस उस पर क्लिक करें। लास्ट कार शामियाना कार च गूंज रहियां एसएन। कडे खब्बा मम्मा ... कडे सज्जा मम्मा ... फिर काडे खब्बा ..कड़े सज्जा .... बारी बारी सर लाइन बना के गोरी चिट्टी जट्टी दे दैन चोन ओह डायरेक्ट दूध पी रेहा सी।
"उफ्फ .... ओह जान .... हाय ... उफ्फ ...."
ओह भूल चुक्की सी की आज सवेरे ओह कॉलेज जान लेई कह के आई सी। पर बजाये अपने यार नंगियां शातियां दा रस दावा रही सी।
ओह कह के आई सी की आज मैं ध्यान नाल परहुगी मम्मी कॉलेज। लेकिन अगर आप अपने दोस्त पर ध्यान नहीं देंगे तो आप ऐसा नहीं कर पाएंगे।
हे भगवान, मुझे नहीं लगता कि मैं तुम्हें घर पर कभी याद करूंगा। पर हुन तन ओह आप यार नू कह रही सी "होर ज़ोर दी चूसो जान .... हाय .... उफ्फ्फ .... हांजी ऐसा बिलकुल ऐदा .... हाय ...."
लगभग 10-15 मिनट जसमीन दे मम्मे राज के चुनें। कड़ी उन्हा नु पटेया, कड़ी गोल गोल गुमाया, कड़ी निप्लान नु खिचेया, कड़ी पूरा मुमा मू च फसायुन दी कोशिश किटी जो वड्डा हो कर आया नहीं मोह छ, काडे मुमेया दी दारर छ जीब फेरी, लाइन बना बना मम्मे चुनें। उसने ममियों को नहीं चुना।
"अरे तुम क्या कर रहे हो ...?" माधोशी छ हस्दी होई जसमीन बोली।
विक्की हुन जसमीन दी जींस दी बेल्ट खोल रेहा सी। "हे भगवान, मुझे नहीं पता कि क्या करना है ..."
"अरे नहीं जान... दर्द हो गया सी उड़ो बहुत .... प्लीज... आज नहीं..." जसमीन ने उससे कहा। "कृपया जाओ ..... उफ्फ ..."
ईश्वर फिर उसी गल खातम होन तो पहला ही विक्की ने जींस और हाथ पा के फुद्दी ते रख दित्ता। 100 डिग्री अधिक गर्म हुआ करता था। कच्ची पान दे बवजूद पानी ने पूरा चिक्र किता होया सी। पट्ट तक गिले स्न जसमीन दे। जानिए जैस्मिन कितनी सेक्सी हैं.
होली-होली उस्दी जींस नू थेले करदे होया विक्की उस्नु पप्पियन ते पप्पियन दे रेहा है। जीन्स आसनी नाल नहीं खुल रही सी क्यों हमें जट्टी दे वड्डे चिताद जींस च फास रहे सी। उन्होंने चमेली को थोड़ा ऊपर उठाया और फिर जींस की थालियां। थोड़ी देर च जीन्स उसे जोड़े तो निकल के अलग हो गई। उफ्फ्फ जसमीन दे गोर गोरे मोटे पैट उसडियन आंखें सामने आ गए। दूध वर्गे लगे रहे एसएन. पर्पल कच्ची छ कैद उसदी फुद्दी पूरी तरह इक गरम गूफा जाप रही सी। उसे जैस्मीन नू कोल किता ते जफ्फी पा लेई। नंगी पीठ ते हाथ रखदे उस्नु लग्गा जीवन केसे रूंह ते हाथ फेर रेहा होवे।
"मुझे नहीं पता कि क्या कहना है ... कृपया ऐसा न करें ..." "प्लीज डू डू इट जान..."
पर विक्की शायद आज मौका सदना नहीं चाहुंदा सी। वह उसके हाथ पर चिल्लाने लगा।
"नहीं प्लीज़ बेबी। मेरा इस पर फिर से कोई नियंत्रण नहीं है ..." "प्लीज मत बेबी..."
