मेरी प्यारी बहन Part 5
दोंनों के बीच ऐसे बहुत प्यार करता था और जब भी अकेले होते हैं तो कुछ नहीं कुछ गुल खिलाते रहते हैं। दोंनों के अपने सीक्रेट्स द जो घर में मां बाप के सामने बिलकूल नहीं दिखाते, और जब भी काम में अकेले होते तो आशिकों की तरह रहते थे। अब दोनो कॉलेज में आ गए थे।
कॉलेज फिर से शुरू हो गया और दोंन वापस कॉलेज जाने लगे। अब विहान कॉलेज में भी आशिता पर नज़र रखता। क्यूंके मिक्स्ड स्टूडेंट्स कॉलेज में, दों लड़कों और लड़कियों से आशिता की क्लास में भी लड़के द और उन में से एक आशिता के काफ़ी करीब था। मगर सिरफ क्लास में वो आशिता से थोड़ा फ़्लर्ट करता क्युंके ब्रेक्स में तो आशिता हमेशा विहान के साथ रहती थी। मगर फिर भी कभी कभी आशिता अपने दोस्तों के साथ भी हो जाती थी ब्रेक में भी।
और एक दिन विहान ने देखा के वो लड़का, आदित्य नाम का जिस से आशिता बात कर रही थी एक दिन ब्रेक में। विहान ने दूर से देखा, और कुछ डर देखने के बाद के आशिता उस लड़के से हंस कर बात करती जा रही थी और वो लड़की आशिता के कफी करीब था तो विहान जल्दी से आशिता लेगा के तार बड़ा और उसे पकर बाहों पुचा,
"कौन है वो?"
आशिता ने आराम से जवाब किया,
"आदित्य है, मेरा क्लास दोस्त है।"
विहान ने पुचा, "तुम्हारे पास बैठा है किया क्लास में?"
आशिता, "तो नहीं भाई मैं तो शालिनी के पास बैठा हूं!"
विहान, "लडकों से ज़िदा दोस्ती मत करना तुम कह देता हूँ!"
आशिता ने हंसते हुए पुचा, "क्या मगर क्यूं? तुम्हारे भी तो कितने सारे लडकियां दोस्त हैं नहीं भाई?"
विहान: "वो अलग बात है, तुम्हारी बात अलग है समझ करो ना जाने!"
आशिता ने विहान को चिढ़ते हुए कहा,
"आप ईर्ष्या करते हैं भाई यूउउउउउउ !!"
आशिता को पता था विहान जलता है जब वो किस लड़के के साथ होती है तो, और आपके भाई को दुख नहीं देना चाहिए थी इस लिए लड़कों से दूर ही रहती थी।
एक दिन शाम को कॉलेज से निकलने के बाद, दून एक वॉक करते हुए मॉल्स में विंडो शॉपिंग करने लगे... बड़े अच्छे अच्छे से देख रहे हैं दून और किस्सी को ये बहोत पास और आटा तो किस्सी को वो... इतने सारे बढ़्या अच्छे बच्चे प्रदर्शित किए शॉप्स के लक्ज़रीस सामनों में के दोंनों के बस लाड तपक रहे थे। और आशिता ने कहा,
"भाई हम अमीर होते तो हमारे पास ये सब होते नहीं?"
फिर कुछ दूर वे दूनों एक अधोवस्त्र की दुकान के पास रुके और खिड़कियों में अच्छी अच्छी क्वालिटी के नाइटीज, ब्रा और पैंटी प्रदर्शित हुए दिख रहे थे।
कुछ इस तरह के अधोवस्त्र थे
आशिता ने बस एक नज़र देखा और वहां से हट गई मगर विहान खड़ा देखता रहा और फिर आशिता को अपने पास बुलाया। आशिता को पता था के वो किया देख रहा है, जब पास आई तो इन कपडों को दिखाते हुए विहान ने आशिता से कहा, "देख कितनी सेक्सी लग रहे हैं, तुम पर बहुत ही अच्छा लगेगा, इस में से वो लाल उन वाले ब्रा खारे तमरे लिए?"
आशिता ने धीरे से चारो तरफ देखने के बाद कहा, "भाई चलो यहां से लोग देख रहे हैं, ये बहुत मेंगे वाले हैं, मात्र ब्रा तो मम्मी ने बाजार से खरीदे हैं जो 25 रुपए में 3 मिलते हैं!"
और आशिता ने विहान का हाथ खिंचते हुए वहां से दसरे की दुकानों के तरफ बढ़ गई।
विहान को वो ब्रा बहोत पास और आया और सोच लिया के जो पार्ट टाइम जॉब करता है वहां से पहला तनख्वा मिलने पर पहला गिफ्ट आशिता के लिए वही खड़ीगा।
फिर वहां से चलते हुए दोंन एक नदी के पास से गुजरे, तहलते हुए घर को जाने लगे। वेइस हर रोज़ बस से जाते हैं मगर आज दोंनों को चलने फिरने का मन था तो चलते हुए जा रहे थे।
उस नदी के पिच एक कच्चा रास्ता था जिस के बगल में बहुत सारे पढ़ा पौधे और लोगों का आना उस तरह बहुत कम था, कुछ एक बाग जैसा था जो लगता तो एक पार्क जैसा था लेकिन हमें छोड़ दिया था और से गुजरा। उस तराफ कोइ भी नहीं दिख रहे थे और दोंनों एक दसरे के हाथ पकड़े चलते जा रहे थे और एक जग एक बड़े पेड़ के पास विहान रुका का और आशिता को अपने बानों में भर ने लिया तो आशिता को
"मुझे पता था तुम इसी लिए मुझे इधर लेकर आए हो आजल भाई घर पर तो मुझसे ज्यादा में भर सकते हैं यहां क्यों लाए हो?"
विहान ने उसके गाल पर अपने होने को फिरते हुए भुनभुनाया,
"यहाँ का महल तो देखो कितना रोमांटिक है जानेमन, ऐसे जग पर प्यार करना अलग बात होता है, है ना?"
आशिता, ने उसके कांधे पर हाथ बढ़ाते हुए कहा,
"क्या बाबा मुझे तो डर लग रहा है कुछ रोमांटिक वोमेन्टिक नहीं लग रहा है, तुम भी नहीं भाई पता नहीं किआ सोचा रहते हो, चलो यहां से!
विहान ने तब तक अपना मुझे उसके होने तक कर लिया था और तड़पते आवाज में कहा, चलो एक किस दो नहीं…”
आशिता ने सर ऊपर उठते हुए अपने होने को विहान के होने से लगाते हुए बचपने अंदाज में "हम्म किया भाई उह! उह! उह!"
और विहान ने वेइस ही खड़े होते हुए आशिता को ज़ोर से बाहों में किस किया। फिर झट से आशिता ने किस रोके हुए चारों तारफ देखा और कहा,
“अब चलो घर चलते हैं अगर किसी ने किसी कोने से हमको देख लिया तो मुसिबत आजी भाई तुमको ज़रा सा भी डर नहीं लगता किया? मुख्य से चली!”
और वो तेज़ कदमों से विहान के आगे चलेंगे थोड़ा दौते हुए……
विहान को उसके पीछे भागना पड़ा और दूनों घर पहुंचे।
घर पर तो दोंनों पहले पूँछते थे, माँ और बाप से घण्टों बाद वपस आते थे काम से।
तो विहान ने फिर आशिता को जकरा और बिस्तर पर लेयता, मगर आशिता नहीं चाहती थी और कहा के रात भर तो साथ रहना है तो अभी इतना इतना उतावला हो रहा है, वो विहान को पुश करने के लिए नहीं चली गई।
अब विहान उसके पिच गया, आशिता ने और से बाथरूम का ताला कर लिया था और विहान ने बहुत कुछ किया, आशिता माना कर रही थी तो विहान ने कहा,
"अरि हम दोंनों ने कितने बार साथ स्नान किए हैं, आज फिर से सही, दों साथ में नहीं होते हैं न खोलो ना प्लीज!"
आशिता ने अंदर से हंसते हुए जवाब दिया,
"भाई तब हम दोंन छोटे द अब बड़े हो गए हैं एक साथ नहीं नहीं सकते!"
विहान ने मुंह बनाते हुए कहा,
"तो क्यों ज़ुल्म कर रहे हैं, मुझे कितना मन है तुमको वेइस देखने को, जब से तेरे स्तन बड़े हो गए हैं आज तक नहीं देखा तुमने, कुम से कुम और तो अच्छी तरह से देख सकुंगा, प्लीज खोलो नह आशु!"
आशिता ने और भी ज़ोरों से हंसते हुए उसे चिढ़ाते हुए कहा,
"बिलकुल भी नहीं खोलूंगी, तुम जाओ यहां से, वो नहीं देखना है तुम!"