विक्की सब कुछ जानता है। उसे झट जसमीन दी कच्ची उतर के पारा सिट्टी। हाय रब्बा जसमीन दे नांगे शेयरर नु देख ओह डांग रे गया। उस्नु इंज लग्गेया जीवन उस्नु कोई अनमोल खजाना मिल गया होवे। ऊपर तो लाइक थाले तक उसदा गोरा चित्त रंग ते भरवा जिस्म उसदे लुं नु पत्थर वांग सखथ करदा गया। जसमीन दी फुद्दी ते हलके जेहे वाल सी।
"मुझे नहीं पता ..." "नहीं का मतलब नहीं... हेहेहेहे"
विक्की का कोई अता-पता नहीं है। उस्ना 1-2 वार पहला वि जसमीन नु नंगा किता सी ते उसदी फुद्दी च लुन पौन दी कोषिश किटी सी। पर उड़ो चंगी तारः फुद्दी मार नहीं सी होई। कोई ना कोई पंगा पाई जिंदा सी। पर आज ओह शायद मन बना के आया सी का अपना लूं हम रन दी फुद्दी च फासा के हटुगा। उसे देखने के लिए विक्की ने अपना मुंह खोला। उस्दा लुन सख्त हदी दी तारः तान्या पेय सी। लम्बा लुल सी ते यूटन टिन उंगलन जिन्ना मोटा। 90 डिग्री का कोण पूरी तरह से ढका हुआ है।
विक्की उसदे टूटे टूटे पेया। शातियां नु हथन च फरहखे ओह उसदे गरीब हिस्सेर ते पप्पियां ही पप्पियां करना लगा। उसदे गोर मुह नु इंज चट्टान लगा जीवन रसमलाई लग्गी होवे। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो कृपया बेझिझक हमसे संपर्क करें। पर अचानक ओह रुक गया।
"के..के..की ... की होया जान?" जसमीन दे इकदम पुच्या।
विक्की- "ऐद्दा नहीं जान ... कुछ अलग करदे आ ..." कहे ओह उठे ते हम देख बोले। "आज बहार में छ..."
"क्या?" जसमीन फूट-फूट कर रोने लगी। "पागल ओ जान...? महे छ क्रुगे? कोई देख लेगा यार ..."
"कोई नहीं देख रहा है ... बास बाहर आओ ..." "होहू किन्ना स्वद औंदा ठंडा पानी छ मेह दे ..."
जसमीन- ''हे भगवान... पागल हो गई हो? "नाले थंड ना लग जावे..."
लेकिन विक्की को इसकी भनक नहीं लगी। ओह, कार इन खिडकी कोल आया ते उसे जसमीन नू गोदी चुक्क लिया। "प्लीज जानिए... हाय... मैनु शर्म औंडी... हाय..."
उफ्फ्फ्फ... इतनी तेज बारिश हुई कि मुझे हंसी आ गई। थंडी ठंडी टिप टिप उसदे गरम जिस्म नु थारन लगियां। "हे भगवान ....कितना अच्छा है .... हाय ......... प्लीज़ मैं शर्मिंदा हूँ ..."
इस्तो पहला की ओह खुश मेहंदी, विक्की ने सड़क ते उस्नु लम्मा पा लिया।
हायी गोरी चित्ती जट्टी पूरी नंगी होके सड़क ते लम्मी पा दिति। उत्तर हमें मोटे मोटे मुम्मियां ते बरिश दिया बुंदन किनमिन करन लगियां। बुंदन उसदे जिस्म ते इंज लग रहियां स्न जीवन शॉट शॉट मोती हुंडे ए।
"आप क्या कर रहे हो ...?" जसमीन का कोई समाज नहीं है। विक्की ने अपना आपा रखा और अपने टाइट टाइट फुड्डी से अपना आपा शांत रखा।
जसमीन दे तन जिवे सा अतक गए। ना ओह कुछ कहन जोगी ना कुछ करना जोगी। उसदी टाइट फुड्डी ते विक्की दी जीब सप्प वांग घुमान लग्गी। दो-तीन बार घुमायूं तो बाद उसे जीब उसदी गुलाबी फुद्दी दे विच फासा दित्ती। उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ .... विक्की नु इंज लग्गा जिवे उसने शेहेद छ जीब पा लेई होवे। ऐनी तारक सी उस जट्टी जो उसदी फुद्दी चोन झरने वांग वागड़े पानी तो साफ पता लगदी सी।
उत्तर पानी दिया बून्दन दोना दे नानंगे जिस्मा नु भीगो रहियां एसएन। विक्की नु जसमीन दी फुद्दी दे नाल नाल बारिश दा पानी दा स्वद वी आ रेहा सी। पर ओह तन हवाशियां वांग उसदी फुद्दी नु चुन लगा सी बास। जसमीन इज जहान नू भुल चुक्की सी। पिंड छ शरीफ मन्नी जाना वाली रण आज लत्तन चक्कवा के अपने यार कोलो खुल्ले अस्मान थल बरिश छ फुड्डा चस्वा रही सी। अचानक उन्हा नु इक कार दी आवाज सुनायी दिती। थोड़ी देर बाद उन्हा महसूस किता जीवन ओह कार रुक गई होवे।
THE END
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