विहान: "देखो अगर मैं चाहता तो रात को कभी भी तुम्हारे कपड़े उतर कर देख सकता हूं नहीं? मगर किया मैं ने कभी ऐसा किया? किया कभी तुमको बेज़त किया? नहीं नहीं? मैं सही तरह से अनुमति लेकर मांग रहा हूं नहीं? तो क्यों नहीं दिख रही हो तुम? मैं जबर्दस्ती थोड़ा ही कर रहा हूं तुम्हारे साथ बेबी? !!"
आशिता ने फिर हंसते हुए उत्तर किया, "तुम वेइसा कर भी नहीं सकते, खबरदार अगर कभी मेरे कपड़े उतारे मेरे इजाज़त के बघैर, मैं तुमसे बात करना बंद कर दूंगा अगर तुम हमने कभी किया तो समझो भाई?! वेइसा नहीं करते, गंदे लोग वेइसा करते हैं और तुम मेरे अच्छे भाई हो तो कभी वेइसा मत करना वर्ना मैं मम्मी पापा को बता दूंगा सुना तुम भाई?"
ये सुनकर विहान को झटका लगा। सोचने लगा कि होगा अगर कभी आशिता ने सच में मम्मी पापा को बता दिया तो! अरे बाप रे विहान का तो पासी छूट गया और चुप चाप वहां से निकल लिए।
अंदर से आशिता उस से बात करती रही ये सोचते हुए के वो वहां पर दरवाजे के पास खड़ा है। मगर जवाब नहीं मिलने पर वो समझ गई के विहान चला गया।
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और उस शाम को मम्मी पापा वापस आए तो एक ट्रक में आए जिस में एक नया बिस्तर लाया गया था!
विहान और आशिता एक दसरे के चेहरे को देखते रहे और समझ गए के वो बिस्तर आशिता के लिए ही था…. दून बहोत उदास हो गए और विहान ने कहा, "देखा अब केसे तेरे साथ रहेगा? अब तुमको मुझसे दूर किया जा रहा है, हम बिचार रहे हैं, अलग हो रहे हैं, किया जाता तेरा अगर एक साथ हम आज स्नान करते तो? तेरे जिस्म को बचपन से देखता आया हूं किया हो जाता अगर आज एक बार और देख लेता तेरे जिस्म को तो? अब कभी भी रात को तुमको नहीं छू पाउंगा!”
विहान ने इतना कहा और उसके एंखों से उन्हें चालक पाए, जिस्को देख कर आशिता भी रो पड़ी और विहान को हवाला देते हुए कहा, "भाई बिस्तर को हमारे कमरे में ही लगाया जाएगा, तो हम एक ही कमरे में और मैं रहूँगा तुम्हारे बिस्तर पर आजुंगी नहीं!"
मगर जब बिस्तर को हेल्पर्स घर के अंदर लाने लगे तो मम्मी ने उन्को इशारा किया के बिस्तर को उसके काम में लगाना है……..
अनिरुद्ध अपने दो बच्चों को देख रहा था और उसको दोंनों की उदासी दिख गए, मां ने भी देखा के दोंनों बहुत उडास हो गए हैं लेकिन उसका इरदा अटल था वो आज से आशिता को अपने कमरे में हमें इतने नए बिस्तर पर लाने के लिए लिया था। मैट्रेस भी था साथ में। हेल्पर्स ने सब कुछ इंस्टाल करदिया… आशिता की बिस्तर मम्मी पापा के बिस्तर के उस तारफ लगा गया…।
तब विहान ने आशिता का हाथ जोर से पक्का हुआ था जिस्को आशिता ने भी बहोत जोर से अपने मुठी में जकरा हुआ था और रो रही थी... उसको रोते देख कर विहान ने कहा, "अब रोने से किया तो खुश तुम्हें चाहिए, मुझे इनसे किया नहीं अब जा, मुझसे दूर हो गई…। बिचर गए हम, अलग हो गए, जुदा हो गए !!"
आशिता ज़ोर से रोने लगी…. मम्मी उसे पास आई और उसे गले लगाते हुए कहा, “अरी इस में रोने वाली कौन सी बात है? तेरा भाई सिरफ रात को तेरे पास नहीं होगा, उसके बाद तो तुम दोनो एक साथ रहेंगे नहीं? तुम बड़ी हो गई हो और अब अपने भाई के साथ नहीं इतनी शक्ति, अब तुम्हारा अपना बिस्तर है तुमको तो खुश होना चाहिए देखो कितनी खूबसूरत बिस्तर है और मैट्रेस भी कितना मुलायम है देखो तो !!
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